विद्यालय के प्रशासनिक कार्य में भागीदारी एवं रिपोर्ट तैयार करना - vidyaalay ke prashaasanik kaary mein bhaageedaaree evan riport taiyaar karana

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नेतृत्व के परिप्रेक्ष्य: विद्यालय विकास योजना का नेतृत्व करना

यह इकाई किस बारे में है

यह विद्यालय के बेहतर बनाने वाली दो इकाइयों में से दूसरी है। यह इकाई नेतृत्व के परिप्रेक्ष्य : विद्यालय की स्व - समीक्षा का नेतृत्व करना का अनुगमन करती है। यह इकाई विद्यालय के विकास के नियोजन की प्रक्रिया – विद्यालय सुधार चक्र ( चित्र 1) के चरण 5 व 6 – पर केंद्रित है। जब समीक्षा की जा चुकी हो तो विद्यालय नेता और विद्यालय मैनेजमेंट कमेटी ( एसएमसी ) इससे अवगत हो जाएंगे कि किन क्षेत्रों में विद्यालय अच्छा कार्य कर रहा है और किन क्षेत्रों को विकसित करने की जरूरत है। आप और आपकी नेतृत्व टीम – भले ही वह किसी बेहद छोटे विद्यालय का मात्र एक अध्यापक हो या किसी बड़े विद्यालय में चार या पांच वरिष्ठ अध्यापकों का समूह हो – उन सुधारों को हासिल करने के लिए योजना बनाने की स्थिति में होते हैं। यह इकाई आपको योजना बनाने की प्रक्रिया से ले जायेगी और आपकी योजना के लिए एक टेंप्लेट विकसित करने में आपकी मदद करेगी।

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चित्र 1 स्व-समीक्षा चक्र (शिक्षकों के लिए पेशेवर विकास सेवा, अदिनांकित से अपनाया गया)।

सीखने की डायरी

इस इकाई पर कार्य करते समय आपसे आपकी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने के लिये कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी शुरू कर भी ली है।

इस इकाई पर आप अकेले कार्य कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, साथ ही आपकी दीर्घावधि की शिक्षण-प्रक्रिया और विकास का प्रतिचित्रण भी करेंगे।

विद्यालय प्रमुख इस इकाई में क्या सीखेंगे

  • एक प्रभावी विद्यालय नियोजन प्रक्रिया की मुख्य विशेषताएं।
  • विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए पूरे विद्यालय के लिये योजना बनाना
  • विद्यालय विकास योजना में साझेदारों तथा विशेष तौर पर SMC को शामिल करना।
  • विद्यार्थियों के परिणामों को बेहतर बनाने वाली एक प्रभावी विद्यालय विकास योजना लिखना।

1 विद्यालय विकास योजना का परिचय

विद्यालय के प्रशासनिक कार्य में भागीदारी एवं रिपोर्ट तैयार करना - vidyaalay ke prashaasanik kaary mein bhaageedaaree evan riport taiyaar karana

चित्र 2 विद्यालय की विकास योजना एक मार्गदर्शक योजना होती है जो ऐसे परिवर्तनों को नियत करती है जो विद्यालय में सुधार लाने हेतु ज़रूरी होते हैं।

विद्यालय विकास योजना (एसडीपी) विद्यालय सुधार का आधार प्रदान करती है और उसे विद्यालय के दर्शन और दूरदर्शिता को प्रतिबिंबित करना चाहिए। इसमें अगली समयावधि हेतु प्राथमिकताएं एवं कार्य सूचीबद्ध होते हैं – कई विद्यालय सामान्यः त्रिवर्षीय योजनाएं बनाते हैं जिसे अधिक विस्तृत वार्षिक योजना से संपूरित किया जाता है।

एसडीपी विद्यालय की स्व-समीक्षा को प्रेरित करती है और समुदाय को दर्शाती है कि विद्यालय अपने विद्यार्थियों हेतु सर्वश्रेष्ठ संभव परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। पहला केस स्टडी और गतिविधि यह स्पष्ट करते हैं कि योजना बनाना महत्वपूर्ण क्यों है।

केस स्टडी 1: विकास नियोजन महत्वपूर्ण क्यों है

श्रीमती नागराजू एक शहरी प्राथमिक विद्यालय की विद्यालय नेता हैं। अधिकतर विद्यालय प्रमुखों की तरह, वे बहुत व्यस्त होती हैं और उनके पास दैनिक कार्यों’ की सूची होती है ताकि जो कार्य उन्हें पूर्ण करवाने हैं उन्हें वे याद रख सकें:

सोमवार:

  1. छत की मरम्मत के बारे में जिला कार्यालय को पत्र लिखना।
  2. (कक्षा 2 की अध्यापिका) अमिति से पाठों में देर से पूरा करने बारे में बातचीत करना।
  3. कक्षा 5 के भ्रमण में हुई घटना के बारे में विद्यालय के बाद रक्षी के माता-पिता से मुलाकात की कोशिश करना और मिलना।
  4. मध्याहन भोजन के बाद विद्यालय में धीरे धीरे चलना (आपके लिए एक अधिगम चहलकदमी) – पाठों में व्यवहार पर केंद्रण करना।
  5. पिछले हफ्ते की उपस्थिति सूचियां जांचना और जिला कार्यालय के लिए प्रपत्र भरना।
  6. सुनिश्चित करना कि पिछले हफ्ते के सभी पत्रों का उत्तर भेज दिया गया है।
  7. दुरुम (एसएमसी अध्यक्ष) के साथ मुलाकात तय करना।
  8. अगले दिन की पाठ्यचर्या (क्रॉस-करिकुलर) लिए शुमि की योजना की जांच करना।
  9. निशा के पिता की शिकायत का उत्तर देना।
  10. शुक्रवार को कक्षा 4 में हुई घटना की जांच-पड़ताल करना।

हर दिन श्रीमती नागराजू के पास ऐसी ही एक सूची होती है। अधिकतर उन्हें सामने लाए गए मुद्दों पर उत्तर देना और आवश्यक प्रशासनिक कार्य पूरे करना होता है।

गतिविधि 1: योजना क्यों बनाएं?

श्रीमती नागराजू की सोमवार की सूची देखें।

  • सूची के कौन से कार्य आवश्यक प्रशासनिक कार्य हैं?

  • सूची के कौन से कार्य घटनाओं पर प्रतिक्रियाएं हैं?
  • सूची के कौन से कार्य वे कार्य हैं जो अध्यापन और सीखने में सुधार ला सकते हैं?
  • यदि वे बहुत व्यस्त हैं तो किन कार्यों के अधूरे छूट जाने की संभावना है?

अपनी सीखने की डायरी में वह सलाह लिखें जो आप श्रीमती नागराजू को उनके कार्यों के प्रबंधन के लिए देंगे।

Discussion

चर्चा

आप जानेंगे कि दस में से आठ आइटम आवश्यक प्रशासनिक कार्य अथवा घटनाओं पर प्रतिक्रियाएं हैं। केवल दो कार्य – अधिगम चहलकदमी (Learning walk) करना (आइटम सं. 4) और अगले दिन की पाठ्यचर्या (क्रॉस-करिकुलर) दिवस की योजना जांचना (आइटम सं. 8) – ऐसे हैं जिनमें विद्यार्थियों के सीखने पर सीधा असर डाल सकते है। अधिगम चहलकदमी से वे सीखने के व्यवहार के बारे में जानकारी एकत्र करने में सक्षम हो पाएंगी, जिससे वे अपने की और बेहतर मदद कर सकेंगी; अगले दिन की पाठ्यचर्या की योजनाएं सुनिश्चित करने से वे विद्यार्थियों को सकारात्मक अनुभव दें पायेंगे। आइटम 4 व 8 तत्काल आवश्यक नहीं हैं, अतः उनकी आसानी से अनदेखी हो सकती है। लेकिन यदि श्रीमती नागराजू को अपने विद्यालय में सीखने–सिखाने में बदलाव लाना है तो इन कार्यों की प्राथमिकता उच्च होनी चाहिए। शायद वे कुछ प्रशासनिक कार्य किसी अन्य को सौंप सकती हैं? शायद आइटम 5 और 9 की जिम्मेदारी कक्षा के शिक्षक–शिक्षिका उठा सकते हैं?

विद्यालय प्रमुख के रूप में दिन-प्रतिदिन की घटनाओं एवं प्रशासनिक कार्यों में घिर जाना आसान है। कभी-कभी बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए और जटिल समस्याओं का हल निकालने के लिए समय निकालना कठिन हो जाता है। एसडीपी का उद्देश्य है रणनीतिक बनने में आपकी मदद करना और उन कार्यों की पहचान करना और प्राथमिकता के क्रम में अधिक महत्व देना जो अंततः अध्यापन और सीखने में सुधार लाएंगे। यही विद्यालय के अन्य व्यस्त अध्यापकों पर भी लागू होगा। विकास योजना आप सभी को दीर्घ-कालिक लक्ष्यों पर केंद्रित बने रहने और उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कार्यों को प्राथमिकता देने में मदद करेगी।

विद्यालय की समीक्षा के बाद आप और आपकी नेतृत्व टीम (या साथी अध्यापक) ऐसे कार्यों की पहचान कर चुके होंगे जिन्हें विद्यालय में सुधार लाने के लिए आपके द्वारा किए जाने की आवश्यकता है। इनमें ये शामिल हो सकते हैं:

  • ऐसे विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाना जो प्राथमिक विद्यालय की समाप्ति तक, धाराप्रवाह पढ़ने में सक्षम हों
  • विद्यालय की चर्या संरचना बदलना
  • विद्यालय में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) के उपयोग को सुधारना।

सबसे पहला चरण है अधिक प्राथमिकता वाले कुछ क्षेत्रों की पहचान करना। इसमें हितधारकों से बातचीत करना शामिल होगा, और चुनी गई प्राथमिकताओं को विद्यालय की सामूहिक परिकल्पना से सुसंगत होना चाहिए। (इकाई के परिप्रेक्ष्य अपने विद्यालय के लिए एक साझी परिकल्पना बनाना भी इस इकाई के साथ संयोजन में उपयोगी है)।

जब आपके पास परिकल्पना एवं प्राथमिकताएं हों तो अगला चरण है वे कार्य-समूह तैयार करना जिनसे वांछित बदलाव आने की संभावना हो। उदाहरण के लिए, यदि विद्यालय चर्या की संरचना को बदलना प्राथमिकता है, तो किये जाने वाले कार्यों में निम्नांकित शामिल हो सकते हैं:

  • वैकल्पिक विद्यालय दिवस कार्यक्रम के लिए दो या तीन विकल्पों की पहचान करना
  • अध्यापकों, विद्यार्थियों और माताओं-पिताओं से बात कर वह विकल्प पहचानना जो सर्वाधिक उपयुक्त हो सकता है
  • सबसे उपयुक्त विकल्प के अनुरूप समय-सारणी को फिर से लिखना और उसे स्टाफ एवं माता-पिता के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करना

  • विद्यार्थियों को योजना की जानकारी देना और वह तिथि निश्चित करना जब नयी दिवस योजना आरंभ होगी।

प्रत्येक कार्य की जिम्मेदारी के लिए आपको एक व्यक्ति की पहचान करीनी होगी, कार्य पूरा करने के लिए समय सीमा तय करनी होगी और प्रगति का अनुश्रवण करने के लिए कुछ मानदंड की पहचान करनी चाहिए। गतिविधि 2 केन्द्रित होने में आपकी मदद करेगी। ‘छात्राओं की उपस्थिति में सुधार करना’ जैसी बातें लिखना आसान है पर जब तक कोई विशिष्ट उपाय न करे तब तक कुछ नहीं होगा।

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चित्र 3 लक्ष्यों के लिये कार्य करना ज़रूरी होता है।

गतिविधि 2: लक्ष्यों को कार्यों में बदलना

‘मेरे विद्यालय में छात्राओं की उपस्थिति में सुधार करना’, इस लक्ष्य पर विचार करें। अपनी सीखने की डायरी में ऐसे चार या पांच कार्य लिखें जो इस लक्ष्य को हासिल करने की ओर ले जाएंगे।

संसाधन 1 में एसडीपी की एक टेंप्लेट वर्णित है। इस पर इकाई में बाद में अधिक विस्तार से विचार किया जाएगा, पर अभी इस पर एक नज़र डाल लें ताकि आपको पता हो कि आपका क्या लक्ष्य है।

पहला चरण है विद्यालय हेतु प्राथमिकताओं की पहचान करना (तालिका का पहला स्तंभ)। स्व-समीक्षा बहुत से विचार प्रदान करेगी, परन्तु उनकी चर्चा आपके हितधारकों के साथ की जानी होगी।

2 हितधारकों के साथ कार्य करना

एसडीपी, सतत विद्यालय सुधार की योजना बनाने का प्रधान साधन है। यह अब शैक्षिक विधान का भाग है और शिक्षा का अधिकार कानून 2009 (RTE) के तहत निर्णय लेने को विकेंद्रीकृत करके विद्यालयों को सौंपने के सरकार के दृष्टिकोण का केंद्रीय घटक है। अधिनियम के अनुसार

विद्यालय मैनेजमेंट कमेटी निम्नांकित कार्य करेगी, नामतः-

  • a.विद्यालय के कामकाज अनुश्रवण करना;
  • b.विद्यालय विकास योजना तैयार करना और अनुशंसित करना;
  • c.उपयुक्त सरकारी या स्थानीय प्राधिकरण, या किसी भी अन्य स्त्रोत से प्राप्त अनुदानों के उपयोग की निगरानी करना;
  • d.ऐसे अन्य कार्य करना जिन्हें निर्धारित किया जा सकता है।

RTE 2009 ने विद्यालयों और उनकी एसएमसी को अधिक जवाबदेह बनाया है और यह सुनिश्चित करता है कि उनके विद्यालय में सीखने की गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसी दूर स्थित शिक्षा कार्यालय की बजाए खुद विद्यालय एवं एसएमसी द्वारा उठाई जाए। विकेंद्रीकरण से ‘ऐसे स्थानों के सृजन में भी मदद मिलती है जहां स्थानीय-स्तर की प्रतिनिधि संस्थाएं दक्षता बढ़ाने के लिए तथा निर्णय लेने वाली संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए शिक्षक–शिक्षिकाओं के साथ निकट से कार्य कर सकें’ (NCERT, 2005)।

RTE 2009 के तहत, प्रत्येक विद्यालय को एक विद्यालय विकास समिति की स्थापना करनी होगी जो एसडीपी की कार्यकारी संस्था के रूप में कार्य कर सकती हो। समिति में विद्यालय प्रशासन, शिक्षक एवं गैर-शिक्षक स्टाफ तथा समुदाय के लोगों की सहभागिता होनी चाहिए।

एसडीपी को सर्वसम्मत एवं साझा दस्तावेज़ होना चाहिए। इसे मुख्यतः विद्यालय प्रमुख एवं अध्यापकों द्वारा विकसित किया जाएगा, पर माता-पिता, समुदाय और विद्यार्थी मूल्यवान व गहरी समझ प्रदान करेंगे। अंतिम दस्तावेज़ पर (प्राथमिक रूप से) एसएमसी द्वारा अथवा (द्वितीयक रूप से) एसएमडीसी द्वारा सहमति दी जानी होगी। मुख्य हितधारक हैं आप और आपका स्टाफ, एसएमसी, माता-पिता एवं विद्यार्थी।

एसएमसी के साथ कार्य करना

एसएमसी और विद्यालय की साझेदारी उनके बीच प्रभावी संबंध विकसित करने की कुंजी है। संबंध एक-दूसरे पर निर्भर है, और विद्यालय नेता होने के नाते आपको अपनी एसएमसी के साथ एक मजबूत संबंध बनाने की ज़रूरत है। ऐसा करने के लिए आप:

  • नियमित रूप से संवाद कर सकते हैं ताकि वे खुद को समुदाय का भाग महसूस करें
  • सफलताओं का खुशी मनाने के लिए उन्हें विद्यालय में आमंत्रित कर सकते हैं
  • उनकी सलाह को ध्यान से सुन सकते हैं
  • पाठ्यचर्या में वर्धन के लिए उनकी विशेषज्ञता का उपयोग कर सकते हैं।

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गतिविधि 3: एक उत्साही या तानाशाही अध्यक्ष

एसएमसी में विश्वास तथा खुलेपन और ईमानदारी का माहौल स्थापित करना महत्वपूर्ण है। हालांकि विद्यालय नेता का सामना जिस एक चुनौती से हो सकता है वह है अध्यक्ष का उत्साही या तानाशाह होना जो अपनी शक्ति और प्रभाव का उपयोग करना चाहता है।

सोचें कि नीचे दिए परिदृश्य में आप क्या करेंगे और अपने निष्कर्षों को अपनी सीखने की डायरी में दर्ज करें।

एसएमसी के नए अध्यक्ष बहुत उत्साही हैं और वे हितधारकों और कुछ स्टाफ सदस्यों के साथ पहले ही कई बैठक कर चुके हैं। वे अधिक पाठ्येतर गतिविधियां देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और परिणामस्वरूप, उन्होंने एक विस्तृत योजना तैयार की है जिस पर वे आपका अनुमोदन चाहते हैं। आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?

Discussion

चर्चा

सकारात्मक पक्ष में देखें तो आप अध्यक्ष के उत्साह और प्रतिबद्धता का सम्मान करना चाहते हैं और पाठ्येतर गतिविधियों में सुधार के बारे में सकारात्मक सोच रखते हैं।

तथापि, आपको अध्यक्ष के साथ बेहतर समूहकार्य एवं संवाद करना ज़रूरी है, ताकि गतिविधियां अलग-अलग रूप में या से परस्पर विरोधी तरीकों से शुरू नहीं की जाएं। आपके पास जानकारी और पाठ्येतर गतिविधियों पर एक दृष्टिकोण होगा और आप यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि जो भी परामर्श हो वह विचारवान पद्धति पर आधारित हो– न कि उन कुछ लोगों से बात करने मात्र पर जो संभव है कि अपने समूहों के प्रतिनिधि न हों।

यही वह स्थान है जहां एसडीपी का होना मददगार होता है। आपको अध्यक्ष का ध्यान योजना की ओर आकर्षित करना चाहिए, उनको गतिविधियों के अनुभाग पर प्रकाश डालना चाहिए और उनकी योजना की जांच करनी चाहिए कि कहीं ऐसी चीजें तो नहीं हैं जो इस योजना को अतिव्याप्त करती हों (ओवरलैप कर रही हों)। यदि योजना में यह नहीं हो (क्योंकि हो सकता है कि पहले से ऐसी गतिविधियां चल रही हैं जिनके बारे में संभवतः उन्हें पता नहीं हो), तो विद्यालय परिष्कार चक्र के बारे में उन्हें समझाएं और उन्हें पाठ्येतर गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए आमंत्रित करें।

विद्यालय प्रमुख या एसएमसी अध्यक्ष, दोनों में से किसी को भी योजनाएं अकेले तैयार नहीं करनी चाहिए – सभी नई पहलों पर सामूहिक सोच, स्व-समीक्षा एवं सहमत विकास योजना के परिप्रेक्ष्य में विचार करना चाहिए।

अपने स्टाफ के साथ कार्य करना

एसडीपी में पहचाने गए कार्य करने हेतु आप व आपका स्टाफ जिम्मेदार होंगे। आपके दृष्टिकोण से, प्रतिनिधायन महत्वपूर्ण होगा, पर आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके अध्यापक विकास नियोजन प्रक्रिया में शामिल हों। केस स्टडी 2 दिखाता है कि जब श्री शाह ने अपने एक अध्यापक की चिंताओं को अनसुना कर दिया तो क्या हुआ।

केस स्टडी 2: श्री शाह ने ठोकर खाकर सीखा

श्री शाह 5वीं से 10वीं कक्षा तक के एक विद्यालय के विद्यालय प्रमुख हैं। वे एसएमसी बैठक में भाग लेते हैं।

मैं एसएमसी बैठक के बारे में घबराया हुआ था क्योंकि हमें एसडीपी पर चर्चा करनी थी। बाकी का स्टाफ और मैं योजनाओं को लेकर बहुत रोमांचित थे क्योंकि हमारे पास कुछ काफी महत्वपूर्ण बिंदु थे। विशिष्ट रूप से, हम इस बात पर सहमत हुए थे कि हर सत्र में दो बार हम एक दिन समय-सारणी से अलग रखेंगे और पार-पाठ्यचर्या (क्रॉस-करीकुलर) दिवस आयोजित करेंगे। इससे विद्यार्थी विस्तारित परियोजनाएं करने में और विषयों की सीमाओं से नहीं बंधने वाले महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों का अध्ययन करने में समर्थ बनेंगे। अधिकांश पाठ्य-पुस्तकों में अंत में इस प्रकार के मुद्दों पर अध्याय दिए गए होते हैं और विषयों के बीच उल्लेखनीय अतिव्यापन (ओवरलैप) होता है। हमें पूरा विश्वास था की हम बहुत सारा समय बचाने में सक्षम होंगे।

जब हम योजना के उस हिस्से पर आए, अभिभावकों के प्रतिनिधियों में से तीन प्रतिनिधियों ने गंभीर चिन्ता दर्शाई और इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें मुख्य विषयों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। आधी बैठक होने तक मुझे यह पता लग गया कि उनमें से दो के बच्चे श्री रावूल की कक्षा में थे। श्री. रावूल विज्ञान के शिक्षक हैं और उन्होंने इस बदलाव का विरोध किया था। स्टाफ बैठक के बारे में सोचते हुए मुझे याद आया उन्हें कुछ उत्साही शिक्षकों ने आवाज़ ऊंची करके चुप बिठाया था और तबसे वे बहुत ही चुप थे। मुझे संदेह हुआ कि वे अभिभावकों से बात कर रहे हैं और योजना में रूकावट ड़ालने के लिए उनका इस्तेमाल कर रहे हैं।

वह बहुत ही मुश्किल बैठक थी और आखिर में मुझे सहमत होना पड़ा कि मैं, पार-पाठ्यचर्या के दिन कैसे काम करेंगे इसके बारे में और भी विस्तारपूर्वक योजना बनाउंगा और सीखने के लिए समर्थन कैसे कर सकते हैं यह स्पष्ट रूप से समिति को दिखाऊंगा। मैंने श्री रावूल से इसके लिए मदद लेने का फैसला लिया।

इस पूरी घटना ने मुझे यह जताया कि जो लोग अलग थलग और नज़रअंदाज किया हुआ महसूस करते हैं वे रूकावटें ड़ालते हैं। मुझे यह निश्चित करना चाहिए था कि स्टाफ बैठक में श्री रावूल की चिन्ताओं पर गंभीरता से ध्यान देना होगा और बाद में उनसे निश्चित रूप से बात करके उन्हें इसमें शामिल करना होगा।

विद्यालय प्रमुख होने के नाते आप नियमित तौर पर स्टाफ की बैठकों का आयोजन करेंगे। प्रशासन के कर्तव्यों को निभाने के बजाय मुद्दों पर चर्चा करना भी इन चुनौतियों में से एक है। एक दृष्टिकोण जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं वह है SDP के कालक्रम के आधार पर कार्यसूचियों की योजना को पहले से बना लेना।

मातापिताओं के साथ काम करना

किसी भी विद्यालय में अभिभावक वास्तविक आधार होते हैं अगर आप उनका समर्थन पा सकते हों। SDP का क्रियान्वयन आप और आपके शिक्षक करेंगे लेकिन स्व-समीक्षा की प्रक्रिया और प्राथमिकताओं की चर्चा में अभिभावकों को शामिल करने के लिए तैयार रहें।

बेशक जहां भी शक्ति होती है वहां उसका दुरूपयोग होने की संभावना भी होती है। राजनीतिक मामले विद्यालय में प्रवेश कर सकते हैं और कुछ अभिभावकों द्वारा उनसे व्यक्तिगत तौर पर संबंधित मामलों पर ज़ोर देने की संभावना होती है जो शायद व्यापक समूह के हित में न हो। कुछ समुदायों में, अभिभावक समूह चीज़ें जैसी है वैसी ही रहने के बारे में अधिक चिंतित होते हैं न कि सुधारों के बारे में। विद्यालय प्रमुख को ऐसे सभी मामलों के बारे में सचेत रहना चाहिए और स्थानीय समुदाय के साथ और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ प्रगतिशील कार्य करने के सबसे अच्छे तरीके खोजने चाहिए।

केस स्टडी 3: श्री. मेगानाथन SMC से मिले

श्री. मेगानाथन एक छोटे माध्यमिक विद्यालय के विद्यालय प्रमुख हैं। SMC में पांच अभिभावक प्रतिनिधि थे। उन्होंने SMC के साथ हुई बैठक का वणर्न किया।

मैं एक प्रगतिशील विद्यालय चलाता हूँ। हमारे यहां दो सुयोग्य विज्ञान और गणित के शिक्षक हैं। पिछले साल हमने निर्णय लिया कि विज्ञान और अभियांत्रिकी पढ़ने के लिए अधिक छात्राओं को सक्रिय तौर पर प्रोत्साहित करना चाहिए। हमने तय किया कि आठवीं कक्षा की सभी छात्राओं को लकड़ी का काम सीखने और सभी छात्रों को रसोई और कपड़ों की सिलाई सीखने का अवसर दिया जाना चाहिए। छात्राओं ने लकड़ी के काम का आनंद उठाया और हम आशा करते हैं कि इससे उन्हें अपनी रचनात्मकता का उपयोग उपयोगी चीज़ें बनाने के लिए करने में प्रोत्साहन मिलेगा।

SMC बैठक में बहुत सारे नये चेहरे थे क्योंकि पांच नये अभिभावक प्रतिनिधियों के लिए हाल ही में चुनाव संपन्न हुए थे। कार्यसूची में अध्यक्ष के द्वारा एक विषय को जोड़ने पर मैं आश्चर्यचकित हुआ: ‘कला विषय’। जब हम इस विषय पर पहुँचे तो नए अभिभावक प्रतिनिधियों में से एक ने अपना दृष्टिकोण जाहिर किया कि, छात्राओं के लिए लकड़ी का काम या इंजीनीयिरंग सीखना उचित नहीं है और पुरुष छात्रों को रसोई या कपड़ों की सिलाई सीखने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने प्रस्ताव किया कि पाठ्य को बदला जाय ताकि सभी छात्रों को कला विषयों के लिए अलग किया जा सके।

वहां बहुत ही गंभीर से चर्चा हुई और बदलाव के लिए ज्यादा समर्थन हासिल हुआ दिखाई दिया। ऐसा लगने लगा कि जिन लोगों ने पहले योजना का समर्थन किया था अब वे अपना मन बदल रहे हैं। मुझे बहुत ही चिंता हो रही थी। अंतत: मैंने एक प्रक्रियात्मक बहाना बनाया; विषय अधिकारिक कार्यसूची पर नहीं था और उस पर बहस के लिए उसके साथ कागज़ात बनाने की आवश्यकता थी ताकि समिति के सदस्यों को उसे पहले देखने का अवसर मिलें। अध्यक्ष ने सहमति दर्शाई कि अगली बैठक में उस पर चर्चा होगी।

अगले कुछ हफ्तों के दौरान मैंने संध्याकालीन प्रदर्शनों का आयोजन किया जिसमें आठवीं कक्षा के अपने कौशल का प्रदर्शन किया और आगन्तुका से उन्होंने लकड़ी के काम (छात्रा) और रसोई और सिलाई के काम (छात्र) कितनी अच्छी तरह से और खुशी से किए इसके बारे में चर्चा की। हमने उनकी बनाई हुई चीज़ों के साथ पाठ्य में उनकी ली गई तस्वीरों को भी कक्ष में प्रदर्शित किया। मैंने अभिभावकों को पाठ्यक्रम का अवलोकन करने के लिए आमंत्रित किया। मेरा अभियान सफल रहा और अगली बैठक में पर्याप्त संख्या में सदस्यों ने बदलाव के प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया।

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विचार करें

  • इस केस स्टडी के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
  • अपने विद्यालय के SMC के बारे में सोचें। उन्हें सूचित रखने के लिए आप क्या करते हैं?
  • क्या आपके SMC में कोई मुश्किल सदस्य है? अगर हैं तो आप उनके साथ कैसे कार्य करते हैं?

जैसे कि SMC के साथ हुआ, संवाद ही केन्द्र है। विद्यालय में क्या हो रहा है इसके बारे में अभिभावकों को सूचित करने से आप उनकी ऊर्जा और उत्साह का उपयोग करने में सक्षम होते हैं और उससे यह भी सुनिश्चित होता है कि वे आपके लक्ष्यों और प्राथमिकताओं को समझते हैं।

SDP में छात्रों का योगदान

वैसे तो विद्यालय जीवन के ज्यादातर पहलुओं के बारे में विद्यार्थी बहुत सक्षम दृष्टि प्रस्तुत कर सकते हैं लेकिन विशेष रूप से वे सीखने और सिखाने की प्रक्रिया के बारे में अंतदृर्ष्टि प्रस्तुत करते हैं। विद्यार्थी को स्व-समीक्षा में शामिल करना उनके और आपके स्टाफ के लिए पूरी तरह से नयी संकल्पना हो सकती है। तथापि, उनकी राय उभरने वाली SDP की गुणवत्ता को सुधारेगी। जब आप विद्यालय में चक्कर लगा रहे होते हैं तब उनसे बात करके और विद्यालय जीवन के बारे में औपचारिक सर्वेक्षण करके आप यह कर सकते हैं।

जब आप सीखने के लिए अधिक भागीदारी वाला दृष्टिकोण अपनाते हैं, आपके विद्यालय में शिक्षकों और विद्यार्थी के बीच के रिश्ते ज्यादा लोकतंत्रीय होते हैं। (इस पर अधिक जानकारी के लिए और आप विद्यालय में कौन से स्तर पर पढ़ाते हैं इस पर निर्भर करते हुए ये इकाइयाँ देखें सिखाने-सीखने की प्रक्रिया का रूपांतरण करना: प्राथमिक विद्यालय में सिखाने और सीखने के तरीकों में सुधारों की अगुवाई या सिखाने-सीखने की प्रक्रिया का रूपांतरण करना: माध्यमिक विद्यालय में सिखाने और सीखने के तरीको में का नेतृत्व) छात्रों को शायद अपना दृष्टिकोण व्यक्त करने का आत्मविश्वास मिले और शायद आप विद्यालय जीवन के पहलुओं के बारे में चर्चा के लिए मंच मुहैय्या कराने के लिए ‘छात्र परिषद’ की स्थापना करने के बारे में सोचें (छात्र परिषद समर्थन, अदिनांकित)।

3 SDP के बारे में लिखना और अनुश्रवण

SDP के लिए सामान्य दिशानिर्देश नीचे दिए गए हैं (अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन 2011, पृ. 43):

  • हर विद्यालय में SDP होनी चाहिए।

  • SDP की रचना SMC की उप-समिति के द्वारा की जाएगी।
  • विस्तृत वार्षिक कार्य योजना के साथ तीन-वर्षीय योजना बनाई जानी चाहिए।
  • सरकारी प्राधिकारी द्वारा निर्देशित नामित अधिकारी को काफी पहले उचित प्रणाली के तहत योजना भेजी जानी चाहिए ताकि उसे क्लस्टर, ब्लॉक और अंत में जिला योजना में शामिल किया जा सके और बाद में उसे MHRD, भारत सरकार को भेजा जाना चाहिए।
  • योजना में ऐसे घटक शामिल होने चाहिए जिनके लिए वित्त की आवश्यकता न हो और गतिविधियाँ समुदाय की मदद से पूरी हो जाएं।

विद्यालय के प्रशासनिक कार्य में भागीदारी एवं रिपोर्ट तैयार करना - vidyaalay ke prashaasanik kaary mein bhaageedaaree evan riport taiyaar karana

चित्र 5 एक सफल SDP के लिए सहयोग की आवश्यकता होती है।

SDP यह सार्वजनिक दस्तावेज़ है, इसलिए आप निश्चित करें कि अवास्तविक लक्ष्य नियत न किए जायं और आप ऐसी गतिविधियों की पहचान करें जो आसानी से पूरी हो सकें। संसाधन 1 में दिये गये Template से इस संबंध में मदद मिलेगी, क्योंकि उससे आपको हर आकांक्षा को प्रबंधनीय टुकड़ों में बांटने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। योजना के मुख्य अनुभाग कॉलम एक से छह में है, जैसे कि नीचे सूचीबद्ध किया गया है:

  1. मुख्य प्राथमिकताओं के क्षेत्र: इससे विद्यालय का सामूहिक दृष्टिकोण प्रतिबिंबित होना चाहिए और स्टाफ और SMC की सहमति होनी चाहिए। स्व- समीक्षा दस्तावेज़ीकरण इन चर्चाओं को सूचित करने के लिए सबूत प्रस्तुत करेगा। हो सकता है कि आप सब कुछ हासिल नहीं कर सकें – इसलिए स्पष्ट दृष्टिकोण होना महत्वपूर्ण है ताकि प्राथमिकताओं को एकसाथ पहचाना जा सके।
  2. कार्रवाई: यह कॉलम आप और आपके शिक्षकों के द्वारा पूरा करना है। यह आप कैसे करेंगे यह मामले और आपकी नेतृत्व शैली पर निर्भर करता है। कुछ मामलों के लिए, अगर आपके शिक्षक कार्रवाईयों को पहचान सकते हैं तो उन्हें खुद कर सकते हैं। अन्य मामलों के लिए, यह आपके लिए उचित होगा कि आप कार्रवाई की पहचान करें और उन्हें मंज़ूरी के लिए प्रस्तुत करें।

  3. उस कार्रवाई को पूरा करने की जिम्मेदारी कौन लेगा: इस पर संबंधित लोगों के साथ चर्चा करना आवश्यक है।

  4. इस कार्रवाई के लिए समय अवधि: कॉलम 3 में नामित व्यक्ति जिम्मेदार है इस पर बल देने के लिए इससे मदद मिलेगी। SMC को किसी भी देरी के लिए सूचित करना ज़रूरी है।

  5. आवश्यक संसाधन: अगर यह उपलब्ध नहीं हैं तो योजना की सफलता खतरे में होगी। जितनी जल्दी संभव हो सके उतनी जल्दी संसाधनो की पहचान करना आवश्यक होगा ताकि अगर बाहरी मदद ज़रूरी है तो उस पर कार्य शूरू किया जा सके।

  6. योजना की को अनुश्रवण करने का आधार: इससे आपको यह सोचने में प्रोत्साहन मिलेगा कि आप यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि कार्रवाई की गयी है और योजना काम कर रही है। इस कॉलम में पहचानी की गयी गतिविधियाँ स्व-समीक्षा के अगले दौर को सूचित करेंगी।

जैसे ही योजना पूरी होती है और SMC द्वारा स्वीकृत होती है, आपको नियमित तौर पर प्रगति के बारे में रिपोर्ट करनी होगी।

बेशक, योजना सबसे महत्वपूर्ण भाग नहीं है बल्कि प्रक्रिया है। आप और आपके शिक्षक क्या और क्यों कर रहे हैं योजना इस पर कई संरचित वार्तालापों के लिए आधार प्रदान करती है। इससे सुनिश्चित होता है कि समुदाय के सारे सदस्य एक साथ काम कर रहे हैं। अगर कोई योजना को चुनौती देना चाहता है तो वह SMC के माध्यम से ऐसा कर सकता है।

गतिविधि 4: Template के साथ काम करना

आपको यह गतिविधि अपने मातहत, किसी वरिष्ठ शिक्षक या अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ पूरा करना चाहिए।

अपने विद्यालय में सुलझाने वाले एक मुद्दे का चुनाव करें। संसाधन 1 के रिक्त Template का इस्तेमाल करते हुए उस विशिष्ट मामले के नमूने को पूरा करने के लिए एक साथ मिलकर काम करें।

लक्ष्य पर मिलकर विचार करें:

  • क्या वह करने में मुश्किल था?

  • क्या Template ने आपकी सोच को संरचित करने में मदद की?
  • आपके SMC के अध्यक्ष आपकी योजना पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे इसके बारे में आप क्या सोचते हैं?

अपनी प्रतिक्रियाओं को अपनी सीखने की डायरी में लिखें।

4 सारांश

SDP इस साल और आगे के लिए कैसे मार्गदर्शन मुहैय्या कर सकता है, इकाई में स्पष्ट किया गया है कि इसका सबसे अच्छा विकास हितधारकों के साथ चर्चा करने से होता है और सीखने की प्रक्रिया को और विद्यालय को सुधारने के लिए यह एक बेहद प्रभावी साधन है। संसाधन 1 में दिया गया Template आपको आपकी योजना के लिए सोच को संरचित करने में मदद करेगा लेकिन वह अपने आप में अंतिम नहीं होगा।

आपकी SDP को विकसित करने की प्रक्रिया समुदाय की सहभागिता और समुदाय और विद्यालय के बीच की साझेदारी को मजबूत करके जिम्मेदारी बांटने को प्रोत्साहित करती है। यह साथ ही लगातार स्व-समीक्षा और जवाबदेही को भी आधार प्रदान करती है। यह दस्तावेज प्रशासन और जवाबदेही के भाग के रूप में आवश्यक है लेकिन इसके विकास, क्रियान्वयन, अनुश्रवण और मूल्यांकन की प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। अंत में, सिखाने और सीखने की गुणवत्ता को सुधारकर छात्रों की उपलब्धियों को बढ़ाने की महत्वाकांक्षा SDP को आगे बढ़ाती है।

यह इकाई उन इकाइयों के समूह या परिवार का हिस्सा है जो नेतृत्व के परिप्रेक्ष्य के महत्वपूर्ण क्षेत्र से संबंधित हैं (नेशनल कॉलेज ऑफ लीडरशिप के साथ संरेखित)। आप अपने ज्ञान और कौशलों को विकसित करने के लिए इस समूह में आगे आने वाली अन्य इकाइयों से लाभान्वित हो सकते हैं:

  • अपने विद्यालय के लिए एक साझा लक्ष्य का निर्माण करना
  • विद्यालय की स्व-समीक्षा का नेतृत्व करना
  • अपने विद्यालय को सुधारने के लिए वैविध्यता पर उपलब्ध डेटा का उपयोग करना
  • अपने विद्यालय में परिवर्तन का नियोजन और उसका नेतृत्व करना
  • अपने विद्यालय में परिवर्तन को कार्यान्वित करना।.

संसाधन

संसाधन 1: SDP टेंप्लेट

तालिका R1.1 उदाहरण के तौर पर एक पूर्ण SDP को दर्शाती है। तालिका R1.2 आपके अपने इस्तेमाल के लिए रिक्त टेंप्लेट है।

तालिका R1.1 विद्यालय विकास योजना – काम का उदाहरण।

विकास की प्राथमिकताविस्तृत कार्रवाईजिम्मेदार व्यक्तिसमयावधिआवश्यक संसाधनसफलता के मापदण्ड
विद्यालय में महिला छात्राओं की उपस्थिति को सुधारना छात्राओं के कार्य के साथ उनके परिवारों से मिलना ताकि उनकी उपलब्धियों और संभावनाओं को प्रदर्शित किया जा सके विद्यालय प्रमुख यह सत्र बनाने का समय अभिभावक प्रभावित हैं और अपनी बेटियों को विद्यालय जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
छात्राओं के आत्म सम्मान को बढ़ाने के लिए पाठ्य में कार्यनीति का इस्तेमाल करना सभी शिक्षक/शिक्षिका तत्काल TESS-India इकाइयाँ छात्राएं सक्रिय रूप से पाठ्यक्रम में सहभाग कर रही हैं (सीखने के चलन से दर्शाया गया है)
विद्यालय में कैरियर संध्या का आयोजन करना और सफल महिला व्यवसायियों को आमंत्रित करना संगय अक्तूबर (मुख्य परीक्षा के पहले) समारोह में अच्छी उपस्थिति
महिला शौचालयों की मरम्मत करना और सभी दरवाजें बंद होते हैं और शौचालय साफ हैं यह सुनिश्चित करना मोजेस तत्काल निर्माण सामग्री शौचालय अच्छी अवस्था में हैं

तालिका R1.2 विद्यालय विकास योजना – रिक्त Template ।

विकास की प्राथमिकताविस्तृत कार्रवाईजिम्मेदार व्यक्तिसमयावधिआवश्यक संसाधनसफलता के मापदण्ड

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Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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विद्यालय प्रशासन से आप क्या समझते हैं?

विद्यालय प्रशासन का क्या कार्य है? विद्यालय प्रसाशन का प्रमुख कार्य विद्यालय का वार्षिक बजट तैयार करना साथ ही वित्तीय अनुदान का प्रयास करना उसका उपयोग करना। पाठ्य-पुस्तकों का चयन करके उनकी खरीदारी करना इसके साथ अन्य शिक्षण सामग्री जैसे मानचित्र, चार्ट, प्रयोगशाला सम्बन्धित आवश्यकताओं को पूरा करना होता है।

विद्यालय प्रबंधन समिति विद्यालय में क्या क्या कार्य करती है?

विद्यालय प्रबंधन समिति के कार्य /कर्तव्य/कृत्य.
विद्यालय के क्रियाकलापों/कार्य करण को माॅनिटर करना – ... .
विद्यालय के विकास हेतु विकास योजना तैयार करना और उसकी सिफारिश करना – ... .
समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी/संस्था/निकाय अथवा किसी अन्य स्रोत से प्राप्त अनुदानों/ सहायता राशियों के उपयोग को माॅनिटर करना-.

विद्यालय में प्रबंधन की क्या आवश्यकता है इसके विभिन्न घटकों की चर्चा करें?

विद्यालय प्रबन्धन द्वारा शिक्षा की प्रक्रिया का संचालन करना होता है। जिसका आकलन छात्रों के विकास तथा उपलब्धियों अथवा व्यवहार परिवर्तन से किया जाता है, जिसे अधिगम उपलब्धि मानते हैं। विद्यालय प्रबन्धन शिक्षा प्रक्रिया का मूल आधार तथा कार्यक्षेत्र है जहाँ शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का सम्पादन किया जाता है। करता है।

विद्यालय प्रबंधन कैसे करें?

मानवीय संसाधनों में स्वहित के स्थान पर विद्यालय हित की भावना होनी चाहिये। यदि एक शिक्षक को सौंपा गया कार्य किसी कारण से उचित रूप में सम्पन्न नहीं हो रहा है तो दूसरे शिक्षक को उसकी सहायता करके कार्य योजना को सफल बनाना चाहिये। इस प्रकार की भावना समन्वयन की स्थिति उत्पन्न करने में सहायता करती है।