शतावरी कितने दिनों तक खाना चाहिए? - shataavaree kitane dinon tak khaana chaahie?

शतावरी (Shatavari) का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा, इसलिए बहुत कम लोग ही शतावरी का प्रयोग करते होंगे। क्या आपको पता है कि शतावरी क्या है, शतावरी के फायदे क्या हैं, शतावरी का सेवन किया जाता है, या यह कहां मिलता है ?

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शतावरी कितने दिनों तक खाना चाहिए? - shataavaree kitane dinon tak khaana chaahie?

आयुर्वेद में शतावरी को एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में बताया गया है। आप अनेक बीमारियों की रोकथाम, या इलाज में शतावरी का प्रयोग कर सकते हैं। अगर आपको शतावरी के फायदे के बारे में जानकारी नहीं है, तो हम बताते हैं।

Contents

  • 1 शतावरी क्या है? (What is Shatavari in Hindi?)
  • 2 अन्य भाषाओं में शतावरी के नाम (Name of Shatavari in Different Languages)
  • 3 शतावरी के फायदे (Shatavari Benefits and Uses in Hindi)
    • 3.1 अनिद्रा रोग (नींद ना आने की परेशानी) में शतावरी का इस्तेमाल (Shatavari Benefits in Insomnia in Hindi)
    • 3.2 गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद शतावरी का सेवन (Uses of Shatavari is Beneficial for Pregnant Women in Hindi)
    • 3.3 स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन (Benefits of Shatavari for Increasing Breast Milk in Hindi)
    • 3.4 शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शतावरी का प्रयोग (Shatavari Benefits to Treat Body Weakness in Hindi)
    • 3.5 सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन (Shatavari Benefits for Increasing Sexual Power in Hindi)
    • 3.6 वीर्य दोष को ठीक करने के लिए शतावरी का सेवन (Shatavari Benefits for Sperm Count Problem in Hindi)
    • 3.7 सर्दी-जुकाम में शतावरी का उपयोग (Benefits of Shatavari in Treating Cold and Cough in Hindi)
    • 3.8 गला बैठने (आवाज बैठना) पर शतावरी से फायदा (Uses of Shatavari for Throat Problem in Hindi)
    • 3.9 सूखी खांसी के उपचार के लिए शरातवरी का उपयोग (Shatavari Benefits in Dry Cough Treatment in Hindi)
    • 3.10 सांसों के रोग में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses in Respiratory Disease in Hindi)
    • 3.11 बवासीर में शतावरी से फायदा (Uses of Shatavari in Piles Treatment in Hindi)
    • 3.12 पेचिश में फायदेमंद शतावरी का प्रयोग (Uses of Shatavari to Stop Dysentery in Hindi)
    • 3.13 शतावरी चूर्ण का प्रयोग कर स्वप्न दोष का इलाज (Shatavari Benefits in Nightfall Treatment in Hindi)
    • 3.14 अपच की समस्या में शतावरी के सेवन से फायदा (Benefits of Shatavari in Indigestion in Hindi)
    • 3.15 पेट दर्द में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses in Pitta Disorder in Hindi)
    • 3.16 सिर दर्द में फायदेमंद है शतावरी का प्रयोग (Benefits of Shatavari in Relief from Headache in Hindi)
    • 3.17 नाक के रोग में शतावरी का प्रयोग फायदेमंद (Uses of Shatavari for Nasal Disorder in Hindi)
    • 3.18 शतावरी का उपयोग घाव सुखाने के लिए (Shatavari Uses for Healing Wound in Hindi)
    • 3.19 आंख के रोग में शतावरी का इस्तेमाल (Benefits of shatavari in eye problem)
    • 3.20 शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में लाभ (Benefits of Shatavari in Night Blind in Hindi)
    • 3.21 शतावरी का प्रयोग दस्त रोकने के लिए (Shatavari Uses to Stop Diarrhea in Hindi)
    • 3.22 मूत्र विकार के इलाज के लिए शतावरी का सेवन (Uses of Shatavari in Urinary Disease Treatment in Hindi)
    • 3.23 गोनोरिया (सुजाक) में शतावरी से लाभ (Uses of Shatavari in Gonorrhea Treatment in Hindi)
    • 3.24 बुखार में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses  in Fighting with Fever in Hindi)
    • 3.25 पुरानी पथरी के रोग में शतावरी का इस्तेमाल (Benefits of shatavari for Kidney Stone in Hindi)
  • 4 शतावरी के उपयोगी भाग (Useful Parts  of Shatavari)
  • 5 शतावरी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Shatavari in Hindi?)
  • 6 शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है?(Where is Shatavari Found or Grown?)

शतावरी क्या है? (What is Shatavari in Hindi?)

शतावरी बेल या झाड़ (shatavari plant) के रूप वाली शतावरी एक जड़ी-बूटी है। इसकी लता फैलने वाली, और झाड़ीदार होती है। एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं। ये जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी, एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।

इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का, पतला छिलका रहता है। इस छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सूखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है।

पतंजलि के अनुसार, इसका प्रयोग अनेक बीमारियों के इलाज में किया जाता है। शतावरी दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-

  • विरलकन्द शतावर (Asparagus filicinus -Ham ex D.Don)

इसके कन्द छोटे, मांसल, फूले हुए तथा गुच्छों में लगे हुए होते हैं। इसके कन्द का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है।

  • कुन्तपत्रा शतावर (Asparagus gonoclados Baker)

यह झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसके कन्द छोटे, और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं, और फल गोल होते हैं। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के, और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इसके कंद शतावर से छोटे होते हैं।

अन्य भाषाओं में शतावरी के नाम (Name of Shatavari in Different Languages)

दुनिया भर में शतावरी (Satavari) को कई नामों से जाना जाता है जो ये हैंः-

Shatavari in –

  • Asparagus in Hindi or Asparagus meaning in Hindi- सतावर, सतावरि, सतमूली, शतावरी, सरनोई
  • Shatavari in English- Wild asparagus (वाईल्ड एस्पैरागस)
  • Asparagus in Sanskrit-शतावरी, शतपदी, शतमूली, महाशीता, नारायणी, काञ्चनकारिणी, पीवरी, सूक्ष्मपत्रिका, अतिरसा, भीरु, नारायणी, बहुसुता, बह्यत्रा, तालमूली, नेटिव एस्पैरागस (Native asparagus)
  • Asparagus in Urdu- सतावरा (Satavara)
  • Asparagus in Oriya- चोत्तारु (Chhotaru), मोहनोले (Mohnole)
  • Asparagus in Gujarati- एकलकान्ता (Ekalkanta), शतावरी (Shatavari)
  • Asparagus in Tamil or Asparagus meaning in tamil- किलावरि (Kilavari), पाणियीनाक्कु (Paniyinakku)
  • Asparagus in Telugu or Asparagus in telugu- छल्लागडडा (Challagadda), एट्टावलुडुटीगे (Ettavaludutige);
  • Asparagus in Bengali- शतमूली (Shatamuli), सतमूली (Satmuli)
  • Asparagus in Punjabi- बोजान्दन (Bozandan); बोजीदान (Bozidan)
  • Asparagus in Marathi- अश्वेल (Asvel), शतावरी (Shatavari)
  • Asparagus in Malayalam- शतावरि (Shatavari), शतावलि (Shatavali)
  • Asparagus in Nepali- सतामूलि (Satamuli), कुरीलो (Kurilo)
  • Asparagus in Arabic- शकाकुल (Shaqaqul)
  • Asparagus in Persian- शकाकुल (Shaqaqul)

शतावरी कितने दिनों तक खाना चाहिए? - shataavaree kitane dinon tak khaana chaahie?

शतावरी के फायदे (Shatavari Benefits and Uses in Hindi)

बहुत सालों से शतावरी का भिन्न-भिन्न तरीके से इस्तेमाल होता आ रहा है। शतावरी के फायदे लेने के लिए आपको शतावरी के आयुर्वेदीय गुण-कर्म, उपयोग के तरीके, उपयोग की मात्रा, एवं विधियों की जानकारी होनी जरूरी है, जो ये हैंः-

अनिद्रा रोग (नींद ना आने की परेशानी) में शतावरी का इस्तेमाल (Shatavari Benefits in Insomnia in Hindi)

कई लोगों को नींद ना आने की परेशानी होती है। ऐसे लोग 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पका लें। इसमें घी मिलाकर खाने से नींद ना आने की परेशानी खत्म होती है। कहने का मतलब यह है कि शतावर चूर्ण अनिद्रा की बीमारी में बहुत ही लाभकारी हैं।

गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद शतावरी का सेवन (Uses of Shatavari is Beneficial for Pregnant Women in Hindi)

गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सोंठ, अजगंधा, मुलैठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर बकरी के दूध के साथ पिएं। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहता है।

स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन (Benefits of Shatavari for Increasing Breast Milk in Hindi)

  • कई महिलाओं को मां बनने के बाद स्तनों में दूध की कमी की शिकायत होती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी के जड़ के चूर्ण (shatavari powder) को दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। इसलिए डिलीवरी के बाद भी शतावरी के फायदे महिलाओं को मिलना उनके सेहत के लिए अच्छा होता है।  
  • 1-2 ग्राम शतावरी के जड़ से बने पेस्ट का दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध अधिक होता है।
  • इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीस कर सेवन करें। इससे दूध स्वादिष्ट और पौष्टिक भी हो जाता है।

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शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शतावरी का प्रयोग (Shatavari Benefits to Treat Body Weakness in Hindi)

जो लोग शारीरिक कमजोरी, या शरीर में ताकत की कमी महसूस कर रहे हैं। वे शतावरी को घी में पकाकर मालिश करें, इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है। सामान्य कमजोरी दूर करने में शतावरी के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं।

सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए शतावरी का सेवन (Shatavari Benefits for Increasing Sexual Power in Hindi)

  • कई लोग मर्दानगी ताकत की कमी, या सेक्सुअल स्टेमना की कमी से भी परेशान देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शतावरी के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। इसमें शतावर को पका कर सेवन करें।
  • इसके अलावा दूध के साथ शतावरी चूर्ण की खीर बनाकर खाने से भी सेक्सुअल स्टेमना में वृद्धि होती है।

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वीर्य दोष को ठीक करने के लिए शतावरी का सेवन (Shatavari Benefits for Sperm Count Problem in Hindi)

वीर्य की कमी की समस्या में 5-10 ग्राम शतावरी को घी के साथ रोज सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य की वृद्धि होती है।

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सर्दी-जुकाम में शतावरी का उपयोग (Benefits of Shatavari in Treating Cold and Cough in Hindi)

शतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम में भी फायदेमंद होता है। आप शतावरी की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में पीने से आराम मिलता है।

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गला बैठने (आवाज बैठना) पर शतावरी से फायदा (Uses of Shatavari for Throat Problem in Hindi)

अधिक जोर से बोलने, या चिल्लाने पर गला बैठना (आवाज का बैठना) आम बात है। ऐसी परेशानी में शतावर, खिरैटी (बला), और चीनी को मधु के साथ चाटने से लाभ होता है।

सूखी खांसी के उपचार के लिए शरातवरी का उपयोग (Shatavari Benefits in Dry Cough Treatment in Hindi)

  • सूखी खांसी से परेशान रहते हैं, तो 10 ग्राम शतावरी, 10 ग्राम अडूसे के पत्ते, और 10 ग्राम मिश्री को 150 मिली पानी के साथ उबाल लें। इसे दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।
  • कफ होने पर शतावरी, एवं नागबला का काढ़ा, और चूर्ण को घी में पका लें। इसका सेवन करने से कफ विकार में लाभ होता है।

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सांसों के रोग में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses in Respiratory Disease in Hindi)

शतावरी पेस्ट एक भाग, घी एक भाग, तथा दूध चार भाग लें। इन्हें घी में पकाएं। इसे 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सांसों से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित बीमारी, सीने में जलन, वात और पित्त विकार, और बेहोशी की परेशानी से आराम मिलता है।

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बवासीर में शतावरी से फायदा (Uses of Shatavari in Piles Treatment in Hindi)

बवासीर में शतावरी का उपयोग करना बेहतर परिणाम  देता है। 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari churna) को दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

और पढ़ेंः बवासीर को ठीक करने के लिए असरदार घरेलू उपाय

पेचिश में फायदेमंद शतावरी का प्रयोग (Uses of Shatavari to Stop Dysentery in Hindi)

  • ताजी शतावर को दूध के साथ पीस छान लें। इसे दिन में 3-4 बार पीने से पेचिश (मल के साथ खून आने की बीमारी) में फायदा होता है।
  • शतावरी से बने घी को पीने से पेचिश में आराम मिलता है।

और पढ़ेंः पेचिश में कैसे फायदेमंद होता है शमी का उपयोग

शतावरी चूर्ण का प्रयोग कर स्वप्न दोष का इलाज (Shatavari Benefits in Nightfall Treatment in Hindi)

स्वप्न दोष को ठीक करने के लिए ताजी शतावर की जड़ का चूर्ण बना लें। इसे 250 ग्राम तथा 250 ग्राम मिश्री को मिलाकर कूट-पीस लें। इसे 6-11 ग्राम चूर्ण को, 250 मिली दूध के साथ सुबह-शाम लें। इससे स्वप्न दोष दूर होता है, और शरीर स्वस्थ रहता है। शतावर चूर्ण के फायदे का पूरा लाभ तभी मिलता है जब चूर्ण को सही तरह से बनाया जाय और सही तरह से इसका सेवन किया जाय।

अपच की समस्या में शतावरी के सेवन से फायदा (Benefits of Shatavari in Indigestion in Hindi)

खाना ठीक से नहीं पच रहा है, तो शतावरी का उपयोग (satawar ke fayde)  करना लाभ पहुंचाता है। 5 मिली शतावर के जड़ के रस को मधु, और दूध के साथ मिला लें। इसे पिलाने से अपच जैसी परेशानी से शान्ति मिलती है।

शतावरी कितने दिनों तक खाना चाहिए? - shataavaree kitane dinon tak khaana chaahie?

पेट दर्द में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses in Pitta Disorder in Hindi)

पित्त दोष के कारण होने वाले पेट के दर्द में भी शतावरी का फायदा लिया जा सकता है। रोज सुबह 10 मिली शतावरी के रस में 10-12 ग्राम मधु मिलाकर पीने से लाभ होता है।

सिर दर्द में फायदेमंद है शतावरी का प्रयोग (Benefits of Shatavari in Relief from Headache in Hindi)

शतावरी सिर दर्द से भी आराम दिलाता है। शतावर की ताजी जड़ को कूटकर, रस निकाल लें। इसमें रस के बराबर ही तिल का तेल डालकर उबाल लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सिर दर्द, और अधकपारी (आधासीसी) में आराम मिलता है।

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नाक के रोग में शतावरी का प्रयोग फायदेमंद (Uses of Shatavari for Nasal Disorder in Hindi)

नाक की बीमारियों में 5 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari powder) को 100 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से नाक के रोग खत्म हो जाते हैं। शतावर चूर्ण के फायदे नाक संबंधी रोगों के उपचार के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं।

शतावरी का उपयोग घाव सुखाने के लिए (Shatavari Uses for Healing Wound in Hindi)

शतावरी के 20 ग्राम पत्तों के चूर्ण बनाकर दोगुने घी में तल लें। अब इस शतावरी चूर्ण को अच्छी तरह पीस कर घाव पर लगाएं। इससे पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।

और पढ़े – घाव सुखाने में दारुहरिद्रा से फायदा

आंख के रोग में शतावरी का इस्तेमाल (Benefits of shatavari in eye problem)

  • 5 ग्राम शतावरी जड़ को 100-200 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से आंख के रोगों में लाभ होता है।
  • पुराना घी, त्रिफला, शतावरी, परवल, मूंग, आंवला, तथा जौ का रोज सेवन करें। इससे आंखों के रोग में लाभ (shatavari benefits) होता है।

शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में लाभ (Benefits of Shatavari in Night Blind in Hindi)

शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में भी लाभ होता है। घी में शतावरी के मुलायम पत्तों को भूनकर सेवन करें।

शतावरी का प्रयोग दस्त रोकने के लिए (Shatavari Uses to Stop Diarrhea in Hindi)

लोग दस्त से परेशान रहते हैं, तो 5 ग्राम शतावरी घी का सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।

मूत्र विकार के इलाज के लिए शतावरी का सेवन (Uses of Shatavari in Urinary Disease Treatment in Hindi)

  • शतावरी पेशाब संबंधी परेशानियों में भी काम करता है। इसमें शतावर 10-30 मिली, और गोखरू का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है।
  • कई लोग बार-बार पेशाब आने से परेशान रहते हैं, ऐसे में 10-30 मिली शतावर के जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें मधु और चीनी मिलाकर पीने से लाभ होता है।
  • पेशाब की जलन की बीमारी में 20 ग्राम गोखरू पंचांग के बराबर शतावर को मिला लें। इसे आधा लीटर पानी में उबाल लें। इसे छानकर 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच मधु मिला लेंं। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से पेशाब की जलन, और बार-बार पेशाब आने की परेशानी में आराम मिलता है।

और पढ़ें: मूत्र रोग में लाभ दिलाता है भुई-आंवला का सेवन

गोनोरिया (सुजाक) में शतावरी से लाभ (Uses of Shatavari in Gonorrhea Treatment in Hindi)

सुजाक या गोनोरिया, यौन से संबंधित एक रोग है। यह बैक्टीरिया से होता है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगी 20 मिली शतावर के रस को, 80 मिली दूध में मिलाकर पिएं। इससे सुजाक में फायदा होता है।

और पढ़ेंः गोनोरिया में फायदेमंद भुई आवंला का प्रयोग 

बुखार में शतावरी से लाभ (Shatavari Uses  in Fighting with Fever in Hindi)

शतावर और गिलोय के बराबर-बराबर भाग के 10 मिली रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिएं। इससे बुखार में लाभ होता है। 20-40 मिली काढ़ा में 2 चम्मच मधु मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।

और पढ़ें: बुखार की दवा है गिलोय

पुरानी पथरी के रोग में शतावरी का इस्तेमाल (Benefits of shatavari for Kidney Stone in Hindi)

पथरी की बीमारी से परेशान मरीज 20-30 मिली शतावरी के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पिएं। इससे पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।

और पढ़ें: पथरी रोग में गोखरू के प्रयोग

Summary:

शतावरी के उपयोगी भाग (Useful Parts  of Shatavari)

  • जड़
  • जड़ से तैयार काढ़ा
  • पत्ते
  • पेस्ट
  • चूर्ण (shatavari churna)

शतावरी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Shatavari in Hindi?)

आप शतावरी का उपयोग इस तरह से कर सकते हैंः-

  • रस- 10-20 मिली
  • काढ़ा- 50-100 मिली
  • चूर्ण- 3-6 ग्राम

शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है?(Where is Shatavari Found or Grown?)

भारत (asparagus in india) में शतावरी की खेती अनेक स्थानों पर की जाती है। इसकी खेती हिमालयी क्षेत्रों में 1500 मीटर तक की ऊंचाई पर होती है। शतावरी मुख्यतः गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्रों, और बिहार के पठारी भागों में पाई जाती है।

शतावरी churna कितने दिन तक खाना चाहिए?

इसके अलावा एक अन्य शोध में यह खुलासा हुआ है कि शतावरी और अश्वगंधा भी वजन बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। caged broilers (मुर्गी पालन) पर किए गए शोध से पता चला है कि शतावरी और अश्वगंधा की जड़ों के पाउडर के सेवन से बडी जल्दी में बढ़ सकता है। इसके लिए broilers की डाइट में 6 हफ्ते तक शतावरी और अश्वगंधा चूर्ण दिया गया।

क्या शतावरी गर्म होती है?

Shatavari Benefits: औषधीय गुणों से भरपूर शतावरी खाने में मधुर व तासीर ठंडी होती है।

क्या शतावरी का कोई साइड इफेक्ट होता है?

संभावित दुष्प्रभाव और जोखिम शतावरी लेने वाले कुछ लोगों में एलर्जी की प्रतिक्रिया की खबरें हैं । यदि आपको शतावरी से एलर्जी है, तो इस पूरक से बचें। यदि आप अस्थमा या एलर्जी की प्रतिक्रिया के लक्षणों को बिगड़ते हुए अनुभव करते हैं, तो चिकित्सा पर ध्यान दें।

शतावर चूर्ण कब और कैसे खाएं?

Shatavari Churna Dosage in Hindi – शतावरी चूर्ण की मात्रा.
शुरू में एक चौथाई से आधा चम्मच ही लेने की सकह दी जाती है। इसको एक गिलास गर्म दूध में शहद या चीनी मिलाकर लिया जा सकता है।.
फिर इसकी मात्रा बढ़ाकर आधा से दो चम्मच यानी 3 से 10 ग्राम की जा सकती है।.
चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है।.