शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है? - shivaraatri ka vrat kab khola jaata hai?

Sawan Shivratri 2022 Date: भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित सावन का महीना 14 जुलाई, 2022 से आरंभ हो गया है. सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि का व्रत (Sawan Shivratri Vrat 2022) रखा जाता है. इस व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. सावन शिवरात्रि की तिथि (Sawan Shivratri 2022 Date) को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. दरअसल इस बार चतुर्दशी तिथि दो दिन पड़ रही है. ऐेसे में भगवान शिव के भक्त इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं कि आखिर सावन शिवरात्रि का व्रत 26 या 27 जुलाई को रखना उचित होगा. आइए पंचांग के अनुसार जानते हैं कि इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत किस दिन रखना सबसे उचित और उपयुक्त होगा. 

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किस दिन रखें सावन शिवरात्रि का व्रत | Sawan Shivratri 2022 Vrat Confirm Date

पंचांग के अनुसार, सावन शिवरात्रि का व्रत (Sawan Shivratri 2022 Vrat) सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है. इस बार चतुर्दशी तिथि दो दिन पड़ रही है. इसलिए शिवजी के भक्त असमंजस में हैं कि सावन शिवरात्रि ((Sawan Shivratri) का व्रत 26 को रखा जाए या 27 जुलाई को. हिंदी पंचांग के अनुसार, इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 26 जुलाई को रखा जाएगा. वहीं व्रत का पारण 27 जुलाई को किया जाएगा.

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सावन शिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त | Sawan Shivratri 2022 Puja Muhurat

इस बार सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 26 जुलाई को शाम 6 बजकर 46 मिनट से हो रहा है. जबकि चतुर्दशी तिथि की समाप्ति 27 जुलाई को रात 9 बजकर 11 मिनट पर होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 26 जुलाई को सावन शिवरात्रि का व्रत ((Sawan Shivratri Vrat) रखना उचित होगा. निशिता काल पूजा का शुभ मुहूर्त 27 जुलाई को दोर रात 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक है. सावन शिवरात्रि पूजा के लिए कुल अवधि 42 मिनट की है. 

सावन शिवरात्रि की पूजा में बरतें ये सावधानियां | Sawan Shivratri 2022 Vrat Mistake

सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) पर भगवान शिव की पूजा (Lord Shiv worship) में उन्हें तुलसी-पत्र अर्पित नहीं किया जाता है. इसकी बजाए बेलपत्र अर्पित करना अधिक शुभ रहेगा.

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सावन शिवरात्रि व्रत-पूजा ((Sawan Shivratri Vrat Puja) के दौरान महिलाओं को खट्टी चीजें नहीं खानी चाहिए. इस बारे में मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत भंग हो जाता है. साथ ही व्रत का लाभ प्राप्त नहीं होता है.

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सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) को केतली के फूल, हल्दी, सिंदूर, कुमकुम और अन्य सुहाग की सामग्रियां अर्पित नहीं करनी चाहिए. 

इस दिन भगवान शिव को जल अर्पित करने के लिए सिर्फ तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए. यह सबसे उपयुक्त माना गया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना को विधिपूर्वक किया जाता है। पूजा आराधना करने का उपयुक्त समय तथा शुभ मुहूर्त में ही करना उचित रहता है। (mahashivratri Vrat ke niyam) जैसे ही पूजा आराधना पूर्ण होती है। तब भक्तगण व्रत का संकल्प लेते हैं। यदि व्रत करना ही है तो पूरे विधि विधान के साथ करने चाहिए। व्रत पारण करने अर्थात व्रत खोलने का भी उचित समय और शुभ मुहूर्त में ही व्रत पारण करना उचित रहता है। शिवरात्रि व्रत का महत्व शिवरात्रि व्रत के नियम हम इस लेख में जानने वाले हैं।

आइए जानते हैं, महाशिवरात्रि व्रत का महत्व क्या है? महाशिवरात्रि व्रत धारण करने के नियम क्या है? महाशिवरात्रि व्रत क्यों रखा जाता है? महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए? महाशिवरात्रि व्रत कथा? महाशिवरात्रि व्रत कब है? महाशिवरात्रि व्रत कब खोला जाता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप इस शिवलेख में जानने वाले हैं। इसलिए अंत तक इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें।

शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है? - shivaraatri ka vrat kab khola jaata hai?

महाशिवरात्रि व्रत क्यों रखा जाता है | Mahashivratri vrat Kyon rakha jata hain

हिंदू धार्मिक ग्रंथों एवं मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक हिंदू अपने आराध्य को प्रसन्न करने हेतु व्रत धारण करते हैं। कठिन व्रत का पालन करते हैं। मान्यताएं अपने विश्वास से जुड़ती है और विश्वास सीधा परम पिता परमेश्वर से संपर्क करता है। जब भी हम अपने आस्था को प्रकट करने हेतु अपने प्रभु में विश्वास दिखाते हैं। तो हमें एक ऊर्जा मिलती है और उसी ऊर्जा से हमें जीवन यापन करने में सुविधा रहती है। शिवरात्रि के दिन शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा आराधना करते हैं। पंचामृत से अभिषेक करते हैं।

शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है? - shivaraatri ka vrat kab khola jaata hai?

फुल, पुष्प, बेलपत्र आदि चढ़ाकर भगवान शिव की प्रतिमा शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाते हैं। विधि विधान के साथ पूजा अर्चना संपन्न करने पर शिवभक्त शिवरात्रि व्रत का संकल्प लेते हैं। ऐसा करने से शिव भक्तों को एक ऊर्जा शक्ति का एहसास होता है। अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति भक्ति का परिचय देते हैं। मान्यताओं के अनुसार जो लड़का या लड़की अभी तक शादीशुदा नहीं है। वह भगवान शिव का व्रत धारण करते हैं। तो उन्हें विवाह संबंधी हो रही परेशानियां दूर होती है। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के समय भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था।

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महाशिवरात्रि व्रत कब है | When is Mahashivratri fasting

इस वर्ष महाशिवरात्रि व्रत 1 मार्च 2022 मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन वसंत ऋतु के फाल्गुनी मास की चतुर्दशी होगी। इस दिन शिव गण तथा शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा आराधना करेंगे। शिव को प्रसन्न करने वाली गतिविधियां करेंगे जिस में शिव जागरण, शिव पूजा, शिव आराधना, शिव भजन, महाशिवरात्रि व्रत, दान पुण्य, आदि करते हैं।

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महाशिवरात्रि का व्रत रखने के नियम | Mahashivratri Vrat ke niyam

जो भी शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा आराधना करते हैं। उन्हें चाहिए कि वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु कठोर व्रत धारण करें। व्रत के नियमों का विधि विधान के साथ पालन करें। विधि विधान के साथ ही व्रत का समापन अथार्त पारण करें। महाशिवरात्रि के दिन जो भी स्त्री, पुरुष, कन्या, बालक महाशिवरात्रि का व्रत धारण करते हैं। उन्हें मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि व्रत धारण करने के कुछ नियम है, जैसे:-

शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है? - shivaraatri ka vrat kab khola jaata hai?
  • सर्वप्रथम सवेरे जल्दी उठें और भगवान शिव का ध्यान करें और पृथ्वी को प्रणाम करें।
  • शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की प्रतिमा को प्रतिष्ठित करें।
  • भगवान शिव की प्रतिमा अर्थात शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक करें।
  • शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान करवाकर चंदन कुमकुम आदि का तिलक लगाएं।
  • पूजा आराधना, भगवान शिव कथा, शिव पुराण, शिव भजन, शिव चालीसा, भगवान शंकर के दिव्य मंत्र, तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • संपूर्ण पूजा आराधना संपन्न होने के पश्चात भगवान शिवलिंग के समक्ष व्रत धारण करने का संकल्प लें।
  • व्रत धारण करने वालों को मुख्य तौर पर सात्विक व्रत का पालन करना चाहिए।
  • शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए।

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शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है? - shivaraatri ka vrat kab khola jaata hai?

शिवरात्रि व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए:- व्रत धारण करने के हेतु शिव भक्तों को चाहिए कि वह व्रत को सात्विक तरीके से करें। कोई भी ऐसी चीज नहीं खाए जो व्रत के दौरान नहीं खानी चाहिए जैसे:- अन्न से बनी हुई चीजें, नमक से बनी हुई चीजें, खट्टी चीज, कोल्ड ड्रिंक, मिठाई आदि नहीं खानी चाहिए।

  • यदि व्रत के दौरान फल फ्रूट खाना चाहते हैं। तो फलाहार जरूर कर सकते हैं।
  • फलाहार में नेचुरल मीठे फलों का आनंद ले सकते हैं।
  • फलाहार को किसी प्रकार से पकाने एवं अन्य प्रक्रियाओं से बचने की कोशिश करें।
  • खट्टे फलों का प्रयोग ना करें।
  • फ्रूट जूस का उपयोग कर सकते हैं।
  • व्रत के दौरान स्वच्छ जल का प्रयोग करें।
  • अत्यधिक ठंडे जल को ग्रहण करने से बचें।
  • व्रत के दौरान केवल  अल्प फलाहार लेना उपयुक्त रहेगा।

महाशिवरात्रि कोट्स इन हिंदी

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शिवरात्रि व्रत कब खोला जाता है | शिवरात्रि व्रत कैसे खोला जाता हैं

mahashivratri Vrat ke niyam:- जब जातक भगवान शिव को आराध्य मानते हैं। शिवरात्रि के दिन कठोर व्रत का पालन करते हैं। तो उन्हें मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इसी के साथ विवाह संबंधी अड़चनें दूर होती है। शिवरात्रि व्रत खोलने के कुछ नियम निर्धारित हैं जैसे:-

महाशिवरात्रि व्रत पारण शुभ मुहूर्त | महाशिवरात्रि व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि व्रत को पारण करने के लिए शुभ मुहूर्त 2 मार्च 2022 बुधवार को प्रातः 6:45 से शुरू होगा। इसलिए जो भी जातक शिवरात्रि व्रत धारण कर रहे हैं। उन्हें अगले दिन सुबह 6:45 पर व्रत पालन करना चाहिए।

Mahashivratri Vrat ke Niyam | व्रत पारण करने के कुछ नियम है:-

  • सर्वप्रथम फलाहार के साथ दूध का सेवन कर सकते हैं।
  • सात्विक भोजन का प्रयोग करें। जिसमें अत्यधिक खटाई वाले भोजन से बचें,
  • तेज नमक, तेज मिर्ची जैसे पदार्थों से बचे।
  • सात्विक भोजन में ऐसा भोजन बनाएं जिस का भोग लगाना उचित हो। अर्थात भगवान शिव को भोग लगा कर के ही शिवरात्रि व्रत का पारण करना चाहिए।
  •  यदि संभव हो तो इस दिन भगवान शिव के वाहक नंदी के लिए कुछ चारा या फल आदि का दान करना चाहिए।

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महाशिवरात्रि व्रत कथा | Mahashivratri Vrat Story

महाशिवरात्रि व्रत कथा की अगर हम बात करें। तो मनाने के पीछे बहुत सेमर एवं मतभेद हैं। परंतु हम आस्तिक व्यक्ति हैं। हमें चाहिए कि भगवान शिव की आराधना पूजा पाठ करने में हमें किसी प्रकार के बहस में नहीं पड़ना चाहिए। जो भगवान शिव की महत्ता को लेकर जिस भी ग्रंथ में शिवरात्रि का महत्व बताया गया है। उसे फॉलो कर लेना चाहिए। भगवान शिव त्रिभुवन पतियों में एक अदम्य साहस सकती हैं। जो स्वयं प्रकाशमान है।

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शिव पुराण में लिखी इस व्रत कथा को ध्यानपूर्वक पढ़े

एक चित्रभानु नाम का शिकारी था। वह अपने परिवार को पाने के लिए जंगल में शिकार किया करता था। कुछ दिनों तक उसे स्वीकार नहीं मिलने की वजह से वह कर्जे में डूबता चला गया और साहूकार से कर्जा ले लिया। साहूकार का कर्जा नहीं चुकाने की वजह से साहूकार ने उसे कैद कर लिया। कुछ दिनों बाद उसे छोड़ दिया। अब वह पूरे दिन जंगल में भटकता रहा भटकते भटकते एक पेड़ पर जा बैठा। जहां पर नीचे शिवलिंग बना हुआ था और वह वृक्ष था बिल पत्रका। जैसे:- वह शिकार का इंतजार कर रहा था। तभी चित्रभानु को एक हिरनी आती दिखाई दी।

शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है? - shivaraatri ka vrat kab khola jaata hai?

उसने जैसे ही उसे मारने की तैयारी की तब हिरनी चित्रभानु से कहती है। कि मैं अपने बच्चों को जन्म देने वाली हूं। मैं आपसे वादा करती हूं बच्चे के जन्म के बाद आपके पास आ जाऊंगी। आप मेरा शिकार कर दीजिएगा। चित्रभानु ने उनकी बात मान ली और उसे जाने दिया। कुछ देर बाद दूसरी हिरनी उधर से गुजर रही थी। तब चित्रभानु ने उसका शिकार करने की तैयारी की। दूसरी हिरणी बोलती है कि मैं अभी रितु काल से बाहर आई हूं। मुझे मेरी पति की तलाश है। मैं पति से मिलकर आपके पास जरूर आ जाऊंगी। कृपया मुझे छोड़ दीजिए। भानु ने उस हिरणी को जाने दिया। कुछ देर बाद तीसरी हिरनी उधर से गुजरती है। तब चित्रभानु ने उसे मारने के लिए अपने शस्त्र को तैयार कर ही रहा था कि हिरणी बोलती है, कि मैंने अभी अपने दो बच्चों को जन्म दिया है। वह अनाथ हो जाएंगे। मैं पहले उन्हें अपने पिता के हवाले कर आती हूं और आपके पास आ जाऊंगी।

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चित्रभानु का मन पिघल चुका था। उसने तीसरे को भी जाने दिया। कुछ देर बाद एक हिरण उधर से गुजर रहा था। चित्रभानु ने सोचा कि हिरण को तो मुझे मारना ही पड़ेगा। वरना मैं आज पूरे दिन ही भूखा रहूंगा। जब तक हिरण उसके पास आता तब तक 4 पहर बीत चुके थे। हिरण को मारने के लिए चित्रभानु ने जैसे ही तैयारी की तो हिरण कहता है। यदि तुमने पहले तीनों को मार दिया है तो मुझे भी मार दो और यदि तुमने उन तीनों को नहीं मारा है तो मुझे छोड़ दो। मैं तुमसे वादा करता हूं कि मैं पूरे परिवार के साथ तुम्हारे सम्मुख प्रस्तुत हो जाऊंगा।

शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है? - shivaraatri ka vrat kab khola jaata hai?

चित्रभानु ने संपूर्ण कथा हिरण को सुना दी हिरण ने वादा किया कि मैं आपके पास जल्द ही अपने पूरे परिवार को लेकर आता हूं। मुझे जाने की आज्ञा दें चित्रभानु का मन था पूरे दिन भूखा रहा और बेलपत्र के वृक्ष पर बैठने की वजह से बिल पत्र के पत्ते नीचे शिवलिंग पर गिर रहे थे। शिवलिंग पर बार-बार पत्ते गिरने से चित्रभानु का हृदय परिवर्तन होता रहा। कुछ देर बाद ही रन पूरे परिवार के साथ चित्रभानु के पास आ गया कहा कि अब आप मेरे पूरे परिवार का शिकार कर। सकते हैं हमने वादे के अनुसार आपके समक्ष प्रस्तुत हैं  चित्रभानु का हृदय परिवर्तन हो चुका था  उसने फिर हिरण के पूरे परिवार को जीवनदान दे दिया और चित्रभानु भगवान शिव की शरण में चला गया और उसे सी ब्लॉक में स्थान मिला अर्थात चित्रभानु एक उपकार के बदले अपने पूरे जीवन को मोक्ष के मार्ग पर ले गया 

महाशिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है 2022?

सावन शिवरात्रि व्रत 2022 तिथि पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 26 जुलाई को शाम 06 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है. इस तिथि का समापन अगले दिन 27 जुलाई बुधवार को रात 09 बजकर 11 मिनट पर होगा.

महाशिवरात्रि का Fast कब खोला जाता है?

संपूर्ण भारत वर्ष में उपवास या व्रत महाशिवरात्रि पर्व का एक महत्त्वपूर्ण अंग होता है। इस दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं। हिंदू धर्म के दूसरे त्यौहारों पर जहाँ पूजा के बाद भगवान को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है, वहीं शिवरात्रि का व्रत पूरे दिन चलता है और सुबह सूर्योदय के पश्चात ही इसको खोला जाता है।

शिवरात्रि के व्रत में खाना कब खाते हैं?

सुबह के समय फलाहार करना चाहिए। फलाहार में संतरा, खीरा, पपीता, सेब आदि फल ले सकते हैं। महाशिवरात्रि के व्रत में भी सात्विक भोजन खाना चाहिए। अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या न हो तो बिना नमक के भी यह व्रत किया जा सकता है।

शिवरात्रि का व्रत कैसे खोलते हैं?

महाशिवरात्रि की प्रामाणिक और पौराणिक कथा दूसरे दिन प्रातः जौ, तिल-खीर तथा बेलपत्रों का हवन करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए। इस विधि तथा स्वच्छ भाव से जो भी यह व्रत रखता है, भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे अपार सुख-सम्पदा प्रदान करते हैं।