वसा की अधिकता में कौन सा रोग हो जाता है? - vasa kee adhikata mein kaun sa rog ho jaata hai?

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वसा ज़रुरी पर थोड़ी-सी

वसा... शरीर के लिए ज़रूरी है और आड़े वक़्त में ऊर्जा का स्रोत भी। इससे स्वाद मिलता है, लेकिन खानपान में इसका अनियंत्रित सेवन स्वास्थ्य बिगाड़ता भी है। इसलिए उपभोग करें, पर थोड़ा-सा सम्भलकर।

कौन-से काम करती है वसा?
शरीर को ऊर्जा वसा से भी मिलती है। ये दो प्रकार की होती है- संतृप्त वसा (सैचुरेटेड) व असंतृप्त वसा (अनसैचुरेटेड)। संतृप्त वसा मुख्यत: घी, मक्खन, मलाई, नारियल तेल एवं वनस्पति से मिलती है। वनस्पति हानिकारक वसा है। इसका इस्तेमाल बिस्किट, पिज़्ज़ा जैसी बाज़ार की चीज़ों में होता है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती है। इसका सेवन न के बरबार होना चाहिए। वहीं, तेलों व गिरी (नट्स) से मिलने वाली असंतृप्त वसा स्वास्थ्य के लिए अच्छी है। वसा विटामिन ए, डी, ई व के को शरीर में अवशोषित करने और एक से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक होती है। यह शरीर में विभिन्न द्रव बनाने में काम आती है व अंगों के आसपास इकट्‌ठा हो उन्हें सुरक्षा देती है।

वज़न बढ़ेगा तो सेहत घटेगी
बाज़ार के खानपान की वस्तुओं पर अधिक निर्भरता के चलते आजकल लोगों में वसा की अधिकता पाई जाने लगी है। साथ ही दफ़्तर में लगातार बैठे रहने व पर्याप्त मेहनत न करने के चलते भी वसा संचित होती जाती है। इससे शरीर में चर्बी बढ़ती है और वज़न बढ़ता है, फिर बढ़े वज़न के कारण इससे जुड़ी हुई बीमारियाें जैसे डायबिटीज़, हृदय रोग, दमा, आर्थराइटिस आदि की आशंका भी बढ़ जाती है।

प्रतिदिन सीमित मात्रा
एक ग्राम वसा 9 कैलोरी ऊर्जा देती है। यह हमें मलाई वाले दूध, सूखे मेवे, नट्स, अंडा, मीट, मछली आदि से मिलती है। साथ ही हमारी खड़ी या साबुत दालें जैसे राजमा, छोले, चना एवं मोटा अनाज- बाजरा, ज्वार आदि भी कुछ मात्रा में वसा देते हैं। हालांकि यह मात्रा बहुत कम है, परंतु यह शरीर एवं हृदय के लिए अच्छी होती है। प्रतिदिन एक व्यक्ति को एक से दो चम्मच देसी घी एवं खाना बनाने के लिए तीन से चार छोेटे चम्मच (20 मिली ) तेल का उपयोग करना चाहिए। भारतीय परिवेश में मूंगफली व सरसों तेल अधिक अच्छे हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि तले हुए भोज्य के ज़रिए आवश्यकता से दोगुनी मात्रा में वसा शरीर में पहुंचती है।

कम वसा में भी ख़तरा
आहार में सही पोषण न मिलने व पाचन में गड़बड़ी आने जैसी वजहें कई बार शरीर में वसा की कमी का कारण बन जाती हैं। यह स्थिति भी स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, जिससे कमज़ोरी और वसा में घुलनशील विटामिनों की कमी हो जाती है। इसके चलते त्वचा रूखी-सूखी होना, हडि्डयाेंं की कमज़ोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आदि के ख़तरे बढ़ जाते हैं।

सतर्कता ज़रूरी
हालांकि वसा की आवश्यकता होती है, परंतु हमें इसे अपने खानपान में लेते समय सतर्क रहना चाहिए। इसका उपयोग उतना ही करें, जितना आवश्यक है। साथ ही अधिक जले हुए तेल का उपयोग दोबारा करने से बचना चाहिए क्योंकि वह एक तरह से वनस्पति का ही रूप ले लेता है। आज की जीवनशैली में बिना मलाई वाले दूध का उपयोग अच्छा रहता है।

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

नमस्कार आपका वो कल है पर स्वागत है आपका प्रश्न है वर्षा की अधिकता से कौन सा रोग हो जाता है तो वसंत प्रोटीन वसा की अधिकता से अधिक आस्था मधुमेह रोग होता है अधिकांशत मधुमेह रोग होता है धन्यवाद

Romanized Version

ये तो हम सभी जानते है की हमारे देश में घी और अन्य वसा युक्त खाद्य पदार्थो का कितना बड़ा बोलबाला है | हमारे सभी घरों में  घी आदि का इस्तेमाल करना ही अधिक कष्टदायी है | वसा का सेवन हमारे घरों में लाभदायक बताया जाता है , एक सीमा तक यह सही भी है क्योकि मनुष्य को अपनी दैनिक उर्जा का 10 से 20 प्रतिसत वसा के द्वारा ही प्राप्त होता है | लेकिन जब कभी हम आवश्यकता से अधिक वसा का सेवन करते है तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक भी सिद्ध होता है |

वसा की अधिकता में कौन सा रोग हो जाता है? - vasa kee adhikata mein kaun sa rog ho jaata hai?
वसा के सेवन से होने वाले नुकसान

पुराने समय में लोग अधिक वसीय पदार्थो का सेवन इसलिए करते थे क्योकि उनकी श्रम शक्ति क्षीण न हो जाए | वे जितना अधिक वसा का सेवन करते थे उससे कंही अधिक श्रम भी करते थे | इसलिए वे सदैव हष्ट-पुष्ट रहते थे | लेकिन वर्तमान समय में शारीरिक श्रम की महता गूम होती जा रही है और यही कारण है की अब के युवाओं या बच्चों के लिए वसा का सेवन नुकसानदाई साबित हो रहा है | शरीरिक श्रम की कमी , तली – भुनी चीजें , फ़ास्ट फ़ूड आदि का सेवन अब मोटापे और अन्य बीमारियों का कारण बनता जा रहा है |

  • यहाँ पढ़े वसा के अधिक सेवन से होने वाले शारीरिक नुकसान 
      • 1 . मोटापा बढ़ना ( Increase Obesity )
      • 2 . मधुमेह हो जाना ( Diabtes) 
      • 3 हृदय सम्बन्धी रोग ( Heart Related Diseases )
      • 4 . गुर्दे प्रभावित होना ( Effects Kidney )

यहाँ पढ़े वसा के अधिक सेवन से होने वाले शारीरिक नुकसान 

1 . मोटापा बढ़ना ( Increase Obesity )

वसा की अधिकता में कौन सा रोग हो जाता है? - vasa kee adhikata mein kaun sa rog ho jaata hai?
अधिक वसा के सेवन से मोटापा

आवश्यकता से अधिक वसायुक्त खाद्य पदार्थो का सेवन करने से शरीर में अधिक मात्रा में adipose tissue बनने लगते है | जिससे त्वचा के निचे फेफड़े , हृदय, गुर्दे , यकृत, आदि अन्य कोमल अंगो तथा शरीर के अन्य स्थानों पर वसा की परत जमने लगती है | वसा की परत जमने से मोटापा बढ़ जाता है | मोटापे से होने वाले नुकसानों के बारे में आप सभी अच्छी तरह वाकिफ होंगे ही |

2 . मधुमेह हो जाना ( Diabtes) 

वसा की अधिकता में कौन सा रोग हो जाता है? - vasa kee adhikata mein kaun sa rog ho jaata hai?
img credit – Lobanov Dmitry +79060745525

मधुमेह हालाँकि वन्सानुगत रोग भी है लेकिन फिर भी यह अधिक मोटे लोगो को जल्दी होता है | वसा और कार्बोज के अधिक सेवन से शरीर में अधिक मात्रा में ग्लूकोज का निर्माण होता है | हमारे शरीर के रक्त में सिमित मात्रा तक ही ग्लूकोज संगृहीत रहती है |  अतिरिक्त ग्लूकोज ग्लैकोजन में बदलने लगती है | दर:शल  ग्लूकोज से ग्लैकोजन का निर्माण अग्नाशय के langerhans ( लंगेर्हंस) के द्वारा किया जाता है | लेकिन ये लंगेर्हंस इन्सुलिन हार्मोन के स्रवन का कार्य भी करती है परन्तु जब अधिक ग्लूकोज को ग्लैकोजन में बदलने का कार्य करती है तब इन्सुलिन हर्मोंन का स्राव नहीं कर पाती और फल स्वरुप मधुमेह हमें घेर लेता है |

वसा की अधिकता में कौन सा रोग हो जाता है? - vasa kee adhikata mein kaun sa rog ho jaata hai?

वसा की अधिकता से रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है | सामान्यत: रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा 120 से 160mg/100 ml होती है | इससे अधिक कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने पर कोलेस्ट्रोल रक्त धमनियों के आंतरिक दीवारों पर जमने लगते है | फलस्वरूप रक्त धमनियों की दिवाले संकड़ी होने लगती है , जिसे एथ्रोस्क्लेरोसिस कहते है | धीरे – धीरे इन धमनियों की दीवारें पर इतना अधिक कोलेस्ट्रोल का जमाव हो जाता है की इनका लचीलापन भी समाप्त हो जाता है | इन धमनियों का व्यास भी छोटा हो जाता जिससे रक्त के बहाव की गति कम हो जाती है | और यही कारण है की हृदयघात की संभावनाए बढ़ जाती है |

4 . गुर्दे प्रभावित होना ( Effects Kidney )

मोटापे के कारण गुर्दे के चरों और वसीय तंतुओ की मोती परत जम जाती है जिससे गुर्दे द्वारा होने वाले कार्यो में रूकावट आती है | गुर्दा हमारे शरीर से निरुपयोगी पदार्थो का निष्काशन का कार्य करता है जैसे – यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनिया, टोक्सिन आदि वर्ज्य पदार्थो का पूर्णत: निष्काशन नहीं होपाता और वे रक्त में ही रह जाते है | रक्त की छनन क्रिया भी ठीक से नहीं हो पाती जिससे अशुद्ध चीजे रक्त में ही रह जाती है | अशुद्ध रक्त शरीर के लिए जहरीला होता है | गुर्दे काम करना छोड़ते ही मनुष्य की मर्त्यु जल्दी ही हो जाती है |

वसा का सेवन एक निश्चित मात्रा में ही करे , अधिक वसा सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है |

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धन्यवाद |

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वसा की अधिकता से कौन सा रोग हो जाता है?

इससे शरीर में चर्बी बढ़ती है और वज़न बढ़ता है, फिर बढ़े वज़न के कारण इससे जुड़ी हुई बीमारियाें जैसे डायबिटीज़, हृदय रोग, दमा, आर्थराइटिस आदि की आशंका भी बढ़ जाती है।

वसा की अधिकता से क्या होता है?

मोटापा (Obesity): आवश्यकता से अधिक वसा का सेवन करने से वसा त्वचा के नीचे एकत्रित होने लगती है तथा शरीर पर शरीर का भार बढ़ जाता है। मोटापा अपने आप में एक रोग होने के साथ-साथ दूसरे रोगों को भी बढ़ा देता है। मधुमेह तथा उच्चरक्तचाप जैसे रोग पतले व्यक्तियों की अपेक्षा मोटे व्यक्तियों में अधिक गम्भीर रूप घारण कर लेते हैं।

मानव शरीर में अधिक वसा के क्या लक्षण होते हैं?

जब पेट वसा को ठीक से पचाता है, तो मल का रंग मध्य से गहरा भूरा होता है और उसमें से बदबू भी आती है. जो लोग अधिक तैलीय, मसालेदार चीजों को सेवन करते हैं या फिर जल्दी-जल्दी भोजन करते हैं, उनमें सीने में जलन की समस्या होना आम बात है.

वसा क्या खाने से बढ़ता है?

संतृप्त वसा मक्खन, पनीर, दूध, आइसक्रीम, क्रीम, और वसायुक्त मांस जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। ये कुछ वनस्पति तेलों जैसे नारियल तेल में भी पाया जाता है। मोनोअनसेचुरेटेड (monounsaturated) वसा जो नट्स, जैतून और कैनोला तेल जैसे उत्पादों में पाया जाता है।