Formulae Handbook for Class 10 Maths and Science NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 साखी is part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions
for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 साखी. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- You can also download Cbse Class 10 Science to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. (ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिएप्रश्न प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. भाषा अध्ययन
योग्यता विस्तार प्रश्न 2. परियोजना कार्य (ख) कागा काको सुख हरै, कोयल काको देय। (ग) मधुर
वचन है औषधी कटुक वचन है तीर । ईश्वर प्रेम संबंधी दोहा- प्रश्न 2. अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न
7. प्रश्न 8. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3. More Resources for CBSE Class 10
We hope the given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 साखी will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 साखी, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. कबीर के अनुसार संसार में सुखी और दुखी व्यक्ति कौन है?कवि के अनुसार संसार में वो लोग सुखी हैं, जो संसार में व्याप्त सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं और दुखी वे हैं, जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है। 'सोना' अज्ञानता का प्रतीक है और 'जागना' ज्ञान का प्रतीक है।
कबीर की दृष्टि में संसार सुखी और वह स्वयं दुखी है ऐसा क्यों?संसार के लोगों को देखकर कबीर को लगता है कि लोग सांसारिक विषय-वासनाओं के साथ खाने-पीने और हँसी-खुशी से जीने में मस्त हैं। ये लोग सुखी हैं। दूसरी ओर कबीर है जो प्रभु प्राप्ति न होने के कारण परेशान है। वह सोने के बजाय जाग रहा है और रोते हुए दुखी हो रहा है।
कबीरदास जी क्यों दुखी हैं?Explanation: कबीर इसलिए दुखी है, क्योंकि वे देख रहे हैं कि संसार में लोग क्षणिक सुखों के पीछे पागल हैं। वे अज्ञान के अंधेरे में भटक रहे हैं और ज्ञान रूपी ईश्वर के सच्चे सुख को छोड़कर अज्ञान रूपी अंधकार में भटक रहे हैं। संसार के लोग क्षणिक सुखों को भोगने में लगे हुए हैं और ईश्वर भक्ति रूपी अलोकिक सुख से वंचित है।
मनुष्य ईश्वर को कब नहीं देख पाता?ईश्वर सब ओर व्याप्त है। वह निराकार है। हमारा मन अज्ञानता, अहंकार, विलासिताओं में डूबा है। इसलिए हम उसे नहीं देख पाते हैं।
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