कवि के अनुसार पुष्प की क्या अभिलाषा है? - kavi ke anusaar pushp kee kya abhilaasha hai?

पुष्प की अभिलाषा कविता के लेखक “माखनलाल चतुर्वेदी” जी है। जिनका जन्म भारत के मध्यप्रदेश (MP) शहर के होशंगाबाद जिले मे हुआ था। माखनलाल चतुर्वेदी जी को कई भाषाओ का ज्ञान था, जिनमे से हिंदी, संस्कृत, गुजराती, निम्नलिखित है।

माखनलाल चतुर्वेदी जी के अधिकतर कवितायों मे देश प्रेम का भाव झलकता है। जो उन्हे सच्चा देशप्रेमी बनाता है। आज हम इस लेख मे माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित “पुष्प की अभिलाषा“ कविता पढेंगे।

कवि के अनुसार पुष्प की क्या अभिलाषा है? - kavi ke anusaar pushp kee kya abhilaasha hai?
कवि के अनुसार पुष्प की क्या अभिलाषा है? - kavi ke anusaar pushp kee kya abhilaasha hai?
Pushp ki Abhilasha Poem Hindi

“पुष्प की अभिलाषा” का अर्थ – पुष्प की अभिलाषा अर्थात ‘फूल की ईच्छा’ इस कविता मे माखनलाल चतुर्वेदी जी ने एक पुष्प (फूल) की ईच्छा कवितायों के माध्यम से प्रकट की है। जो देश की रक्षा करने वाले वीर सैनिको को समर्पित है। आइये इस कविता को पढते है। और संदर्भ सहित व्याख्या करते है।

पुष्प की अभिलाषा कविता

चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं प्रेंमी माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ।

चाह नहीं सम्राटों के शव,
पर, हे हरि डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवों के सिर पर,
चढ़ूँ ,भाग्य पर इठलाऊँ।

मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर तुम देना फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक

Pushp ki Abhilasha Poem

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पुष्प की अभिलाषा कविता संदर्भ सहित व्याख्या

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा भारती’ के पाठ 1 ‘पुष्प की अभिलाषा’ से ली गई है। इस कविता के लेखक  माखनलाल चतुर्वेदी जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने फूल की इच्छा को प्रकट किया है। जो देश की रक्षा करने वाले महान सैनिकों को समर्पित है।

पुष्प की अभिलाषा कविता की व्याख्या –

1- प्रथम पंक्ति में पुष्प अपनी (अभिलाषा) इच्छा प्रकट करते हुये कहता है की मेरी इच्छा देव कन्याओं के गहनों में पिरोये जाने की नहीं है और ना ही मेरी इच्छा वरमाला में पिरोकर दुल्हन को ललचाने की है।

2- द्वितीय पंक्ति में पुष्प कहता है कि हे ईश्वर ! मेरी इच्छा राजाओं के शवों पर डाले जाने कि नहीं है और ना ही मेरी इच्छा देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर घमंड करने की है। [ पढे- रामधारी दिनकर जी की प्रसिध्द कवितायें

3- तृतीय पंक्ति मे पुष्प वनमाली से कहता है कि हे वनमाली ! तुम मुझको तोड़कर उस मार्ग में फेंक देना, जहाँ अनेक वीर सैनिक अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए ,अपने जीवन को न्योछावर (बलिदान) करने के लिए गुजरते हैं।

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पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी की कविता


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पुष्प की अभिलाषा कविता का सारांश

प्रस्तुत पाठ या कविता  पुष्प की अभिलाषा , कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के द्वारा रचित है ⃒ कवि इस कविता के माध्यम से बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करना चाहते हैं ⃒ इस कविता में देशभक्ति को सर्वश्रेष्ठ माना गया है ⃒ कवि फूल के माध्यम से बच्चों में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने और बलिदान की भावना का स्फुरण करने का प्रयास किया है ⃒ कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी का मानना है कि जिस मार्ग पर होकर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले गुज़रते हैं, वह मार्ग अत्यधिक पवित्र हो जाया करता है... ⃒  



पुष्प की अभिलाषा कविता की व्याख्या भावार्थ अर्थ

कवि के अनुसार पुष्प की क्या अभिलाषा है? - kavi ke anusaar pushp kee kya abhilaasha hai?
पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं मैं सुरबाला के 

गहनों में गूँथा जाऊँ, 

चाह नहीं, प्रेमी-माला में 

बिंध प्यारी को ललचाऊँ, 

चाह नहीं, सम्राटों के शव 

पर हे हरि, डाला जाऊँ, 

चाह नहीं, देवों के सिर पर 

चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ ⃒

मुझे तोड़ लेना वनमाली !

उस पथ पर देना तुम फेंक, 

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने 

जिस पथ जावें वीर अनेक ⃒ 


व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के द्वारा रचित कविता  पुष्प की अभिलाषा  से उद्धरित हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने बच्चों में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए त्याग की भावना जागृत करने का प्रयास किया है ⃒ कवि उक्त पंक्तियों के माध्यम से पुष्प (फूल) को केंद्र में रखकर उसका आंतरिक भाव प्रकट करते हुए कहते हैं कि मेरी यह इच्छा नहीं है कि मैं किसी सुरबाला अर्थात् किसी सुन्दर स्त्री के गहनों में गूँथा जाऊँ ⃒ मैं नहीं चाहता हूँ कि दो प्रेमी जोड़ों के लिए माला सिर्फ बनकर रह जाऊँ ⃒ मेरी यह बिलकुल भी इच्छा नहीं कि सम्राटों के शव पर मुझे चढ़ाया जाए ⃒ बल्कि यह भी नहीं चाहता हूँ कि मुझे भगवान के चरणों पर स्थान मिले और मैं अपने भाग्य पर इठलाऊँ अर्थात् ख़ुद को भाग्यशाली समझूँ ⃒ पुष्प बल्कि वनमाली से यह कामना करता है कि तुम मुझे तोड़कर उस राह पर फेंक देना, जिस राह से मातृभूमि को शीश चढ़ाने अर्थात् अपना बलिदान देने वीरों का गुजरना हो ⃒ ताकि मैं उन वीरों के क़दमों तले आकर स्वयं पर गर्व  महसूस कर सकूँ... ⃒  




पुष्प की अभिलाषा कविता के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 – प्रत्येक प्रश्न के लिए चार विकल्प दिए गए हैं ⃒ सही विकल्प का चयन करके बॉक्स में लिखें ⃒ 

  • ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता से किस चीज़ की प्रेरणा मिलती है ? 

उत्तर- देशभक्ति 

  • पुष्प किसके गहनों की शोभा बनना नहीं चाहता है ? 

उत्तर- सुरबाला 

  • सम्राटों के शव पर कौन अर्पित नहीं होना चाहता है ? 

उत्तर- पुष्प 

  • किसके सिर पर चढ़कर पुष्प इठलाना नहीं चाहता ? 

उत्तर- देव 

  • मातृभूमि पर शीश कौन चढ़ा सकता है ? 

उत्तर- वीर 


प्रश्न-2 – फूल की क्या अभिलाषा है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पुष्प की अभिलाषा यह है कि उसे उस राह या पथ पर डाला जाए, जिस पथ पर मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व त्याग करने वाले वीर चला करते हैं ⃒ 


प्रश्न-3 – फूल को कहाँ-कहाँ चढ़ाया जाता है ? 

उत्तर- फूल को सम्राटों के शव पर और देवों के सिर पर चढ़ाया जाता है ? 


प्रश्न-4 – फूल वनमाली से क्या प्रार्थना करता है ? 

उत्तर- फूल वनमाली से यह प्रार्थना करता है कि तुम मुझे तोड़कर उस राह पर फेंक देना, जिस राह से मातृभूमि को शीश चढ़ाने अर्थात् अपना बलिदान देने वीरों का गुजरना हो ⃒ ताकि मैं उन वीरों के क़दमों तले आकर स्वयं पर गर्व महसूस कर सकूँ ⃒ 


प्रश्न-5 – वह वीरों के जाने वाले पथ पर क्यों बिछना चाहता है ? 

उत्तर- (फूल) उसके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत है और वह मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना बलिदान देने वाले वीरों को ही सच्चा नायक समझता है ⃒ इसलिए वीरों के जाने वाले पथ पर बिछना चाहता है ⃒ 


प्रश्न-6 – फूल के हृदय में देश-प्रेम की भावना है, यह किस बात से स्पष्ट होता है ? 

उत्तर- फूल के हृदय में देश-प्रेम की भावना है, यह इस बात से स्पष्ट होता है कि वह देश की रक्षा करने वाले वीरों के पथ पर बिछने को व्याकुल है, ताकि वीरों के क़दमों तले आकर ख़ुद पर गर्व महसूस कर सके और देशभक्ति का परिचय दे सके ⃒ 


प्रश्न-7 – यहाँ ‘वीर’ से क्या तात्पर्य है ? 

उत्तर- यहाँ ‘वीर’ से तात्पर्य उस सैनिक अथवा योद्धा से है, जो मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर देता है ⃒ 


प्रश्न-8 –  सुरबाला कौन होती होती है ? उसके गहने कैसे होते हैं ? 

उत्तर- सुरबाला ‘अप्सरा’ होती है अर्थात् जिसे देवकन्या या देवी भी कहा जाता है ⃒ सुरबाला के गहने स्वर्णों के होते हैं, जो गहने उनके पूरे शरीर में सु-शोभित होते हैं ⃒ 

पुष्प की अभिलाषा क्या है लिखिए उत्तर?

पुष्प के कई तरह के उपयोग है किन्तु पुष्प की अभिलाषा यह है कि म्रातभूमि के प्राणोत्स्रग करने वालों के पथ पर ही उसे डाला जाए। अर्थात पुष्प आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों के पैरों तले मसलाना पसंद करता है। यही उसकी इच्छा है।

पुष्प की अभिलाषा के कवि कौन है?

कवि के व्यक्तित्व को बहुत सीमा तक उसके द्वारा लिखे काव्य से समझा जा सकता है। हिंदी हैं हम की श्रृंखला में आज हम बात करेंगे उक्त पंक्तियों को लिखने वाले महाकवि माखनलाल चतुर्वेदी के बारे में। माखनलाल चतुर्वेदी की लिखी इन पंक्तियों से यह जाना जा सकता है कि वह 'पुष्प की अभिलाषा' के माध्यम से अपने अंतस की बात कह रहे हैं।

पुष्प की अभिलाषा कविता के द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहते हैं स्पष्ट कीजिए?

'पुष्प की अभिलाषा' कविता में कवि ने देश के प्रति समर्पित होने का संदेश दिया है। पुष्प के माध्यम से कवि ने प्रेरणा दी है कि हमें अपने देश के लिए त्याग-बलिदान करने में पीछे नहीं रहना चाहिए। हमें अपने देश पर स्वयं को बलिदान करने के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।

पुष्प की अभिलाषा कविता की मुख्य भावना क्या है?

'पुष्प की अभिलाषा' शीर्षक कविता में फूल के माध्यम से कवि ने युवाओं में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत करने का प्रयास किया, जिसके बाद ऐसी वैचारिक क्रांति हुई जो स्वतंत्रा प्राप्ति की राह मे सहायक साबित हुई. आज भी पंडित माखन लाल चतुर्वेदी की यादों को केंद्रीय जेल में संजो कर रखा गया है.