ते ही पूत अनोखो जायो पंक्ति के द्वारा गोपी के मन के कौन से भाव प्रकट हो रहे हैं *? - te hee poot anokho jaayo pankti ke dvaara gopee ke man ke kaun se bhaav prakat ho rahe hain *?

बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?


बालक श्रीकृष्ण चोटी बड़ी होने के लोभ में दूध पीने के लिए तैयार हुए।

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दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?


दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी को अधिक पसंद करते हैं।

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मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?


मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा देते थे क्योंकि मक्खन ऊँच टंगे छींकों की हांडियों में पड़ा होता था और श्रीकृष्ण छोटे बालक थे। छोटे-छोटे हाथों से जब ऊपर चढ़कर छींके से मक्खन चुराते व साथियों को खिलाते तो जल्दी-जल्दी में थोड़ा-बहुत बिखर जाता था।

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श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?


श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि कब उनकी चोटी बड़ी होगी; कब यह लंबी और मोटी होगी; कब यह गूँथने पर जमीन पर नागिन की तरह लोटेगी

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‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’-पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?


‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’ अर्थात् गोपी का यशोदा को यह कहना कि क्या तुम्हारा पुत्र ही अनोखा है? इसमें गोपी का शिकायत रूप में उलाहना का भाव मुखरित हो रहा है। 

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तैं ही पूत अनोखो जायो इस पंक्ति का क्या भाव है?

प्रश्न 4: 'तैं ही पूत अनोखौ जायौ'- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं? उत्तर : यहाँ पर ग्वालन के हृदय में यशोदा के लिए ईर्ष्या (जलन) की भावना व क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं।

तैं ही पूत अनोखो जायौ *

सूरदास कहति ब्रजनारि, पूत अनोखो जायो । " बालक-कृष्ण की दधि-चोरी की लीला का वर्णन है ।

तै ही पूत अनोखौ जायौ गोपी के इस कथन में कौन सा भाव निहित है?

'तैं ही पूत अनोखी जायौ' अर्थात् गोपी का यशोदा को यह कहना कि क्या तुम्हारा पुत्र ही अनोखा है? इसमें गोपी का शिकायत रूप में उलाहना का भाव मुखरित हो रहा है। बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए? बालक श्रीकृष्ण चोटी बड़ी होने के लोभ में दूध पीने के लिए तैयार हुए।

तैं ही पूत अनोखी जायौ पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन से भाव मुखरित हो रहे हैं short answer?

'तैं ही पूत अनोखी जायौ' – पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं? में यशोदा के लिए कृष्ण जैसा पुत्र पाने पर ईर्ष्या की भावना व कृष्ण के उनका माखन चुराने पर क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही हैं