जटिल ऊतक क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं? - jatil ootak kya hai yah kitane prakaar ke hote hain?

हेलो फ्रेंड्स मेरा प्रश्न है जटिल ऊतक किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं प्रत्येक का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए तो दोस्त आइए देखते हैं सबसे पहले जटिल ऊतक क्या होते हैं तो दोस्तों एक प्रकार के 1 प्रकार के विशेष कार्य करने वाले विशेष कार्य करने वाले विभिन्न प्रकार के विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं वाले जो उत्तक होते हैं इन उत्तक को कहते हम जटिल ऊतक दोस्तों यह तक एक ही प्रकार के होते हैं विशिष्ट कार्य के लिए योग बने होते हैं लेकिन इनमें विभिन्न

सर की कोशिकाएं पाई जाती हैं जिन्हें हम जटिल ऊतक कहते हैं यह उत्तर युग में पौधों में उपस्थित होते हैं कितने युग में भेद पादप में पाए जाते हैं अब हम देखते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं कितने प्रकार के होते हैं दो प्रकार के होते हैं जाइलम तथा दूसरा होता है फ्लोएम यह दो होते हैं जब तक सुखी एवं उत्पादक केंद्र उपस्थित होते हैं आइए देखते हैं चित्र की सहायता से यह कैसे होते हैं चित्र में हम देख सकते हैं यह है हमारा इस तरफ जाइलम ऊतक किस तरफ है हमारा फ्लोएम उत्तक दोस्तों जाइलम जो होता है जाइलम ऊतक जो होता है यह पौधों में जल

तथा खनिज जो खनिज और जल होते हैं इनका क्या करता है यह सम्मोहन करने का कार्य करता है तथा जो हमारा स्वयं होता है फ्लोएम उत्तक यह पतियों द्वारा तैयार भोजन को पौधे के सभी भाग तक पहुंचाने का कार्य करता है यह हमारा फ्लोएम उत्तक होता है तो दोस्तों जाइलम ऊतक जो होते हैं यह हमारे मृत कोशिका से बने होते हैं तथा इनमें सजीव कोशिकाएं पाई जाती हैं तो दोस्तों इसमें क्या होता है जाइलम के अंदर एक ही दिशा में गति होती है केवल ऊपर की ओर जल व खनिज की गति होती है लेकिन चमारा पोयम होता है इसमें ऊपर की ओर था नीचे की ओर दोनों प्रकार की गति पाई जाती है किस में हमारे फ्रॉम में हम देख सकते हैं यह जो

पोषक पदार्थ बनी है यह ऊपर से लेकर नीचे तक स्थानांतरित होते हैं इसके बाहरी खोल में यह जो कोशिकाएं है यह व्रत होती है इसके बाहरी खोल की कोशिकाएं कैसी होती है दोस्तों सजीव होती है इसमें चल नहीं आ नहीं पाई जाती हैं चार्ली नलिका नहीं होती है तथा इसमें चालनी नलिका पाई जाती है तो दोस्तों यह थे जाइलम तथा फ्लोएम आशा करते हैं आपको इस प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

हेलो स्टूडेंट आपके सामने एक प्रश्न दिया है कि जटिल उत्तक क्या है पौधे में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जटिल उतको के नाम लिखो तो देखिए कि जटिल ऊतक क्या होते हैं तो हम कह सकते हैं एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से बने हैं कुत्ता के जो एक विशिष्ट कार्य है करते हैं उन्हें

जटिल उत्तक कहा जाता है और आपको जटिल ऊतकों के नाम पूछे हैं तो पादप में जटिल उत्तर दो प्रकार के होते हैं एक तो होता है जाइलम और दूसरा उत्तक जो होता है उसे हम कहते हैं फ्लोएम दो प्रकार होते हैं जाइलम जो होता है वह जल का सम्मान करता है जबकि स्वयं जो होता है वह खाद्य पदार्थ का सेवन करता है

हेलो फ्रेंड कृष्ण है डांस जटिल ऊतक के प्रकार है तो दोस्तों सबसे पहले तो जान लेते हैं जटिल ऊतक क्या होता है फिर उसके प्रकार देखेंगे जब तक तुझे टेलर तत्व होते हैं जिसमें जो कोशिकाएं पाई जाती है ठीक है यानि कि उसकी जो सुताके जो कोशिकाएं होती है एक से अधिक प्रकार की होती है कैसी होती है एक से उसको ठीक से लिख लेंगे एक से अधिक अधिक प्रकार की कोशिका या सलून में जब पाई जाती है तो वह तक जटिल ऊतक क्या है इसका बहुत अच्छा उदाहरण दो प्रकार के रहते हैं ठीक है जाइलम और फ्लोएम जाइलम और फ्लोएम जाकर बात करते हैं तो इसमें चार प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जैसे कि जैसे कि वाहिका को ठीक से लिख लेंगे जैसे कि वाहिका और वाहिनी का टीका और भी होती हैं जाइलम तंतु ठीक है इस तरीके से उस तरीके

फ्लोएम में होती है चालनी नलिका चालनी नलिका टिकट सहायक कोशिका सहायक कोशिका इस तरीके से इनमें अलग अलग तरीके की कोशिकाएं मिलकर जाइलम और फ्लोएम बनाती है जाइलम का काम होता है जड़ से जो जल और खनिज जो जनों ने अवशोषित किया है उसको पौधे के सभी भाग तक पहुंचाना सभी भाग तक पहुंचाना और फ्लोएम का काम होता है पति द्वारा तैयार भोजन जो होता है उसको जड़ तक और पौधे के सभी भाग तक पहुंचाना ठीक है तो हम ऊपर से नीचे की और सम्मान करता है और जड़ या फिर हम कहेंगे जाइलम नीचे से ऊपर की और सम्मान करता है संवहन उत्तक होता है जो कि जटिल ऊतक के प्रकार है तो हमारा उत्तर में जाता है यहां रिक्त स्थान में क्या आएगा जाइलम जाइलम और फ्लोएम आशा करते हैं कुछ प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

जटिल ऊतक क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं? - jatil ootak kya hai yah kitane prakaar ke hote hain?

Dileep Vishwakarma

दो या अधिक प्रकार की कोशिकाएं जब परस्पर मिलकर एक ही कार्य संपन्न करती है तो जटिल ऊतक कहते हैं पौधे में पाए जाने वाला संवहन उत्तक जटिल ऊतक का उदाहरण है इसके अंतर्गत जाइलम तथा फ्लोएम आते हैं पौधे में जाइलम तथा फ्लोएम संवहन बंडल के रूप में व्यवस्थित होते हैं।

जटिल ऊतक क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं? - jatil ootak kya hai yah kitane prakaar ke hote hain?

Dileep Vishwakarma

दो या अधिक प्रकार की कोशिकाएं जब परस्पर मिलकर एक ही कार्य संपन्न करती है तो जटिल ऊतक कहते हैं पौधे में पाए जाने वाला संवहन उत्तक जटिल ऊतक का उदाहरण है इसके अंतर्गत जाइलम तथा फ्लोएम आते हैं पौधे में जाइलम तथा फ्लोएम संवहन बंडल के रूप में व्यवस्थित होते हैं।

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जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम

जटिल ऊतक क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं? - jatil ootak kya hai yah kitane prakaar ke hote hain?

Hey Biology Lovers, आज के हमारे ब्लॉग का शीर्षक है जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Xylem And Phloem in Hindi), आज हम जटिल ऊतकों में बारे में जानकारी प्राप्त करेगें।

जटिल ऊतक (Complex Tissue):

एक ही प्रकार के विशेष कार्य करने वाले विभिन्न प्रकार के कोशिकाओं का समूह जटिल ऊतक कहलाता है। ये ऊतक विषमांगी (Heterogeneous) प्रकृति के होते है। ये ऊतक युग्मकोद्भिद (Gametophyte) में अनुपस्थित होते है।
इसे दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है:

  1. जाइलम (Xylem)
  2. फ्लोएम (Phloem)
  • जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Xylem And Phloem in Hindi)

A. जाइलम (Xylem):

 

Xylem शब्द नागेली द्वारा दिया गया था। यह पादप में पानी और खनिज के परिवहन का कार्य करता है। यह फ्लोएम (Phloem) के साथ मिलकर संवहन बंडलों (Vascular Bundle) का निर्माण करता है। इसमें दोनों मृदूतक (Parenchyma) और स्थुलकोणोतक (Collenchyma) कोशिकाएं पायी जाती हैं। अवयव के आधार पर जाइलम को प्राथमिक जाइलम (Primary xylem) और द्वितीयक जाइलम (Secondary xylem)  में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राथमिक जाइलम पादप के शरीर की प्राथमिक वृद्धि (Primary growth) में उपस्थित होते है, और प्राक एधा (Procambium) की कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। यह प्रोटोजाइलम (Protoxylem) और मेटाजाइलम (Metaxylem) में विभेदित होता है। पादप की द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) के कारण द्वितीयक जाइलम (Secondary Xylem) का निर्माण होता है।
यह चार घटकों से बना है –
(ए) वाहिनिकाएं (Tracheid)
(बी) वाहिकाएं (Vessels)
(सी) जाइलम तंतु (Xylem Fibres)
(डी) जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma)

 (ए) वाहिनिकाएं (tracheid):

वाहिनिकाएं (tracheid) पानी के परिवहन में मदद करती है। यह यांत्रिक सहारा (Mechanical Support) और लकड़ी का निर्माण भी करती है। ये लम्बी, संकीर्ण गुहा, तथा नुकीले सिरों वाली कोशिकाएँ है। इनकी कोशिका भित्ती में लिग्निन का जमाव होता है। कोशिका भित्ति में स्थूलन (thickening) वलयाकार (Annular), सर्पिल (Spiral), सोपानवत् (Scalariform), जालिकावत (Reticulate), या गर्ती (Pitted) प्रकार का हो सकता है। वाहिनिकाएं (tracheid) टेरिडोफाइट, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्मों में पाए जाते हैं। वाहिनिकाएं (tracheid) एक दूसरे के ऊपर जुड़कर लंबी पंक्ति बनाते हैं परन्तु आपस में क्रॉस भित्ति द्वारा अलग रहते है।

(बी) वाहिकाएं  (Vessels):

ये लम्बी, चौड़े सिरे वाली, तथा चौड़ी अवकाशिका वाली बेलनाकार तत्व हैं। ये पानी के संवहन में पाइप लाइन की तरह कार्य करती है। इनकी कोशिका भित्ति पर लिग्निन का जमाव होता हैं, और जमाव या स्थूलन (thickening) वलयाकार, सर्पिल, सोपानवत या जालीदार हो सकता है। कोशिका भित्ती में कई परिवेशित गर्त (Boarded Pits) होते हैं। वाहिकाओं की अंत: भित्ती छिद्रित प्लेटों के रूप में पायी जाती है। वाहिकाएं  (Vessels) कठोर लकड़ी या छिद्रित लकड़ी का निर्माण करती हैं। संकीर्ण अवकाशिका या गुहा वाली वाहिकाएं  (Vessels) प्रोटो जाइलम में और  चौड़ी अवकाशिका या गुहा वाली वाहिकाएं  (Vessels) मेटा जाइलम में जाती है। वाहिकाएं  (Vessels) पानी के परिवहन, पादप को यांत्रिक सहारा और लकड़ी का निर्माण का कार्य करती है।
आम तौर पर वाहिकाएं  (Vessels) सभी एंजियोस्पर्म में पायी जाती हैं। लेकिन winteraceae, Tetracentraceae, Trochodendraceae कुल में नहीं पायी जाती और जिम्नोस्पर्म में यह अनुपस्थित होती है। लेकिन Gnetum, Welwitschia and Ephe­dra में पाया जाता है। Yucca, Dracaena, Dejineria, में वाहिकाएं  (Vessels) अनुपस्थित होती हैं।

(सी) जाइलम तंतु (Xylem Fibres) Xylem:

ये जाइलम में पाए जाने वाली मृत दृढ़ोतक कोशिकाएँ है। ये लंबे, मोटी लिग्निन युक्त कोशिका भित्ती और नुकीले सिरों कोशिकाएँ हैं। इनकी मात्रा द्वितीयक जाइलम में अधिक होती है यह यांत्रिक सहारा प्रदान करती है।

 (डी) जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma):

यह जाइलम का जीवित घटक हैं। ये मृदूतकी, पतली कोशिका भित्ती वाली, अंडाकार या लम्बी कोशिकाएँ है, जो प्राथमिक और द्वितीयक जाइलम दोनों में पायी जाती हैं। यह मुख्य रूप से स्टार्च और वसा को संग्रहीत करने में मदद करता है। यह मज्जा किरणों के गठन करता है। जो पानी का उसके परिधीय भागो में यानी अरीय संवहन करता है
चार घटकों में से केवल xylem parenchyma जीवित है और बाकी सभी भाग मृत होते हैं।
 

जाइलम के कार्य:

  1. वाहिनिकाएं (tracheid) तथा वाहिकाएं  (Vessels) पादप की जड़ो से ऊपर पत्तियों की ओर पानी और खनिज के प्रवाह का कार्य करते हैं। ये क्रमशः नरम (Soft) और कठोर लकड़ी (Hard Wood) के निर्माण में मदद करते हैं।
  2. जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma) भोजन का संग्रहण करता है।
  3. जाइलम तंतु (Xylem Fibres) यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।

B. फ्लोएम (Phloem):

शब्द फ्लोएम (Phloem) नागेली द्वारा गया। यह स्थायी जीवित जटिल ऊतक है। इसके द्वारा पादप के विभिन्न भागों में पत्तियों से प्रकाश संश्लेषण उत्पाद का सूक्रोज के रूप में स्थानांतरण किया जाता है। इसे बास्ट या leptome भी कहा जाता हैं।
उद्भव के आधार पर फ्लोएम को प्राथमिक फ्लोएम और द्वितीयक फ्लोएम में बांटा जाता है प्राथमिक फ्लोएम प्राक एधा (Pro-cambium) से और द्वितीयक फ्लोएम संवहन एधा (Vascular Cambium) से होता है
विकास के आधार पर प्राथमिक फ्लोएम को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है, जिनको प्रोटोफ्लोएम   व मेटाफ्लोएम कहते है। प्रोटोफ्लोएम में संकरी चालनी नलिका जबकि मेटाफ्लोएम में बड़ी चालनी नलिका होती है ।
Phloem चार घटकों से बना है-
(ए) चालनी नलिका (Sieve Tubes)
(बी) साथी कोशिकाएं  (Companion Cells)
(सी) फ्लोएम मृदूतक (Phloem parenchyma)
(डी) फ्लोएम तंतु (Phloem Fibres)

 (ए) चालनी नलिका (Sieve Tubes)  :

ये लम्बी बेलनाकार एवं  जीवित कोशिका है। जो नलिका की तरह दिखाई देती है। ये सेल्यूलोज की पतली भित्ती युक्त कोशिकाएँ है। परिपक्व चालनी नलिका (Sieve Tubes)  में केन्द्रक अनुपस्थिति होता हैं, और जीवद्रव्य में बड़ी रिक्तिका पायी जाती है। जिम्नोस्पर्म में, चालनी नलिका (Sieve Tubes)  के स्थान पर चालनी कोशिका (Sieve Cell) होती हैं। दो चालनी नलिका (Sieve Tubes)  के बीच कई छिद्रित चलानी प्लेटें पायी जाती हैं।
सर्दियों के मौसम के दौरान एक पॉलिसैक्रेराइड पदार्थ जिसका नाम callose है,  चालनी प्लेटों पर जमा हो जाता है। जिसे केलोज प्लग कहते है। ये केलोज प्लग भोजन के परिवहन को रोकते हैं। वसंत की वापसी पर, एंजाइम callase की मदद से केलोज प्लग का अपघटन हो जाता है। और भोजन का  परिवहन फिर से शुरू हो जाता और पौधे के विकास की शुरुआत हो जाती हैं। callose β-1,3- glucan होता है
चालनी नलिका जीवित सिनसाइट जबकि वाहिनिकाएं मृत सिनसाइट है।
 

(बी) साथी कोशिका (Companion Cells):

ये लम्बी, संकीर्ण, पतली भित्ती वाली जीवित कोशिकाएँ होती है जो चलनी नलिका से जुड़ी हुई होती है। चालनी नलिका (Sieve Tubes)  और साथी कोशिका गर्त के माध्यम से जुड़ी हुई होती हैं। जिम्नोस्पर्म में साथी कोशिकाओं की जगह एल्बुमिन्स कोशिकाएं / स्ट्रासबर्गर कोशिका पायी जाती हैं। साथी कोशिकाएं  (Companion Cells) चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes)के साथ भोजन के परिवहन में मदद करती हैं। साथी कोशिकाओं का केन्द्रक चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes)के कार्य को नियंत्रित करता है। क्योंकि चालनी नलिकाओं (Sieve Tubes) में केन्द्रक नहीं पाया जाता। Austrobaileya एक एंजियोस्पर्म है, जिसमें साथी कोशिका नहीं पायी जाती।

 (सी) फ्लोएम मृदूतक(Phloem Parenchyma):

यह लम्बी, नुकीले, जीवित, मृदूतकी कोशिका है। यह सभी एकबीजपत्री पादपो और द्विबीजपत्री रैननकुलस में अनुपस्थित होती है। बास्ट मृदूतक भी कहलाता हैं।

(डी) फ्लोएम  तंतु(Phloem Fibres):

ये मृत लम्बी दृढ़ोतक कोशिकाएं हैं। जो लिग्निन के जमाव वाली, गर्त युक्त भित्ती वाले होते हैं। यह चालनी तत्वों (चालनी कोशिका व चालनी नलिका (Sieve Tubes)) को दृढ़ता प्रदान करता है। ये प्राथमिक में फ्लोएम (Phloem) अनुपस्थित  और द्वितीयक फ्लोएम (Secondary Phloem) में पाये जाते हैं। यह यांत्रिक सहारा प्रदान करने का कार्य करता है।

  चार घटकों में से केवल फ्लोएम तंतु मृत होता है और बाकी सभी जीवित होते हैं।

फ्लोएम (Phloem)  के कार्य:

  1. यह पादप के शीर्ष से आधार तक भोजन का स्थानांतरण करता है।
  2. द्वितीयक फ्लोएम (Secondary Phloem) तंतु जैसे जूट तंतु आर्थिक मूल्य के हैं।
  3. फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma) रेजिन, लैटेक्स एवं म्युसिलेज आदि का संग्रहण करता है
  4. फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma) भोजन का अरीय संवहन करता है
  • जटिल ऊतक – जाइलम एवं फ्लोएम (Xylem And Phloem in Hindi)

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Reference and Source-
NCERT Books
BSER Books
wikimedia

जटिल उत्तक कितने प्रकार के होते हैं?

पौधों में दो प्रकार के जटिल ऊतक पाए जाते हैं : जाइलम तथा फ्लोएम।

जाइलम और फ्लोएम क्या होता है?

जाइलम एक संवहनी ऊतक है जो पानी और विघटित खनिजों को जड़ से अवशोषित कर शेष पौधे तक पहुँचाता है और फ्लोएम एक संवहनी ऊतक है जो पौधे के हरे भागों से पौधे के बाकी हिस्सों में प्रकाश संश्लेषण के दौरान तैयार घुलनशील कार्बनिक यौगिकों को स्थानांतरित करता है.

1 ऊतक क्या है?

ऊतक किसे कहते हैं – कोशिकाओं का वह समूह, जिनकी उत्पत्ति, संरचना एवं कार्य समान हों, 'ऊतक' ( Tissue ) कहलाता है। ऊतकों का अध्ययन हिस्टोलॉजी या औतकीय में किया जाता है। ये जन्तु एवं वनस्पति में भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं।

जाइलम कितने प्रकार के होते हैं?

जाइलम एक ऐसा जटिल स्थाई ऊतक है जो संवहन बंडल के अन्दर पाया जाता है। जाइलम जल के संवहन में प्रमुख भूमिका अदा करता है। रसारोहण की क्रिया जाइलम के भीतर से होती है। इसका निर्माण चार प्रकार की कोशिकाओं से हुआ है।.
वाहिनिकाएँ.
वाहिकाएं.
जाइलम तन्तु.
जाइलम मृदूतक.