Updated: | Thu, 10 Dec 2015 04:00 AM (IST) Show सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए सरकार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के नये महानिदेशक की दरकार है। अहम पदों की नियुक्तियों के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी फैसला करेगी। इसी के तहत गठित उच्च स्तरीय समिति भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के नये महानिदेशक की तलाश में जुट गई है। समिति की पहली बैठक हो चुकी है, जिसमें यह तय हो गया कि निवर्तमान महानिदेशक का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डाक्टर एस. अयप्पन का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लेकिन सेवानिवृत्ति की उनकी आयु अभी दो साल बाकी है। इसलिए उनके सेवा विस्तार की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय सर्च कमेटी की पहली बैठक में अयप्पन को बनाये रखने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद अब सर्च कमेटी संभावित उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक सभी प्रमुख शोध संस्थानों, विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थाओं में उपयुक्त उम्मीदवारों के नाम सुझाने को कहा गया है। सर्च कमेटी बिना किसी आवेदन के भी उम्मीदवार का नाम शामिल कर सकती है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा महानिदेशक अयप्पन का कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। इसके लिए नए डीजी की तलाश में चालू है। कृषि वैज्ञानिकों के बीच इस पद को लेकर लॉबिंग शुरू कर दी गई है। कृषि वैज्ञानिकों के बीच इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अयप्पन को किसी और पर समायोजित किया जा सकता है। अटकलें इस बात की है कि उन्हें राष्ट्रीय किसान आयोग में सदस्य नामित किया जा सकता है। आयोग में सदस्य का कार्यकाल पांच साल का होता है। कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन के प्रस्ताव को अभी सरकार की मंजूरी नहीं मिल पाई है। कृषि अनुसंधान को लेकर लगातार उंगली उठ रही है। एक सौ से अधिक शोध संस्थान, निदेशालय और साढ़े छह सौ से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र होने के बावजूद कृषि शोध के क्षेत्र में देश पिछड़ा हुआ है। 15 से 20 फीसदी तकनीशियनों और वैज्ञानिकों के पद खाली चल रहे हैं। कृषि शिक्षा का हाल और भी खराब है। राज्यों के अधीन चल रहे कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षा का स्तर लगातार घटा है। इक्का-दुक्का विश्वविद्यालयों को छोड़ दें तो सबके हालात बुरे हैं। Posted By:
सन् १९२७ में पूसा बिहार स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का दृश्य 'पूसा संस्थान' के नाम से लोकप्रिय भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना मूल रूप से पूसा (बिहार) में एक अमेरिकी समाजसेवक मि. हेनरी फिप्स द्वारा दिये गए 30,000 पाउन्ड् के सहयोग से 1905 में हुई थी। मूल रूप में यह संस्थान 'इम्पीरियल कृषि अनुसंधान संस्थान' (Imperial Agriculture Research Institute) था जो ब्रिटिश काल में में स्थापित किया गया था। सन् १९३४ में बिहार में एक भयंकर भूकंप आया जिसमें इस संस्थान के मुख्य भवनों को काफी क्षति हुई। इसके परिणामस्वरूप उसी वर्ष इस संस्थान को नयी दिल्ली स्थानान्तरित कर दिया गया जिसे 'पूसा कैम्प्स' कहा गया। आगे चलकर दिल्ली स्थित यह संस्थान का नाम 'भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान' (Indian Agricultural Research Institute) कर दिया गया। और पूसा में जो कुछ बचा रहा उसे पदावनत (downgrade) करके 'कृषि अनुसंधान स्टेशन' (agricultural research station) कहा जाने लगा। अन्तत: ३ दिसम्बर सन् १९७० को भारत सरकार ने इसी को नामान्तरित करके 'राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय' के रूप में बदल दिया। विशेषज्ञता[संपादित करें]
पता: नई दिल्ली[संपादित करें]
ईमेल: इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
आईसीएआर के वर्तमान महानिदेशक कौन है 2022?आज डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने डॉ. एस. अय्यप्पन से सचिव, कृषि अनुसंधान व शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का कार्यभार ग्रहण कर लिया।
वर्तमान में ICAR के अध्यक्ष कौन है?श्री नरेंद्र सिंह तोमर , केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री और अध्यक्ष, भा. कृ. अनु.
आईसीएआर का पूरा नाम क्या है?रॉयल कमीशन की कृषि पर रिपोर्ट के अनुसरण में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत और 16 जुलाई, 1929 को स्थापित इस सोसाइटी का पहले नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च था। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का मुख्यालय नई दिल्ली स्थित है।
हिमांशु पाठक कौन है?हिमांशु पाठक को कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डेयर) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) का नया सचिव एवं महानिदेशक नियुक्त किया गया है। डॉ. पाठक आज डॉ. त्रिलोचन महापात्र से सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप का पदभार ग्रहण किया।
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