पीपल की जड़ क्या काम में आती है? - peepal kee jad kya kaam mein aatee hai?

पीपल (संस्कृत: अश्वत्थ) भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद, या गूलर की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है तथा अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। बरगद और गूलर वृक्ष की भाँति इसके पुष्प भी गुप्त रहते हैं अतः इसे 'गुह्यपुष्पक' भी कहा जाता है। अन्य क्षीरी (दूध वाले) वृक्षों की तरह पीपल भी दीर्घायु होता है।[1] इसके फल बरगद-गूलर की भांति बीजों से भरे तथा आकार में मूँगफली के छोटे दानों जैसे होते हैं। बीज राई के दाने के आधे आकार में होते हैं। परन्तु इनसे उत्पन्न वृक्ष विशालतम रूप धारण करके सैकड़ों वर्षो तक खड़ा रहता है। यह रात मे ऑक्सीजन प्रदान नही करता। पीपल की छाया बरगद से कम होती है, फिर भी इसके पत्ते अधिक सुन्दर, कोमल और चंचल होते हैं। वसंत ऋतु में इस पर धानी रंग की नयी कोंपलें आने लगती है। बाद में, वह हरी और फिर गहरी हरी हो जाती हैं। पीपल के पत्ते जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं, विशेष रूप से हाथियों के लिए इन्हें उत्तम चारा माना जाता है। पीपल की लकड़ी ईंधन के काम आती है किंतु यह किसी इमारती काम या फर्नीचर के लिए अनुकूल नहीं होती। स्वास्थ्य के लिए पीपल को अति उपयोगी माना गया है। पीलिया, रतौंधी, मलेरिया, खाँसी और दमा तथा सर्दी और सिर दर्द में पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों और सीकों का प्रयोग का उल्लेख मिलता है।[2]

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भारतीय संस्कृति में पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। स्कन्द पुराण में वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।[क] पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है। भगवान कृष्ण कहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ।[ख] स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्व को व्यक्त किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।[ग] पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं। पीपल वृक्ष की प्रार्थना के लिए अश्वत्थस्तोत्र में पीपल की प्रार्थना का मंत्र भी दिया गया है। [घ] प्रसिद्ध ग्रन्थ व्रतराज में अश्वत्थोपासना में पीपल वृक्ष की महिमा का उल्लेख है। अश्वत्थोपनयनव्रत में महर्षि शौनक द्वारा इसके महत्त्व का वर्णन किया गया है। अथर्ववेदके उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है। श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापर युग में परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए। यज्ञ में प्रयुक्त किए जाने वाले 'उपभृत पात्र' (दूर्वी, स्त्रुआ आदि) पीपल-काष्ट से ही बनाए जाते हैं। पवित्रता की दृष्टि से यज्ञ में उपयोग की जाने वाली समिधाएं भी आम या पीपल की ही होती हैं। यज्ञ में अग्नि स्थापना के लिए ऋषिगण पीपल के काष्ठ और शमी की लकड़ी की रगड़ से अग्नि प्रज्वलित किया करते थे।[3] ग्रामीण संस्कृति में आज भी लोग पीपल की नयी कोपलों में निहित जीवनदायी गुणों का सेवन कर उम्र के अंतिम पडाव में भी सेहतमंद बने रहते हैं।[4]

Somvati Amavasya Vrat (सोमवती अमावस्या व्रत )

जब अमावस्या (हिंदू कैलेंडर महीने के पन्द्रहवें दिन) हिन्दू कैलेंडर वर्ष में सोमवार को पड़ती है। इस दिन पवित्र पीपल के पेड़ की १०८ बार परिक्रमा कर महिलाएं व्रत रख कर पूजन करती हैं।

नई दिल्ली: ZEE आध्यात्म में हम प्राकृतिक औषधियों की बात करते हैं. ऐसे पेड़-पौधे जिनका प्रयोग शरीर को निरोग रखने में किया जा सकता है. प्रकृति आपके जीवन का एक अहम हिस्सा है. हम आज पीपल के पवित्र वृक्ष के बारे में बताएंगे जो अपनी प्राणवायु के लिए जाना जाता है. आयुर्वेद की सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में पीपल के औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है. पीपल के अलग-अलग हिस्सों जैसे पत्ते, छाल के इस्तेमाल से बुखार, अस्थमा, खांसी, त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं से राहत पाई जा सकती है. 

पीपल का पेड़ अपने विशाल आकार और घनी छाया के लिए जाना जाता है। हवा चलने पर इसकी पत्तियों से तालियों के बजने जैसी आवाज आती है, लेकिन इन्हीं पीपल की पत्तियों के स्वास्थ्य संबंधी कई ऐसे फायदे हैं, जो आपको स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं। पीपल का वैज्ञानिक नाम फिकस रेलिगिओसा (ficus religiosa) होता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख के जरिए आपको पीपल के पत्ते के उपयोग से लेकर पीपल के पत्ते के फायदे और पीपल के पत्ते के नुकसान के बारे में जानकारी दी जा रही है।

चलिए जानते हैं कि पीपल के पत्ते के फायदे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में कैसे काम आ सकते हैं।

विषय सूची


पीपल के पत्ते के फायदे – Benefits of Peepal Leaves in Hindi

पीपल के पत्ते के फायदे कुछ इस प्रकार स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकते हैं।

1. अस्थमा में

यह सांस की समस्या से जुड़ी परेशानी होती है, जिसमें फेफड़ों के रास्ते में सूजन और कसाव उत्पन्न हो जाता है। इससे गले में घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी होती है (1)। अस्थमा की समस्या में पीपल के पत्ते के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह देखा गया कि पीपल के पत्ते के अर्क में ऐसे विशेष गुण पाए जाते हैं, जो ब्रोंकोस्पास्म (bronchospasm – अस्थमा की एक स्थिति) पर प्रभावी असर दिखा सकता है (2)।

एक अन्य वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह देखा गया है कि पीपल के पत्ते और फल में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो अस्थमा को ठीक करने में मददगार साबित हो सकते हैं। अस्थमा के इलाज के लिए पीपल के पत्ते का जूस और इसके फल का चूर्ण लेने की सलाह दी जाती है (3)।

2. पेट दर्द में

आपने अपने पेट में दर्द का अनुभव कभी न कभी जरूर किया होगा, लेकिन अगर आपके आसपास पीपल का पेड़ है, तो अगली बार आप इस समस्या से नहीं जूझेंगे। एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह देखा गया है कि पीपल के पत्ते में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक (analgesic – दर्द निवारक गुण) गुण पाए जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के दर्द और सूजन की समस्या को ठीक कर सकते हैं (4)।

एक अन्य वैज्ञानिक में यह देखा गया है कि पीपल का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में पेट दर्द की दवा बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है (5)।

3. फटी हुई एड़ियों के लिए

आपने कभी न कभी अपने किसी करीबी या परिवार के सदस्यों में फटी हुई एड़ियों की समस्या जरूर देखी होगी। इस समस्या में पीपल का फायदा देखा जा सकता है। फटी एड़ियों के लिए आप पीपल की छाल का इस्तेमाल कर सकते हैं (6)। दरअसल, पीपल की छाल में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जिस कारण इसे फूट क्रीम (पैरों के लिए) को तैयार करने में भी इस्तेमाल किया जाता है (7)।

4. डायरिया की समस्या में

डायरिया की स्थिति में इंसान बहुत थका हुआ महसूस करने लगता है, क्योंकि डायरिया में पतले दस्त होने लगते हैं। दिनभर में तीन या अधिक बार दस्त होना डायरिया के लक्षण माने जाते हैं (8)। इस समस्या से उबरने के लिए आप पीपल की छाल का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि पीपल की छाल में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। अगर इसकी छाल से निकलने वाले अर्क का सेवन किया जाए, तो यह डायरिया की समस्या को प्रभावी रूप से ठीक कर सकता है (3)।

5. दांतों के लिए

पीपल के लाभ दांतों के लिए भी उपयोग में लाए जा सकते हैं। पीपल के पत्तों से बने हुए तेल में स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड्स, और एल्कलॉइड्स (Steroids, flavonoids, alkaloids) बायोएक्टिव यौगिक पाए जाते हैं। एक वैज्ञानिक शोध में देखा गया है कि बायोएक्टिव यौगिक न केवल दांतों को सफेद करने का गुण रखते हैं, बल्कि यह मुंह की दुर्गंध व मसूड़ों की एलर्जी को भी सुधारने का काम कर सकते हैं (9)।

6. हृदय स्वास्थ्य के लिए

हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए भी पीपल के लाभ प्रयोग किए जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, अगर पीपल का पत्ता रात भर भिगोकर रखा जाए और अगले दिन अर्क का सेवन तीन बार किया जाए, तो हृदय से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता है (9)। इसके अतिरिक्त पीपल ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और सूजन को भी कम करता है साथ ही इसमें कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण (हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करने का गुण) भी पाया जाता है (10)।

7. लीवर के लिए

कुछ दवाओं के सेवन से कभी-कभी लीवर को हानि पहुंच सकती है। ऐसे में लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पीपल पर भरोसा किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह देखा गया कि पीपल में हेपोप्रोटेक्टिव क्रिया (लीवर को डैमेज होने से बचाने वाली एक क्रिया) पाई जाती है (11)। एक अन्य वैज्ञानिक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि अर्क का उपयोग करने से लीवर को खराब होने से बचाया जा सकता है (12)।

8. रक्त को शुद्ध करने में

रक्त शुद्धीकरण करने के लिए पीपल के लाभ आपकी मदद कर सकते हैं। आयुर्वेद में पीपल की पत्तियों को रक्त की अशुद्धता को दूर करके, त्वचा रोग को ठीक करने के लिए लिए इस्तेमाल किया जाता है। पीपल की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं और एक वैज्ञानिक शोध के आधार पर यह भी बताया गया कि पीपल की पत्तियों के अर्क को पीने से रक्त शुद्ध हो सकता है (13)।

9. इनफर्टिलिटी और इम्पोटेंस (Infertility and Impotence)

इनफर्टिलिटी एक ऐसी समस्या है, जब कोई महिला कई प्रयासों के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाती है (14)। वहीं, पीपल में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (immunomodulatory) गुण होता है (3)। एक वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर यह बताया गया है कि इम्यूनोथेरिपी (immunotherapy) के जरिए प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है (15)।

एक अन्य वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह देखा गया कि पीपल से निकलने वाले लेटेक्स (वानस्पतिक दूध) में नेफ्रोपेक्टिव (nephroprotective) और उपचारात्मक (curative ) गुण पाए जाते हैं, जो इरेक्‍टाइल डिस्‍फंक्‍शन के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं (16)। इरेक्‍टाइल डिस्‍फंक्‍शन यानी इम्पोटेंस में पुरुष की यौन क्षमता प्रभावित होती है।

10. पीलिया

आंखों और त्वचा पर पीलेपन को पीलिया का लक्षण माना जाता है (17)। पीपल का औषधीय गुण पीलिया जैसी बीमारी को भी खत्म कर सकता है। विशेषज्ञों के द्वारा जारी किए गए एक शोध के अनुसार, पीपल की पत्तियों में फ्लेवोनॉइड (Flavonoid), स्टेरोल्स (sterols) जैसे बायोएक्टिव यौगिक पाए जाते हैं। अगर पीपल की दो से तीन पत्तियों को दिन में दो बार पानी और चीनी के साथ सेवन किया जाए, तो पीलिया की समस्या में लाभ हो सकता है (8)।

11. कफ की समस्या से छुटकारा दिलाने में

अगर आप कफ की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इस स्थिति से उबरने के लिए पीपल का पत्ता प्रभावी रूप से कार्य कर सकता है। दरअसल, पीपल की पत्ती में थेरेपेटिक (therapeutic) गुण पाए जाते हैं, जिसका उपयोग करने से कफ में आराम मिल सकता है (18)। एक अन्य वैज्ञानिक रिसर्च में बताया गया है कि पीपल के पत्ते को जूस के रूप में इस्तेमाल करने से कफ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है (3)।

12. घाव भरने में सहायक

घाव भरने के लिए भी पीपल के पत्ते के औषधीय गुण देखे जा सकते हैं। जी हां, वैज्ञानिक शोध के आधार पर यह कहा गया है कि टैनिन पोस्सेस में (tannins possess – पीपल के पत्ते का एक विशेष गुण) कोलेजन की मात्रा बढ़ाने का गुण पाया जाता है, जो घाव भरने के लिए जरूरी क्रिया में से एक है। अध्ययन के दौरान यह देखा गया कि पीपल की पत्ती के रस इसमें प्रभावी असर दिखा सकते हैं (3)।

13. डायबिटीज की समस्या में

अगर आप डायबिटीज की समस्या से परेशान हैं, तो पीपल के पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं। विशेषज्ञों के द्वारा जारी किए गए एक वैज्ञानिक शोध में देखा गया है कि पीपल में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड ग्लूकोज के स्तर को काफी हद तक कम कर सकते हैं और सीरम इंसुलिन की मात्रा भी बढ़ा सकते हैं। इस कारण से डायबिटीज के जोखिमों को कम किया जा सकता है (3)।

14. त्वचा को स्वस्थ रखने में

पीपल के पत्ते के औषधीय गुण आपको त्वचा संबंधी कई समस्याओं से राहत पहुंचा सकते हैं। पीपल के पत्ते में ऐसे विशेष गुण होते हैं, जिसका प्रयोग करके त्वचा संबंधी कई समस्याओं से बचा सकता है (3)। इसके अलावा पीपल के पत्ते में प्रोटीन भी पाया जाता है (8), जो हमारी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है, क्योंकि प्रोटीन हमारे शरीर के द्वारा नहीं बनाया जाता है और इसकी पूर्ति हमें खाद्य पदार्थ के जरिए ही करनी पड़ती है (19) ।

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पीपल के पत्ते के फायदे जानने के बाद आइए लेख के इस भाग में जानते हैं कि पीपल के पत्ते में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं।

पीपल के पत्ते के पौष्टिक तत्व – Peepal Nutritional Value in Hindi

पीपल के पत्ते के पौष्टिक तत्वों की सूची को नीचे तालिका के माध्यम से दर्शाया जा रहा है (8)।

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राममॉइस्चर कंटेंट50.50gकार्बोहायड्रेट19.20gप्रोटीन13.55gफैट2.5gफाइबर26.1gऐश (Ash) कंटेंट12.9gकैल्शियम1.67mgआयरन0.18mgकॉपर0.105mgमैग्नीशियम0.355mg

लेख के अगले भाग में आपको पीपल के पत्ते के उपयोग के बारे में बताया जा रहा है।

पीपल के पत्ते का उपयोग – How to Use Peepal in Hindi

पीपल की जड़ क्या काम में आती है? - peepal kee jad kya kaam mein aatee hai?

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पीपल के पत्ते को निम्न प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • पीपल के पत्ते का जूस बनाकर पीने में उपयोग किया जा सकता है।
  • पीपल के पत्ते का अर्क कई समस्याओं के इलाज के तौर पर उपयोग किया जा सकता है।
  • पीपल के पत्ते को पीसकर दांतों के लिए पेस्ट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • त्वचा पर पीपल के पत्तों का पेस्ट बनाकर रखा जा सकता है।
  • पीपल की पत्तियों को नीम की पत्तियों की तरह कच्चा भी चबाया जा सकता है।

कब करें इस्तेमाल : पीपल की पत्तियों को ज्यादातर सुबह इस्तेमाल में लिया जा सकता है। इसके सेवन से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

कितना करें इस्तेमाल : कच्चा चबाने के लिए पीपल की केवल 2-3 पत्तियां ही लें और जूस के रूप में इसे केवल एक छोटे गिलास की मात्रा में ही पिएं। एक हफ्ते में इसके सेवन को दोहराने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

लेख के इस भाग में आपको पीपल के पत्ते के नुकसान के बारे में भी बताया जा रहा है।

पीपल के पत्ते के नुकसान – Side Effects of Peepal Tree in Hindi

पीपल के पत्ते के नुकसान निम्न प्रकार से हो सकते हैं।

  • पीपल पत्ते के अधिक सेवन करने से इसका कड़वा स्वाद आपको उल्टी करवा सकता है।
  • पीपल के पत्ते में कैल्शियम होता है। इसका अधिक सेवन करने से प्रोस्टेट कैंसर और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है (6), (20)।
  • पीपल की पत्ती में फाइबर की मात्रा पाई जाती है और अनिश्चिचित मात्रा में किया गया उपयोग पेट में गैस, दर्द और मरोड़ की समस्या उत्पन्न कर सकता है (6), (21)।

अभी आपने पढ़ा कि पीपल की पत्तियों में चमत्कारिक औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिसका सेवन आपके लिए लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा, पीपल के विभिन्न भागों जैसे छाल, अर्क व जड़ के फायदे भी आपको बताए गए हैं। इसलिए, ऊपर बताई गई किसी भी स्वास्थ्य समस्या से आप जूझ रहे हैं, तो पीपल के पत्ते आपको लाभ पहुंचा सकते हैं। आशा करते हैं कि पीपल के पत्ते की संपूर्ण जानकारी देने वाला यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ साझा करके, उन्हें भी पीपल के पत्तों के इन फायदों के बारे में बताएं।

Sources

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  • Asthma
    https://medlineplus.gov/ency/article/000141.htm
  • Phytopharmacological evaluation and anti-asthmatic activity of Ficus religiosa leaves
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21914543/
  • Screening of Ficus religiosa leaves fractions for analgesic and anti-inflammatory activities
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3229781/
  • PRELIMI A PHARMACOLOGICAL PROFILE OF FICUS RELIGIOSA L.: A OVERVIEW
    https://www.researchgate.net/publication/266523998_PRELIMI_A_PHARMACOLOGICAL_PROFILE_OF_FICUS_RELIGIOSA_L_A_OVERVIEW
  • Peepal
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2567294/table/T1/
  • Formulation, Development and Evaluation of foot cream with Ficus Religiosa
    https://ijrbat.in/upload_papers/2705201712200276.pdf
  • Diarrhea
    https://medlineplus.gov/diarrhea.html
  • Ficus religiosa: A wholesome medicinal tree
    https://www.researchgate.net/publication/326127150_Ficus_religiosa_A_wholesome_medicinal_tree
  • Cardioprotective effects of Ficus religiosa in neonatal streptozotocin-induced diabetic cardiomyopathy in rats
    https://www.researchgate.net/publication/259170198_Cardioprotective_effects_of_Ficus_religiosa_in_neonatal_streptozotocin-induced_diabetic_cardiomyopathy_in_rats
  • Hepatoprotective activity of Ficus religiosa leaves against isoniazid+rifampicin and paracetamol induced hepatotoxicity
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3807992/
  • Hepatoprotective activity of Ficus carica Linn. leaf extract against carbon tetrachloride-induced hepatotoxicity in rats
    http://daru.tums.ac.ir/index.php/daru/article/viewFile/323/323
  • Ficus religiosa L.
    http://florawww.eeb.uconn.edu/198500455.html
  • Infertility
    https://medlineplus.gov/infertility.html
  • Immunomodulatory Effects of IVIg on Pregnancy Rate of Patient With Recurrent Implantation Failure
    https://clinicaltrials.gov/ct2/show/NCT03174964
  • Nephroprotective and curative effects of Ficus religiosa latex extract against cisplatin-induced acute renal failure
    https://www.researchgate.net/publication/250921535_Nephroprotective_and_curative_effects_of_Ficus_religiosa_latex_extract_against_cisplatin-induced_acute_renal_failure
  • Jaundice
    https://medlineplus.gov/ency/article/000210.htm
  • Screening of Ficus religiosa leaves fractions for analgesic and anti-inflammatory activities
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3229781/
  • Dietary Proteins
    https://medlineplus.gov/dietaryproteins.html
  • Calcium
    https://ods.od.nih.gov/factsheets/Calcium-Consumer/
  • Fiber
    https://medlineplus.gov/ency/article/002470.htm

और पढ़े:

    • तेज पत्ता के 12 फायदे, उपयोग और नुकसान
    • पान के पत्ते के 12 फायदे, उपयोग और नुकसान
    • अमरूद के पत्ते के फायदे और नुकसान
    • बिच्छू बूटी (बिछुआ पत्ती) के 10 फायदे, उपयोग और नुकसान

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Neha Srivastava

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Neha Srivastava - Nutritionist M.Sc -Life Science PG Diploma in Dietetics & Hospital Food Services. I am a focused health... View Profile

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    पेट दर्द में ... .
    फटी हुई एड़ियों के लिए ... .
    डायरिया की समस्या में ... .
    दांतों के लिए ... .
    हृदय स्वास्थ्य के लिए ... .
    लीवर के लिए ... .
    रक्त को शुद्ध करने में.