गाय के पेट फूलने पर क्या देना चाहिए? - gaay ke pet phoolane par kya dena chaahie?

लखनऊ। अफारा रोग पशुओं में आमतौर और अचानक होने वाली बीमारी है। यह रोग पशुओं में ज्यादा खाने या दूषित खाने के कारण होता है। इस रोग में पशु के पेट में एसिडिटी अमोनिया, कार्बनडाई ऑक्साइड, मीथेन जैसी दूषित गैस बन जाती हैं।

इस गैस का दबाव छाती पर पड़ता है और पशु को सांस लेने में तकलीफ़ होती है। इससे पशु बेचैन हो कर बैठ जाता है या एक साइड लेट जाता है। पैर पटकने लगता है। अगर इस अवस्था में तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो पशु कुछ घंटों में मर भी जाता है।

अफारा रोग के प्रमुख लक्षण

  • पशु को सांस लेने में कठिनाई होना।
  • जुगाली करना बंद कर देना।
  • पशु का पेट बायें और अधिक फूल जाना।
  • खाना और पानी पीना बंद कर देना।
  • ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकना।
  • पशु के फुले हुए पेट पर धीरे धीरे देने से ढ़ोल जैसी डब डब आवाज़ करना।

इन कारणों से होता है अफारा रोग

  • खाने में अचानक बदलाव करना।
  • ज्यादा मात्रा में हरा और सुख चारा और दाना खा लेना।
  • चारे भूसे के साथ कीड़े और जहरीले जानवर खा जाना।
  • दूषित पानी पी लेना।
  • बिनौले जैसे तैलीय आहार का देना।
  • हरा चारा बरसीम को खेत से काटकर सीधे पशु को खिलाना
  • नए भूसे को अधिक मात्रा में देना।
  • गेहूं मक्का आदि अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से।

अफारा रोग से बचाव

  • चारा भूसा आदि खिलने से पहले पानी पिलाएं।
  • प्रतिदिन पशु को कुछ देर खुला चरने दें।
  • पशुओं को दूषित चारा, दाना भूसा और पानी न दें।
  • हरा चारा जैसे बरसीम ज्वार रजका बाजरा काटने के बाद कुछ समय पड़ा रहने दें उसके बाद खिलाएं।
  • पशु को लगातार भोजन ना दें कम से कम 20 मिनट का अन्तराल जरूर दें।
  • हरा चारा पूरी तरह पकने के बाद ही खिलाएं।
  • अचानक पशु के खानपान में परिवर्तन नहीं करें।

पशु में अफारा होने पर अन्य अफारानाशक औषधियां

अफारानाशक दवाइयों के नाम

1. Afron एफ़्रोन

यह बड़े पशुओं को जैसे बैल भैंसे आदि को एक लीटर गुनगुने पानी में 50 ग्राम मिलाकर नाल द्वारा दिया जाना चाहिए।

2. GARLILL

यह पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने पर लाभदायक है। इसे 10 ग्राम की मात्रा में मुंह के द्वारा देना चाहिए।

3. TIMPOL टीम्पोल

यह भी एक आयुर्वेदिक दवाई है। इसे 25 से 80 ग्राम गुनगुने पानी या LINSID तेल के साथ दिन में दो बार देना चाहिए।

4. TYMPLAX टाईम्पलेक्स

यह पेट में वायु गोला, अफारा आदि में काम आती है। इसे 100मिली. की मात्रा में देना चाहिए।

ओपिनियन पीस: डॉ. ओपी वर्मा पशुचिकित्सक, शाहजहांपुर

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

गाय के पेट फूलने पर क्या देना चाहिए? - gaay ke pet phoolane par kya dena chaahie?

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • National
  • Surajgarha News Diseases Spreading In Animals Due To Gas

गैस के कारण पशुओं में फैल रही बीमारी

प्रखंड के गोपालपुर पंचायत अंतर्गत गरीबनगर, पूर्वी सलेमपुर के ईमामनगर, खांड़पर, पुराना सलेमपुर इत्यादि गांवों में पशुओं में पेट फूलने की बीमारी फैल रही है। जिससे इलाज के लिए पशुपालक परेशान हो रहे हैं। इस बीमारी के चपेट में आने से पशु का पेट फूल जाता है और जुगाली करना बंद कर देता है। साथ ही मवेशी मल उत्सर्जित नहीं कर पाता।

इस बीमारी से दुधारू पशुओं के दुध देना काफी तेजी से कम हो रहा है। पशुपालक रामजतन पासवान, नंदलाल पासवान, मानिक पासवान, रमोतार महतो इत्यादि लोगों ने बताया कि सरकारी स्तर से इलाज की उम्मीद नहीं है। पशुपालकों ने बताया कि पशु चिकित्सक ग्रामीण क्षेत्र में नहीं के बराबर आते हैं। पशु टीकाकरण के दौरान भी मात्र एक दिन टीकाकरण किया गया। पशु चिकित्सक के उदासीन रवैये के कारण पशुपालक निजी स्तर से डाक्टरों से इलाज करा जा रहा है। फिर भी स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है।

पेट फूलने की बीमारी से ग्रस्त पशु।

गैस के कारण फूल जाता है पेटपशुपालक रामजतन पासवान ने बताया कि पशु के पेट में गैस बनने से गाय का मल मूत्र त्यागना रुक जाता है और पेट फूल जाता है। गाय या भैंस जुगाली करना बंद कर देती है। अगर मवेशी का इलाज जल्द से जल्द नहीं हुआ तो उसकी मौत हो जाती है। रामजतन ने बताया कि मेरी जर्सी गाय की तबियत अचानक खराब हो गई। गैस से गाय का पेट फूल गया। स्थानीय डाक्टरों से इलाज कराया लेकिन नियंत्रण नहीं हो सका। अंत में मुंगेर के डाक्टर से इलाज कराने पर स्थिति कंट्रोल में आया।

बीमार पशु को दिखाता पशुपालक।

चिकित्सीय टीम की नहीं होती माॅनिटरिंगपशुपालक रामोतार महतो ने बताया कि इसी बीमारी के कारण मेरी पचास हजार की गाय मर गई। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के गांव-गांव में चिकित्सीय टीम की माॅनिटरिंग नहीं होताी है। टीकाकरण का काम आधा-अधूरा किया जाता है। विभाग इस ओर उदासीन है। ग्रामीण विनोद पासवान, संजय कुमार ने बताया कि एक दिन गांव में टीकाकरण किया लेकिन गांव का तीन हिस्सा बिना टीकाकरण का रह गया। फिर दूसर दिन नहीं हो पाया। सभी ने इसमें विभाग की लापरवाही की बात दोहराई। पशुपालक इधर ग्रामीण डाक्टरों से इलाज कराकर बीमारी ठीक नहीं होने पर ठगे जा रहे हैं।

बीमारी बता कर दवा ले जाएंमवेशियों में फैली इस बीमारी के बाबत पशु चिकित्सक सूर्यगढ़ा के प्रभारी डाक्टर संजीव कुमार ने बताया कि किसी भी पशुपालक के मवेशी को गैस या अन्य कोई तकलीफ हो तो तुरंत अस्पताल आकर सूचना दर्ज करवाए। चिकित्सक टीम जाकर वहां इलाज करेंगे। पशुओं में गैस बनना आम बात है इसके लिए पशुपालकों को घबराना नहीं चाहिए। अस्पताल में प्रचुर मात्रा में दवाई उपलब्ध है। बीमारी बता कर दवा ले जाएं।

गाय का पेट फूल जाए तो क्या करें?

यदि वयस्क पशुओं में पेट फूलने के लक्षण दिखाई देते है, तो 200 मिली मीठा तेल में 2 ग्राम हींग पाउडर, 20 ग्राम सेंधा नमक और 50 ग्राम अजवायन पाउडर मिलाएं और इसे पशु को दें। इससे जानवरों को आराम मिलता है। यदि इसके बाद भी समस्या दिखाई दे, तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें और इसका निदान करें

पेट फूलने का मुख्य कारण क्या होता है?

ब्लोटिंग के लिए जिम्मेदार कारण - Pet Phoolne (Bloating) Ke Karan. पेट फूलने की समस्या आपकी छोटी आंत या कोलन में गैस के कारण होती है, जो आमतौर पर तब होती है जब आपकी आंत्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया द्वारा भोजन का पाचन ठीक से नहीं पाता है। साथ ही फर्मेंट फूड्स का सेवन करने से भी पेट में गैस की समस्या हो जाती है।

पेट फूलना कौन सी बीमारी का लक्षण है?

पेट का फूला रहना एसाइटिस बीमारी की वजह से भी हो सकता है. यह बीमारी फैटी-जंक फूड और शराब का अत्यधिक सेवन की वजह से हो सकती है. इस बीमारी में व्यक्ति के पेट में लिक्विड जमा होने लगता है और धीरे-धीरे पेट फूलने लगता है. ये लिवर की गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है.