अर्थव्यवस्था की संरचना से आप क्या समझते हैं ?

अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में इसके विभाजन से है। अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ अथवा गतिविधियाँ सम्पादित की जाती हैं जैसे कृषि, उद्योग, व्यापार, बैंकिंग, बीमा, परिवहन, संचार आदि। इन क्रियाओं को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जाता है-

  • प्राथमिक क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र कहा जाता है। इसके अंतर्गत कृषि पशुपालन, मछली पालन, जंगलों से वस्तुओं को प्राप्त करना जैसी व्यवस्था आती है।
  • द्वितीयक क्षेत्र-द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र कहा जाता है। इसके अन्तर्गत खनिज व्यवस्था, निर्माण कार्य; जनोपयोगी सेवाएँ, जैसे गैस और बिजली आदि के उत्पादन आते हैं।
  • तृतीयक क्षेत्र-तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र कहा जाता है। इसके अन्तर्गत बैंक एवं बीमा, परिवहन, संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं। ये क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र की क्रियाओं को सहायता प्रदान करती हैं। इसलिए इसे सेवा क्षेत्र कहा जाता है।

(i) तृतीयक क्षेत्र- इस क्षेत्र में व्यापार, परिवहन, संचार व्यवस्था तथा सामाजिक सेवाओं का स्थान आता है। इस क्षेत्र के विकसित होने से प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों की उत्पादन कुशलता भी बढ़ जाती है। हाल के आँकड़ों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था का यह एक प्रमुख अंग बन गया है। जिसका योगदान 56% है, जो स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय से दुगुना है।

अर्थव्यवस्था एक ऐसा तन्त्र है, जिसके माध्यम से लोगों का जीवन निर्वाह होता है। यह संस्थाओं का एक ढाँचा है, जिसके द्वारा समाज की सम्पूर्ण आर्थिक क्रियाओं का संचालन किया जाता है। आर्थिक क्रियाएँ वे मानवीय क्रियाएँ हैं, जिनके द्वारा मनुष्य धन अर्जित करने के उद्देश्य से उत्पादन क्रिया करता है अथवा स्वयं की सेवाएँ प्रदान करता है। अर्थव्यवस्था की संरचना आर्थिक क्रियाओं को सम्पन्न करने का मार्ग निर्धारित करती है। दूसरे शब्दों में, अर्थव्यवस्था की संरचना यह निर्धारित करती है कि देश में किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाएगा और विभिन्न साधनों के मध्य इनका वितरण किस प्रकार किया जाएगा। परिवहन, वितरण, बैंकिंग एवं बीमा जैसी सेवाएँ कैसे प्रदान की जाएँगी; उत्पादित वस्तुओं का कितना भाग वर्तमान में उपयोग किया जाएगा और कितना भाग भविष्य के उपयोग के लिए संचित करके रखा जाएगा आदि। एक अर्थव्यवस्था की संरचना इन विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओं का योग ही है।

अर्थव्यवस्था की मुख्य परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं –

(1) “अर्थव्यवस्था की संरचना एक ऐसा संगठन है, जिसके द्वारा सुलभ उत्पादने साधनों का प्रयोग करके मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।”

(2) “एक अर्थव्यवस्था की संरचना जटिल मानव सम्बन्धों, जो वस्तुओं तथा सेवाओं की विभिन्न निजी तथा सार्वजनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से सीमित साधनों के प्रयोग से सम्बन्धित है, को प्रकट करने वाला एक मॉडल है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था की संरचना एक ओर आर्थिक क्रियाओं को योग है तो दूसरी ओर उत्पादकों के परस्पर सहयोग की प्रणाली भी है। वास्तव में विभिन्न उत्पादन क्रियाएँ परस्पर सम्बद्ध होती हैं और एक साधन की क्रिया दूसरे साधन की क्रिया पर निर्भर करती है। अत: इनमें परस्पर समन्वय एवं सहयोग होना आवश्यक है। उत्पादकों के परस्पर सहयोग की इस प्रणाली को ही अर्थव्यवस्था की संरचना कहते हैं; उदाहरण के लिए–एक वस्त्र-निर्माता को वस्त्र निर्मित करने के लिए अनेक वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी। उसे सर्वप्रथम किसान से कपास प्राप्त करनी होगी तथा कपास की धुनाई, कताई व बुनाई के लिए मशीनों की व्यवस्था करनी होगी। मशीन निर्माता को लोहा व कोयला चाहिए, जो सम्बन्धित खानों से प्राप्त होगा।

इन साधनों को कारखाने तक लाने व ले जाने के लिए परिवहन के साधनों; यथा–रेल, मोटर, ट्रक, बैलगाड़ी आदि; की आवश्यकता होगी और इन सभी क्रियाओं के संचालन के लिए श्रमिकों की सेवाएँ चाहिए। इनमें से किसी भी साधन के अभाव में कपड़े का उत्पादन सम्भव नहीं है। इसे इस प्रकार भी समझाया जा सकता है यदि किसान कपास का उत्पादन बन्द कर दे अथवा मशीन निर्माता मशीन बनाना बन्द कर दे अथवा श्रमिक काम करना बन्द कर दे; तो कपड़े का उत्पादन नहीं होगा। इस प्रकार उत्पादन में उत्पादकों एवं उत्पत्ति के साधनों के बीच सहयोग एवं समन्वय होना आवश्यक है।

अर्थव्यवस्था (Economy) उत्पादन, वितरण एवम खपत की एक सामाजिक व्यवस्था है। यह किसी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गतित चित्र है। यह चित्र किसी विशेष अवधि का होता है। उदाहरण के लिए अगर हम कहते हैं ' समसामयिक भारतीय अर्थव्यवस्था ' तो इसका तात्पर्य होता है। वर्तमान समय में भारत की सभी आर्थिक गतिविधियों का वर्णन।

अर्थशास्‍त्र से व्‍यक्ति वस्‍तु का विनिमिय तरीके से उपयोग करता है सन्धि विच्छेद करने पर यह दो शब्दो से मिलने पर बनता है: अर्थ एवम व्यवस्था। अर्थ का तात्पर्य है मुद्रा अर्थात् धन और व्यवस्था का मतलब है एक स्थापित कार्यप्रणाली। इस शब्द का सबसे प्राचीन उल्लेख कौटिल्य द्वारा लिखित ग्रन्थ अर्थशास्त्र में मिलता है।

अर्थव्यवस्था का प्राचीन इतिहास सुमेर राजवन्श के समय से ज्ञात है जब वस्तु आधारित विनिमय प्रणाली का प्रयोग करते थे। मध्ययुगीन काल में अधिकान्श व्यापार सामाजिक समूह के अन्तर्गत ही होता थ। आधुनिक युग में अधिकान्श व्यापार युरोप के देशों द्वारा भिन्न देशों को गुलाम बना कर किया जाता रहा। तत्काल में अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत साम्यवाद और पूंजीवाद नाम कि दो विचारधाराओ का उद्भव हुआ है।

धन का सही रूप में निवेश करना या धन की व्यवस्था करना ही अर्थशास्त्र है अर्थशास्त्र की दो शाखाएं हैं वयष्टि अर्थशास्त्र औरसमष्टि अर्थशास्त्र है, व्यष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ व्यष्टि अर्थशास्त्र अंग्रेजी भाषा के शब्द माइक्रो गिरी भाषा के शब्द माइक्रोस्केल हिंदी रूपांतरण है व्यष्टि से अभिप्राय है अत्यंत छोटी इकाई अर्थात व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध अध्ययन की सबसे छोटी इकाई से है इस प्रकार व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत व्यक्तिक इकाइयों जैसे व्यक्ति परिवार उत्पादक फर्म उद्योग आदि का अध्ययन किया जाता है समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ-समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक ज्ञान की वह शाखा है जो संपूर्ण अर्थव्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था से संबंधित बड़े योगों व औसतो का ,उनके व्यवहार एवं पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करती है

अर्थव्यवस्था की संरचना से क्या समझते है?

Answer: अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में इसके विभाजन से है ,क्योंकि अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओ गातिविधियों को सम्पादित की जाती है ,जैसे - कृषि,उधोग,व्यापार,बैंकिंग बिमा,परिवहन,संचार, बिजली आदि।

भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना से आप क्या समझते हैं?

देश की अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों जैसे - कृषि, उद्योग, बैंक, बीमा, परिवहन एवं अन्य सेवाओ आदि से सम्बन्धित क्रियाओं का संचालन होता है । पालन, वानिकी आदि । उत्पादन आदि को शामिल किया जाता है । विदित है कि जब देश में आर्थिक विकास की प्रक्रिया चलती है तो उसकी अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन आते हैं

अर्थव्यवस्था की संरचना से आप क्या समझते हैं उन्हें कितने भागों में बांटा गया है?

Solution : अर्थव्यवस्था की सरंचना का मतलब विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में इस के विभाजन से है ,क्योंकि अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओं गतिविधियों को संपादित की जाती है, जैसे कृषि, उद्योग , व्यापार, बैंकिंग , बीमा, परिवहन , संचार , बिजली आदि।

अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं?

अर्थव्यवस्था (Economy) उत्पादन, वितरण एवम खपत की एक सामाजिक व्यवस्था है। यह किसी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गतित चित्र है। यह चित्र किसी विशेष अवधि का होता है। उदाहरण के लिए अगर हम कहते हैं ' समसामयिक भारतीय अर्थव्यवस्था ' तो इसका तात्पर्य होता है।