NCERT Solutions for Class 10 HIndi B NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 पद -Access in pdf CBSE Class 10 ScienceCBSE Class 10 Social ScienceCBSE Class 10 Maths Meera Ke Pad (मीरा के पद) – CBSE Class 10 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Meera ke Pad’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers. कवि – मीराबाई लोक कथाओं के अनुसार अपने जीवन में आए कठिन दुखों से मुक्ति पाने के लिए मीरा घर – परिवार छोड़ कर वृन्दावन में जा बसी थी और कृष्ण प्रेम में लीन हो गई थी। इनकी रचनाओं में इनके आराध्य ( कृष्ण ) कहीं निर्गुण निराकार ब्रह्मा अर्थात जिसका कोई रूप आकर न हो ऐसे प्रभु , कहीं सगुण साकार गोपीवल्लभ श्रीकृष्ण और कहीं निर्मोही परदेसी जोगी अर्थात जिसे किसी की परवाह नहीं ऐसे संत के रूप में दिखाई देते हैं। प्रस्तुत पाठ में संकलित दोंनो पद मीरा के इन्ही आराध्य अर्थात श्रीकृष्ण को समर्पित हैं। मीरा अपने प्रभु की झूठी प्रशंसा भी करती है ,प्यार भी करती हैं और अवसर आने पर डांटने से भी नहीं डरती। श्रीकृष्ण की शक्तिओं व सामर्थ्य का गुणगान भी करती हैं और उनको उनके कर्तव्य भी याद दिलाती हैं। Meera Ke Pad Chapter Summary – पाठ सार इन पदों में मीराबाई श्री कृष्ण का भक्तों के प्रति प्रेम और अपना श्री कृष्ण के प्रति भक्ति – भाव का वर्णन करती है। पहले पद में मीरा श्री कृष्ण से कहती हैं कि जिस प्रकार आपने द्रोपदी ,प्रह्लाद और ऐरावत के दुखों को दूर किया था उसी तरह मेरे भी सारे दुखों का नाश कर दो। दूसरे पद में मीरा श्री कृष्ण के दर्शन का एक भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती , वह श्री कृष्ण की दासी बनाने को तैयार है ,बाग़ – बगीचे लगाने को भी तैयार है ,गली गली में श्री कृष्ण की लीलाओं का बखान भी करना चाहती है ,ऊँचे ऊँचे महल भी बनाना चाहती है , ताकि दर्शन का एक भी मौका न चुके। श्री कृष्ण के मन मोहक रूप का वर्णन भी किया है और मीरा कृष्ण के दर्शन के लिए इतनी व्याकुल है की आधी रात को ही कृष्ण को दर्शन देने के लिए बुला रही है। Meera Ke Pad Chapter Explanation of the Poem – पद व्याख्या( 1 )हरि आप हरो जन री भीर। द्रोपदी री लाज राखी , आप बढ़ायो चीर। हरि – श्री कृष्ण गजराज – हाथियों का राजा ऐरावत कुञ्जर – हाथी प्रसंग :- प्रस्तुत पाठ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श ‘ से लिया गया है। इस पद की कवयित्री मीरा है। इसमें कवयित्री भगवान श्री कृष्ण के भक्त – प्रेम को दर्शा रही हैं और स्वयं की रक्षा की गुहार लगा रही है । व्याख्या -: इस पद में कवयित्री मीरा भगवान श्री कृष्ण के भक्त – प्रेम का वर्णन करते हुए कहती हैं कि आप अपने भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाले हैं अर्थात दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा उदाहरण देते हुए कहती हैं कि जिस तरह आपने द्रोपदी की इज्जत को बचाया और साडी के कपडे को बढ़ाते चले गए ,जिस तरह आपने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया और जिस तरह आपने हाथियों के राजा भगवान इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था ,हे ! श्री कृष्ण उसी तरह अपनी इस दासी अर्थात भक्त के भी सारे दुःख हर लो अर्थात सभी दुखों का नाश कर दो।
( 2 )स्याम म्हाने चाकर राखो जी, चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ। बिन्दरावन री कुंज गली में , गोविन्द लीला गास्यूँ। स्याम – श्री कृष्ण दरसण – दर्शन
प्रसंग -: प्रस्तुत पद हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श ‘ से लिया गया है। इस पद की कवयित्री मीरा है। इस पद में कवयित्री मीरा श्री कृष्ण के प्रति अपने प्रेम का वर्णन कर रही है और श्री कृष्ण के दर्शन के लिए वह कितनी व्याकुल है यह दर्शा रही है। व्याख्या -: इस पद में कवयित्री मीरा श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति भावना को उजागर करते हुए कहती हैं कि हे !श्री कृष्ण मुझे अपना नौकर बना कर रखो अर्थात मीरा किसी भी तरह श्री कृष्ण के नजदीक रहना चाहती है फिर चाहे नौकर बन कर ही क्यों न रहना पड़े। मीरा कहती हैं कि नौकर बनकर मैं बागीचा लगाउंगी ताकि सुबह उठ कर रोज आपके दर्शन पा सकूँ। मीरा कहती हैं कि वृन्दावन की संकरी गलियों में मैं अपने स्वामी की लीलाओं का बखान करुँगी। मीरा का मानना है कि नौकर बनकर उन्हें तीन फायदे होंगे पहला – उन्हें हमेशा कृष्ण के दर्शन प्राप्त होंगे , दूसरा- उन्हें अपने प्रिय की याद नहीं सताएगी और तीसरा- उनकी भाव भक्ति का साम्राज्य बढ़ता ही जायेगा। Meera Ke Pad Chapter Question Answers – प्रश्न अभ्यासप्रश्न 1 -: पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ? उत्तर -: पहले पद में मीरा कहती हैं कि जिस प्रकार हे ! प्रभु आप अपने सभी भक्तों के दुखों को हरते हो ,जैसे – द्रोपदी की लाज बचाने के लिए साड़ी का कपड़ा बढ़ाते चले गए ,प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का रूप धारण कर लिया और ऐरावत हाथी को बचाने के लिए मगरमच्छ को मार दिया उसी प्रकार मेरे भी सारे दुखों को हर लो अर्थात सभी दुखों को समाप्त कर दो। प्रश्न 2 -: दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती है ? स्पष्ट कीजिए। उत्तर -: दूसरे पद में मीरा श्री कृष्ण की नौकर बनने की विनती इसलिए करती है क्यों कि वह श्री कृष्ण के दर्शन का एक भी मौका खोना नहीं चाहती है। वह कहती है कि मैं बगीचा लगाऊँगी ताकि रोज सुबह उठते ही मुझे श्री कृष्ण के दर्शन हो सकें। प्रश्न 3 -: मीरा ने श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है ? उत्तर -: मीरा श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि उन्होंने सर पर मोर पंख का मुकुट धारण किया हुआ है ,पीले वस्त्र पहने हुए हैं और गले में वैजंत फूलों की माला को धारण किया हुआ है। मीरा कहती हैं कि जब श्री कृष्ण वृन्दावन में गाय चराते हुए बांसुरी बजाते है तो सब का मन मोह लेते हैं। प्रश्न 4 -: मीरा की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए। उत्तर -: मीरा को हिंदी और गुजरती दोनों की कवयित्री माना जाता है। इनकी कुल सात -आठ कृतियाँ ही उपलब्ध हैं। मीरा की भाषा सरल ,सहज और आम बोलचाल की भाषा है, इसमें राजस्तानी ,ब्रज, गुजरती ,पंजाबी और खड़ी बोली का मिश्रण है।पदों में भक्तिरस है तथा अनुप्रास ,पुनरुक्ति ,रूपक आदि अलंकारों का भी प्रयोग किया गया है। प्रश्न 5 -: वे श्री कृष्ण को पाने के लिया क्या – क्या कार्य करने को तैयार हैं ? उत्तर -: मीरा श्री कृष्ण को पाने के लिए अनेक कार्य करने के लिए तैयार हैं – वे कृष्ण की सेविका बन कर रहने को तैयार हैं ,वे उनके विचरण अर्थात घूमने के लिए बाग़ बगीचे लगाने के लिए तैयार हैं ,ऊँचे ऊँचे महलों में खिड़कियां बनाना चाहती हैं ताकि श्री कृष्ण के दर्शन कर सके और यहाँ तक की आधी रात को जमुना नदी के किनारे कुसुम्बी रंग की साडी पहन कर दर्शन करने के लिए तैयार हैं। ( ख) निम्नलिखित पंक्तिओं का काव्य – सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए -: 1 ) हरि आप हरो जन री भीर। द्रोपदी री लाज राखी ,आप बढ़ायो चीर। भगत कारण रूप नरहरि ,धरयो आप सरीर। काव्य -सौन्दर्य – इन पंक्तिओं में मीरा श्री कृष्ण के भक्ति -भाव को प्रकट कर रही है। इन पंक्तिओं में शांत रस प्रधान है। मीरा कहती है कि हे !श्री कृष्ण आप अपने भक्तों के कष्टों को हरने वाले हो। आपने द्रोपदी की लाज बचाई और साड़ी के कपडे को बढ़ाते चले गए। आपने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का रूप भी धारण किया। 2 ) बूढ़तो गजराज राख्यो ,काटी कुञ्जर पीर। दासी मीराँ लाल गिरधर , हरो म्हारी भीर।। काव्य सौन्दर्य – इन पंक्तिओं में मीरा श्री कृष्ण से उनके दुःख दूर करने की विनती करती हैं। इन पंक्तिओं में तत्सम और तद्भव शब्दों का सुन्दर मिश्रण है। मीरा कहती हैं कि जिस तरह हे !श्री कृष्ण आपने हाथिओं के राजा ऐरावत को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था मुझे भी हर दुःख से बचाओ। 3 )चाकरी में दरसन पास्यूँ ,सुमरन पास्यूँ खरची। भाव भगती जागीरी पास्यूँ ,तिन्नू बाताँ सरसी।। काव्य सौन्दर्य – इन पंक्तिओं में मीरा श्री कृष्ण के प्रति अपनी भाव भक्ति दर्शा रही है। यहाँ शांत रस प्रधान है। यहाँ मीरा श्री कृष्ण के पास रहने के तीन फायदे बताती है। पहला -उसे हमेशा दर्शन प्राप्त होंगे ,दूसरा -उसे श्री कृष्ण को याद करने की जरूरत नहीं होगी और तीसरा -उसकी भाव भक्ति का साम्राज्य बढ़ता ही जायेगा। NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 पदपाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
भाषा अध्ययन
उत्तर-
योग्यता विस्तार प्रश्न 2. परियोजना कार्य प्रश्न 2.
अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1.
प्रथम पद में कवयित्री अपने प्रभु से पहले लोगों का दुख दूर करने की प्रार्थना करती है। वह अपने प्रभु का गुणगान करती हुई उनकी क्षमताओं का स्मरण कराती है। इसी क्रम में वह अपने प्रभु को द्रौपदी, गजराज और प्रहलाद के प्रति किए गए कार्यों का दृष्टांत प्रस्तुत करती हुई अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करती है। दूसरे पद में मीरा अपने प्रभु के रूप सौंदर्य पर मोहित होती हैं। वे उनका सान्निध्य पाने का प्रयास करती हैं और उनकी सेवा करते हुए उन्हें प्रसन्न करने का हर संभव उपाय करती है। प्रश्न 2. भक्ति भाव को जागीर क्यों कहा गया है उसके लिए क्या आवश्यक है?भगवान को पाने का सर्वोत्तम साधन है-भक्ति। मीरा भाव-भक्ति की उपासिका थीं। उसी के माध्यम से वे अपने कृष्ण को पा सकती थीं। इसलिए भाव-भक्ति उनके लिए जागीर के समान थी।
भक्ति भाव क्या है?भक्तिभाव का आधार प्रेम, श्रद्धा और समर्पण है। भगवान राम ने शबरी के झूठे किए बेर भी प्रेम और भक्तिभाव के कारण खाए थे। मन में भक्ति भाव के उठने के बाद भक्त के व्यक्तित्व के नकारात्मक गुण दूर हो जाते हैं और उसके व्यक्तित्व का उन्नयन होने लगता है। भक्त अहंकार से मुक्त होकर अपनी अंतस चेतना में ईश्वर की अनुभूति करने लगता है।
पदों के आधार पर बताइए ठक मीरा क्या क्या करने की इच्छा प्रकट करती हैं?दूसरे पद में मीरा अपने आराध्य की दासी बनकर रहने की इच्छा प्रकट करती हैं। दासी बनकर वे अपने आराध्य के सभी दैनिक कार्य करना चाहती हैं। वे ईश्वर के दर्शन की अभिलाषा करती हैं। उनके प्रभु पीतांबर, सिर पर मोरमुकुट एवं गले में वैजंतीमाला धारण करते हैं।
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