7 कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं ?`? - 7 kaayik pravardhan se aap kya samajhate hain ?`?

जिन पौधों की कलम की जड़े कठिनाई से निकलती हैं तो उनमे इंडोल एसिटिक अम्ल तथा इंडोल ब्यूटाईरिक अम्ल के घोल में डुबोकर भूमि में लगाया जाए तो जड़े शीघ्र ही फूटने लगती हैं। 

2. रोपड़ लगाना:- किसी जड़ सहित पौधे के कटे हुए तने पर किसी दूसरे पौधे के तने उगाने की विधि को रोपण कहते हैं। इस विधि द्वारा किसी बेकार नस्ल के पौधे की टहनी काटकर उस पर अच्छी नस्ल के पौधे की एक टहनी लगा दी जाती है। और दोनों के कटे हुए भाग को जोड़कर धागे से बांध देते है। उसके बाद जोड़ के चारों ओर नम मिट्टी का लेप कर देते हैं। लगभग 1 माह पश्चात् दोनों के ऊतक जुड़ जाते हैं इस प्रकार नए पौधे का निचला भाग घटिया नस्ल का तथा ऊपरी भाग बढ़िया नस्ल का हो जाता है। क्योंकि पुष्प फल ऊपरी भाग पर ही लगते हैं। इस विधि का प्रयोग एक ही जाति के 2 पौधों में संभव है।

जैसे:- आम पर अमरूद अथवा अमरुद पर बेर का रोपण नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत सेब पर सेव अथवा नाशपाती का रोपण किया जा सकता है 

3. दाब लगाना:- इस विधि में पौधे की भूमि के निकट वाली शाखा जो भूमि पर लटकती है। वहां पर इसकी छाल को चाकू से हटा देते हैं। और इस शाखा को नीचे झुका कर भूमि के अंदर लकड़ी की पिन द्वारा इस प्रकार दबाते हैं की कटा हुआ भाग भूमि के अंदर रहे भूमि के इस भाग को बराबर सींचते रहना चाहिए। कुछ दिनों पश्चात कटे भाग से जड़े निकल आती हैं।तब इस शाखा को इसके मातृ पौधे से काट कर अलग कर लेना चाहिए। 

जिन पौधों की निचली शाखाएं भूमि तक नहीं पहुंच पाती हैं। उनके नीचे गमला रख देते हैं। 
जैसे:- सेब नाशपाती चमेली अंगूर आदि।

4. गूटी लगाना:- इस विधि का प्रयोग वृक्षों की अधिक ऊंचाई पर स्थित शाखाओं पर किया जाता है। जहां पर दाब विधि का प्रयोग नहीं हो पाता। इसमें वृक्ष की एक स्वस्थ शाखा के बीच से चाकू द्वारा छाल हटा देते हैं। और कटे हुए भाग पर गीली मिट्टी लपेटकर मोटे कपड़े या टाट से बाँध देते हैं। मिट्टी को नाम रखने के लिए शाखा से ऊपर की शाखा में जल से भरा एक घड़ा लटका देते है। तथा घड़े की पेंदी में छेद कर देते है। और इसे रस्सी से बांध कर रस्सी का सिरा टाट पर लपेट देते है।  जिससे कि पानी रस्सी से होता हुआ टाट तक पहुँच कर मिट्टी को गीला रख सके। और कुछ दिनों बाद कटे हुए भाग से जड़ निकल आती है। तथा अब इसे भूमि पर कही भी लगा सकते हैं।

कायिक प्रवर्धन जनन की ऐसी विधि है जिसमें पौधे के शरीर का कोई भी कायिक भाग प्रवर्धक का कार्य करता है तथा नये पौधे में विकसित हो जाता है। मातृ पौधे के कायिक अंग; जैसे-जड़, तना, पत्ती, कलिका आदि से नये पौधे का पुनर्जनन, कायिक प्रवर्धन कहलाता है।

EX---1 अजूबा  के पौधे में पत्तियों के किनारों से पादपकाय उत्पन्न होते हैं जो मातृ पौधे से अलग होकर नये पौधे को जन्म देते हैं।
EX--2 आलू के कन्द में उपस्थित पर्वसन्धियाँ कायिक प्रवर्धन में सहायक होती हैं। पर्वसन्धियों में कलिकाएँ स्थित होती हैं तथा प्रत्येक कलिको नये पौधे को जन्म देती है।

इसे सुनेंरोकेंफल और बीजों द्वारा पादप प्रवर्धन उपयुक्त वातावरण में इन्ही बीजों द्वारा नए पौधों का जन्म होता है। कुछ बीजों को मनुष्य स्वयं बोता है और कुछ पौधों के बीज अपने आप पौधों से अलग होकर जमीन पर पड़े रहते हैं और जब उपयुक्त वातावरण प्राप्त होता है तब इन्हीं बीजों से उस जाति के नए पौधों का जन्म होता है।

प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक कायिक प्रवर्धन-पौधे में बीज को छोड़कर, किसी अन्य भाग, जैसे जड़, तना, पत्ते से पौधा विकसित होने की प्रक्रिया, प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन कहलाती है। यह तीन प्रकार से होता है (जड़ों के द्वारा कुछ पौधों की जड़ों पर कायिक कलिकाएँ होती हैं, जब वे उगती हैं तो वे पौधे को जन्म देती हैं।

सबसे बड़ा आवृतबीजी पौधा कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंइस वर्ग के पौधे बड़े वृक्ष या साइकस (cycas) जैसे छोटे, या ताड़ के ऐसे, अथवा झाड़ी की तरह के होते हैं। सिकोया जैसे बड़े वृक्ष (३५० फुट से भी ऊँचे), जिनकी आयु हजारों वर्ष की होती है, वनस्पति जगत् के सबसे बड़े और भारी वृक्ष हैं।

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वानस्पतिक प्रवर्धन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवानस्पतिक जनन (Vegetative reproduction या vegetative propagation या vegetative multiplication या vegetative cloning) एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जो वनस्पतियों में होता है। इस जनन प्रक्रिया में बिना बीज या बीजाणु (spores) के ही नयी वनस्पति पैदा होती है।

बोगनवेलिया की कलम कब लगाएं?

इसे सुनेंरोकेंविधि 1 का 2: यदि आप एक ठंडे, आर्द्र प्रदेश में हैं, तो भी बोगनवेलिया उगा सकते हैं, बशर्ते कि इसे गमले में लगाएँ और सर्दियों में घर के अन्दर रख लें। जहां रात में पारा 60° फारेनहाईट (16° सेंटीग्रेड) के नीचे नहीं गिरता और दिन का तापमान 100° फारेनहाईट (38° सेंटीग्रेड) से ऊपर नहीं चढ़ता वह बोगनवेलिया के लिए श्रेष्ठतर है।

प्रवर्धन कितने प्रकार का होता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रवर्धन द्वारा प्रजनन केवल पौधों में ही पाया जाता है । इसमें नये पौधे किसी भी जनन अंग की सहायता के बिना, पुराने पौधौं के भागों (जैसे–तना,जड़, पत्ती) से प्राप्त किये जाते हैं । कायिक प्रवर्धन में प्रायः पौधे के पुराने भाग पर उपस्थित एक या एक से अधिक कलिकाओं की वृद्धि और विकास होता है । जिससे नया पौधा बनता है।

प्रवर्धन का अर्थ क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रवर्धन: प्रवर्धन संस्कृत [संज्ञा पुल्लिंग] 1. बढ़ाने की क्रिया ; बढ़ती ; वृद्धि 2. अच्छी तरह बढ़ाना।

कायिक प्रवर्धन क्या है?`?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : कायिक प्रवर्धन-”जब मनुष्य कृत्रिम रूप से पौधों के विभिन्न भागों (रचनाओं) से नवीन पौधे पैदा करता है तो इस प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन या कृत्रिम अलैंगिक जनन कहते हैं।”

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पौध प्रवर्धन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकायिक विधियों से तैयार होने वाले पौधे गुणों में पैतृक के समान होते है। कायिक विधियों से तैयार पौधे छोटे आकार के होते है। जिस से उद्यनिकी क्रियाएं तथा तुड़ाई आसानी से की जा सकती है। कुछ पौधों जिनमें बीज का निर्माण नहीं होता है उनमें कायिक विधि से ही प्रवर्धन किया जा सकता है।

कायिक प्रवर्धन क्या होता है इसके क्या लाभ है?

इसे सुनेंरोकेंकायिक प्रवर्धन के लाभ-(1) इस जनन में एक ही प्रकार के जनक की आवश्यकता होने के कारण जनन में कम समय लगता है। (2) इस जनन में उगाए गए पौधों से अपेक्षाकृत फूल और फल शीघ्र अर्थात् कम समय में ही मिल जाते हैं। (3) इस जनन में उगाए गए पौधे के गुण अपने जनक के समान ही होते हैं। (4) इस विधि से बीजहीन पौधों को उत्पन्न करना संभव है।

कायिक प्रबंधन क्या हैं दो उदाहरण लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंअजूबा (Bryophyllum) के पौधे में पत्तियों के किनारों से पादपकाय उत्पन्न होते हैं जो मातृ पौधे से अलग होकर नये पौधे को जन्म देते हैं। आलू के कन्द में उपस्थित पर्वसन्धियाँ (nodes) कायिक प्रवर्धन में सहायक होती हैं। पर्वसन्धियों में कलिकाएँ स्थित होती हैं तथा प्रत्येक कलिको नये पौधे को जन्म देती है।

कायिक प्रवर्धन से क्या समझते हैं कोई दो उपयुक्त उदाहरण दीजिए?

इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक विधियों से कायिका प्रवर्धन जड़ों, स्तम्भ अथवा पत्तियों से हो सकता है। कृत्रिम विधियों द्वारा कयोका संचरण की विधियों में आते हैं- रोपण, दाब, कलम लगाना अथवा ऊतक संवर्धन। उदाहरण के लिए आलू को उसकी आँखों द्वारा तथा अदरक को उसके के लिए आलू को उसकी आँखों द्वारा तथा अदरक को उसके प्रकन्द द्वारा उत्पन्न किया जाता यही।

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कायिक प्रवर्धन के क्या क्या लाभ है?

पपीते के प्रवर्धन की प्रमुख विधि का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपपीता का प्रवर्धन बीज के द्वारा किया जाता है। 300 ग्राम बीज एक हेक्टेयर के लिये उपयुक्त होता है। पहले अप्रैल माह में क्यारियों में बीज डाला जाता है तथा जून माह तक खेत में रोपण के लिए पौध तैयार हो जाती हैं। 1.5 से 2 मीटर की दूरी पर 50×50 x 50 सै.

पौधों में कायिक प्रवर्धन के लिए कौन सा भाग अधिक अनुकूल है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: कायिक प्रवर्धन में, पुराने पौधों के हिस्से जैसे तना, जड़ और पत्ती का प्रयोग नए पौधे को उगाने में किया जाता है। पुराने पौधों में निष्क्रिय स्थिति में मौजूद अंकुर को जब अनुकूल स्थितियां जैसे नमी और ताप दिया जाता है, तब वे नए पौधों के रूप में उगने लगती हैं और विकसित होने लगती हैं।

बीजों द्वारा प्रजनन की अपेक्षा कायिक प्रजनन का क्या लाभ है?

इसे सुनेंरोकें1. जिन पौधों में बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है उनका प्रजनन कायिक प्रवर्धन विधि के द्वारा ही किया जाता हैं । 2. इस विधि द्वारा उगाये गये पौधे में बीज द्वारा उगाये गये पौधों की अपेक्षा कम समय में फल और फूल लगने लगते है।

कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते है?

Solution : किसी पौधों के वर्धी भागों जैसे-जड़, तना, पत्ती द्वारा न्य पौधा तैयार होना कायिक प्रवर्धन (Vegetative propagation) कहलाता है। यह अलैंगिक जनन का ही एक रूप है जिसमे पौधे के केवल वर्धी भाग (Vegetative parts) ही भाग लेते हैं।

कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं दो लाभ लिखिए?

Solution : कायिक प्रवर्धन के लाभ-(1) इस जनन में एक ही प्रकार के जनक की आवश्यकता होने के कारण जनन में कम समय लगता है। <br> (2) इस जनन में उगाए गए पौधों से अपेक्षाकृत फूल और फल शीघ्र अर्थात् कम समय में ही मिल जाते हैं। <br> (3) इस जनन में उगाए गए पौधे के गुण अपने जनक के समान ही होते हैं

प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं?

पौधों में अन्य जीवों की भांति अपने जैसे पौधे पैदा करने की क्षमता होती है, पादप प्रवर्धन (Plant Propagation) कहते हैं। यह कार्य पौधों में अनेक प्रकार से होता है। इसे मुख्यत: तीन मौलिक भागों में विभाजित किया जा सकता है।

कायिक प्रवर्धन किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?

Solution : जड़, तने और पत्ती द्वारा पौधे उगने की कुछ विधिओं को कायिक प्रवर्धन कहते है ।