Show जब बात अनाज की हो तो सबसे पहले जेहन में गेहूं और चावल ही आते हैं। हमारी डाइट में इन दोनों या फिर किसी एक की मौजूदगी सबसे ज्यादा होती है। थाली में रोटी के रूप में गेहूं और प्लेन राइस से लेकर पुलाव तक चावल 50 से 70 फीसदी तक होता है। इन दोनों की मौजूदगी का आधार उस इलाके और वहां के खानपान पर निर्भर करता है। मसलन दक्षिण भारत में चावल और उससे बनी चीजें ही ज्यादा खाई जाती हैं, वहीं उत्तर भारत में दोनों की भूमिका लगभग बराबर होती है। बंगाल और बिहार में तो चावल खाने के बाद ही भोजन पूर्ण माना जाता है। डाइट में चावल की ज्यादा मौजूदगी को कई बार वजन बढ़ने और शुगर बढ़ने आदि से भी जोड़कर देखा जाता है। इसलिए अक्सर डॉक्टर और डाइटिशन खाने में इनकी मात्रा कम करने की सलाह देते हैं। वहीं कई एक्सपर्ट ऐसे हैं जो चावल को गेहूं की तुलना में काफी सुपाच्य मानते हैं। गेहूं के आटे में 'ग्लूटन' (एक खास तरह का प्रोटीन) की वजह से इसे पचाना काफी मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से पेट में अक्सर गैस, अपच की परेशान रहती है। ग्लूटन के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमारे फेसबुक पेज SundayNbt पर जाएं और वहां ग्लूटन या gluten टाइप करें। इससे जुड़ी जानकारी मिल जाएगी। ध्यान देने वाली बात है कि यहां दिए गए आंकड़े सामान्य चावल के हैं न कि पॉलिश्ड चावल के। रंगीले चावल एक कप उबले हुए सफेद चावल (100 ग्राम भात) (या बिना पकाए 25 ग्राम या एक चौथाई कप चावल) कैलरी : 130 कार्बोहाइड्रेटस : 28 ग्राम प्रोटीन : 2.66 ग्राम सोडियम : 365 मिली ग्राम पोटैशियम : 35 मिली ग्राम कैल्शियम : 10 मिली ग्राम फाइबर : 0.40 ग्राम कहां उगाया जाता है दुनिया में लगभग हर जगह। भारत के ज्यादातर राज्यों में। रेड राइस एक कप उबले हुए रेड राइस (100 ग्राम भात) (या बिना पकाए 25 ग्राम या एक चौथाई कप चावल) कैलरी : 110 कार्बोहाइड्रेटस : 29 ग्राम प्रोटीन : 2.3 ग्राम सोडियम : 4 मिली ग्राम पोटैशियम : 102 मिली ग्राम कैल्शियम : 13 मिली ग्राम फाइबर : 0.7 ग्राम इनके अलावा क्या? इसमें ऐंटीऑक्सिडेंट (खाना पचने के बाद कुछ मात्रा में बनने वाले हानिकारक पदार्थों को खत्म करने वाले तत्व) एंथोसाइनिन होता है जो लाल रंग लाता है। यह वजन घटाने के लिए भी अच्छा है। कहां उगाया जाता है : केरल, तमिलनाडु, बिहार आदि। ब्लैक राइस एक कप उबले हुए ब्लैक राइस (100 ग्राम भात) (या बिना पकाए हुए 25 ग्राम या एक चौथाई कप चावल) कैलरी : 160 कार्बोहाइड्रेटस : 34 ग्राम प्रोटीन : 7.50 ग्राम सोडियम : 4 मिली ग्राम पोटैशियम : 268 मिली ग्राम कैल्शियम : 15 मिली ग्राम फाइबर : 2 ग्राम इनके अलावा क्या? इसमें ऐंटीऑक्सिडेंट, विटामिन बी 6, जिंक, फॉस्फोरस, नियासिन (विटामिन बी 3) और फोलेट जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। कहां उगाया जाता है : उत्तर-पूर्वी भारत (असम, मणिपुर) में ज्यादा मात्रा में। ब्राउन/उसना/सेला चावल एक कप उबले हुए ब्राउन/उसना/सेला चावल (100 ग्राम भात) (या बिना पकाए हुए 25 ग्राम या एक चौथाई कप चावल) कैलरी : 111 कार्बोहाइड्रेटस : 44 ग्राम प्रोटीन : 5 ग्राम सोडियम : 5 एमजी पोटैशियम : 79 मिली ग्राम कैल्शियम : 12 मिली ग्राम फाइबर : 3.5 ग्राम कहां उगाया जाता है : यह पूरी दुनिया में आसानी से मिलता है, लेकिन खास तौर पर लाल चावल हिमालय की तलहटी में, बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, दक्षिणी तिब्बत, दक्षिण भारत और भूटान में पाया जाता है। छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां... छोटे चावल : नाम से ही पता चल जाता है। ये साइज में छोटे होते हैं। अगर ये खुशबू वाले नहीं हैं तो लंबे चावलों की तुलना में इनकी कीमत भी कम होती है। इनकी लंबाई इनकी चौड़ाई से दोगुनी होती है। पकने के बाद ये मुलायम हो जाते हैं और आपस में चिपक जाते हैं। मीडियम चावल : ये चावल भी छोटे चावल की तरह होते हैं। आकार में थोड़-से बड़े। अगर छोटे और मीडियम चावल को मिला दिया जाए तो अलग-अलग करना मुश्किल होता है। ये भी काफी मुलायम होते हैं और पकाने पर चिपक जाते हैं। लंबे चावल चमेली : इसे थाई चावल भी कहते हैं क्योंकि ये थाईलैंड में काफी उगाए जाते हैं। ये साइज में लंबे होते हैं। बासमती : हमारे देश में बासमती हरियाणा और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं। टूटे चावल जब धान से भूसी को अलग करने के लिए मशीन चलाई जाती है तो उसमें से 3 से 4 तरह के चावल निकल सकते हैं। साबुत, कम टूटा, बीच से टूटा और एक चावल के कई टुकड़े। अगर बासमती का टुकड़ा है तो टूटे चावल से भी खुशबू आएगी। इसकी कीमत जरूर कम होती है, लेकिन स्वाद साबुत चावल जैसा ही होता है। नए चावल अच्छे या पुराने? चावल की एक खासियत यह भी है कि ये जितने पुराने होते हैं, उतने ही अच्छे माने जाते हैं। इसकी वजह यह है कि 100 ग्राम नए चावल का वजन उबालने के बाद 200 से 250 ग्राम हो जाता है तो पुराने 100 ग्राम चावल उबलने पर 400 से 450 ग्राम तक हो जाते हैं। नए चावल वैसे तो जल्दी पकते हैं, पर पकने के कुछ समय बाद आपस में चिपककर लुगदी में बदल जाते हैं। पुराने चावल के साथ ऐसा अमूमन नहीं होता। जहां तक पुराने चावल के स्वाद की बात है तो इसमें नए चावल की तुलना में मीठापन कम होता है। दीवाना बना देती है खुशबू बासमती चावल : सबसे अच्छी किस्म बासमती होती है। पूरी दुनिया को करीब 90 फीसदी बासमती चावल का निर्यात भारत ही करता है। पकाने के दौरान इनकी खुशबू दूर तक फैल जाती है। अंबेमोहर चावल : महाराष्ट्र में उगाया जाने वाला यह चावल आकार में छोटा होता है। इसी वजह से जल्दी पक भी जाता है। इसके पकने पर इससे आम की मंजरी (फूलों) जैसी खुशबू आती है, इसलिए इसका नाम अंबेमोहर पड़ा। गोबिन्दोभोग चावल : यह पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। आकार में भी छोटा होता है। यह भी सुगंधित चावल है। इसका इस्तेमाल खीर आदि बनाने में किया जाता है। मुश्क बुदजी : यह कश्मीर घाटी में उगाया जाता है। तेज सुगंध वाला यह छोटा चावल है। कश्मीर में खीर बनाने में इस्तेमाल होता है। कालीमूंछ चावल: यह चावल ग्वालियर में उगता है। यह पतला, लंबा, खाने में मुलायम और सुगंधित होता है। कालीमूंछ चावल के धान की बाली का ऊपरी हिस्सा काला होता है इसलिए इसे कालीमूंछ कहते हैं। रांधुनी पागोल : यह भी बंगाल में पैदा होने वाला चावल है। वैसे इसका शाब्दिक अर्थ है 'पकाने वाले को पागल कर देने वाला'। इसमें भी अच्छी खुशबू होती है। चक हाओ अमूबी : यह ब्लैक राइस है। यह मणिपुर में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। खीर बनाने के लिए जब इसे दूध में पकाया जाता है तो यह जामुनी रंग का होने लगता है और पूरा घर खुशबू से भर जाता है। चावल अच्छा है या गेहूं? कार्बोहाइड्रेट के सोर्स के रूप में दोनों ही बेहतरीन ऑप्शन हैं। उत्तर भारत में गेहूं की रोटी और चावल दोनों ही खाने का चलन है। गेहूं में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, खासकर चोकर वाले आटे में। दक्षिण भारत में चावल और उससे बनी चीजें खाई जाती हैं। लेकिन गेहूं की तुलना में चावल को पचाना आसान होता है। वहीं गेहूं में ग्लूटन (एक खास तरह का प्रोटीन, जिसे कई लोग नहीं पचा पाते और उन्हें ग्लूटन इनटॉलरेंस हो जाती है।) की मौजूदगी से कई तरह की परेशानी हो जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, ग्लूटन सेंसिटिव लोगों की संख्या देश में 10 से 12 फीसदी ही है, लेकिन यह संख्या बढ़ रही है। वहीं चावल के साथ 100 ग्राम आटा (4 से 5 चपाती) में यह समस्या नहीं है। चावल पूरी तरह ग्लूटन फ्री होता है इसे पचाना भी आसान होता है। कैलरी : 339 कार्बोहाइड्रेट : 73 ग्राम प्रोटीन : 14 ग्राम (ग्लूटन) सोडियम : 2 मिली ग्राम पोटैशियम : 100 एमजी कैल्शियम : 34 मिली ग्राम फाइबर : 12 ग्राम कहां उगाया जाता है : पंजाब, यूपी, बिहार आदि। क्या ग्लूटन की वजह से सभी लोगों को गेहूं खाना छोड़ देना चाहिए? ऐसा बिलकुल नहीं है। जो लोग ग्लूटन इंटॉलरेंस की बीमारी से पीड़ित नहीं हैं, उन्हें गेहूं खाते रहना चाहिए। हां, वे साथ-साथ दूसरे अनाज भी अपनी डाइट में शामिल जरूर करें। इससे खाने में वैरायटी भी आएगी और ग्लूटन की समस्या की आशंका भी कम रहेगी। कैसे करें नए या पुराने चावल की पहचान -चावल जैसे-जैसे पुराने होते हैं उनमें पीलापन आने लगता है। वहीं नए चावल सफेद होते हैं। -नए चावल में कच्चापन होता है इसलिए उंगलियों के हल्के दबाव से भी टूट जाता है जबकि पुराने चावल को तोड़ने के लिए ज्यादा दबाव डालना पड़ता है। सवाल-जवाब क्या है पॉलिश्ड चावल? आज भी ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जो पॉलिश्ड चावल का मतलब चावल पर कोई तेल या ऑयल की परत लगाने से समझते हैं। ऐसा बिलकुल नहीं होता, पॉलिश से मतलब है चावल की बाहरी परत हटा देना ताकि चावल चमकीला दिखने लगे। दरअसल, जब चावल को पॉलिश मशीन में डालते हैं तो मशीन चावल की बाहरी परत को छील देती है। चूंकि चावल के अंदर की परत सफेद और ज्यादा चमकदार होती है तो छिलने के बाद चमकने लगती है और यह पतली हो जाती है। ऐसे पतले चावल की मांग बाजार में बहुत ज्यादा है। इसलिए कंपनियां ऐसे चावल ज्यादा बेचती हैं। कई कंपनियां अलग से इनमें पोषक तत्व जोड़ती हैं और इसका विज्ञापन भी करती हैं कि इस चावल में अलग से विटामिन और मिनरल डाले गए हैं। जिन चावलों को पॉलिश नहीं किया जाता, उनकी पैकिंग पर विटामिन और मिनरल अलग से डालने वाली बातें नहीं लिखी होतीं। रेड और ब्लैक राइस पर भी पॉलिश होती है लेकिन ऐसा कम होता है। इन खास चावलों की बिक्री ही इनके रंग की वजह से होती है। जब ये चावल पॉलिश किए जाते हैं तो बाहरी परत हटने के बाद चमकदार और लंबे दिखने लगते हैं, लेकिन पोषक तत्व कम हो जाते हैं। क्या चावल खाने से फायदा होता है? -चावल स्टार्च और खनिज से भरे होते हैं, लेकिन इसमें फैट की मात्रा बहुत कम होती है। -हमारी भूख के लिए आदर्श भोजन हैं। -शरीर के लिए इसे पचाना आसान है। -किडनी के लिए बेहतर है। खून साफ करने की क्षमता भी बढ़ाता है। चावल खाने के नुकसान भी हैं? -अगर फिजिकल ऐक्टिविटी कम हो तो ज्यादा मात्रा में चावल का सेवन करने से इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर में फैट के रूप में जमा होने लगता है। अगर ऐसा 2 से 3 महीने तक भी करें तो 2 से 3 किलो वजन बढ़ जाता है। -चावल जल्दी पच जाते हैं इसलिए पेट भरने के कुछ देर बाद, फिर भूख लगने लगती है। डायबीटीज के मरीजों के लिए चावल ठीक है? शुगर पेशंट को चावल का सेवन कम मात्रा यानी हर दिन 20 से 30 ग्राम ही करना चाहिए। उन्हें दिन में चावल खाने चाहिए क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट ज्यादा मात्रा में होता है और शरीर आसानी से इसे पचा भी लेता है। हालांकि इससे ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने की आशंका होती है। बिना पॉलिश वाले रेड या ब्लैक राइस की कुछ ज्यादा मात्रा यानी हर दिन 50 ग्राम तक खा सकते हैं। चूंकि इनमें प्रोटीन और ऐंटीऑक्सिडेंट की मात्रा काफी कम होती है। फिर भी फिजिकल ऐक्टिविटीज पर ध्यान देना होगा। चावल पकाने के तरीकों से भी पड़ता है फर्क? हमें चावल खाने हैं, लेकिन यह भी चाहते हैं कि चावल में मौजूद कैलरी और कार्बोहाइड्रेटस की वजह से हमारा वजन ज्यादा न बढ़े तो चावल पकाने का तरीका बदल देना चाहिए। अक्सर चावल पकाने के लिए प्रेशर कुकर का इस्तेमाल होता है। हम चावल धोकर पानी डालते हैं और कुकर बंद कर देते हैं। इस तरीके से चावल उबलने पर पानी में मौजूद कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च) या मांड उसी में रह जाता है। इन चावलों में कैलरी ज्यादा होती है। ऐसे में पतीले में चावल पकाना और छानकर मांड निकाल देना अच्छा ऑप्शन है। वैसे मांड अलग करने से स्टार्च के साथ-साथ कुछ मात्रा में दूसरे पोषक तत्व जैसे सोडियम, पोटैशियम, प्रोटीन आदि भी निकल जाते हैं। डॉक्टर और डाइटिशन सिर्फ उन लोगों को इस तरह के चावल खाने के लिए कहते हैं जिन्हें वजन कम करना हो और शुगर आदि की समस्या हो। क्या ब्लैक और रेड राइस का इस्तेमाल लंबे समय तक कर सकते हैं? अगर किसी शख्स के पास यह विकल्प मौजूद है कि वह ब्लैक या ब्राउन राइस का खाने में उपयोग लंबे समय तक कर सकता है तो जरूर करे। ब्लैक और रेड राइस में ऐंटीऑक्सिडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। साथ ही इनमें प्रोटीन भी ज्यादा होता है। इन्हें खाना आंखों और दिल के लिए भी फायदेमंद है। यह कैंसर आदि में भी काफी फायदेमंद है। इन्हें खाने से वजन भी कंट्रोल में रहता है। सफेद चावल की जगह कौन-से चावल खाने की सलाह दी जाती है और क्यों? सफेद चावल भी अच्छा है। अगर बिना पॉलिश वाला है तो ज्यादा अच्छा है। ऐसे चावल खाएं जिनमें ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व हो और पकने के बाद रंग-रूप में ज्यादा फर्क न पड़ता हो। कोशिश यह होनी चाहिए कि बिना पॉलिश वाले चावल ही खाएं। अगर सफेद चावल की जगह रेड, ब्राउन और ब्लैक राइस का ऑप्शन है तो इन्हें अपनाना चाहिए। कुछ जगह बुजुर्ग चावल खाने से रोकते हैं? सभी जगह बुजुर्ग चावल खाने से नहीं रोकते, कुछ जगह ऐसा हो सकता हैं। हां, सफेद चावल कम खाने के लिए कहते हैं। दरअसल, सफेद चावल तेजी से ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है। इसका सीधा-सा मतलब यह है कि यह जल्द ही पच जाता है। भोजन पचने के बाद अमूमन जल्द ही दोबारा भूख भी लग जाता है। इससे लोग ज्यादा खाने लगते हैं और वजन बढ़ सकता है। शरीर में फैट की मात्रा बढ़ने लगती है। वैसे भी आजकल वजन बढ़ना किसी बीमारी से कम नहीं है। क्या चावल में न्यूट्रिशन बहुत कम होते हैं? ऐसा बिलकुल भी नहीं है। मक्का, गेहूं की तुलना में सफेद लंबे चावल में ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, थियामिन, पैंटोथेनिक एसिड, फोलेट और विटामिन-ई ज्यादा मात्रा में मिलते हैं। कोई ब्लैक, ब्राउन या रेड राइस खाए तो ज्यादा पोषक तत्व शरीर को मिलेंगे। क्या दाल-चावल सबसे अच्छी डाइट है? यह अच्छी डाइट है, लेकिन सबसे अच्छी कहना जल्दबाजी होगी। इसमें अगर हरी-सब्जियां, सलाद, सेहत के लिए जरूरी मसाले, कुछ मात्रा में तेल या घी आदि की मौजूदगी नहीं होगी तो इसे सबसे अच्छी कहना सही नहीं होगा। दूसरी बात यह कि हम किस तरह के चावल और दाल का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें कैसे पका रहे हैं, यह भी काफी मायने रखता है। क्या खांसी-जुकाम में भी चावल खा सकते हैं? नेचरोपैथी और आयुर्वेद में खांसी-जुकाम के दौरान चावल खाने से मना किया जाता है। दरअसल, चावल से बलगम ज्यादा मात्रा में बनता है। चावल शरीर के तापमान को कुछ कम करता है। ऐसे में जब सर्दी और खांसी से पीड़ित हों तो गर्म खाने या गर्म पेय या भोजन पीने की सलाह दी जाती है। हालांकि, ऐलोपैथी में ऐसी मनाही नहीं होती। डॉक्टर कहते हैं कि सर्दी-खांसी में भी गर्म-गर्म चावल खाने से कुछ नहीं होता। क्या रात में चावल नहीं खाने चाहिए? इससे क्या नुकसान है? रात में हमारी फिजिकल ऐक्टिविटी कम होती है। अगर रात में ज्यादा मात्रा में चावल खा लेते हैं तो वह शरीर में फैट के रूप में स्टोर हो जाता है। इससे हमारा वजन बढ़ता है। वैसे भी रात में सबसे कम खाना खाना चाहिए। डायटिशन और डॉक्टर तो रात में लिक्विड डायट आदि से काम चलाने के लिए कहते हैं। अगर डिनर के बाद टहलने की आदत है तो रात में भी चावल खा सकते हैं। 100 ग्राम चावल में क्या क्या होता है?100 ग्राम सफेद चावल में केवल 150 कैलोरी होती हैं। हालांकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई होता है जो डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है। इस प्रकार, वजन घटाने के लिए यह एक अच्छा विकल्प नहीं है।
100 ग्राम चावल में कितना प्रोटीन होता है?राइस की न्यूट्रीशनल वैल्यू
इसमें 1 ग्राम प्रोटीन 0.1 ग्राम फैट और 18 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है।
चावल में सबसे ज्यादा क्या पाया जाता है?चावल में सबसे ज्यादा क्या पाया जाता है? चावल में कार्बोहाइड्रेट होता है जो सभी पोषक तत्वों में सबसे ऊपर है। कार्बोहाइड्रेट हमें ऊर्जा प्रदान करता है ।. चावल खाने के फायदे है -. कब्ज की समस्या कम होती है ।. ऊर्जा ज़्यदा मिलती है ।. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है ।. मोटापा नहीं होता है ।. चावल में कौन कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?चावल विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल्स का खजाना है. इसमें नियासिन, विटामिन डी, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, थायमीन और राइबोफ्लेविन पर्याप्त मात्रा में होता है.
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