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अतिलघुउत्तरीय प्रश्ननिर्देश -
एक शब्द/वाक्य में उत्तर लिखिए। प्रश्न-2 वह कौन था? जिसने देश को आजाद कराने का सपना देखा था? प्रश्न- 3 यदि पूजा करने वाले को पुजारी कहते हैं तो सेवा करने वाले को
क्या कहते हैं? लघुउत्तरीय प्रश्नप्रश्न-4 'प्रार्थना' कविता में कवि ने किन-किन को अपना सगा माना है? प्रश्न-5 हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए? प्रश्न-6 अपने आराध्य की आराधना करने से क्या लाभ है? एटग्रेड अभ्यासिका कक्षा 3 हिन्दी के पाठ को पढ़ें। दीर्घ उत्तरीय प्रश्नप्रश्न-7 मातृभूमि से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित कोई एक कविता लिखिए? कविताप्राणों से प्यारी, मूल्यांकन 1 अतिलघुउत्तरीय प्रश्नप्रश्न-1 'हे हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे' इस पंक्ति में किसकी आराधना की है? लघुउत्तरीय प्रश्नप्रश्न-2 'मेरी मातृभूमि है भारत, मैं भारत के योग्य बनूँ' इस पंक्ति से आप क्या समझते हो? अपने शब्दों में लिखिए? दीर्घउत्तरीय प्रश्नप्रश्न-3 'प्रार्थना' कविता पाठ से आपने क्या सीखा, उसे अपने शब्दों में लिखिए? एटग्रेड अभ्यासिका कक्षा 5 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, पर्यावरण के पाठों को पढ़ें। I hope the above information will be useful
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"Knowledge is the life of the mind" विद्यालय प्रार्थना सभा | School Assembly in Hindiप्रार्थना सभा की भूमिकाप्रार्थना सभा सामान्यतः अपने जीवन में हर नया काम प्रारम्भ करने से पहले लगभग हम सभी मन ही मन उस कार्य की सिद्धि हेतु प्रार्थना करते हैं अपने ईश्वर से तथा उसके बाद ही कार्य प्रारम्भ करते हैं। कदाचित यह मनोवृत्ति बचपन में विद्यालय जाने पर प्रार्थना सभा के साथ पठन पाठन आरम्भ करने की आदत के द्वारा ही उत्पन्न की जा सकती है। प्रार्थना सभा किसी भी विद्यालय का एक ऐसा दर्पण है जो उस विद्यालय के भौतिक, शैक्षिक, सामाजिक, मानसिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वातावरण का साफ एवं स्पष्ट चित्र दिखलाता है। वैसे तो आजकल के प्रचलित अर्थों में प्रार्थना सभा का तात्पर्य विद्यालय में शिक्षण कार्य शुरू होने से पूर्व छात्रों और शिक्षकों की एक ऐसी सामूहिक सभा से है जिसमें औपचारिकतापूर्ण कुछ प्रार्थनाओं, प्रतिज्ञाओं, राष्ट्रगान इत्यादि का गायन होता है तथा उसके बाद यदि किसी प्रकार की कोई सूचना इत्यादि होती है तो उसी प्रार्थना सभा के अंतिम में उसे भी बताया जाता है। इस प्रकार से प्रार्थना सभा पूर्ण रूप से संपन्न मानी जाती है। विद्यालय के दैनिक जीवन में अनुशासन का पहला पाठ प्रार्थना सभा से ही शुरू होता है। जो सामुदायिक सहभागिता की ओर अभिप्रेरित करता है। यहां उदारता, सहनशीलता, अनुशासन तथा मेल जोल के गुणों का विकास बालक में होता है। प्रार्थना सभा का अर्थआम तौर पर सभा वह होती है जहां पर एक साथ कई लोग आ जाएं और वह किसी मूल्यवान चीज हेतु विचार करें। विद्यालय के प्रार्थना सभा भी कुछ इसी प्रकार का होता है यहां भी प्रधानाचार्य, शिक्षक गढ़, तथा विद्यार्थी एक साथ विद्यालय कोई दैनिक क्रिया के प्रारम्भ होने से पहले इस सभा में एकत्रित होते हैं तथा सभी मिल कर प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं। प्रार्थना सभा में ईश स्तुति द्वारा हृदय पक्ष मजबूत होता है वहीं सृष्टि रचयिता के प्रति निष्ठा, कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है। प्रार्थना सभा के दौरान गए जाने वाले राष्ट्रगीत व राष्ट्रगान, देशभक्तिपूर्ण नारे विद्यार्थियों में मातृभूमि के प्रति प्यार, लगाव तथा समर्पण का जज्बा पैदा करते हैं। विद्यालय संबंधी निर्णय, आवश्यक सूचना, आदेश, निर्देश से सबको अवगत कराने का सर्वोत्तम समय प्रार्थना सभा ही होता है। विद्यार्थियों की विशेष उपलब्धियों के लिए या उनकी पीठ थपथपानी हो या फिर किसी प्रकार का पुरस्कार देना हो तो भी यह समय सर्वोच्च होता है। School Assembly: How to Conduct Assembly in School | Importance प्रार्थना सभा द्वारा प्राप्त मूल्य न केवल धार्मिक शिक्षा के लिए बल्कि व्यक्तिगत, सामाजिक और स्वास्थ्य शिक्षा, नागरिकता और आध्यात्मिकता के विकास के लिए आधार के रूप में कार्य करते हैं। प्रार्थना सभा द्वारा हम बालकों के मन के अकेलेपन तथा नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं। साथ ही साथ ऊर्जा, मनोबल एवं सकारात्मकता को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसा इस लिए संभव है क्योंकि प्रार्थना मनुष्य और ईश्वर के बीच का संवाद है या माध्यम है संवाद करने का। प्रार्थना सभा की गुणवत्ता पाठ्यक्रम के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। प्रार्थना सभा विद्यार्थियों के आत्म विकास में एक सकारात्मक योगदान दे सकती है। कुछ विद्वानों ने प्रार्थना सभा को कुछ इस प्रकार से परिभाषित किया है-
प्रार्थना सभा का उद्देश्यप्रार्थना सभा का संचालन बालक के अंदर निम्नलिखित क्रमबद्ध विशेषताओं के गुणों के लिए किया जाता है तथा साथ साथ विद्यालय प्रशासन के कुछ सहयोग हेतु भी –
प्रार्थना सभा के दिशा निर्देशप्रार्थना सभा को निर्देशित या संचालित करते समय विद्यार्थियों को हमें कुछ दिशा निर्देश देने चाहिए जिससे कि वे प्रार्थना के संचालन के समय या उसकी तैयारी करते समय उन का पूर्ण ध्यान रखें और प्रार्थना सभा को सुचारु तथा सुव्यवस्थित रूप से करा सकें। कुछ दिशा निर्देश निम्नलिखित हैं जो प्रार्थना सभा के संचालन से संबंधित हैं –
प्रार्थना सभा का संगठनप्रार्थना सभा में आयोजन का प्रारूप ईश वंदना, देशभक्ति गाना, प्रतिज्ञा, दैनिक समाचार, आज का विचार तथा साथ ही साथ कुछ प्रशासन द्वारा दी गई आवश्यक सूचनाएं होती है। इन सभी का व्यवस्थित रूप से संचालन हेतु संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संगठन द्वारा ही कार्यक्रम का प्रारूप तैयार किया जाता है तथा इसी की सहायता से संचालन भी किया जाता है। संगठन की भूमिका कुछ इस प्रकार से है –
शिक्षक की भूमिकाप्रार्थना सभा के संचालन तथा उसमें भाग लेने हेतु विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना इत्यादि के साथ साथ और कई भूमिका निर्वाह करता है शिक्षक जो अग्र लिखित हैं –
प्रशासन की भूमिकाविद्यालय में प्रशासन की भूमिका का निर्वाह सामान्य तौर पर प्रधानाचार्य का होता है तथा साथ ही साथ यदि कोई सहायक प्रधानाचार्य है तो वो भी प्रशासन के अन्तर्गत हो आएगा। इनकी भूमिका निम्नलिखित है –
निष्कर्षप्रार्थना सभा के संपूर्ण अध्ययन के बाद निम्नलिखित निष्कर्ष प्राप्त होते हैं –
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You may also likeAbout the authorहमारे विद्यालय की प्रार्थना कब करना चाहिए?प्रश्न-1 हमें अपने विद्यालय की प्रार्थना कब करना चाहिए? उत्तर - हमें अपने विद्यालय में प्रार्थना विद्यालय प्रारंभ होने के पूर्व एवं विद्यालय समाप्ति पर करना चाहिए।
स्कूल में प्रार्थना क्यों की जाती है?प्रार्थना सभा द्वारा हम बालकों के मन के अकेलेपन तथा नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं। साथ ही साथ ऊर्जा, मनोबल एवं सकारात्मकता को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसा इस लिए संभव है क्योंकि प्रार्थना मनुष्य और ईश्वर के बीच का संवाद है या माध्यम है संवाद करने का।
स्कूल में प्रार्थना कैसे करें?विद्यालय की प्रार्थना School prayer. तेरी पनाह में हमें रखना भी एक विधालय की सुबह की प्राथर्ना है, जिसको सुबह की विधालय की प्रेयर में शामिल कर सकते है,. इस प्रार्थना में बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते है, कि उन्हें हमेशा अपनी शरण में रखें, बच्चे प्रार्थना करते है, कि उन्हें संसार की सभी बुराइयों से बचाकर. प्रार्थना का उद्देश्य क्या है?प्रार्थना के माध्यम से व्यक्ति अपने या दूसरों की इच्छापूर्ति का प्रयास करता है. तंत्र, मंत्र, ध्यान और जप भी प्रार्थना का ही एक रूप हैं. प्रार्थना सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती है और प्रकृति को तथा आपके मन को समस्याओं के अनुरूप ढाल देती है. कभी कभी बहुत सारे लोगों द्वारा की गयी प्रार्थना बहुत जल्दी परिणाम पैदा करती है.
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