तुम कब जाओगे अतिथि यह प्रश्न लेखक के मन में कब उमड़ने लगा? - tum kab jaoge atithi yah prashn lekhak ke man mein kab umadane laga?

                   पाठ – 2 स्मृति , श्री राम शर्मा

प्रश्न 1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तर – जब लेखक के पास उनके गाँव का एक आदमी उनके भी का संदेश लेकर आया , उस समय लेखक अपने कई साथियों के साथ झरबेरी के बेर तोड़ रहे थे । लेखक को लगा कि शायद भाई साहब को इस बारे में पता चल गया है और अब बेर तोड़ने और खाने के अपराध में बहुत पिटाई होगी ।

प्रश्न 2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी ?

उत्तर - मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला इसलिए फेंकती थी क्योंकि कुएँ के अंदर एक साँप था और जैसे ही ढेला कुएँ में फेंका जाता , उसमें से एक फुसकार की आवाज़ सुनाई देती और वो आवाज़ सुनकर बच्चों की टोली आनंदित होती और कहकहे लगाती। बच्चे हमेशा ऐसी शरारतों में आनंद उठाते हैं । यह उनका स्वभाव होता है ।

प्रश्न 3. साँप ने फुसकार मारी या नहीं , ढेला उसको लगा या नहीं , यह बात अब तक स्मरण नही - यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है ?

उत्तर – यह कथन लेखक की इस दशा को स्पष्ट करता है कि पत्रों के कुएँ में गिर जाने के कारण बहुत घबरा गया था । पत्र निश्चित स्थान पर न पहुँचने की अवस्था में तथा एक निरीह प्राणी को परेशान करने के कारण पिटाई का भी डर सता रहा था । लेखक यही सब सोच कर काँप उठते हैं।

प्रश्न 4. किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया ?

उत्तर – लेखक के बड़े भाई ने उसे डाकखाने में डालने के लिए चिट्ठियाँ दी थीं जो कि बहुत ही आवश्यक थीं । बड़े भाई द्वारा सौंपे गए काम को करना लेखक अपना कर्तव्य मान रहे थे। वे अपने भाई से झूठ भी नहीं बोलना चाहते थे परंतु चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने व फिर सच बोलने पर अत्यधिक पिटाई का भी डर था। इसी वजह से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से बाहर निकालने का निर्णय लिया।

प्रश्न 5. साँप का ध्यान बंटाने के लिए लेखक ने क्या – क्या युक्तियाँ अपनाईं ?

उत्तर - साँप का ध्यान बंटाने के लिए लेखक ने निम्न युक्तियाँ अपनाईं –

     (क) सबसे पहले उसके ऊपर मिट्टी गिराई ।

     (ख) चिट्ठियाँ खिसकाने के लिए डंडे का प्रयोग किया ।

     (ग) साँप का ध्यान भटकाकर उसे उसके आसन से हटाया ।

     (घ) अंत में उसने फटाफट अपनी चिट्ठियाँ उठा लीं ।

प्रश्न 6. कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – कुएँ में गिरी चिट्ठियों को उठाने के लिए धोतियों की रस्सी बनाकर नीचे उतरा साँप के समक्ष डेढ़ गज की दूरी पर खड़ा हो गया । वहाँ डंडा चलाने की पर्याप्त जगह न होने के कारण उसने साँप के समीप पड़ी चिट्ठियों को डंडे से सरकाने का प्रयास किया तो साँप ने डंडे पर वार किया । उसने तीन – चार स्थानों पर विष छोड़ दिया । जब लेखक ने दूसरी बार पुनः प्रयास किया तो वह वार करके डंडे से चिपक गया । लेखक ने डंडा एक ओर पटक दिया । दैवी कृपा से लेखक व साँप दोनों के आसन बदल गए । लेखक ने तुरंत ही चिट्ठियाँ उठा लीं और उन्हें धोती के छोर से बांधा जिन्हें छोटे भाई ने ऊपर खींच लिया । फिर लेखक 36 फीट ऊपर आकर बेहाल पड़ा रहा । इस प्रकार लेखक ने अपने साहस के बल पर चिट्ठियों को प्राप्त कर लिया ।

प्रश्न 7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन – किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है ?

उत्तर – बच्चे स्वभाव से ही शरारती होते हैं – फिर चाहे ग्रामीण हों या शहरी । गाँव के बच्चे आम और बेर के पेड़ों से उन्हें तोड़कर खाने में आनंद का अनुभव करते हैं । रास्ता चलते हुए पैरों की ठोकर से धूल उड़ाते चलना , खतरनाक पशुओं को छेड़ना , कुएँ में पत्थर आदि फेंकना उन्हें आनंदित करता है । शरारत करते समय बच्चे अपनी जान की परवाह भी नहीं करते और न ही खतरनाक वस्तुओं से डरते हैं । वो लोगों को तरह – तरह से परेशान करने की युक्तियाँ सोचते रहते हैं । लेकिन जब मुसीबत में फँस जाते हैं तो रोने लगते हैं । दोबारा उस गलती को न दोहराने की कसम  खाते हैं और परिस्थितियाँ अनुकूल होते ही अपने पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं ।

प्रश्न 8. मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी – कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं – का आशय स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – मनुष्य भविष्य के बारे में अनुमान लगाकर समय और परिस्थिति के अनुसार अपने सुखद जीवन के लिए अनेक भावी योजनाएँ बनाता है । परंतु जब वह उन पर अमल करने लगता है तो उसे ज्ञात होता है कि उसका अनुमान ही गलत था । दरअसल यथार्थ तो कुछ और ही है । भविष्य वैसा रूप नहीं ले रहा जैसा उसने सोचा था । उसकी योजनाएँ ठीक वैसे ही व्यर्थ सिद्ध हो जाती हैं , जैसे लेखक ने कुएँ में जाकर साँप को मार कर चिट्ठियाँ उठाना सरल समझा था । लेकिन साँप की आक्रमक स्थिति देखकर लेखक की अकल चकरा गई और एक बार तो उसने साँप को मारने का विचार छोड़ दिया ।

प्रश्न 9. फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’- पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – मनुष्य किसी काम के लिए प्रयास करता है पर इच्छित फल पाना उसके वश की बात नहीं । वह सफल भी हो सकता है और असफल भी । सफलता और असफलता तो ईश्वर की कृपा पर निर्भर है परंतु मनुष्य को अपना दृढ़ निश्चय और प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए जैसा कि पाठ में लेखक ने किया । चिट्ठियों को उठाने के प्रयास में वह साँप के डंक से मारा भी जा सकता था , पर ईश – कृपा से ऐसा कुछ नहीं हुआ। लेखक चिट्ठियों को उठाकर सकुशल कुएँ से बाहर निकल आया ।

प्रश्न 10. दृढ़ संकल्प से दुविधा कि बेड़ियाँ काटी भी जा सकती हैं – यह किस संबंध में कहा गया है ?

उत्तर – दृढ़ संकल्प करने वाला व्यक्ति किसी भी कार्य को बीच रह में कभी भी नहीं छोड़ता और उसे पूर्ण करने का पक्का इरादा रखता है । इन अवस्थाओं में उसकी सफलता प्राप्ति में कोई भी बाधक नहीं बन सकता है । जब लेखक कीचिट्ठियाँ कुएँ में गिर गईं तो वह दुविधा में पड़ गया कि घर जाकर बड़े भाई से झूठ बोले या पत्रों को कुएँ से बाहर निकाले । उसकी यह दुविधा तब दूर हो गई जब उसने दृढ़ संकल्प कर कुएँ में घुसकर उसे निकालने का निश्चय किया ।            

                         परीक्षापयोगी प्रश्न 

प्रश्न 1. स्मृति पाठ बाल मनोविज्ञान की परतों को किस प्रकार खोलता है ? इस कथन की विवेचना कीजिए ।

प्रश्न 2. चक्षुश्र्वा किसे कहा जाता है और क्यों ? पाठ के आधार पर बताइये ।

प्रश्न 3. लेखक भारी मुसीबत में क्यों फँस गया ? पाठ के आदहर पर बताएँ   

प्रश्न 4. स्मृति पाठ के आधार पर लेखक के सबसे महत्त्वपूर्ण गुण का वर्णन कीजिए ।

प्रश्न 5. लेखक की माँ ने घटना सुनकर लेखक को गोद में बैठा लिया था । पाठ के आधार पर तर्कपूर्ण व्याख्या कीजिए ।

प्रश्न 6. जीव – जन्तु भी अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अंत तक प्रयास करते हैं । इस संदर्भ में लेखक के विचारों को अपने शब्दों में लिखिए ।

प्रश्न 7. स्मृति का पाठ का प्रतिपाद्य लिखिए ।

प्रश्न 8. यदि लेखक कुएँ न घुसता और चिट्ठियों को न निकालता तो इसका क्या परिणाम  होता ?

प्रश्न 9. लेखक ने अपनी माँ को यह घटना 7 साल बाद बताई – इसका क्या कारण था ?

प्रश्न 10. व्यक्ति के जीवन में साहस का क्या महत्त्व है ? स्मृति पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।        

तुम कब जाओगे अतिथि यह प्रश्न लेखक के मन में कब घुमड़ रहा था?

'तुम कब जाओगे, अतिथि'—यह प्रश्न लेखक के मन में तब घुमड़ने लगा जब लेखक ने देखा कि अतिथि को आए आज चौथा दिन है पर उसके मुँह से जाने की बात एक बार भी न निकली।

लेखक अपने अतिथि को दिखाकर दो दिनों से कौन सा कार्य कर रहा था और क्यों?

लेखक अपने अतिथि को दिखाकर दो दिनों से तारीखें बदल रहा था। ऐसा करके वह अतिथि को यह बताना चाह रहा था कि उसे यहाँ रहते हुए चौथा दिन शुरू हो गया है। तारीखें देखकर शायद उसे अपने घर जाने की याद आ जाए।

तुम कब जाओगे अतिथि इस प्रश्न के द्वारा लेखक ने पाठकों को क्या सोचने पर विवश किया है?

उत्तरः इस प्रश्न द्वारा लेखक ने पाठकों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि अच्छा अतिथि कौन होता है? वह, जो पहले से अपने आने की सूचना देकर आए और एक-दो दिन मेहमानी कराके विदा हो जाए न कि वह, जिसके आगमन के बाद मेज़बान वह सब सोचने को विवश हो जाए, जो इस पाठ का मेज़बान निरन्तर सोचता रहा।

अतिथि तुम कब जाओगे लेखक तथा उसकी पत्नि ने मेहमान को किस प्रकार स्वागत किया?

उत्तर : लेखक तथा उनकी पत्नी ने मेहमान का स्वागत गले मिलकर तथा सादर नमस्ते करके किया था। अतिथि की सन्मान में वे लोग रात के भोजन में दो सब्जियां, और रायते के अलावा मीठा भी बनाया था। (ग) मेहमान के स्वागत में दोपहर के भोजन को कौन सी गरिमा प्रदान की गई थी ?