Attempt now to get your rank among 131 students! Show Question 1:राम से पत्र लिखे गए।' - किस वाच्य का उदाहरण है? कर्तृवाच्य कर्मवाच्य भाववाच्य कर्तृ-कर्मवाच्य Question 2:निम्नलिखित में से कौन सा भाववाच्य का उदाहरण है? मैंने पुस्तक पढ़ी। पुस्तक पढ़ी जाती है। आम खाया जाता है। धूप में चला नहीं जाता। Question 3:निम्नलिखित में से कर्मवाच्य वाला वाक्य चुनें। ऐसा कहते हैं कि तुम लिख नहीं सकते। बिल्ली के हाथों चूहा मारा गया। उसे सब कुछ बता दें। Question 4:निम्न में भाववाच्य है- मोहन पुस्तक पढ़ता है। श्याम पत्र लिखता है। मोहन से बैठा नहीं जाता। पत्र लिखा जाता है। Question 5:वाच्य के कितने भेद होते हैं? दो पाँच सात तीन Question 6:कर्मवाच्य में प्रधान होता है? कर्ता भाव विचार कर्म Question 7:निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन वाला सही विकल्प है। राधा स्कूटी चला रही है। (भाववाच्य) राधा से स्कूटी चलाई जाती है राधा से स्कूटी चलती है राधा स्कूटी चलाई स्कूटी राधा चलाई Question 8:'रीमा खाना खाकर सो गई' वाक्य में कौन -सा वाच्य है ? कर्तृवाच्य कर्मवाच्य भाववाच्य कर्म - कर्तृवाच्य Question 9:'मैं सर्दियों में नहीं नहाता।' भाववाच्य का रूप होगा। मैं सर्दियों में नहीं नहाना चाहता मुझसे सर्दियों में नहाया नहीं जाता मैं सर्दियों में नहाना नहीं चाहता सर्दियों में नहाना नहीं चाहता Question 10:निम्न में कर्मवाच्य है- वर्षा से पुस्तक पढ़ी गई वर्षा पुस्तक पढ़ रही है वर्षा से पुस्तक पढ़ा नहीं जाता वर्षा ने पुस्तक नहीं पढ़ा Time Left : 00:00:00
इसे अंग्रेजी में VOICE कहते हैं वाच्य की परिभाषा – क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। क्रिया के जिस रूपान्तर से यह ज्ञात हो कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का प्रधान विषय कर्ता, कर्म अथवा भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद – उपर्युक्त प्रयोगों के अनुसार वाच्य के तीन भेद हैं- (1) कर्तृवाच्य (Active Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो। क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। साहिल केला खाता है। (2) कर्मवाच्य (Passive Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो। क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। कवियों द्वारा कविताएँ लिखी गई। उक्त वाक्यों में कर्म प्रधान हैं तथा उन्हीं के लिए ‘लिखी गई’, ‘दी गई’ तथा ‘पढ़ी गई’ क्रियाओं का विधान हुआ है, अतः यहाँ कर्मवाच्य है। यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार रूपान्तररित न होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अँगरेजी की तरह हिन्दी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होता; जैसे- ‘मैं दूध पीता हूँ’ के स्थान पर ‘मुझसे दूध पीया जाता है’ लिखना गलत होगा। हाँ, निषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता है- मुझसे पत्र लिखा नहीं जाता; उससे पढ़ा नहीं जाता। (3) भाववाच्य (Impersonal Voice)- क्रिया
के उस रूपान्तर को भाववाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो। क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है। मोहन से टहला भी नहीं जाता। उक्त वाक्यों में कर्ता या कर्म प्रधान न होकर भाव मुख्य हैं, अतः इनकी क्रियाएँ भाववाच्य का उदाहरण हैं। यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है, किन्तु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती हैं। वाच्य-परिवर्तन – (1) कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य (Active to Passive) कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में रूपान्तरण के लिए हमें निम्नलिखित कार्य करने चाहिए- नीचे कुछ उदाहरण दिया जा रहा है-
(2) कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य (Passive to Active) कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए- नीचे कुछ उदाहरण दिया जा रहा है-
(3) कर्तृवाच्य से भाववाच्य (Active voice to Impersonal Voice) कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए- नीचे कुछ उदाहरण दिया जा रहा है-
वाच्य के प्रयोग – वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष का अध्ययन ‘प्रयोग’ कहलाता है। प्रयोग के प्रकार – ‘प्रयोग’ तीन प्रकार के होते
हैं- (क) कर्तरि प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों, तो उसे कर्तरि प्रयोग कहते हैं। जैसे- रोहन खाना खाता है। (ख) कर्मणि प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों, तो उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं। जैसे- सौरभ ने पुस्तक लिखी। (ग) भावे प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता अथवा कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्य पुरुष हों तब भावे प्रयोग होता हैं। इसमें क्रिया का रूप सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में रहता है, वह कर्ता या कर्म के अनुसार नहीं होता। ध्यान रखिए कि तीनों वाच्यों में भावे प्रयोग देखे जा सकते हैं। जैसे- कर्तृवाच्य में- हरीश ने लड़के को पीटा। कर्मवाच्य में- माँ द्वारा पुत्र के लिए खाना परोसा गया। भाववाच्य में- उससे खड़ा नहीं हुआ गया। वाच्य-संबंधी कुछ विशिष्ट बातें :
मैंने पुस्तक पढ़ी कौन सा वाच्य है?कर्मवाच्य – Karm Vachya
वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है। जिस वाक्य में क्रिया कर्म के अनुसार हो, उसे 'कर्मवाच्य' कहते हैं। पत्र लिखा जाता है। पुस्तक पढ़ी जाती है।
पुस्तक पढ़ी जाती है 'पुस्तक पढ़ी जाती हैं ।
राम ने पुस्तक पढ़ी में कौन सा वाच्य है?वाच्य क्रिया का वह रूप है, जिससे यह ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता प्रधान है, कर्म प्रधान है अथवा भाव प्रधान है।
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Key Points.. 5 मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है कौन सा वाच्य है?वाच्य क्रिया के उस परिवर्तन को कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का पता चलता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता (पहचान) है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वाक्य में इस्तेमाल क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष कर्ता, कर्म या भाव में से किसके अनुसार है।
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