मैंने पुस्तक पढ़ी में कौन सा वाच्य है? - mainne pustak padhee mein kaun sa vaachy hai?

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Question 1:

राम से पत्र लिखे गए।' - किस वाच्य का उदाहरण है?

कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य

भाववाच्य

कर्तृ-कर्मवाच्य

Question 2:

निम्नलिखित में से कौन सा भाववाच्य का उदाहरण है?

मैंने पुस्तक पढ़ी।

पुस्तक पढ़ी जाती है।

आम खाया जाता है।

धूप में चला नहीं जाता।

Question 3:

निम्नलिखित में से कर्मवाच्य वाला वाक्य चुनें।

ऐसा कहते हैं कि

तुम लिख नहीं सकते।

बिल्ली के हाथों चूहा मारा गया।

उसे सब कुछ बता दें।

Question 4:

निम्न में भाववाच्य है-

मोहन पुस्तक पढ़ता है।

श्याम पत्र लिखता है।

मोहन से बैठा नहीं जाता।

पत्र लिखा जाता है।

Question 5:

वाच्य के कितने भेद होते हैं?

दो

पाँच

सात

तीन

Question 6:

कर्मवाच्य में प्रधान होता है?

कर्ता

भाव

विचार

कर्म

Question 7:

निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन वाला सही विकल्प है। 

राधा स्कूटी चला रही है। (भाववाच्य)

राधा से स्कूटी चलाई जाती है

राधा से स्कूटी चलती है

राधा स्कूटी चलाई

स्कूटी राधा चलाई

Question 8:

'रीमा खाना खाकर सो गई' वाक्य में कौन -सा वाच्य है ?

कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य

भाववाच्य

कर्म - कर्तृवाच्य

Question 9:

'मैं सर्दियों में नहीं नहाता।' भाववाच्य का रूप होगा।

मैं सर्दियों में नहीं नहाना चाहता

मुझसे सर्दियों में नहाया नहीं जाता

मैं सर्दियों में नहाना नहीं चाहता

सर्दियों में नहाना नहीं चाहता

Question 10:

निम्न में कर्मवाच्य है-

वर्षा से पुस्तक पढ़ी गई

वर्षा पुस्तक पढ़ रही है

वर्षा से पुस्तक पढ़ा नहीं जाता

वर्षा ने पुस्तक नहीं पढ़ा

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इसे अंग्रेजी में  VOICE कहते हैं

मैंने पुस्तक पढ़ी में कौन सा वाच्य है? - mainne pustak padhee mein kaun sa vaachy hai?

वाच्य की परिभाषा –

क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। क्रिया के जिस रूपान्तर से यह ज्ञात हो कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का प्रधान विषय कर्ता, कर्म अथवा भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।

वाच्य के भेद –

उपर्युक्त प्रयोगों के अनुसार वाच्य के तीन भेद हैं-
(1) कर्तृवाच्य (Active Voice)
(2) कर्मवाच्य (Passive Voice)
(3) भाववाच्य (Impersonal Voice)

(1) कर्तृवाच्य (Active Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो। क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
उदाहरण –

साहिल केला खाता है।
सोहम पुस्तक पढ़ता है।
उक्त वाक्यों में कर्ता प्रधान है तथा उन्हीं के लिए ‘खाता है’ तथा ‘पढ़ता है’ क्रियाओं का विधान हुआ है, इसलिए यहाँ कर्तृवाच्य है।

(2) कर्मवाच्य (Passive Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो। क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
उदाहरण –

कवियों द्वारा कविताएँ लिखी गई।
रोगी को दवा दी गई।
उससे पुस्तक पढ़ी गई।

उक्त वाक्यों में कर्म प्रधान हैं तथा उन्हीं के लिए ‘लिखी गई’, ‘दी गई’ तथा ‘पढ़ी गई’ क्रियाओं का विधान हुआ है, अतः यहाँ कर्मवाच्य है।

यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार रूपान्तररित न होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अँगरेजी की तरह हिन्दी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होता; जैसे- ‘मैं दूध पीता हूँ’ के स्थान पर ‘मुझसे दूध पीया जाता है’ लिखना गलत होगा। हाँ, निषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता है- मुझसे पत्र लिखा नहीं जाता; उससे पढ़ा नहीं जाता।

(3) भाववाच्य (Impersonal Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को भाववाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो। क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है।
उदाहरण –

मोहन से टहला भी नहीं जाता।
मुझसे उठा नहीं जाता।
धूप में चला नहीं जाता।

उक्त वाक्यों में कर्ता या कर्म प्रधान न होकर भाव मुख्य हैं, अतः इनकी क्रियाएँ भाववाच्य का उदाहरण हैं।

यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है, किन्तु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती हैं।

वाच्य-परिवर्तन –

(1) कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य (Active to Passive)

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में रूपान्तरण के लिए हमें निम्नलिखित कार्य करने चाहिए-
(i) कर्त्ता कारक में करण कारक के चिह्न ‘से’/द्वारा’ का प्रयोग करना चाहिए।
(ii) कर्म को चिह्न-रहित करना चाहिए।
(iii) क्रिया को कर्म के लिंग-वचन-पुरुष के अनुसार रखना चाहिए अर्थात कर्म प्रधान बनाना चाहिए।

नीचे कुछ उदाहरण दिया जा रहा है-

कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
(1) सचिन मैच खेलने चेन्नई जाएँगे। सचिन के द्वारा मैच खेलने चेन्नई जाया जाएगा।
(2) राकेश पुस्तक पढ़ रहा है। राकेश के द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।
(3) मित्र विपत्ति में मदद करते हैं। मित्रों के द्वारा विपत्ति में मदद की जाती है।
(4) महेश पत्र लिखता है। महेश के द्वारा पत्र लिखा जाता है।
(5) फैक्टरी बंद कर दी। फैक्टरी बंद करा दी गई।
(6) बुढ़िया खाना नहीं खा सकती। बुढ़िया के द्वारा खाना नहीं खाया जाता है।
(7) भारतवासी महात्मा गाँधी को नहीं भूल सकते है। भारतवासियों के द्वारा महात्मा गाँधी नहीं भुलाए जा सकते।
(8) बच्चे शोर मचाएँगे। बच्चों के द्वारा शोर मचाया जाएगा।
(9) माला ने खाना खाया। माला के द्वारा खाना खाया गया।
(10) आप गाना गाइए। आपके द्वारा गाना गया जाय।
(11) मुझपर भारी दबाव पड़ रहा था। मुझपर भारी दबाव डाला जा रहा था।

(2) कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य (Passive to Active)

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए-
(1) कर्त्ता के अपने चिह्न (०, ने) आवश्यकतानुसार लगाना चाहिए।
(2) यदि वाक्य की क्रिया वर्तमान एवं भविष्यत् की है तो कर्तानुसार क्रिया की रूप रचना रखनी चाहिए।
(3) भूतकाल की सकर्मक क्रिया रहने पर कर्म के लिंग, वचन के अनुसार क्रिया को रखना चाहिए।

नीचे कुछ उदाहरण दिया जा रहा है-

कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
(1) गोपाल पत्र लिखता है। गोपाल से पत्र लिखा जाता है।
(2) मैं अख़बार नहीं पढ़ सकता। मुझसे अख़बार पढ़ा नहीं जाता।
(3) लड़कियाँ गीत गा रही हैं। लड़कियों द्वारा गीत गाए जा रहे हैं।
(4) मैं यह वजन उठा नहीं पाऊँगा। मुझसे यह वजन नहीं उठाया जाएगा।
(5) मैं यह दृश्य नहीं देख सका। मुझसे यह दृश्य नहीं देखा गया।
(6) मजदूर पत्थर नहीं तोड़ रहे। मजदूरों से पत्थर नहीं तोड़े जा रहे।
(7) यह छात्रा भावभीनी श्रद्धांजलि दे रही है। इस छात्रा द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि दी जा रही है।

(3) कर्तृवाच्य से भाववाच्य (Active voice to Impersonal Voice)

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
(1) कर्त्ता के साथ से/द्वारा चिह्न लगाकर उसे गौण किया जाता है।
(2) मुख्य क्रिया को सामान्य क्रिया एवं अन्य पुरुष पुल्लिंग एकवचन में स्वतंत्र रूप में रखा जाता है।
(3) भाववाच्य में प्रायः अकर्मक क्रियाओं का ही प्रयोग होता है।

नीचे कुछ उदाहरण दिया जा रहा है-

कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
(1) गरमियों में लोग खूब नहाते हैं। गरमियों में लोगों से खूब नहाया जाता है।
(2) पक्षी रात में सोते हैं। पक्षियों से रात में सोया जाता है।
(3) वह तख्त पर सोता है। उससे तख्त पर सोया जाता है।
(4) सलोनी नहीं हँसती। सलोनी से हँसा नहीं जाता।
(5) बच्चे शांत नहीं रह सकते। बच्चों से शांत नहीं रहा जाता।
(6) हम नहीं हँस सकते। हमसे हँसा नहीं जाता।
(7) वे गा नहीं सकते। उनसे गाया नहीं जाता।
(8) आइए, चलें। आए, चला जाय।
(9) वह बेचारी रो भी नहीं सकती। उस बेचारी से रोया भी नहीं जाता।
(10) चलो, अब सोते हैं। चलो, अब सोया जाय।
(11) अब चलते हैं। अब चला जाय।

वाच्य के प्रयोग – 

वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष का अध्ययन ‘प्रयोग’ कहलाता है।
ऐसा देखा जाता है कि वाक्य की क्रिया का लिंग, वचन एवं पुरुष कभी कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है, तो कभी कर्म के लिंग-वचन-पुरुष के अनुसार, लेकिन कभी-कभी वाक्य की क्रिया कर्ता तथा कर्म के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्यपुरुष होती है; ये ही प्रयोग है।

प्रयोग के प्रकार –

‘प्रयोग’ तीन प्रकार के होते हैं-
(क) कर्तरि प्रयोग
(ख) कर्मणि प्रयोग
(ग) भावे प्रयोग

(क) कर्तरि प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों, तो उसे कर्तरि प्रयोग कहते हैं।
सरल शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार हों, उसे कर्तरि प्रयोग कहते हैं।

जैसे- रोहन खाना खाता है।
लड़कियाँ पुस्तकें पढेंगी।
पहले वाक्य में ‘खाता’ क्रिया कर्ता ‘पवन’ के अनुकूल अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन है। दूसरे वाक्य में ‘पढ़ेंगी’ क्रिया कर्ता ‘लड़कियों’ के अनुसार अन्य पुरुष, स्त्रीलिंग और बहुवचन है। ये दोनों कर्तरि प्रयोग के उदाहरण हैं।

(ख) कर्मणि प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों, तो उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं।
सरल शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में पुरुष, लिंग और वचन कर्म के अनुसार हों, उसे कर्मणि प्रयोग कहते हैं।

जैसे- सौरभ ने पुस्तक लिखी।
गौरव ने कई पत्र लिखे।
इन वाक्यों में क्रियाएँ ‘लिखी’ तथा ‘लिखे’ क्रमशः कर्म ‘पुस्तक’ तथा ‘कई पत्र’ के अनुसार हैं, अतः ये कर्मणि प्रयोग हैं।

(ग) भावे प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता अथवा कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्य पुरुष हों तब भावे प्रयोग होता हैं।

इसमें क्रिया का रूप सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में रहता है, वह कर्ता या कर्म के अनुसार नहीं होता। ध्यान रखिए कि तीनों वाच्यों में भावे प्रयोग देखे जा सकते हैं। जैसे-

कर्तृवाच्य में- हरीश ने लड़के को पीटा।
हरीश ने लड़कों को पीटा।
हरीश ने लड़कों को पीटा।

कर्मवाच्य में- माँ द्वारा पुत्र के लिए खाना परोसा गया।
माँ द्वारा पुत्री के लिए खाना परोसा गया।
माँ द्वारा सबके लिए खाना परोसा गया।

भाववाच्य में- उससे खड़ा नहीं हुआ गया।
उनसे खड़ा नहीं हुआ गया।
हमसे खड़ा नहीं हुआ गया।

वाच्य-संबंधी कुछ विशिष्ट बातें :

  • कर्तृवाच्य के सकरात्मक वाक्यों में इसी सामर्थ्य को सूचित करने के लिए क्रिया के साथ ‘सकना’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
    हम पुस्तक पढ़ सकते हैं।
    वे गीत गा सकते हैं।
  • असमर्थता सूचक में भी ‘सकना’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
    वह काम नहीं कर सकता।
    अंशु गाना नहीं गा सकती।
  • कर्मवाच्य के वाक्यों में प्रायः क्रिया में + ‘जा’ रूप लगाया जाता है। जैसे-
    किया जाता है। किया गया। किया जाएगा।
    खाया जाता है। खाया गया। खाया जाएगा।
  • कुछ व्युत्पन्न अकर्मक क्रियाओं का प्रयोग भी देखा जाता है। जैसे-
    बढ़ई पेड़ नहीं काट रहे।
    बढ़ई से पेड़ काटा नहीं जाता।
    बढ़ई से पेड़ कट नहीं रहा।
  • अकर्तृवाच्य (कर्मवाच्य और भाववाच्य) के वाक्यों में कहीं-कहीं कर्त्ता का लोप कर दिया जाता है। जैसे-
    पेड़ नहीं काटा जा रहा।
    पेड़ नहीं कट रहा।
  • हिन्दी में क्रिया का एक ऐसा रूप भी है, जो कर्मवाच्य की तरह प्रयुक्त होता है। जैसे-
    कुर्सी टूट गई। (‘तोड़ना’ से ‘टूटना’)
    दरवाजा खुल गया। (‘खोलना’ से ‘खुलना’)
  • क्रिया के अचानक तथा स्वतः होने की स्थिति में कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। जैसे-
    बस पलट गई और कई यात्री मारे गए।
    कई लाशें बहा दी गई।
  • कार्यालयी भाषा प्रायः कर्मवाच्य में देखी जाती है। जैसे-
    आप पर क्यों नहीं अनुशासनात्मक कार्यवाई की जाय ?
    आपको इस साल का बोनस दिया जाता है।
    आपको सूचित किया जाता है।
  • अधिकार, अभिमान और अहंभाव प्रकट करने के लिए कर्मवाच्य की क्रिया का प्रयोग होता है। जैसे-
    नर्तकियों को नचाया जाय।
    कर्मचारियों से सफाई कराई जाए।
  • सूचना, विज्ञप्ति आदि में जहाँ कर्त्ता निश्चित हो वहाँ कर्मवाच्य की क्रिया देखी जाती है। जैसे-
    बैरियर के गिरे रहने पर रेलवे लाईन को पार करनेवालों को सजा दी जाएगी।
    कन्या-भ्रूण हत्या करनेवालों को जेल दी जाए।
  • भाववाच्य में जब ‘नहीं’ का प्रयोग न हो तो मूल कर्त्ता जन सामान्य होता है। जैसे-
    गर्मियों में छत पर सोया जाता है।
  • अनुमति या आदेश प्राप्त करने की स्थिति में भाववाच्य की क्रिया का प्रयोग होता है। जैसे-
    अब यहाँ से चला जाय।
    यात्रा पर निकला जाय।
  • भाववाच्य की क्रिया सदा पु. एकव. अन्य पुरुष में ही रहती है, उसपर कर्त्ता के लिंग वचन-पुरुष का कोई असर नहीं पड़ता।

मैंने पुस्तक पढ़ी कौन सा वाच्य है?

कर्मवाच्य – Karm Vachya वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है। जिस वाक्य में क्रिया कर्म के अनुसार हो, उसे 'कर्मवाच्य' कहते हैं। पत्र लिखा जाता है। पुस्तक पढ़ी जाती है।

पुस्तक पढ़ी जाती है '

पुस्तक पढ़ी जाती हैं ।

राम ने पुस्तक पढ़ी में कौन सा वाच्य है?

वाच्य क्रिया का वह रूप है, जिससे यह ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता प्रधान है, कर्म प्रधान है अथवा भाव प्रधान है। ... Key Points..

5 मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है कौन सा वाच्य है?

वाच्य क्रिया के उस परिवर्तन को कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का पता चलता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता (पहचान) है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वाक्य में इस्तेमाल क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष कर्ता, कर्म या भाव में से किसके अनुसार है