भारत में सड़कों के वर्गीकरण का आधार क्या है? - bhaarat mein sadakon ke vargeekaran ka aadhaar kya hai?

Essay On Road Transport In Hindi: नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज के लेख में हम सड़क परिवहन पर निबंध लेकर आए हैं. भारत में सड़क सुरक्षा परिवहन प्रणाली या सड़क पर निबंध, भाषण, अनुच्छेद के रूप में हम यहाँ सड़क ट्रासपोर्ट के बारें में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.

किसी भी देश के आर्थिक विकास में यातायात एवं संचार के साधनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं. देश का कृषि, व्यापार व औद्योगिक विकास परिवहन के साधनों पर ही निर्भर करता हैं. परिवहन एक महत्वपूर्ण तृतीयक व्यवसाय हैं.

उत्पादन की गई सभी वस्तुओं का उपयोग उत्पादन केन्द्रों या उनके निकटवर्ती स्थानों पर सम्भव नहीं होता हैं.इसलिए वस्तुओं को उनके उत्पादन केन्द्रों से उन स्थानों तक पहुंचाना होता हैं जहाँ उनकी मांग होती हैं.

वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचाने से सम्बन्धित कार्य को परिवहन कहते हैं. परिवहन स्थान सम्बन्धी बाधाओं को दूर कर स्थान उपयोगिता का सृजन करता हैं. परिवहन व संचार के साधनों ने विश्व के देशों की दूरियां कम की हैं.

सड़क परिवहन छोटी दूरियों के लिए रेल परिवहन मध्यम दूरियों तथा जल परिवहन लम्बी दूरियों के लिए सस्ता माध्यम हैं सड़क परिवहन क्या है इसकी महत्वपूर्ण विशेषताएं व महत्व इस प्रकार हैं.

सड़क परिवहन (Road Transport In Hindi)

Telegram Group Join Now

सामान्य रूप से भू भागों में यात्रियों के आवागमन के लिए बनाएं गये मार्गों को सड़के कहते हैं. सड़कों के विकास के लिए प्रमुख आवश्यकता समतल भूमि की उपलब्धि हैं. सड़कों का विस्तार उन्ही स्थानों पर होता है, जहाँ जनसंख्या का घनत्व अधिक हो तथा भूमि समतल हो.

देश के आर्थिक विकास के लिए सड़क परिवहन एक जटिल अवसंरचना हैं. भारत में सड़क मार्ग का इस्तेमाल कुल 61 प्रतिशात माल और कुल 85 प्रतिशत यात्री परिवहन में होता हैं.

सड़क परिवहन की विशेषताएं व महत्व

  • सड़के परिवहन का सबसे प्राचीनतम माध्यम हैं.
  • सड़के परिवहन का क्षेत्र सर्वाधिक व्यापक है. मानव बसाव के प्रत्येक भाग तक सड़कों द्वारा पहुंचा जा सकता हैं. विश्व के सभी दुर्गम, दूरस्थ एवं आंतरिक भागों तक सड़कें जाती हैं.
  • सड़कें परिवहन का सरलता से उपयोग में लाया जाने वाला माध्यम हैं. इनका उपयोग किसी भी समय किया जा सकता हैं. इन पर वाहनों की आवृति सर्वाधिक रहती हैं.
  • सड़क मार्गों पर आवश्यकतानुसार विभिन्न क्षमताओं वाले वाहन काम में लिए जा सकते हैं. सड़कें परिवहन का सुविधा जनक माध्यम हैं.
  • सड़कें परिवहन के अन्य सभी माध्यमों का आधार हैं. क्योंकि सड़कों द्वारा ही परिवहन के अन्य माध्यमों तक पहुंचा जा सकता हैं. किसी अन्य माध्यम से व्यक्तियों एवं वस्तुओं का स्थानान्तरण करने पर भी सड़कों की आवश्यकता होती हैं.
  • छोटी दूरियों पर आवागमन हेतु सड़क मार्ग सस्ते और कम समय लेने वाले होने के कारण सर्वोत्तम होते हैं. सड़क परिवहन पर आरम्भिक निवेश शेष परिवहन के माध्यम की तुलना में न्यूनतम होता हैं.
  • सड़कें द्वार से द्वार तक परिवहन सेवा उपलब्ध करवाती हैं. इनके द्वारा उत्पादक क्षमता वाले स्थानों से सीधे उपभोक्ता स्थल तक पहुंचा जा सकता हैं.
  • शीघ्र खराब होने वाली एवं भार खोने वाली वस्तुओं जैसे दूध, फल, सब्जी, मांस, अंडा, गन्ना आदि के परिवहन के लिए सड़कें सर्वश्रेष्ठ माध्यम हैं.
  • सड़कें सांस्कृतिक आदान प्रदान में सहायक होती हैं.
  • सड़कों से राष्ट्रीय एकता की भावना का संचार होता हैं.

भारत में सड़क परिवहन वर्गीकरण (Road Transport Classification in India)

भारत जैसे विशाल देश में सड़कों का सामाजिक एवं आर्थिक समन्वय व उन्नयन में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान हैं. विद्यमान परिवहन व्यवस्था के विकास का अग्रदूत सड़कें ही हैं. सड़कों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता हैं.

  • एक्सप्रेस वे– अत्यधिक यातायात वाले मार्ग. इनके निर्माण व रखरखाव का कार्य केंद्रीय सरकार व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण करता हैं.
  • राष्ट्रीय राजमार्ग– ये राजमार्ग प्रमुख बन्दरगाहों, विदेशी राजमार्गों, केंद्र शासित/ राज्यों की राजधानियों, बड़े औद्योगिक व पर्यटन केन्द्रों को आपस में जोड़ते हैं. इनके संचालन हेतु केंद्र सरकार जिम्मेदार हैं. इनके निर्माण व रखरखाव का कार्य राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण करता हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग देश की कुल सड़क परिवहन सम्बन्धी मांग की लगभग ४० प्रतिशत मांग को पूरा करते हैं.
  • राज्य राजमार्ग– ये राज्य के मुख्य मार्ग है जो जिला मुख्यालयों तथा राज्य के मुख्य शहरों को आपस में एवं राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ते हैं. इनके संचालन की जिम्मेदारी सम्बन्धित राज्य/ केंद्र प्रशासित सरकारों की हैं.
  • मुख्य जिला सड़कें– जिले के ,महत्वपूर्ण मार्ग जो विभिन्न जिलों को आपस में तथा मुख्य राजमार्गों से जोड़ते हैं.
  • अन्य जिला व ग्रामीण सड़कें– ये सड़कें तहसील मुख्यालयों, खंड मुख्यालयों तथा अन्य महत्वपूर्ण सड़कों को जोड़ती हैं ग्रामीण सड़कें विभिन्न गाँवों को आपस में तथा अन्य उच्च श्रेणी की सड़कों से जोड़ती हैं.
  • सीमांत सड़कें (Border Road) – बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (भारत सरकार का उपक्रम) इनकी मरम्मत और देखभाल का कार्य करता हैं. देश के पूर्वी राज्यों में सामरिक महत्व की सड़कों के निर्माण के लिए वर्ष 1960 में सीमा सड़क संगठन का गठन किया गया था. यह देश के दुर्गम एवं जोखिम भरे स्थलों को मुख्य मार्गों तक जोड़ती हैं.

भारत में सड़कों की स्थिति

देश में कुल सड़क लम्बाई के सम्बन्ध में पहला सर्वेक्षण वर्ष 1951 का हैं जिसके अनुसार देशभर में सड़कों की कुल लम्बाई 4 लाख किमी थी. जो वर्ष 1971 आते आते 9 लाख 15 हजार किमी हो गई. वर्ष 1981 में यह बढ़कर 14 लाख 85 हजार किमी हो गई. 30 जून 2017 के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल सड़कों की लम्बाई 54 लाख 72 हजार 464 किमी हैं.  जो वर्ष 2013 तक 49 लाख 49 हजार थी.

यदि हम भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास क्रम और इसके इतिहास को देखे तो वर्ष 1951 के आंकड़ों के मुताबिक़ देश में नेशनल हाईवे की कुल लम्बाई 20 हजार किमी थी. जो 1981 में बढ़कर 32 हजार किमी वर्ष 2000 में 94 हजार किमी तथा 2012-13 में यह 1 लाख 68 हजार किमी के पार हो गई.

सड़क घनत्व (Road Density)

कुल क्षेत्रफल में सड़क लम्बाई का भाग देकर सड़क घनत्व निकाला जाता हैं. प्रति 100 वर्ग किमी में उपलब्ध सड़क लम्बाई को उस क्षेत्र का सड़क घनत्व के रूप में जाना जाता हैं. हमारे देश में सड़क घनत्व 75 किमी के आसपास हैं. घरातलीय विविधता के कारण देश के प्रत्येक क्षेत्र में इसका आंकड़ा भिन्न हैं. सर्वाधिक सड़क घनत्व वाले राज्यों में पहले स्थान पर केरल तथा दूसरे स्थान पर त्रिपुरा हैं.

सड़क विकास 

  • दांडी हैरिटेज रूट– भारत सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के समय दांडी के लिए अपनाए गये पवित्र मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 228 दांडी हैरिटेज रूट घोषित किया हैं. यह राष्ट्रीय राजमार्ग 228 अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से प्रारम्भ होकर नाडियाड, आनन्द, अंकलेश्वर, सूरत, नवसारी होते हुए समुद्र तट पर स्थित दांडी पर समाप्त होता हैं. इस NH राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लम्बाई 356 किमी हैं.
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण NHAI– राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण और प्रबंधन के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन किया गया हैं. यह प्राधिकरण फरवरी 1995 से प्रचालन में हैं. इसका गठन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1988 द्वारा किया गया.
  • राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम– 2014 में गठित यह कम्पनी पूर्वोत्तर राज्यों तथा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों तथा अन्य संरचनाओं के निर्माण में तेजी लाने का कार्य कर रही हैं. इसे जुलाई 2014 में निगमित किया गया और इसने सितम्बर 2014 से कार्य करना आरम्भ कर दिया हैं. इस समय 13 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैण्ड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड तथा नेपाल में परियोजनाएं चला रही हैं.
  • केंद्रीय सड़क निधि- केन्द्रीय सरकार ने सड़क कार्यक्रम के लिए धनराशि की व्यवस्था हेतु एक समर्पित गैर व्यपगत निधि केन्द्रीय सड़क निधि की स्थापना की हैं. इस निधि को पेट्रोल और डीजल पर 1 रूपया प्रति लीटर की दर से प्राप्त उपकर से धन मिलेगा.

भारत में सड़क परिवहन निबंध 2 | Essay On Road Transport In India In Hindi

भारत विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से है. यहाँ सड़क जाल लगभग 23 लाख वर्ग किमी है. भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन से पहले प्रारम्भ हुआ. निर्माण तथा व्यवस्था में सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है. रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन (Road Transport In India) में अधिक महत्व है. इसके कारण निम्न है.

भारत में सड़क परिवहन की विशेषताएं (road transport in india introduction,characteristics)

  1. रेलवें लाइन की अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत कम है.
  2. अपेक्षाकृत उबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भूभाग पर सड़कें बनाई जा सकती है.
  3. अधिक ढाल प्रवणता तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सडकें निर्मित की जा सकती है.
  4. अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व वस्तुओं के परिवहन में सड़के मितव्ययी है.
  5. यह घर घर सेवाएं उपलब्ध करवाता है तथा सामान चढाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है.
  6. सड़क परिवहन, अन्य परिवहन के साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में भी कार्य करता है, जैसे सड़कें, रेलवें स्टेशन, वायु व समुद्री पतनों को जोड़ती है.

भारत में सड़कों की स्थति के आधार पर इन्हें निम्न छ वर्गों में वर्गीकृत किया गया है.

भारत में सड़कों के प्रकार (Types of roads in India)

स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग (Golden Quadrilateral Super Highway)-

भारत सरकार ने दिल्ली कोलकाता, चेन्नई मुंबई व दिल्ली को जोड़ने वाली छ लेन वाली महा राजमार्ग सड़क परियोजना प्रारम्भ की है. इस योजना के तहत दो गलियारे प्रस्तावित है. प्रथम उत्तर दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है.

और दूसरा जो पूर्व पश्चिम गलियारा जो सिलचर (असम) तथा पोरबन्दर (गुजरात) को जोड़ता है. इस महा राजमार्ग का उद्देश्य भारत के मेगासिटी (mega cities) के मध्य दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है. यह राजमार्ग परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है.

राष्ट्रीय राजमार्ग (national highway in india)

राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ता है. ये प्राथमिक सड़क तंत्र है. जिनका निर्माण व रखरखाव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में है. अनेक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम दिशाओं में फैले हुए है.

दिल्ली व अमृतसर के मध्य ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 के नाम से जाना जाता है.

राज्य राजमार्ग (State highways in India)

राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़के राज्य राजमार्ग कहलाती है. राज्य तथा केन्द्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है.

जिला मार्ग (District route)

ये सड़के जिले के विभिन्न प्रशासनिक केन्द्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है. इन सड़कों की व्यवस्था का उतरदायित्व जिला परिषद् का होता है.

अन्य सड़कें (Other roads)

इस वर्ग के अंतर्गत वे सडकें आती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों तथा गाँवों को शहरों से जोड़ती है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है. इस परियोजना के कुछ विशेष प्रावधान है. जिनमें देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों (वे सड़कें जिन पर वर्ष भर वाहन चल सके) द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है.

सीमांत सड़कें (Marginal roads)

उपरोक्त सड़कों के अतिरिक्त भारत सरकार प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन है, जो देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उसकी देखरेख करता है. यह संगठन 1960 में बनाया गया, जिसका कार्य उत्तर तथा उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का विकास करना था.

इन सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों में अभिगम्यता बढ़ी है. तथा ये इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायक हुई है.

सड़कों का वर्गीकरण (Classification of roads)

सड़क निर्माण में प्रयुक्त पदार्थ के आधार पर भी सड़कों को कच्ची व पक्की सड़कों में वर्गीकृत किया जाता है. पक्की सड़कें, सीमेंट, कंक्रीट व तारकोल द्वारा निर्मित होती है, अतः ये बारहमासी सड़के है, कच्ची सड़कें वर्षा ऋतु में अनुपयोगी हो जाती है.

भारत में सड़क घनत्व की जानकारी (road density in india 2018)

प्रति सौ वर्ग किमी क्षेत्र में सड़कों की लम्बाई को सड़क घनत्व कहा जाता है. भारत में सड़कों का वितरण एकसमान नही है. इसका घनत्व जम्मू कश्मीर में 10.4 किमी प्रति सौ वर्ग किमी से उत्तर प्रदेश में सड़क घनत्व 532.27 वर्ग किमी प्रति सौ वर्ग किमी तक है. जबकि 2007-08 के अनुसार सड़कों का औसत राष्ट्रीय घनत्व 125 किमी प्रति सौ वर्ग किमी था.

राज्य का नामसड़क की लम्बाई किलोमीटर में
उत्तर प्रदेश 8483 किलोमीटर
राजस्थान 7906 किलोमीटर
महाराष्ट्र 7434 किलोमीटर
कर्नाटक 6502 किलोमीटर
आंध्र प्रदेश 5231 किलोमीटर
 मध्य प्रदेश 5193 किलोमीटर
तमिलनाडु 5006 किलोमीटर
गुजरात 4970 किलोमीटर
बिहार 4678 किलोमीटर
ओड़िसा 4644 किलोमीटर
असम 3811 किलोमीटर
चण्डीगढ़ 3078 किलोमीटर
पश्चिम बंगाल 2909 किलोमीटर
उतराखंड 2841 किलोमीटर
पंजाब 2769 किलोमीटर
झारखंड 2653 किलोमीटर
तेलंगाना 2635 किलोमीटर
हरियाणा 2622 किलोमीटर
हिमाचल प्रदेश 2622 किलोमीटर
जम्मू कश्मीर 2593 किलोमीटर
अरुणाचल प्रदेश 2513 किलोमीटर
केरल 1811 किलोमीटर
मणिपुर 1745 किलोमीटर
मिजोरम 1381 किलोमीटर
मेघालय 1204 किलोमीटर
नागालैंड 1150 किलोमीटर
त्रिपुरा 577 किलोमीटर
अंडमान निकोबार 330 किलोमीटर
सिक्किम 309 किलोमीटर
 गोवा 262 किलोमीटर
दिल्ली 80 किलोमीटर
पुडुचेरी 64 किलोमीटर
दादरा और नगर हवेली 31 किलोमीटर
दमन और दीव 22 किलोमीटर
चंडीगढ़ 15 किलोमीटर

सड़क परिवहन की समस्याएं (Road transport problems)

भारत में सड़क परिवहन में अनेक समस्याओं से जूझ रहा है. यातायात व यात्रियों की संख्या को देखते हुए सड़कों का जाल अपर्याप्त है. लगभग आधी सड़कें कच्ची है. तथा वर्षा ऋतु के दौरान इनका उपयोग सिमित हो जाता है. राष्ट्रीय राजमार्ग भी अपर्याप्त है.

इसके साथ ही शहरों में भी सड़कें अत्यंत तंग तथा भीड़ भरी है. इन पर बने पुल व पुलिया पुराने व तंग है. परन्तु हाल ही के वर्षों में देश के विभिन्न भागों में सड़क मार्गों का तेजी से विकास हुआ है.

FAQ

सड़क फिल्म कब रिलीज हुई थी?

3 दिसंबर 1991

परिवहन का सबसे सुलभ माध्यम कौनसा हैं?

सड़क परिवहन

सीमांत सड़कों का निर्माण एवं देखरेख किसके द्वारा की जाती हैं?

सीमांत सड़कों का रख-रखाव BRO (Border Roads Organisation) सीमा सड़क संगठन करता है

यह भी पढ़े

  • सड़क सुरक्षा पर निबंध
  • पुलिस पर निबंध
  • गुलाबी नगरी जयपुर पर निबंध
  • जल परिवहन पर निबंध
  • वायु परिवहन पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों Essay On Road Transport In Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा. भारत में सड़क परिवहन प्रणाली के निबंध में दी गई जानकारी आपकों कैसी लगी हमें कमेंट कर जरुर बताएं.

भारत में सड़क के विभिन्न वर्गीकरण क्या हैं?

भारत में सड़कों के प्रकार.
राष्ट्रीय राजमार्ग जैसा कि नाम ही प्रदर्शित कर रहा है, राष्ट्रीय राजमार्ग पूरे देश के महत्वपूर्ण स्थानों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। ... .
द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे) ... .
राज्य राजमार्ग ... .
जनपदीय सड़कें ... .
धमनी मार्ग (मुख्य नगर मार्ग) ... .
उप-धमनी मार्ग ... .
वितरक / एकत्रक सड़कें या मोड़ ... .
स्थानीय सड़कें या गलियां.

भारत में सड़कों को कितने वर्गों में बांटा गया है?

भारत सरकार द्वारा ये वर्ग हैं- राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रांतीय राजमार्ग, जिला सड़कें और ग्रामीण सड़कें

भारत में कितनी सड़कें हैं?

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों (Nation Highway) की संख्या 200 से अधिक है और इनकी लम्बाई लगभग 70 हजार 548 किमी० है | हालाँकि यह नेशनल हाईवे भारतीय सड़कों का मात्र 1.8 प्रतिशत भाग है परन्तु यह देश के लगभग 40 प्रतिशत ट्राफिक को कम करते है | यदि हम भारत के सबसे बड़े नेशनल हाईवे की बात करे, तो इसका नाम NH 44 (NH-44) है, जो ...

भारत में कितने प्रकार के रोड है?

1- भारत में सड़कें कितने प्रकार की होती हैं? उत्तर- स्थान और कार्य के आधार पर भारत में सड़कें चार प्रकार की होती हैं 1- राष्ट्रीय राजमार्ग, 2- राज्य राजमार्ग, 3- सड़कें, 4- ग्रामीण सड़कें।