सूर्य भगवान को कौन सा फूल चढ़ाएं - soory bhagavaan ko kaun sa phool chadhaen

सूर्य भगवान को कौन सा फूल चढ़ाएं - soory bhagavaan ko kaun sa phool chadhaen

सूर्य देवता को कौन सा फूल चढ़ाने से मिलेगा कौन सा फल

धर्म ग्रंथों के अनुसार, कुछ विशेष फूलों से भगवान सूर्य की पूजा करने से विभिन्न फलों की प्राप्ति होती है। जानिए सूर्यदेव को कौन सा फूल चढ़ाने से क्या मिलता है।

1. सूर्यदेव को सफेद कमल चढ़ाने से सौभाग्य, कुटज के फूल चढ़ाने से ऐश्वर्य मिलता है।

2. मंदार के फूल चढ़ाने से कुष्ठ रोगों का नाश होता है। बिल्व वृक्ष के पत्ते अर्पित करने से धन-संपत्ति मिलती है।

3. सूर्यदेव को करवीर (कनेर) के फूल सबसे अधिक प्रिय है। इस फूल से पूजा करने वाला सूर्यदेव को बहुत प्रिय होता है।

4. सूर्यदेव को मौलसिरी के फूलों की माला चढ़ाने से गुणवती कन्या से विवाह होता है।

5. पलाश के फूल चढ़ाने से संकटों का नाश होता है। बेला के फूलों से पूजाकरने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है।

6. सूर्यदेव को १ हजार कमल के फूल चढ़ाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। 7. मल्लिका के फूल (बेला फूल की एक प्रजाति) अर्पित करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

7. चमेली के फूल अर्पित करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।

इस तरह से आप भी अपनी पसंद का फूल सूर्य देवता को चढ़ाकर मनोवांछित फल पा सकते है.

सूर्यदेव को अर्पित किया गया ये फूल, देगा सोने की दस अशर्फियां चढ़ाने का फल

सूर्य भगवान को कौन सा फूल चढ़ाएं - soory bhagavaan ko kaun sa phool chadhaen

सूर्य सर्वभूत स्वरूप परमात्मा है। ये ही भगवान्‌ भास्कर, ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र बनकर जगत्‌ का सृजन, पालन और संहार करते हैं इसलिए इन्हें त्रयीतनु कहा गया है। सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से ऊँ शब्द प्रकट हुआ था,

सूर्य सर्वभूत स्वरूप परमात्मा है। ये ही भगवान्‌ भास्कर, ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र बनकर जगत्‌ का सृजन, पालन और संहार करते हैं इसलिए इन्हें त्रयीतनु कहा गया है। सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से ऊँ शब्द प्रकट हुआ था, वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। तदोपरान्त भूः भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में ऊँ में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड़ा। चक्र, शक्ति, पाश, अंकुश सूर्य देवता के प्रधान आयुध हैं। सूर्य के अधिदेवता शिव हैं और प्रत्यधि देवता अग्नि हैं। सूर्य देव की दो भुजाएं हैं, वे कमल के आसन पर विराजमान रहते हैं। उनके दोनों हाथों में कमल सुशोभित रहते हैं। उनकी कान्ति कमल के भीतरी भाग की सी है और वे सात घोड़ों पर सात रस्सियों से जुड़े रथ पर आरुढ़ रहते हैं। सूर्य देवता का एक नाम सविता भी है। सूर्य सिंह राशि के स्वामी हैं। इनकी महादशा 6वर्ष की होती है। रत्न माणिक्य है। सूर्य की प्रिय वस्तुएं सवत्सा गाय, गुड़, तांबा, सोना एवं लाल वस्त्र आदि हैं। सूर्य की धातु सोना व तांबा है। सूर्य की जप संख्या 7000 है। 


कल 26 मई ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष तिथि पर करवीर व्रत करने का विधान है। यह व्रत सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सूरज देव के निमित्त पूजन करना शुभ फलदायी होता है।
इस दिन व्रत रखने का विधान है। शास्त्र कहते हैं, इस व्रत को सावित्री, सरस्वती, सत्यभामा, दमयंती आदि ने भी किया था। 


भविष्य पुराण के अनुसार सूर्य भगवान को यदि एक आक का फूल अर्पण कर दिया जाए तो सोने की दस अशर्फियां चढ़ाने का फल मिलता है। भगवान आदित्य को चढ़ाने योग्य कुछ फूलों का उल्लेख वीर मित्रोदय, पूजा प्रकाश (पृ.257) में है। रात्रि में कदम्ब के फूल और मुकुर को अर्पण करना चाहिए तथा दिन में शेष सभी फूल। बेला दिन में और रात में भी चढ़ाया जा सकता है। निषिद्ध फूलों का भी जानना आवश्यक है।


ये हैं- गुंजा, धतूरा, अपराजिता, भटकटैया, तगर इत्यादि।

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इसके अतिरिक्त इस व्रत में कनेर के वृक्ष की पूजा भी की जाती है। इस विधि से करें पूजन

सबसे पहले पेड़ के तने को लाल वस्त्र ओढ़ कर ऊपर से लाल मौली बांध दें।


जल अर्पित करें।


एक टोकरी में सप्तधान्य (सात प्रकार का अनाज) डालकर इस मंत्र का जाप करें


ऊं आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्र्यंच हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।। फिर इस साम्रगी को किसी जनेऊधारी ब्राह्मण को दान दे दें।

सूर्य देवता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?

सूर्य नारायण- इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी इन्हें प्रिय हैं।

सूर्य देव को कौन सा कलर पसंद है?

भगवान सूर्य को नारंगी वस्त्र प्रिय है, इसलिए इस दिन नारंगी रंग के कपड़े धारण करें, इससे आप पर सूर्यदेव की कृपा बनी रहेगी।