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पर्यावरण जागरूकता में विद्यालय की भूमिकाThe Role of School in Environment Awarenessपर्यावरण जागरूकता में विद्यालय की भूमिका को निम्नलिखित तथ्यों के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है- (1) विद्यालय की स्थिति सम्पूर्ण प्राकृतिक वातावरण एवं स्वच्छ वातावरण से सम्पन्न हो। (2) विद्यालय में अनिवार्य रूप से पर्यावरण शिक्षा प्रदान करनी चाहिये जिससे कि इसके ज्ञान से कोई भी छात्र वंचित न हो। (3) विद्यालय में समय-समय पर खेल, नाटक एवं कहानियों से छात्रों को परिचित कराना चाहिये जो पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व से सम्बन्धित हों। (4) विद्यालय में इकोलॉजी क्लब एवं इकोलॉजी पुस्तकालय अनिवार्य रूप से होनी चाहिये जिससे छात्र पर्यावरण प्रदूषण के कारणों एवं पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी साहित्य का ज्ञान प्राप्त कर सकें। (5) विद्यालय पुस्तकालय में पर्यावरण शिक्षा का साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होना चाहिये। (6) समय-समय पर दूरदर्शन, फिल्म एवं रेडियो के माध्यम से पर्यावरण सम्बन्धी ज्ञान एवं विद्वानों के विचारों से छात्रों को अवगत कराना चाहिये। (7) विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता एवं बालसभा में पर्यावरण प्रदूषण एवं इसके नियन्त्रण सम्बन्धी उपाय विषयों पर चर्चा होना चाहिये। (8) बालकों को समय-समय पर सन्तुलित भोजन, स्वच्छता एवं प्राकृतिक वातावरण के महत्त्व एवं उसकी उपयोगिता के बारे में ज्ञान कराना चाहिये। (9) विद्यालय की साज-सज्जा में पर्यावरण शिक्षा से सम्बन्धित चार्ट, मॉडल एवं आदर्श वाक्यों का प्रयोग होना चाहिये। (10) विद्यालय का वातावरण इस प्रकार का हो कि विद्यालय में प्रवेश होते ही पर्यावरणीय सुगन्ध का अनुभव हो। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि पर्यावरणीय संरक्षण में विद्यालय की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस सन्दर्भ में श्रीमती आर.के. शर्मा का कथन तर्कसंगत प्रतीत होता है कि विद्यालय के सहयोग के अभाव में जनसामान्य एवं समाज में पर्यावरणीय जागरूकता पैदा नहीं की जा सकती। विद्यालय ही यह आधार है जिस पर पर्यावरणीय भवन खड़ा किया जा सकता है अन्यथा की स्थिति में सम्पूर्ण प्रयास निरर्थक ही सिद्ध होंगे। Important Links
DisclaimerDisclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorपर्यावरण के लिए खतरा क्या है?वायु प्रदूषण, गरीब कचरे का प्रबंधन, बढ़ रही पानी की कमी, गिरते भूजल टेबल, जल प्रदूषण, संरक्षण और वनों की गुणवत्ता, जैव विविधता के नुकसान, और भूमि / मिट्टी का क्षरण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से कुछ भारत की प्रमुख समस्या है। भारत की जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण के मुद्दों और अपने संसाधनों के लिए दबाव समस्या बढ़ाते है।
पर्यावरणीय संकट क्या है इनके नियन्त्रण हेतु विद्यालयों की भूमिका की विवेचना कीजिये?विद्यालय में पर्यावरण संकट के नियंत्रण हेतु विद्यार्थियों को निम्नलिखित उपाय करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। पाठशाला आने के लिए विद्यार्थी साइकिल का प्रयोग करें । ईंधन का उपयोग जरूरत के अनुसार करे। विद्यार्थी दिवाली में पटाखे जलाकर वातावरण दूषित न करे तथा वे अपने आस पास भी लोगो को पटाखे न जलाने के लिए प्रेरणा दें।
विद्यालय के आसपास के पर्यावरण को सुधारने हेतु क्या प्रयास करेंगे?12. पॉलीथीन का उपयोग ना करें।. ब्रश करते समय नल खुला न छोड़ें।. शॉवर की जगह बाल्टी में पानी लेकर नहाएं।. गाड़ियां धोने की बजाए बाल्टी में पानी लेकर कपड़े से साफ करें।. आंगन व फर्श धोने की बजाए झाडू व बाद में पोंछा लगाकर सफाई करें।. प्रतिदिन फर्श साफ करने के बाद पौंछे का पानी गमलों व पौधों में डालें।. पर्यावरण प्रदूषण क्या है इसे रोकने के उपाय?➤ कम शोर वाले मशीन उपकरणों के निर्माण एवं उपयोग पर जोर देना चाहिए एवं उद्योगों को शहरों या आबादी वाले स्थान से दूर स्थापित करना चाहिए। ➤ परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। ➤ हमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक एवं अन्य प्लास्टिक के उपयोग को रोकना चाहिए एवं पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।
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