राजस्थान में गायों में क्या बीमारी चल रही है? - raajasthaan mein gaayon mein kya beemaaree chal rahee hai?

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में दुधारू पशुओं पर लंपी चर्म रोग (Lumpy Skin Disease) का कहर जारी है। प्रदेश में अब तक करीब 8 लाख गोवंश लंपी रोग (Lumpy Virus) से संक्रमित हो चुका है। तीन महीने में 60 हजार से ज्यादा गायों की मौत हुई है। गोवंशों की तेजी से हो रही मौत के कारण जानवरों में बीमारी फैलने का खतरा उत्पन्न होता जा रहा है। वहीं प्रदेश के 33 में से 22 जिलों में लंपी चर्म रोग फैल चुका है।

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बता दें कि सबसे ज्यादा गायों की मौत श्रीगंगानगर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, जालौर और सिरोही जिलों में हुई है। सरकार के आदेश के बावजूद इन जिलों में मृत गायों को खुले में फेंका जा रहा है। जिससे महामारी फैलने की आशंका उत्पन्न हो गई है। ऐसे में अब पशुपालन और गोपालन विभाग ने घर-घर जागरुकता का काम शुरू किया है।

ग्रामीण इलाकों में विभिन्न विभागों के कर्मचारी लोगों जागरूक करने में जुटे हैं। लोगों को समझाया जा रहा है कि गहरा गड्डा खोदकर मृत गायों को दफनाया जाए, जिससे महामारी महामारी फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

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दूध और मावे में कमी आई

लंपी रोग के कारण शहरों में दूध और मावे की आपूर्ति में कमी आई है। डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों एवं डेयरी प्रबंधकों का कहना है कि लंपी के कारण दूध आपूर्ति की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। हालात यह है कि गांवों में दूध नहीं बचा है।

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राजस्थान में फैल रहे लम्पी संक्रमण से गौवंश को हो रहे घातक नुक़सान को लेकर प्रदेश की काँग्रेस सरकार की निष्क्रियता एवं लापरवाही से केन्द्र सरकार को अवगत करवाया गया है। इसी सम्बन्ध में माननीय केन्द्रीय पशुपालन मंत्री श्रीमान् पुरषोत्तम रूपाला जी को पत्र लिखकर राज्य सरकार को तुरन्त निर्देशित करने तथा प्रभावी कदम उठाने की पुरज़ोर माँग की गई है। #राजस्थान #भीलवाड़ा #बीकानेर #Rajasthan #bhilwara #bikaner #LumpyVirus #SaveCows

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- Subhash Chandra Baheria (@baheriasc) 8 Sep 2022

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घट गया है दूध का उत्पादन

एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन महीने में दूध का उत्पादन 25 फीसदी तक घट गया है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर जैसे बड़े शहरों में दूध चार से छह रुपये प्रति किलो महंगा हो गया। दूध नहीं मिलने से मावा नहीं बन पा रहा है।

देशी घी के बढ़ गए हैं दाम

देशी घी भी 500 रुपये प्रति किलो के स्थान पर अब 600 सौ रुपये प्रति किलो के भाव से बेचा जा रहा है। जयपुर डेयरी के अध्यक्ष ओमप्रकाश पूनिया ने कहा कि लंपी रोग ने डेयरी कारोबार को 50 फीसदी तक प्रभावित किया है।

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उधर मिठाई कारोबारियों का कहना है कि लंपी के डर से भी लोग दूध से बनी मिठाई खरीदना कम पंसद कर रहे हैं। दीपावली के त्योहार पर इसका असर नजर ज्यादा आ सकता है।

जिसने समस्त चराचर जगत को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गोमाता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं।

…लेकिन आज भूत और भविष्य की जननी मानी जाने वाली गायें खुद मौत के मुंह में खड़ी हैं। राजस्थान में गायों में फैली लंपी बीमारी के हालात भयावह हैं। हर दिन इतनी गायें मर रही हैं, जिनका पुख्ता आंकड़ा तक सरकार के पास नहीं है। गोशालाओं से हर शाम निकायों की गाड़ी में गायों की अंतिम यात्रा निकल रही है। हर दिन स्थिति बिगड़ती और बद से बदतर होती जा रही है।

दैनिक भास्कर के 10 रिपोर्टर 10 जिलों में गोशालाओं में गए और जमीनी हकीकत जानी। इस दौरान जो तस्वीरें सामने आईं, वो रुलाने और डराने वाली थी।

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कई जिले तो ऐसे हैं, जहां गायों के इलाज की बेसिक सुविधा तक नहीं है। कहीं धूप, नीम के पत्तों के रस से गायों का इलाज किया जा रहा है तो कहीं पशुपालक झाड़-फूंक के भरोसे हैं। कहीं लोगों ने गायों को गोशाला में भेज दिया है।

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सिरोही : गायों को बचाने के लिए झाड़-फूंक
जिले के वीरवाड़ा गांव में लंपी के इलाज के झाड़-फूंक का सहारा लिया जा रहा है। झाड़-फूंक करने वाले के इशारे पर बाड़े से सभी पशुओं को एक-एक कर बाहर निकाला जाता है। उन पशुओं पर मंत्र फूंका हुआ जल नीम की टहनी से मंत्रों के साथ छिड़का जा रहा है।

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक जगदीश बरबड़ का कहना है- वैक्सीन है, लेकिन पशुपालक लगवाने के लिए तैयार नहीं हैं।

इसी तरह बासड़ा धनजी में गायों को आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया गया। कई दवाइयों का छिड़काव कराया गया। यहां हर दिन 2-4 गायों की मौत हो रही है।

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जैसलमेर में लंपी से ग्रसित गायों को अलग रखा जा रहा है। इन्हें जाली से कवर किया जा रहा है ताकि दूसरी गायों में यह बीमारी न फैले।

जैसलमेर: रिकॉर्ड में 200 मौतें, असली आंकड़ा 1 हजार से ज्यादा
जैसलमेर में लंपी बेकाबू हो गई है। सरकारी आंकड़ों में 200 मौतें बताई जा रही हैं, लेकिन पशु पालकों और गौशाला संचालकों का कहना है कि असली आंकड़ा 1 हजार से ज्यादा है। बीमारी फैलने से घबराए लोग गायों को गोशाला में भेज रहे हैं।

हालात जानने भास्कर टीम मूलसागर गांव में स्थित तुलसी गौशाला पहुंची। वहां गायों को मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए मच्छरदानी लगाई जा रही थी। एक नगर परिषद की गाड़ी खड़ी थी, जिसमें डंपिंग यार्ड ले जाने के लिए गायों के शव भरे जा रहे थे।

सीनियर वेटरनरी डॉ उमेश वर्गन्तिवार ने बताया कि 5792 पशुओं का इलाज किया गया, जिनमें 5561 सही हो गए और 200 पशुओं की मौत हो गई।

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जालोर : मजबूरी में नीम के पत्तों से कर रहे इलाज
भास्कर टीम सबसे पहले ठाकुर गौसेवा आश्रम पहुंची। यहां अब तक 700 गायें लंपी की चपेट में आ चुकी हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पूरे जिले में 7715 पशु संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें 471 गायों की अब तक मौत हो चुकी है।

पशु विभाग के जॉइंट डायरेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि सांचौर क्षेत्र में गोलासन पथमेड़ा और पालड़ी गौशाला में बीमारी का सबसे ज्यादा असर है। कलेक्टर निशांत जैन बताया कि लगातार फॉगिंग की जा रही है, वैक्सीन मंगाई जा रही है।

अधिकारी भले दावे करें कि कई टीमें इलाज में लगी हुई हैं, लेकिन हकीकत ये है कि हालात काबू से बाहर हो गए हैं। कई गोशालाओं में इलाज नहीं मिलने के कारण लोग धूप, नीम के पत्तों के रस से इलाज कर रहे हैं।

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हनुमानगढ़ : एक महीने पहले सामने आया पहला मामला
हनुमानगढ़ जिले में लंपी का पहला मामला करीब 1 महीने पहले सामने आया था। रावतसर में सबसे ज्यादा पशु संक्रमित हुए हैं। पीलीबंगा दूसरे और नोहर तीसरे नंबर पर है।

पशुपालन विभाग हनुमानगढ़ के संयुक्त निदेशक ओमप्रकाश क़िलानिया ने भास्कर को बताया कि अब तक 52 हजार 785 पशुओं का सर्वे करवाया है। 2806 लंपी से प्रभावित मिले। 2292 पशुओं का इलाज किया जा रहा है। बीमारी से अब तक 53 पशुओं की मौत भी हुई है।

किलानिया का कहना है कि पशुपालकों को जागरूक रहने की आवश्यकता है। समय पर इलाज मिलने से पशु रिकवर भी हो रहे हैं।

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श्रीगंगानगर में भी लंपी से गायों की मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। बीमारी से ग्रसित गायें उठ भी नहीं पा रहीं।

श्रीगंगानगर : पशुपालकों का दावा- 2 हजार से ज्यादा मौतें
जून में लंपी का पहला मामला सामने आया था। शुरुआत में पशुपालन विभाग ने भी इसे सामान्य समझा,लेकिन बीमारी इतनी तेजी से फैली कि एक महीने में 20 हजार पशु इंफेक्टेड हो गए।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार लंपी से अब तक 200 पशुओं की मौत हुई, लेकिन गौशाला संचालकों और पशुपालकों का कहना है कि अब 2 हजार से ज्यादा पशु दम तोड़ चुके हैं।

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गायों की मौत के बाद डंपिंग यार्ड में ले जाने के लिए गाड़ी भी नहीं मिल पा रही है। ठेले पर इनके शवों को ले जाना पड़ रहा है।

जिले से सटे गांव दो वाई, सूरतगढ़ और पदमपुर का ग्रामीण इलाका, हिंदूमलकोट के आसपास का इलाका और रायसिंहनगर आदि में रोग तेजी से फैल रहा है। कई गांवों में दफनाने की जगह कम पड़ गई तो अब गायों के शवों को सड़क किनारे फेंका जा रहा है।

पाली : अब तक 60 ने तोड़ा दम
जिले में कई पशु लंपी की चपेट में आ गए हैं। पशुपालन विभाग पाली के संयुक्त निदेशक डॉ विनोद कालरा ने बताया कि 40 हजार 408 पशुओं का सर्वे करवाया, जिसमें 2470 इंफेक्टेड मिले। 1255 रिकवर हो गए, वहीं 60 की मौत हो गई।

भैसों की अपेक्षा गायें इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आ रही हैं। इस रोग से मिलने वाले मवेशियों के डिस्पोजल के लिए उन्हें दफनाने के दौरान नमक और चूना साथ में डालना होता है। इसको लेकर जिला कलेक्टर नमित मेहता ने जिले में सभी एसडीएम को आदेश जारी किए हैं, ताकि डेडबॉडी को सही तरीके से डिस्पोज किया जा सके।

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बाड़मेर जिले में मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। बीमारी से मौत के बाद सींगों के ढेर लग चुके हैं।

बाड़मेर : दावे से दोगुना मौतें
लंपी बीमारी तेजी से गायों को चपेट में ले रही है। विभाग दावा कर रहा है कि सर्वे कर गायों को बचाया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा। पशुपालकों और गौशाला संचालकों का कहना है कि अब तक 1700 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है, लेकिन सरकारी आंकड़ा 830 है। जिले में करीब 9.50 लाख गौवंश हैं। मंगलवार को जिले भर में 58 हजार 518 गौवंश का सर्वे किया गया, जिनमें 11 हजार 785 इंफेक्टेड मिले। 9761 गौवंश का इलाज चल रहा है।

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नागौर : इतनी खराब हालत कि गायें बैठ भी नहीं पा रहीं
भास्कर टीम जिले की महावीर गौशाला पहुंची। पता चला लंपी के कारण यहां हर दिन 3-4 गायों की मौत हो रही है। 4 दिन में 12 गायों की मौत हो चुकी है।

वर्तमान में 70 से ज्यादा गायें इस बीमारी से ग्रसित हैं। रोग ऐसा है कि खड़े होना तो दूर गायें बैठ भी नहीं पा रही हैं। 20 से ज्यादा गायें सीरियस हैं। संचालकों ने बीमार गायों के लिए अलग बाड़ा बना दिया है, ताकि दूसरी गायें उनके संपर्क में न आए।

कलेक्टर पीयूष समारिया का कहना है कि अब तक एक लाख से ज्यादा गायों का सर्वे किया जा चुका है।

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बीकानेर : 22 दिन में 527 गायें तोड़ चुकी हैं दम
बीकानेर में पिछले 22 दिन में लंपी वायरस से 527 गायों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मौतें छत्तरगढ़ व खाजूवाला एरिया में हो रही है। अब तक अकेले छत्तरगढ़ में पौने दो सौ गायों की मौत हुई है जबकि खाजूवाला में ये संख्या 40 है।

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेंद्र नेत्रा ने दावा किया है कि पिछले कुछ दिन में पीड़ित पशुओं की संख्या में कमी आई है, वहीं मौत का सिलसिला भी कुछ थम रहा है। करीब साढ़े आठ हजार गायों का इलाज चल रहा है।

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जोधपुर : ग्रामीण एरिया सबसे ज्यादा प्रभावित, अब तक 730 मौतें
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जिले में 10 हजार गायें इंफेक्टेड हैं। 730 की मौत हो चुकी है। जोधपुर के फलौदी, बापिणी, बाप, देचु, ओसियां लोहावट में इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रभाव है। बीमारी का शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में असर है।

जोधपुर में 15 दिन पहले लंपी का पहला केस सामने आया था। 730 मौतों के बाद अब प्रशासन सक्रिय हुआ है। बुधवार को जिलास्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

इधर, पशुपालकों में इतना खौफ है कि बीमारी होते ही पशु को बाड़े से बाहर निकाल देते हैं। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. संजय सिंघवी ने बताया कि पशुपालकों को बाड़ों में साफ सफाई के लिए अवेयर किया जा रहा है। बाड़ों में मक्खी, मच्छर व कीचड़ से यह बीमारी ज्यादा फैल रही है।

14 हजार गायों तक इंफेक्शन
देश की सबसे बड़ी गौशालाओं में शामिल जयपुर की हिंगोनिया में भी वायरस की एंट्री हो चुकी है। हालांकि, यहां अब तक किसी गौवंश की मौत नहीं हुई है, लेकिन यहां 30-40 गायों में इंफेक्शन की जानकारी आई है। संक्रमित गायों को अलग बाड़ा बनाकर रखा गया है। वर्तमान में गौशाला के 54 बाड़ों में 14 हजार से ज्यादा गौवंश है।

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पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा है कि राजस्थान के सभी जिलों में टीमों को अलर्ट रखा है। यहां से सैंपल भोपाल लैब भेजे जा रहे हैं। डिपार्टमेंट के सचिव पीसी किशन ने बताया कि जिलों को अतिरिक्त बजट भी दिया गया है।

इनपुट: विजय कुमार (बाड़मेर), जयनारायण पुरोहित (श्रीगंगानगर), अनुराग हर्ष (बीकानेर), पूर्णिमा बोहरा (जोधपुर), सिकंदर शेख (जैसलमेर), सुमित व्यास (नागौर), ओम टेलर (पाली), पुखराज विश्नोई (जालोर), नीरज हरिव्यासी (सिरोही), कुलदीप शर्मा (हनुमानगढ़)।

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राजस्थान में गाय में कौन सी बीमारी चल रही है?

Jaipur News: राजस्थान (Rajasthan) में लम्पी (Lumpy) बीमारी का क़हर लगातार जारी है. ग्रामीण इलाक़ों में गायों की मौत से हाहाकर मचा हुआ है. सरकार ने माना कि लम्पी संक्रमण से अब तक राजस्थान में 45 हज़ार गायों की मौत हो चुकी है और 10 लाख 36 हजार गौवंश फिलहाल इस बीमारी से संक्रमित हैं.

गायों में कौन सा रोग खेल रहा है?

लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है। लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है। एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है।

गाय के दूध में कौन सी बीमारी चल रही है?

लंपी वायरस का संक्रमण गौवंश की जान के लिए खतरनाक है. इसके साथ ही गाय का दूध और गोमूत्र और गोबर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. इस संबंध में आजतक ने लखनऊ मंडल के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और विशेषज्ञ अरविंद कुमार वर्मा से बातचीत की. वर्मा के मुताबिक, लंपी वायरस का असर गाय के दूध में दिखाई देता है.

राजस्थान में कितनी गाय मरी?

वहीं सरकारी रिकॉर्ड में अब तक 2500 गायों की मौत हुई है लेकिन सरकारी आंकड़े से हकीकत बहुत अलग है. हर रोज करीब 200 गाय दम तोड़ रही हैं और आंकड़ा 10 से 20 हजार तक पहुंच गया है.