पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह के पिता - poorv seeem veer bahaadur sinh ke pita

लखनऊ। गारेखपुर जिले के हरनही गांव के रहने वाले और साल 1985 से लेकर 1988 तक मुख्यमंत्री रहे वीर बहादुर सिंह के बेटे फतेह बहादुर सिंह ने सोमवार को राजभवन में उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर पद का शपथ लिया। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की तरह फतेहबहादुर सिंह संबंध भी गोरखपुर जिले से है। छठवीं बार विधायक बने फतेहबहादुर सिंह कैम्पियरगंज विधानसभा सीटे से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में सपा-कांग्रेस उम्मीदवार चिंता यादव को चुनाव हराकर विधायक बने हैं।

गोल्फ, घुड़सवारी और निशानेबाजी के शाैकीन फतेह बहादुर सिंह यह नेता 11वीं विधानसभा के लिए 1991 में पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद 13वीं, 14वीं, 15वीं, 16वीं और 17वीं विधानसभा के लिए निर्वाचित फतेह बहादुर सिंह कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह और मायावती की सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

2012 के विधानसभा चुनाव में जब मायावती ने इनका टिकट काट दिया तो फतेहबहादुर शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर कैम्पियरगंज से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। इस बार के विधानसभा चुनाव के पहले ये बीजेपी में शामिल हो गए थे। जबकि इनके पिता वीर बहादुर सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता थे।

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इस बार माना जा रहा था कि इनको बीजेपी सरकार में मंत्री बनाया जाएगा लेकिन योगी मंत्रिमंडल में जगह पाने से वंचित रह गए। वरिष्ठ विधायक होने के नाते इन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। 17वीं विधानसभा के निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने और नए विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी कराना इनका दायित्व होगा।

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अयोध्या फैसला: पूर्व मुख्यमंत्री के विधायक बेटे की जुबानी, पिताजी ने जो सपना देखा तो वो सच होगा

संतोष सिंह, अमर उजाला, गोरखपुर Published by: शाहरुख खान Updated Sun, 10 Nov 2019 10:27 AM IST

भाजपा विधायक फतेहबहादुर ने कहा कि  तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए ही मेरे पिता पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह जी ने विवादित परिसर का ताला खुलवाया था। इससे पूर्व उन्होंने तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ से टेलीफोन पर लंबी चर्चा भी की थी।

बाद में ताला खुला और रामजन्म भूमि पर भगवान श्रीराम की पूजा-पाठ शुरू हुई। जहां तक मुझे याद है, पिता जी ने मुख्यमंत्री के सिक्योरिटी ऑफिसर  और जिला जज को अपने हेलीकॉप्टर से अयोध्या भेजा था। पिता जी चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, लेकिन उनका यह सपना तब पूरा नहीं हो सका।

अब सुप्रीमकोर्ट ने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। एक तरह से देखा जाए तो 33 वर्ष (वर्ष 1986)  पहले पिता जी ने जो फैसला लिया था, वह सही और न्याय प्रिय था। इस पर सुप्रीमकोर्ट की संविधान पीठ ने मुहर लगा दी है। अब पिता जी का सपना सच होगा।  

आपको बता दें कि करीब पांच सदी पुराने विवाद और 134 साल चली कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला सुना दिया। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एकमत से अयोध्या को भगवान का जन्मस्थान मानते हुए पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंपकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 

कोर्ट ने कहा कि सबूतों और बयानों से साबित होता है कि विवादित स्थल को हिंदू जन्मस्थान के रूप में मानते हैं और इसी जगह बाबरी मस्जिद मनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिन्दुओं के विश्वास व आस्था केसाथ-साथ कई मैखिक व दस्तावेजीय साक्ष्य हैं जो यह साबित करते हैं कि जिस जगह पर वर्ष 1528 में बाबरी मस्जिद बनाई गई थी, वह जगह हमेशा से भगवान राम का जन्मस्थान रहा है।

वीर बहादुर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय में बुधवार को पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह की जयंती मनाई गई। मुख्य अतिथि सांसद महंत आदित्यनाथ अपने संबोधन में पनियरा की जनता से पूर्व मुख्यमंत्री के सपने सच करने के लिए उनके पुत्र जितेंद्र बहादुर सिंह को मौका देने की अपील कर गए।

महंत आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते हुए सर्वप्रथम वीरबहादुर सिंह ने अयोध्या मंदिर में लगे ताले को खुलवाने का कार्य किया। अगर वह जीवित रहते तो भारत के प्रधानमंत्री होते और पूर्वांचल का पिछड़ापन को दूर कर चुके होते। वह सही मायने में विकास पुरुष थे।

देश के अंदर जहां भी उनके शुभचितंक होंगे वो आज के दिन को नहीं भुलेंगे। वह बिना किसी के आगे झुके, बिना डिगे राजनीतिक क्षेत्र में आदर्श कायम किया। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा हुए कहा कि पनियरा क्षेत्र के विकास के लिए जितेन्द्र बहादुर सिंह का आप लोग साथ दें। यह एक अच्छे  स्वभाव और ईमानदार व्यक्ति हैं।

इसी तरह के लोंगो को अपना प्रतिनिधि चुनना चाहिए। जितेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि पिता के अधूरे कार्यों को पूरा करूंगा। पिता जी ने पनियरा क्षेत्र में नहरों का जाल बिछाया और अकटहवा पुल, मछलीगांव को पनियरा में जोड़ने के लिए पुल बनवाया। कार्यक्रम का शुभारंभ छात्राओं ने राष्ट्रीय गीत गाकर किया।

प्रमोद यादव ने लोकगीत से सबको सराबोर कर दिया। कार्यक्रम के अन्त में गरीबों में कंबल वितरित किया। कार्यक्रम को छोटेलाल, जयनाथ सिंह, डीएन सिंह, विरेन्द्र सिंह प्रधान नरकटहॉ व अशोक यादव ने संबोधित किया। संचालन संजय पति त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर प्रबंधक विक्रम बहादुर सिंह, प्राचार्य  सुरेश  यादव, राणा अमरजीत सिंह, सुग्रीव प्रसाद आर्या, संजय पासवान आदि मौजूद रहे।

वीर बहादुर सिंह की मृत्यु कब हुई थी?

30 मई 1989वीर बहादुर सिंह / मृत्यु तारीखnull

पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति कौन है?

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय
प्रकार:
सार्वजनिक
कुलाधिपति:
महोदया आनन्दी बेन पटेल(राज्यपाल उत्तर प्रदेश)
कुलपति:
प्रो.निर्मला एस मौर्या
अवस्थिति:
जौनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › वीर_बहादुर_सिंह_पूर्वांचल_विश्व...null

पूर्वांचल विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई?

2 अक्तूबर 1987वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर / स्थापना की तारीख और जगहnull