इस लेख के अंतर्गत आप कहानी की परिभाषा तथा उसके तत्व, लेखन विधि आदि का सर्वांगीण रुप से जानकारी हासिल कर पाएंगे। इस लेख के अध्ययन से आप कहानी लेखन की शैली स्वयं में विकसित कर सकेंगे। Show
कहानी हिंदी साहित्य के गद्य भाग का एक अभिन्न अंग है। कहानी आधुनिक युग की देन है। इसकी समाप्ति एक बैठक में संभव है अर्थात कहानी इतना संक्षिप्त होता है कि व्यक्ति एक बैठक में इसे पढ़ लेता है। मुद्रण कला के विकास से गद्य साहित्य ने विकास की गति को निरंतर पकड़ा है, साथ ही मध्यम वर्गीय पाठकों के उदय से कहानी लिखने और पढ़ने के क्षेत्र में क्रांति उत्पन्न हुई है। प्रेमचंद ने कहानी तथा उपन्यास की रचना करके इस साहित्य को नई दिशा प्रदान की तथा उसे अमर बना दिया। कहानी लेखन की सम्पूर्ण जानकारीकहानी की परिभाषा :- किसी घटना , पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा जिसमें परिवेश हो, द्वंदात्मक हो, कथा का क्रमिक विकास हो, चरमोत्कर्ष का बिंदु हो , उसे कहानी कहा जाता है। कहानी जीवन का अविभाज्य अंग है। हर व्यक्ति अपनी बातें दूसरों को सुनाना और दूसरों की बातें सुनना चाहता है।कहानी लिखने का मूल भाव सब में होता है, इसे कुछ लोग विकसित कर पाते हैं, कुछ नहीं। कहानी का इतिहासजहां तक कहानी के इतिहास का सवाल है , वह उतना ही पुराना है जितना मानव इतिहास। क्योंकि कहानी मानव स्वभाव और प्रकृति का हिस्सा है। मौखिक कहानी की परंपरा पुरानी है। प्राचीन काल में मौखिक कहानियां अत्यंत लोकप्रिय थी, क्योंकि यह संचार का सबसे बड़ा माध्यम थी। धर्म प्रचारकों ने भी अपने सिद्धांत और विचारो लोगों तक पहुंचाने के लिए कहानी का सहारा लिया था। शिक्षा देने के लिए भी पंचतंत्र जैसी कहानियां लिखी गई , जो जग प्रसिद्ध है। यहां तक कि प्राचीन काल में शिक्षा का माध्यम भी मौखिक हुआ करता था, जो कहानियों पर भी आधारित था। कहानी लेखन के तत्वनाटक , उपन्यास आदि की भांति कहानी के तत्व भी होते हैं। इन्हें के आधार पर पूरी कहानी की रचना होती। 1. कथानक कहानी का केंद्र बिंदु कथानक होता है। जिसमें प्रारंभ से लेकर अंत तक कहानी की सभी घटनाओं और पात्रों का उल्लेख होता है। कथानक को कहानी का प्रारंभिक नक्शा माना जाता है। कहानी का कथानक आमतौर पर कहानीकार के मन में किसी घटना जानकारी अनुभव या कल्पना के कारण आती है। कहानीकार कल्पना का विकास करते हुए एक परिवेश, पात्र और समस्या को आकार देता है। तथा एक ऐसा काल्पनिक ढांचा तैयार करता है जो कोरी कल्पना ना होकर संभावित हो और लेखक के उद्देश्य से मेल खाता हो। कहानी में प्रारंभ, मध्य और अंत कहानी का पूरा स्वरूप होता है। 2. द्वंद्व कहानी में द्वंद्व के तत्व का होना आवश्यक है।द्वंद्व कथानक को आगे बढ़ाता है तथा कहानी में रोचकता बनाए रखता है। द्वंद्व के तत्वों से अभिप्राय यह है कि परिस्थितियों के रास्ते में एक या अनेक बाधाएं होती है। उन बाधाओं के समाप्त हो जाने पर किसी निष्कर्ष पर पहुंच कर कथानक पूरा हो जाता है। कहानी की यह शर्त है कि वह नाटकीय ढंग से अपने उद्देश्य को पूर्ण करते हुए समाप्त हो जाए। कहानी द्वंद्व के कारण ही पूर्ण होती है। 3. देश काल और वातावरण – हर घटना पात्र और समस्या का अपना देश काल और वातावरण होता है। कहानी को रोचक और प्रमाणिक बनाने के लिए आवश्यक है कि लेखक देशकाल और पर्यावरण का पूरा ध्यान रखें। 4. पात्रपात्रों का अध्ययन कहानी की एक बहुत महत्वपूर्ण और बुनियादी शर्त है। हर पात्र का अपना स्वरूप स्वभाव और उद्देश्य होता है। कहानीकार के सामने पात्रों का स्वरूप जितना स्पष्ट होगा उतनी ही आसानी से उसे पात्रों का चरित्र-चित्रण करने और उसके संवादों को लिखने में आसानी होगी। कहानी में मुख्य रूप से दो पात्र होते हैं 1 प्रमुख पात्र तथा 2 गौण पात्र।
5 चरित्र चित्रण पात्रों का चरित्र-चित्रण पात्रों की अभिरुचियों के माध्यम से कहानीकार द्वारा गुणों का बखान करके पात्र के क्रियाकलापों संवादों के माध्यम से किया जाता है। 6. संवाद – कहानी में संवाद का विशेष महत्व है। संवाद ही कहानी को और पात्रों को स्थापित एवं विकसित करते हैं। साथ ही कहानी को गति देते हैं आगे बढ़ाते हैं। जो घटना या प्रतिक्रिया कहानीकार घटती हुई नहीं दिखा सकता। उन्हें संवादों के माध्यम से सामने लाता है। संवाद पात्रों के स्वभाव और पूरी पृष्ठभूमि के अनुकूल होते हैं। संवाद लिखते समय कहानीकार को चाहिए वह पात्रों के अनुकूल भाषा तथा शब्दावली हो का चयन करें। शिक्षित व्यक्ति के लिए उसके अनुकूल शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए। वही गांव के व्यक्ति के संवाद गांव की शब्दावली पर आधारित हो। 7 चरमोत्कर्ष (क्लाइमैक्स) – कथा के अनुसार कहानी चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ती है। सर्वोत्तम यह है कि चरमोत्कर्ष पाठक को स्वयं सोचने के लिए प्रेरित करें तथा उसे लगे कि उसे स्वतंत्रता दी गई है। उसने जो निष्कर्ष निकाले हैं वह उसके सामने है। कहानी लेखन की कलाकहानी लिखने की कला को सीखने का सबसे अच्छा और सीधा रास्ता यह है कि अच्छी कहानियां पढ़ी जाए और उसका विश्लेषण किया जाए। अपने स्मृति तथा अनुभव के आधार पर लिखने की शैली को विकसित किया जाए। यह आपके भीतर छुपे हुए कहानीकार को बाहर निकाल सकता है। कहानी लेखन के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर1 प्रश्न – प्राचीन काल में मौखिक कहानियां क्यों लोकप्रिय थी ? उत्तर – क्योंकि यह संचार का सबसे बड़ा माध्यम थी। 2 प्रश्न – कहानी का केंद्र बिंदु किसे कहते हैं ? उत्तर – कथानक को 3 प्रश्न – कहानी को रोचक बनाने में कौन सा तत्व सहायक होता है ? उत्तर – द्वंद्व 4 प्रश्न – कहानी में कथानक के कितने स्तर होते हैं ? उत्तर – तीन स्तर – आदि , मध्य और अंत 5 प्रश्न – कहानी की भाषा शैली कैसी होनी चाहिए ? उत्तर – कहानी की भाषा शैली सरल , सहज और स्वाभाविक होनी चाहिए। 6 प्रश्न – कहानी के विभिन्न तत्वों का विवेचन कीजिए। उत्तर – कहानी के प्रमुख तत्व निम्नलिखित है –
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निष्कर्ष –उपर्युक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि नाटक, उपन्यास आदि की भांति कहानी के भी अपने तत्व होते हैं। इन तत्वों के आधार पर कहानी की रचना की जाती है। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर एक कहानीकार होता है। फर्क बस इतना है कुछ लोग उस ज्ञान की पहचान कर लेते हैं तथा कुछ लोग उस से वंचित रह जाते हैं। कहानी की रचना समस्या, घटना, अनुभव आदि के आधार पर किया जाता है। यह कहानीकार के मन-मस्तिष्क में भाव उत्पन्न होता है। जिसकी पृष्ठभूमि कथानक के रूप में तैयार की जाती है। द्वंद्व के रूप में कहानी निरंतर आगे बढ़ती रहती है, चरमोत्कर्ष की स्थिति में कहानी का समापन किया जाता है। कथानक के कितने भाग होते हैं?सारहीन बना देता है । कथानक वह वस्तु होती है, जिस पर उपन्यास का भवन खडा होता है । (१) प्रारंभ या प्रस्तावना (२) मध्य या विकास Page 3 21 (३) परिणाम या समाप्ति ।
कथानक के आमतौर पर कौन कौन से भाग होते हैं?"आदम हव्वा' के आदि कथानक में इन तीनों सोपानों को स्पष्ट देखा जा सकता है; यथा, निषेध (प्राहिबिशन), उल्लंघन (ट्रांसग्रेशन) तथा दंड (पनिशमेंट)।
कथावस्तु कितने प्रकार की होती है?इस प्रकार कथावस्तु के तीन प्रकार हैं आधिकारिक, पताका एवं प्रकरी ।
कहानी के कितने तत्त्व होते है?कहानी के मूलतः छः तत्व हैं। ये हैं- विषयवस्तु अथवा कथानक, चरित्र, संवाद, भाषा शैली, वातावरण और उद्देश्य।
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