Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा Textbook Exercise Questions and Answers. Show
Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचाHBSE 7th Class Hindi कंचा Textbook Questions and Answersकहानी से पाठ 12 कंचा के प्रश्न उत्तर HBSE प्रश्न 1. कंचा पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2. कंचा पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3. कहानी से आगे 1. कंचे, गिल्ली-डंडा, गेंदतड़ी (पिट्ठ) जैसे गली-मोहल्लों के कई खेल ऐसे हैं जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। आपके इलाके में ऐसे कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं ? उनकी एक सूची बनाइए।
HBSE 7th Class Hindi कंचा Important Questions and Answersअति लघुत्तरात्मक प्रश्न 7th Class HBSE Hindi Chapter 12 कंचा प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. लघुत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. कंचा गद्यांशों पर अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न 1. वह चलते-चलते ……………….. रखा होगा। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. दुकान के सामने कौन पहुँचा? 2. लड़के की नजर किस जार पर थी? 3. जार में कैसे कंचे हैं? 2. अरे हाँ! ………… में भी अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. जॉर्ज को क्या है? 2. पुस्तक में कौन-सा पाठ खुला था? 3. मास्टर जी बीच-बीच में क्या कर रहे थे? 3. रोते-रोते …………….. समाप्त किया। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. रामन, मल्लिका किसकी हँसी उड़ा रहे थे? 2. अप्पू जॉर्ज के आने पर क्या खरीदेगा? 3. अप्पू किसके बारे में सोच रहा था? 4. दफ्तर में ………………. पैसे-दस पैसे। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. दफ्तर में भीड़ किनकी थी? 2. दूर कौन खड़ा था? 3. अप्पू अभी भी किसके बारे में सोच रहा था? 5. कागज की ……………. रहे हैं। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. अब कंचे कहाँ थे? 2. अप्पू का जी क्या चाहता था? 3. अप्पू को क्या शक हुआ? कंचा Summary in Hindiकंचा कहानी का सार अप्पू नीम के पेड़ों की छाया के नीचे से होते हुए सियार की कहानी का मजा लेता आ रहा था। उसका बस्ता झूल रहा था। कहानी में सियार कौए से बोलता है-‘कौए. तुम्हारा गाना सुनने के लिए तरस रहा हूँ, गाओ।’ कौआ मुँह खोलता है और उसके मुँह में दबा रोटी का टुकड़ा नीचे गिर जाता है। सियार उसे उठाकर ‘भाग जाता है। कौआ बड़ा बुद्ध निकला। अप्पू चलते-चलते एक दुकान के सामने जा पहुँचा। वहाँ एक जार में हरी लकीर वाले सफेद कंचे भरे हुए थे। लड़के को वे कंचे बड़े खूबसूरत लगे। उसके दिल-दिमाग पर वे कंचे छाने लगे। दुकानदार ने उससे पूछा कि क्या कंचा चाहिए ? तो लड़का ‘न’ में सिर हिला देता है। वह चाहता तो कंचा ले सकता था। स्कूल की घंटी सुनकर वह बस्ता थामे हुए दौड़ पड़ा। वह चुपचाप पीछे की बेंच पर बैठ गया। रामन अगली बेंच पर, तीसरी बेंच पर मल्लिका और अम्मु हैं। लड़कों में जार्ज कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी है। जार्ज को बुखार है अत: वह आज नहीं आया। मास्टर जी के आने पर उसने पुस्तक खोलकर सामने रख ली। पृष्ठ 37 पर रेलगाड़ी का पाठ था। मास्टर जी बेंत से मेज को ठोकते हुए रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे कि यह भाप की शक्ति से चलती है। अप्पू ने सोचा कि रेलगाड़ी तो उसने भी देखी है। अप्पू की अभी भी काँच के कंचे याद आ रहे थे। वह उन्हीं के बारे में सोच रहा था। मास्टर जी ने उसे टोका भी और पूछा कि मैं अभी किसके बारे में बता रहा था। अप्पू ने कहा-‘कंचा’। मास्टर जी ने उसे बेंच पर खड़ा कर दिया। सब उसकी हँसी उड़ा रहे थे। अप्पू के दिल-दिमाग में अभी भी कंचे थे। हरी लकीर वाले गोल, आँवले जैसे कंचे। मास्टर जी ने पाठ समाप्त किया। कई छात्रों ने अपनी शंका का समाधान कर लिया। अप्पू सोच रहा था कि कंचों में कितने पैसे लगेंगे। फिर मास्टर जी ने कहा कि जो फीस लाए हैं वे ऑफिस में जाकर जमा करा दें। बहुत से छात्र फीस जमा कराने गए। अप्पू के पिता ने उसे डेढ़ रुपया फीस जमा कराने के लिए दिया था। वह बेंच से उतरा, पर मास्टर जी ने उसको रोक दिया। वह बेंच पर चढ़कर रोने लगा। फिर वह दफ्तर गया। वहाँ भीड़ थी। अप्पू दूर खड़ा रहा। वह अभी भी जार्ज के साथ जाकर कंचे लेने की बात सोच रहा था। वह पैसों का हिसाब लगा रहा था। उसने फीस जमा नहीं की। वह बस्ता कंधे पर लटकाए चलने लगा। कंचों की दुकान नजदीक आ रही थी। दुकानदार भी उसके इंतजार में था। दुकानदार जार का ढक्कन खोलने लगा तो अप्पू ने पूछा-कंचे अच्छे तो हैं ? दुकानदार ने कहा-बढ़िया, फर्स्टक्लास कंचे हैं। तुम्हें कितने कंचे चाहिए ? अप्पू ने एक रुपया पचास पैसे दिखाए। दुकानदार इतने पैसे देखकर चौंका। पहले कभी किसी लड़के ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे थे। अप्पू कागज की पोटली छाती से चिपकाए नीम के पेड़ों की छाँव में चलने लगा। कंचे उसकी हथेली में थे। उसने पोटली को हिलाकर देखा। उसने पोटली खोलकर देखना चाहा तो सारे कंचे बिखर गए। वह उन्हें चुनने लगा। वह कंचे बस्ते में डालने लगा। एक कार सड़क पर ब्रेक लगा रही थी, पर अप्पू कंचे चुनने में व्यस्त था। अप्पू ने ड्राइवर को कंचा दिखाया, वह बहुत खुश हुआ। अप्पू घर लौट आया। माँ शाम की चाय तैयार करके उसकी राह देख रही थी। अप्पू माँ के गले लग गया। माँ ने देखा कि बस्ते में कंचे ही कंचे थे। माँ समझ गई कि फीस के पैसों से अप्पू ने कंचे खरीद लिए हैं। माँ की पलकें भीग गईं। अप्पू ने पूछा-क्या कंचे अच्छे नहीं हैं ? माँ ने उसका मन रखने के लिए कहा-बहुत अच्छे लगते हैं। दोनों हँस पड़े। अब अप्पू के दिल से खुशी छलक रही थी। कंचा शब्दार्थ केंद्रित = एक स्थान पर ध्यान (Centred)। नौ-दो ग्यारह होना = भाग जाना (Run away)। आकृष्ट आकर्षित (Attract)! निषेध = नकारना, मना करना (Forebidden)। स्पर्श = छूना (To touchy। यंत्र = मशीन (Machine)। भूचाल भूकंप (Earthquake)। सुबकता = रोता (Weeping)। शंका = शक (Doubt) चिकोटी = चुटकी (Pinching)।धीरज-धैर्य(Patience)। सटाए = चिपकाए (To stick)। अहसास = अनुभव (Feeling)। समाप्त – खत्म (Finished)। इंतजार = बाट देखना (Wait)। कंचा कहानी के मुख्य पात्र का नाम क्या है?इस कहानी का मुख्य पात्र अप्पू नाम का एक लड़का है। उसकी उम्र के अधिकतर बच्चों की तरह अप्पू को पढ़ाई की जगह खेलकूद में अधिक मन लगता है। वह जब दुकान पर कंचों से भरी जार को देखता है तो वह कंचों की दुनिया में खो जाता है। वह अपने सपने में कंचों से भरे जार में गोते लगाता है।
कंचा पाठ के लेखक कौन हैं?इस कहानी में लेखक श्री टी० पद्मनाभन ने बालजीवन का सुंदर चित्रण किया है| कैसे एक बालक अपने खेलने के सामान बाकी अन्य चीज़ों से ऊपर रखता है और किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता| अप्पू हाथ में बस्ता लटकाए नीम के पेड़ों की घनी छाया से गुजर रहा था।
कंचा पाठ का उद्देश्य क्या है?मित्र कंचा कहानी से लेखक का उद्देश्य है बालमन की सहजता तथा कल्पना के रूप से पाठकों को अवगत कराना। इस पाठ के माध्यम से कवि यह बताना चाहते हैं कि बच्चों के जीवन में वास्तविता का कोई स्थान नहीं होता। वह केवल अपनी कल्पना की दुनिया में खोए रहते हैं।
कंचा कहानी में किसका वर्णन है?'कंचा' पाठ लेखक टी. पद्मनाभन द्वारा लिखा गया है | लेखक ने इस पाठ में बालमन की सहजता और कल्पना के रूपों का वर्णन किया है। इस कहानी में कंचा एक ऐसे बालक की कहानी है, जिसे कंचों से बहुत प्यार है। वह हर वक्त स्वयं को कंचे के साथ देखता है।
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