Chapter -2 mantra- Solutions of UP Board Class 9 Hindi. UP Board Solutions of Class 9th Hindi Chapter 1 – Baat (gadya khand) Gadyansh adharit Prashn Uttar बात (गद्य खंड). Question and answer of up chapter 2 Mantr Written By munshi Premchand. Show पाठ-2 मंत्र -मुंशी प्रेमचंद- हिन्दी कक्षा-9 हिन्दी- गद्यांश आधारित प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांशों के नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1) मोटर चली गयी। बूढ़ा कई मिनट तक मूर्ति की भाँति निश्चल खड़ा रहा। संसार में ऐसे मनुष्य भी होते हैं, जो अपने आमोद-प्रमोद के आगे किसी की जान की भी परवाह नहीं करते, शायद इसका उसे अब भी विश्वास न आता सभ्य संसार इतना निर्मम इतना कठोर है, इसका ऐसा मर्मभेदी अनुभव अब तक न हुआ था। वह उन पुराने जमाने के जीवों में था, जो लगी हुई आग को बुझाने, मुर्दे को कन्धा देने, किसी के छप्पर को उठाने और किसी कलह को ” शान्त करने के लिए सदैव तैयार रहते थे। जब तक बूढ़े को मोटर दिखायी दी, वह खड़ा टकटकी लगाये उस और ताकता रहा। प्रश्न (i) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। उत्तर — (i) सन्दर्भ — प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं मुंशी प्रेमचन्द द्वारा लिखित ‘मंत्र’ नामक कहानी से अवतरित है। प्र.(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। उ. रेखांकित अंश की व्याख्या – डॉ० चड्ढा ने बूढ़े भगत की प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया और मोटर में सवार होकर खेलने चले गये। मोटर चली जाने के बाद बूढ़ा भगत सोचने लगा कि क्या संसार में ऐसे भी हृदयहीन व्यक्ति हैं, जो अपने मनोरंजन के सामने दूसरों के जीवन की कोई चिन्ता नहीं है करते। वह ऐसे व्यवहार की लेशमात्र भी आशा नहीं करता था। उसे अपनी सरलता के कारण उनके इस कठोर व्यवहार पर अब भी विश्वास नहीं हो रहा था। वह यह नहीं जानता था कि सभ्य संसार इतना हृदयहीन और कठोर होता है। इस बात का हृदयस्पर्शी अनुभव उसे अभी तक कभी नहीं हुआ था। प्र.(iii) पुराने जमाने के जीवों का व्यवहार कैसा था ? उ. पुराने जमाने के जीवों का व्यवहार सरलता, दया सहानुभूति से परिपूर्ण होता था| प्र.(iv) भगत को किस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था? उ. भगत को इस बात पर विशवास नहीं हो रहा था कि संसार में ऐसे मनुष्य भी रहते हैं जो अपने आमोद-प्रमोद के आगे किसी की जान की परवाह नहीं करते हैं। प्र.(v) भगत के अनुसार सभ्य संसार कैसा है? उ. भगत के अनुसार सभ्य संसार बहुत निर्मम एवं कठोर है। गद्यांश 2 -Chapter -2 mantra(2)” अरे मूर्ख, यह क्यों नहीं कहता कि जो कुछ न होना था, हो चुका। जो कुछ होना था वह कहाँ हुआ? माँ-बाप ने बेटे का सेहरा कहाँ देखा? मृणालिनी का कामना-तरु क्या पल्लव और पुष्प से रंजित हो जाता? स्वर्ण-स्वप्न जिनसे जीवन आनन्द का स्रोत बना हुआ था, क्या पूरे हो गये? जीवन के नृत्यमय तारिका मण्डित सागर में आमोद की बहार लूटते हुए क्या उसकी नौका जलमग्न नहीं हो गयी? जो न होना था, वह हो गया!’ प्रश्न (1) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए। उत्तर – (1) सन्दर्भ – उपर्युक्त गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं मुंशी प्रेमचन्द द्वारा लिखित ‘मंत्र’ नामक पाठ से लिया गया है। प्रस्तुत गद्यांश में उस समय का विवरण है, जबकि कैलाश के प्राण सर्पदंश द्वारा हर लिये जाते हैं तथा झाड़-फूँक के साधन भी उत्तर दे जाते हैं तो एक सज्जन कहते हैं प्र.(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। उ. रेखांकित अंश की व्याख्या – कैलाश अभी नवयुवक है माता-पिता तो उसका विवाह भी न देख पाये और मृणालिनी, उसकी कामनाएँ जो कैलाश के जीवित होने पर पुष्पित, पल्लवित थीं, कैलाश के आकस्मिक निधन से नष्टप्राय हो गयी है। जब जीवन के आनन्द का एकमात्र स्रोत कैलाश ही उसके जीवन में न रहा, तो वह अब किस अनिर्वचनीय आनन्द की अनुभूति करे। उसके मन की अनेक इच्छाएँ एवं सुनहरे स्वप्न क्या कैलाश की मृत्यु के साथ अपूर्ण होकर नहीं रह गये। जिस प्रकार किसी सागर में आमोद-प्रमोद करती नाव सागर की उठती हुई तरंगों से सागर के गर्भ में समा जाती है उसी प्रकार कैलाशरूपी नौका के सवार भी जीवनरूपी सागर के जल में पूर्णतया डूब गये थे। भाव यह है कि कैलाश की मृत्यु उस समय हुई, जबकि उसे जीवन के प्रत्येक सुख को देखना था तथा उसकी मृत्यु से उसके माता-पिता, मृणालिनी आदि सभी पूर्णतया प्रभावित हुए हैं। प्र.(iii) माँ-बाप ने क्या नहीं देखा ? उ. माँ-बाप ने बेटे के सिर पर सेहरा नहीं देखा । प्र.(iv) ‘नौका जलयान होना’ का क्या अर्थ है ? उ. नौका जलमग्न होने का तात्पर्य सहारा नष्ट हो जाना है जिससे मृणालिनी का विवाह होना था जब वही नहीं रहेगा तो इसे ही नौका का जलमग्न कहा जायेगा। प्र.(v) मृणालिनी का कामना तरु क्या था? उ. मृणालिनी कल्पना तरु वैवाहिक जीवन का स्वर्ण-स्वप्न था जो जीवन-आनन्द का स्रोत बना हुआ था, जो समय पर पल्लव और पुष्प से रंजित होता। गद्यांश 3 -Chapter -2 mantra(3) वही हरा-भरा मैदान था, वही सुनहरी चाँदनी एक नि:शब्द संगीत की भाँति प्रकृति पर छायी हुई थी, वही मित्र-समाज था। वही मनोरंजन के सामान थे। मगर जहाँ हास्य की ध्वनि थी, वहाँ अब करुण-क्रन्दन और अश्रु प्रवाह था। प्रश्न (i) उपर्युक्त गद्यखण्ड का संदर्भ लिखिए। उत्तर- (1) सन्दर्भ – उपर्युक्त गद्यांश मुंशी प्रेमचन्द द्वारा लिखित कहानी ‘मंत्र’ से उद्धृत है। प्र.(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। उ. रेखांकित अंश की व्याख्या-कैलाश के जन्मदिन समारोह के समय जो हँसीपूर्ण वातावरण था, चारों ओर हास्य परिहास छाया था वहीं कैलाश को सौंप के काट लेने पर करुण पुकार होने लगी थी। सभी के नेत्रों से आँसू बह रहे थे। हर्षा वातावरण शोक में बदल गया था। प्र.(iii) प्रकृति पर क्या छायी हुई थी ? उ. प्रकृति पर सुनहरी चाँदनी संगीत की भाँति छायी हुई थी। गद्यांश 4 -Chapter -2 mantra(4) यह एक जड़ी कैलाश को सुँवा देता। इस तरह न जाने कितने बड़े पानी कैलाश के सिर पर डाले गये और न जाने कितनी बार भगत ने मन्त्र फूंका! आखिर जब ऊषा ने अपनी लाल-लाल आँखें खोली तो कैलाश को भी लाल-लाल खुल गयी। एक क्षण में उसने अंगड़ाई ली और पानी पीने की माँगा। डॉक्टर चट्टा ने दौड़कर नारायणी को गले लिया। नारायणी दौड़कर भगत के पैरों पर गिर पड़ी और मृणालिनी कैलाश के सामने आँखों में आँसू भरे पूछने लगी कैसी तबीयत है?’ प्रश्न (1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए। उत्तर– (1) सन्दर्भ – उपर्युक्त गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं मुंशी प्रेमचन्द द्वारा लिखित ‘मंत्र’ नामक कहानी से अवतरित है। प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने विरोधी घटनाओं, परिस्थितियों और भावनाओं का चित्रण करके कर्तव्य-बोध का मार्ग समझाया है। प्र.(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। उ. रेखांकित अंश की व्याख्या – जब उषा ने कैलाश को देखने के लिए अपनी लाल लाल आँखें खोलीं तो उसी समय अचानक कैलाश की भी लाल आँखें खुल गयीं। अँगड़ाई लेते हुए कैलाश ने पीने के लिए पानी माँगा तो इतना सुनते ही डॉ० चड्ढा ने नारायणी को प्रसन्नता के आवेश में दौड़कर गले लगा लिया। प्र.(iii) आँखें खुलते ही अँगड़ाई लेते हुए कैलाश ने क्या माँगा? उ. आँखें खुलते ही कैलाश ने अँगड़ाई लेते हुए पानी माँगा । गद्यांश 5(5) चड्डा- रात को मैंने नहीं पहचाना, पर जरा साफ हो जाने पर पहचान गया। एक बार यह एक मरीज को लेकर आया था। मुझे अब याद आता है कि में खेलने जा रहा था और मरीज को देखने से इनकार कर दिया था। आज उस दिन की बात याद करके मुझे जितनी ग्लानि हो रही है, उसे प्रकट नहीं कर सकता। मैं उसे खोज निकालूँगा और पैरों पर गिरकर अपना अपराध क्षमा कराऊँगा। वह कुछ लेगा नहीं, यह जानता हूँ, उसका जन्म यश की वर्षा करने ही के लिए हुआ है। उसकी सज्जनता ने मुझे ऐसा आदर्श दिखा दिया है, जो अब से जीवन पर्यन्त मेरे सामने रहेगा। प्रश्न (i) गद्यांश का संदर्भ लिखिए। उत्तर- (i) सन्दर्भ – उपर्युक्त गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं मुंशी प्रेमचन्द जी द्वारा लिखित ‘मन्त्र’ नामक पाठ से लिया गया है। प्र.(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। उ. रेखांकित अंश की व्याख्या – डॉक्टर चड्डा अपनी पत्नी नारायणी से कह रहे हैं कि यद्यपि मैं जानता हूँ कि वह बूढ़ा कुछ लेगा नहीं तथापि मैं उसे अवश्य खोजूँगा, वह अवश्य ही मेरे अपराध को क्षमा कर देगा। इस संसार में कुछ लोग दूसरों की भलाई के लिए ही जन्म लेते हैं, अपने लिये नहीं। अपने निःस्वार्थ सेवा-भावना से उसने मुझे सज्जनता का ऐसा आदर्श दिखा दिया है, जिसे मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक याद रखूँगा । प्र.(iii) ग्लानि किसको हो रही थी? उ.ग्लानि डॉक्टर चड्ढा को हो रही थी। प्र.(iv) डॉ० चड्ढा किस आदर्श पर जीवन भर चलने का संकल्प लेते हैं? उ.डॉo चड्ढा भगत द्वारा दिखाये सज्जनता के आदर्श पर जीवन भर चलने का संकल्प लेते हैं। प्र.(v) प्रस्तुत पंक्तियों में भगत की किस चारित्रिक विशेषता का पता चलता है? उ. इन पंक्तियों में भगत की चारित्रिक विशेषता उसकी सज्जनता है। उसका जन्म यश की वर्षा करने ही के लिए हुआ था । मंत्र कहानी के लेखक का नाम क्या है इस कथा का सारांश अपने शब्दों में लिखिए?मुंशी प्रेमचंद-"मंत्र"कहानी का सारांश और उद्देश्य ॥
मंत्र कहानी का उद्देश्य क्या है?उत्तर- 'मंत्र' कहानी को सन्देश यह है कि हमें अमीर-गरीब के साथ समान व्यवहार करना चाहिए तथा दूसरों के सुखदु:ख में समान रूप से भागीदार होना चाहिए।
मंत्र कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?'मंत्र' कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि अगर हम किसी की मदद कर सकते हैं तो हमें जरूर करनी चाहिए क्योंकि वक़्त बदलते देर नहीं लगती और हो सकता है कि हमें भी आगे ऐसे ही किसी के मदद की जरुरत हो.
मंत्र कहानी में मृणालिनी कौन है?✎... 'मंत्र' कहानी में मृणालिनी कैलाश की प्रेमिका थी। दोनों सहपाठी थे और कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते थे। वे दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे। कैलाश को तरह-तरह के साँपों को पालने का शौक था और उस दिन कैलाश के जन्मदिन की पार्टी में मृणालिनी ने कैलाश को उसके द्वारा पाले गए साँपों को दिखाने का आग्रह किया था।
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