काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं– Show
स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं -
श्रव्य काव्य- जिस काव्य का रसास्वादन दूसरे से सुनकर या स्वयं पढ़ कर किया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। जैसे रामायण और महाभारत। श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं -
प्रबंध काव्य-
1- महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]By: RF competition Copy Share (83) Sep 17, 2021 05:09PM 16624 प्रबन्ध काव्य (Prabandh Kavya)–जब किसी काव्य में एक कथा का सूत्र विभिन्न छंदों के माध्यम से जुड़ा रहे तो वह प्रबंध काव्य
कहलाता है। प्रबन्ध काव्य में क्रमशः रूप से कोई कथा निबद्ध (जुड़ी) रहती है। प्रबन्ध काव्य के भेद– प्रबंध काव्य के दो भेद हैं (i) महाकाव्य (ii) खंडकाव्य इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। (ii) खंडकाव्य (khand Kavya) – जब किसी काव्य में किसी महापुरुष के जीवन के किसी एक भाग को प्रस्तुत किया जाता है, उसे खण्ड काव्य कहा जाता है। मुक्तक काव्य (Muktak Kavya) –काव्य में जब प्रत्येक छन्द अपने आप में पूर्ण एवं स्वतंत्र रहता है। एक छंद का संबंध दूसरे से नहीं होता है, ऐसे काव्य को मुक्तक काव्यकहते हैं। नीचे दिए गए उदाहरण को देखिए– इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी। I hope the above information will be useful and important. प्रबन्ध काव्य (Prabandh Kavya) में कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे- रामचरित मानस। प्रबन्ध काव्य के भेदप्रबंध काव्य के तीन प्रकार के भेद होते हैं: महाकाव्य, खण्डकाव्य, और आख्यानक गीतियाँ।
1. महाकाव्यचंदबरदाई कृत “पृथ्वीराज रासो” को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है। प्राचीन आचार्यों के अनुसार महाकाव्य के लक्षण इस प्रकार हैं-
आधुनिक युग में महाकाव्य के प्राचीन प्रतिमानों में परिवर्तन हुआ है। अब इतिहास के स्थान पर मानव-जीवन की कोई भी घटना, कोई भी समस्या, इसका विषय हो सकती है। महान् पुरुष के स्थान पर समाज का कोई भी व्यक्ति इसका नायक हो सकता है। परन्तु उस पात्र में विशेष क्षमताओं का होना अनिवार्य है। हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध महाकाव्य हैं- ‘पद्मावत‘, ‘रामचरितमानस‘, ‘साकेत‘, ‘प्रियप्रवास‘, ‘कामायनी‘, ‘उर्वशी‘, ‘लोकायतन‘ आदि। 2. खण्डकाव्यखण्डकाव्य में नायक के जीवन के व्यापक चित्रण के स्थान पर उसके किसी एक पक्ष, अंश अथवा रूप का चित्रण होता है। लेकिन महाकाव्य का संक्षिप्त रूप अथवा एक सर्ग, खण्डकाव्य नहीं होता है। खण्डकाव्य में अपनी पूर्णता होती है। पूरे खण्डकाव्य में एक ही छन्द का प्रयोग होता है। ‘पंचवटी’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘नहुष’, ‘सुदामा-चरित’, ‘पथिक’, ‘गंगावतरण’, ‘हल्दीघाटी’, ‘जय हनुमान’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य हैं। 3. आख्यानक गीतियाँमहाकाव्य और खण्डकाव्य से भिन्न पद्यबद्ध कहानी का नाम आख्यानक गीति है। इसमें वीरता, साहस, पराक्रम, बलिदान, प्रेम और करुणा आदि से सम्बन्धित प्रेरक घटनाओं का चित्रण होता है। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है। गीतात्मकता और नाटकीयता इसकी विशेषताएँ हैं। ‘झाँसी की रानी’, ‘रंग में भंग’, “विकट भद’ आदि रचनाएँ आख्यानक गीतियों में आती हैं। प्रबन्ध काव्य के भेद के उदाहरणहिन्दी के प्रबन्ध काव्य में महाकाव्य के उदाहरण: ‘पद्मावत’, ‘रामचरितमानस’, ‘साकेत’, ‘प्रियप्रवास’, ‘कामायनी’, ‘उर्वशी’, ‘लोकायतन’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध महाकाव्य हैं। संस्कृत के प्रबन्ध काव्य में महाकाव्य के उदाहरण: रामायण (वाल्मीकि) नायक -राम, महाभारत (वेद व्यास)- नायक-कर्ण, बुद्धचरित (अश्वघोष)-नायक-बुद्ध्, भट्टिकाव्य (भट्टि), कुमारसंभव (कालिदास), रघुवंश (कालिदास) नायक- राम, कर्णभारम (भास), शिशुपाल वध (माघ), नैषधीय चरित (श्रीहर्ष) आदि। हिन्दी के प्रबन्ध काव्य में खण्डकाव्य के उदाहरण: ‘पंचवटी’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘नहुष’, ‘सुदामा-चरित’, ‘पथिक’, ‘गंगावतरण’, ‘हल्दीघाटी’, ‘जय हनुमान’ आदि हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध खण्डकाव्य हैं। प्रबंध काव्य में गीतिकाव्य के उदाहरण: ‘झाँसी की रानी’, ‘रंग में भंग’, “विकट भद’ आदि रचनाएँ आख्यानक गीतियों में आती हैं।
प्रबंध काव्य के अन्तर्गत क्या आता है?इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस। 1- महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है।
प्रबंध काव्य में कितने भेद होते है?प्रबंध काव्य के तीन प्रकार के भेद होते हैं: महाकाव्य, खण्डकाव्य, और आख्यानक गीतियाँ।
प्रबंध काव्य और महाकाव्य में क्या अंतर है?प्रबंध काव्य के दोनों रुपों में घटना और चरित्र का महत्व होता है । घटनाओं और चरित्रों के संबंध में भावों की योजना प्रबंध काव्य में अनिवार्य है । महाकाव्य में मुख्य चरित्र के जीवन को समग्रता में धारण करने के कारण विविधता और विस्तार होता है ।
प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य क्या है?1. प्रबंध काव्य में छंद एक कथासूत्र में पिरोए हुए होते हैं, जबकि मुक्तक काव्य में छंद एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। 2. प्रबंध काव्य में किसी एक व्यक्ति के जीवन चरित्र का वर्णन होता है, जबकि मुक्तक काव्य में किसी अनुभूति, कल्पना या भाव का चित्रण होता है।
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