लेखक को ठहरने की अच्छी जगह कैसे मिली? - lekhak ko thaharane kee achchhee jagah kaise milee?

प्रस्तुत विद्या ‘यात्रा-संस्मरण’ है, जो कहानी, निबंध, रिपोर्ताज, व्यंग्य, संस्मरण आदि विधवाओं से अलग है, श्रेष्ठ है, क्योंकि यात्रा-स्समरण में लेखक अपने जीवन की रोचक-यात्रा के अविस्मरणीय पलों को स्मृति के बल पर कथा-रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें वह देश, नगर विशेष __के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ वहां की सभ्यता, संस्कृति और समाज का भी बारीकी से वर्णन करता है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है।, जैसे- –
“सुबह होने से पहले हम गांव में थे।’
‘पौ फटने वाली थी कि हम गांव में थे।’
‘तारों की छांव रहते-रहते हम गांव पहुंच गए।’
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए-
“जान नहीं पड़ता था, कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।”
उत्तर:

  1. समझ नहीं आ रहा था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।
  2. यह नहीं जाना जा रहा था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।

प्रश्न 14.
ऐसे शब्द जो किसी आंचल यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते है। उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
डाँडा, थाङ्ला, मीटे, कंडे, सत्तू, थुक्पा, गंडा, भटिया, नमूसे, कनार, तिडी आदि आंचलिक शब्द प्रस्तुत पाठ में देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 15.
पाठ में कागज, अक्षर मैदान के आगे क्रमश: मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए, जो . किसी भी विशेषता बता रहे हों।
उत्तर:
मुख्य रास्ता, सैनिक रास्ता, चीनी पलटन, फौजी मकान, सारा मक्खन, भद्रयात्री, गरीब लोग, अच्छी जगह विकट डाँडा, ऊँची चढ़ाई, दो घोड़े रंग-बिरंगे कपड़े, मरमागरम थुक्पा, चिरी बत्तिया, छोटे बड़े जागीरदारों, मोटे कपड़े।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 16.
यह यात्रा राहुल जी ने 1930 में की थी आज के समय यदि तिब्बत की यात्रा की जाए तो राहुल जी की यात्रा से कैसे भिन्न होगी?
उत्तर:
राहुल की यात्रा 1930 की यात्रा है। आज 76 साल बाद अब तिब्बत की यात्रा की जाए तो बिल्कुल भिन्न होगी, क्योंकि आज विज्ञान के विकास के परिणामस्वरूप प्राकृतिक प्रदेशों में काफी अंतर आ गया है। मार्ग की दुर्गमता और अभाव खत्म हो गए हैं लोग सभ्य, शिक्षित हो गए हैं सभ्यता का विकास वहां देखने को मिलेगा।

प्रश्न 17.
क्या आपके किसी परिचित को घुमक्कड़ी/यायावरी का शौक है? उसके इस शौक का । उसकी पढाई/काम आदि पर क्या प्रभाव पड़ा होगा, लिखें।
उत्तर:
अपने जीवन में प्रत्येक व्यक्ति छोटी-बड़ी – यात्राएँ करता ही है लेकिन प्रत्येक वक्ति का अपना व्यक्तित्व होता है, उसका अपना काम होता है। अतः सभी पर यात्रा का प्रभाव तो पड़ेगा किंतु अलग-अलग जैसे कवि यात्रा विशेष स्थान की प्रकृति को भी अपनी सामग्री बनाएगा। व्यवसायिक व्यक्ति अपने काम के तनाव को यात्रा के आनंद में कर सकता है और काम के लिए शाँति, शक्ति लाता है। राहुल जी की तरह घुमक्कड़ व्यक्ति तो जीवन ही एक यात्रा है। प्रत्येक यात्रा से वह अपने जीवन में एक नया रंग भरता है। अपने एकाकी वयक्तित्व को विराट् व्यक्तित्व से जोड़ता है। अपनी बहुआयामी संस्कृति और सभ्यता को आत्मसात् करने का प्रयास करता है। यदि वह लेखक भी है तो वह अपना सारा अनुभव हू-ब-हू सभी के समक्ष प्रस्तुत करना चाहेगा।

प्रश्न 18.
अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

आम दिनों में समुद्र किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे जुड़े दूसरे कारोबारों में लगे हैं। 14 दिसंबर में सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तफानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण बन सकती है।

प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलट कर रख देगी, कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिजाज को उसका कोप कह लें या कुछ मगर यह अबूछ पहले अक्सर हमारे विश्वासों के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं एशिया का नक्शा ही बदल डाला है। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजों इंसान से वापस ले ली हैं, जिसकी कसक अभी तक है।

दुःख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सकें और रोशनी को बचाए रखने के लिए प्रयास करें। इस प्रयास से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते है। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबले करते हैं। किनारे आ लगे। इंडानेशिया की रिषा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी। एक विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा आई समुद्र में 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की यह जल-परी चल पड़ी पगला, सागर से दो-दो हाथ करने। वस मीटर से ज्यादा उँची सूनामी लहरों जो कोई बाधा, रूकावट मानने को तैयार नहीं थी, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुई।

जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं। और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस का सबूत है कि मानवता हार नहीं मानती है।

1. कौन-सी आपदा को सुनामी कहा जाता है?
2. दुःख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है- आशय स्पष्ट कीजिए।
3. मैगी, मेघना और अरुण ने सुनामी जैसी आपदा का सामना किस प्रकार किया था?
4. प्रस्तुत गद्यांश में ‘दृढ़-निश्चय’ और महत्व के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है?
5. इस गद्यांश के लिए एक शीर्षक ‘नाराज समुद्र’ हो सकता है। आप कोई अन्य शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
1. समुद्री भूकंप, को समुद्र में उठने वाली लहरों को ‘सुनामी’ की संज्ञा दी गई है।

2. ‘दुःख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है।’-कथन के माध्यम से लेखक समझाना चाहता है कि व्यक्ति सुखों के बहाव में स्वयं को, अपने कर्तव्यों को, सही गलत के भेद को भूल चुका होता है। ऐसे में दुःख व्यक्ति के जीवन को मांजता है अर्थात् उस पर से स्वार्थ, लालसा की धूल हटाता है। अतः सुखांध व्यक्ति को भविष्य के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए कम का सद्मार्ग दिखाता है।

3. ‘सुनामी’ जैसे प्राकृतिक प्रकोप का सामना कुछ बच्चों ने बड़े धैर्य के साथ किया है। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन तक अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबले करते हुए किनारे पर आए। मैगी जो कि मछुआरे की बेटी थी, उसने समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा. उसने तुरंत बेग उठाकर पर लोगों, जिसमें उसके परिवार जन भी थे को बिन कर समुद्र पार उतर गई।

4. दृढ निश्चय – बुलंद इरादे। महत्व – अहमियत।

5. इस गद्यांश के लिए प्राकृतिक आपदा, प्रकृति का सबक, सामुद्रिक प्रकोप आदि शीर्षक भी सार्थक हैं। सर्वत्र, हिंसा, वैमन्वय, मृत्यु का ही साया है। शाश्वत मृत्यु से इतर समाज में साक्षात् यमराज का रूप धारण किए हुए नेता, भ्रष्टाचारी, अपनी भय, मृत्यु का भय विद्यमान कर दिया है।

लेखक और सुमति कहाँ ठहरे थे?

उत्तर: भिखमंगे के वेश में भी लेखक थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँचने पर इसलिए ठहरने का अच्छा स्थान पा गया क्योंकि उसके साथ सुमति थे। उस गाँव में सुमति के जानने वाले थे

लेखक के चारों तरफ क्या था?

(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।.
लेखक का घोड़ा धीरे-धीरे चल रहा था।.
घोड़े के सुस्त पड़ने से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।.
वह दूसरे रास्ते पर डेढ़-दो मील चलता गया और फिर वापस आकर दूसरे रास्ते पर गया।.

लङ्कोर में रात को लेखक ने क्या खाया था?

उत्तर: लङ्कोर में वे एक अच्छी जगह रुके। उनके यजमान अच्छे थे। पहले चाय पी, सत्तू खाया और रात को थुक्पा मिला।

ल्हासा की ओर पाठ में लेखक के घोड़े की क्या दशा थी?

उ0. (क) वे रास्ता भटक गए थे और एक-डेढ़ km गलत रास्ते पर चले गए थे और आने में देर हो गई थी। (ख) लेखक का घोड़ा बहुत थक गया था। इसलिए वह अपने साथियों से पीछे रह गए और मार्ग भटक गए।