प्रस्तुत विद्या ‘यात्रा-संस्मरण’ है, जो कहानी, निबंध, रिपोर्ताज, व्यंग्य, संस्मरण आदि विधवाओं से अलग है, श्रेष्ठ है, क्योंकि यात्रा-स्समरण में लेखक अपने जीवन की रोचक-यात्रा के अविस्मरणीय पलों को स्मृति के बल पर कथा-रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें वह देश, नगर विशेष __के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ वहां की सभ्यता, संस्कृति और समाज का भी बारीकी से वर्णन करता है। Show भाषा-अध्ययन प्रश्न 13.
प्रश्न 14. प्रश्न 15. पाठेतर सक्रियता प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. आम दिनों में समुद्र किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे जुड़े दूसरे कारोबारों में लगे हैं। 14 दिसंबर में सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तफानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण बन सकती है। प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलट कर रख देगी, कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिजाज को उसका कोप कह लें या कुछ मगर यह अबूछ पहले अक्सर हमारे विश्वासों के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं एशिया का नक्शा ही बदल डाला है। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजों इंसान से वापस ले ली हैं, जिसकी कसक अभी तक है। दुःख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सकें और रोशनी को बचाए रखने के लिए प्रयास करें। इस प्रयास से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते है। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबले करते हैं। किनारे आ लगे। इंडानेशिया की रिषा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी। एक विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा आई समुद्र में 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की यह जल-परी चल पड़ी पगला, सागर से दो-दो हाथ करने। वस मीटर से ज्यादा उँची सूनामी लहरों जो कोई बाधा, रूकावट मानने को तैयार नहीं थी, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित हुई। जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं। और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूंढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस का सबूत है कि मानवता हार नहीं मानती है। 1. कौन-सी आपदा को सुनामी कहा जाता है? 2. ‘दुःख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है।’-कथन के माध्यम से लेखक समझाना चाहता है कि व्यक्ति सुखों के बहाव में स्वयं को, अपने कर्तव्यों को, सही गलत के भेद को भूल चुका होता है। ऐसे में दुःख व्यक्ति के जीवन को मांजता है अर्थात् उस पर से स्वार्थ, लालसा की धूल हटाता है। अतः सुखांध व्यक्ति को भविष्य के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए कम का सद्मार्ग दिखाता है। 3. ‘सुनामी’ जैसे प्राकृतिक प्रकोप का सामना कुछ बच्चों ने बड़े धैर्य के साथ किया है। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन तक अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबले करते हुए किनारे पर आए। मैगी जो कि मछुआरे की बेटी थी, उसने समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा. उसने तुरंत बेग उठाकर पर लोगों, जिसमें उसके परिवार जन भी थे को बिन कर समुद्र पार उतर गई। 4. दृढ निश्चय – बुलंद इरादे। महत्व – अहमियत। 5. इस गद्यांश के लिए प्राकृतिक आपदा, प्रकृति का सबक, सामुद्रिक प्रकोप आदि शीर्षक भी सार्थक हैं। सर्वत्र, हिंसा, वैमन्वय, मृत्यु का ही साया है। शाश्वत मृत्यु से इतर समाज में साक्षात् यमराज का रूप धारण किए हुए नेता, भ्रष्टाचारी, अपनी भय, मृत्यु का भय विद्यमान कर दिया है। लेखक और सुमति कहाँ ठहरे थे?उत्तर: भिखमंगे के वेश में भी लेखक थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँचने पर इसलिए ठहरने का अच्छा स्थान पा गया क्योंकि उसके साथ सुमति थे। उस गाँव में सुमति के जानने वाले थे।
लेखक के चारों तरफ क्या था?(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।. लेखक का घोड़ा धीरे-धीरे चल रहा था।. घोड़े के सुस्त पड़ने से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।. वह दूसरे रास्ते पर डेढ़-दो मील चलता गया और फिर वापस आकर दूसरे रास्ते पर गया।. लङ्कोर में रात को लेखक ने क्या खाया था?उत्तर: लङ्कोर में वे एक अच्छी जगह रुके। उनके यजमान अच्छे थे। पहले चाय पी, सत्तू खाया और रात को थुक्पा मिला।
ल्हासा की ओर पाठ में लेखक के घोड़े की क्या दशा थी?उ0. (क) वे रास्ता भटक गए थे और एक-डेढ़ km गलत रास्ते पर चले गए थे और आने में देर हो गई थी। (ख) लेखक का घोड़ा बहुत थक गया था। इसलिए वह अपने साथियों से पीछे रह गए और मार्ग भटक गए।
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