कुतबुद्दीन ऐबक के बाद उसका पुत्र आरामशाह सुल्तान बना, परन्तु वह अयोग्य शासक था। कुछ समय तक शासन करने के बाद बदायूं के गवर्नर शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने आरामशाह को पद से हटाया और स्वयं सुल्तान बन गया। इल्तुतमिश, कुतबुद्दीन ऐबक का दास व दामाद था। इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उसने गुलाम वंश के साम्राज्य को सुदृढ़ बनाया। उसने मुल्तान और बंगाल पर विजय प्राप्त की थी। Show प्रशासनिक समस्याएं
इक्ता इक्ता प्रणाली में इक्तेदार द्वारा कर संगृहीत किया जाता था। यह राशी भू-स्वामी की सेना के लिए एकत्रित की जाती थी। इसका एक हिस्सा सुल्तान को दिया जाता था। जिस व्यक्ति को इक्ता दिया जाता था, वह सुल्तान की सहायता के लिए सेना रखता है, यह सेना आवश्यकता पड़ने पर सुल्तान की सहायता करती थी। इक्तादार को किसी दूसरे स्थान पर भी नियुक्त किया जा सकता था। इस व्यवस्था से सुल्तान को विशाल सेना को कुशलतापूर्वक रखने में सहायता मिलती थी। इल्तुतमिश (1210-36 ई.)कुतुबुद्दीन ऐबक की अकस्माति मृत्यु के कारण अपने किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था । इस कारण लाहौर के तुर्क अधिकारियों ने ऐबक के विवादित पुत्र आरामशाह को लाहौर की गद्दी पर बैठाया , परंतु दिल्ली के तुर्की सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप ऐबक के दामाद इल्तुतमिश को राज्य की गद्दी पर बैठा दिया गया । 🔸इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्बरी तुर्क था , जो ऐबक का गुलाम एवं दामाद था । ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूँ का गवर्नर था । 🔸इसे मुस्लिम साम्राज्य का वास्तविक संगठनकर्ता माना जाता है । 🔸इल्तुतमिश लाहौर से राजधानी को स्थानांतरित करके दिल्ली लाया । इसने हौज-ए-सुल्तानी का निर्माण देहली- ए-कुहना के निकट कराया था । 🔸उसने मिनहाजुद्दीन सिराज तथा मलिक ताजुद्दीन को संरक्षण प्रदान किया । 🔸सन् 1226 ईसवी में इल्तुतमिश ने रणथम्भौर को जीता । 🔸इल्तुतमिश पहला शासक था, जिसने 1229 ई. में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की । 🔸उसने कुतुबमीनार के निर्माण को पूर्ण करवाया । 🔸उसने सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किए । सल्तन युग के दो महत्वपूर्ण सिक्के चाँदी का टंका और ताँबे का जीतल उसी ने आरंभ किए । 🔸इल्तुतमिश ने इक्ता प्रणाली चलाई और सुल्तान की सेना की निर्माण का विचार दिल्ली सल्तनत को प्रदान किया । 🔸उसने चालीस गुलाम सुधारों का संगठन बनाया, जो तुर्कान- ए- चिहलगानी के नाम से जाना गया । 🔸इसने सबसे पहले दिल्ली में अमीरों का दमन किया। रजिया सुल्तान ( 1236-40 ई.)इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रूकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा, वह एक अयोग्य शासक था । इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकान छाई रही । शाह तुरकान के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरों ने रूकनुद्दीन को हटाकर रजिया को सिंहासन पर आसीन किया । इस प्रकार रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी, जिसने शासन की बागडोर सँभाली । रजिया ने पर्दाप्रथा का त्यागकर तथा पुरुषों की तरह चोगा (काबा) एवं कुलाह (टोपी) पहनकर राजदरबार में खुले मुँह से जाने लगी । गुलाम वंश के कुल कितने शासक हुए?आरंभ में इसे दास वंश का नाम दिया गया क्योंकि इस वंश का प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक दास था। इल्तुतमिश और बलबन भी दास थे। किंतु इस शब्द को मान्यता नहीं मिली क्योंकि इस वंश के 11 शासकों में केवल 3 शासक ऐबक, इल्तुतमिश व बलबन ही दास थे तथा सत्ता ग्रहण करने से पूर्व दासता से मुक्त कर दिए गए थे।
गुलाम वंश के शासक कौन कौन है?मामलुक वंश या गुलाम वंश. कुतुब-उद-दीन ऐबक (1206-1210). आरामशाह (1210-1211). शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211-1236). रुक्नुद्दीन फिरोजशाह (1236). रजिया सुल्तान (1236-1240). मुईज़ुद्दीन बहरामशाह (1240-1242). अलाउद्दीन मसूदशाह (1242-1246). नासिरुद्दीन महमूद शाह (1246-1265). गुलाम वंश के अंतिम शासक कौन था?मुइज़-उद-दीन मुहम्मद कैकाबाद गुलाम वंश का अंतिम राजा था। वे गयास-उद-दीन बलबन का पोता था जिसने उत्तरी भारत में 1266-1287 तक शासन किया था। खिलजी शासक जलाल उद दीन फिरोज खिलजी द्वारा गुलाम वंश का अंत हुआ और उसके बाद खिलजी वंश की शुरुआत हुई।
गुलाम वंश का सबसे महान शासक कौन था?गुलाम वंश (1206-1290 ई.). |