ट्रांसफार्मर क्या है इसके प्रकार भाग कार्य सिद्धांत Transformer In Hindi Transformer Kya Hai? ट्रांसफार्मर एक ऐसा विद्युत यंत्र है जो कि AC सप्लाई की फ्रीक्वेंसी को बिना बदले उसे कम या ज्यादा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल उन DC उपकरण पर किया जाता है जोकि AC सप्लाई द्वारा चलाए जाते हैं जैसे की एंपलीफायर, बैटरी चार्जर इत्यादि. DC उपकरण ऐसी उपकरण के मुकाबले बहुत कम बिजली से चलते हैं . जैसे कि ऑडियो एंपलीफायर 12 Volt DC से काम करता है. इसीलिए ट्रांसफार्मर का
इस्तेमाल कर के पहले AC Volt को 220 Volt से 12 Volt में बदला जाता है और फिर इसे रेक्टिफायरकी मदद से AC से DC में बदला जाता है.सबसे पहले ट्रांसफार्मर का आविष्कार Michael Faraday ने 1831 और Joseph Henry ने 1832 में करके दिखाया था.आज
ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल बिजली के हर क्षेत्र में हो रहा है बड़े से बड़े पावर स्टेशन से लेकर एक छोटे से घर में भी ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किसी न किसी रुप में किया जा रहा है. हर जगह ट्रांसफार्मर का सिर्फ एक ही काम होता है बिजली को कम या फिर ज्यादा करना तो आज की इस पोस्ट में हम आपको ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है टाइप्स ऑफ़ ट्रांसफार्मर उच्चाई ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते है ट्रांसफार्मर की संरचना बिजली ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर के भाग के बारे में पूरी जानकारी
देने वाले हैं. ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं और सभी ट्रांसफार्मर में कुछ खास कॉन्पोनेंट होते हैं जो कि छोटे से छोटे और बड़े से बड़े ट्रांसफार्मर में लगाए जाते हैं. लेकिन जैसा कि आपको पता है ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं इसीलिए बड़े ट्रांसफार्मर के अंदर और भी कई कॉन्पोनेंट लगाए जाते हैं. लेकिन जो कंपोनेंट सभी ट्रांसफार्मर में लगे होते हैं उसकी सूची आपको नीचे दी गई है जिससे आपको पता लगेगा कि ट्रांसफार्मर में कौन-कौन से भाग होते हैं और कौन कौन से भाग क्या क्या काम करते हैं. Cores -कोरट्रांसफार्मर को core form और shell form में बनाया जाता है. और जिस ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग को core के चारों तरफ लगाया जाता है उसे core form कहते हैं और जिस ट्रांसफार्मर में core को वाइंडिंग के चारों तरफ लगाया जाता है तो उसे shell form कहते हैं . ट्रांसफार्मर की कोर सिलिकॉन स्टील की पत्तियों द्वारा बनाई जाती है और यह कौर ट्रांसफार्मर में होने वाले iron और Eddy करंट Loss को कम करने के लिए लगाई जाती है. और इन पत्तियों की चौड़ाई 0.35 mm से 0.75 mm के बीच में होती है और इन पत्तियों को आपस में वार्निश से जोड़ा जाता है. ट्रांसफार्मर में यह पत्तियां मुख्यतः E, I, L आदि के आकार में लगाई जाती है . Coilट्रांसफार्मर की Coil ट्रांसफार्मर के इनपुट और आउटपुट तारों के साथ में जोड़ी जाती है. ट्रांसफार्मर में दो Coil लगी होती है. जो कि एक इनपुट का कार्य करती है और एक आउटपुट का कार्य करती है. Coil को वाइंडिंग भी कहा जाता है .यह वाइंडिंग एक दूसरे से जुड़ी नहीं होती. पहली वाइंडिंग और दूसरी वाइंडिंग एक दूसरे से बिल्कुल अलग होती है और इनकी कोर के चारों तरफ लपेटे की संख्या भी कम और ज्यादा होती है. और प्राइमरी वाइंडिंग से सेकेंडरी वाइंडिंग में सप्लाई म्यूच्यूअल इंडक्शन के कारण जाती है. इसके बारे में नीचे आपको ज्यादा अच्छे से बताया गया है लेकिन पहले इसकी वाइंडिंग के बारे में जान ले. प्राथमिक वाइंडिंग -Primary coil :- ट्रांसफार्मर में जिस वाइंडिंग पर AC इनपुट सप्लाई दी जाती है. उसे प्राइमरी वाइंडिंग या प्राथमिक वाइंडिंग कहते हैं. Insulated Sheetप्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग के बीच में एक सीट लगाई जाती है ताकि किसी प्रकार का कोई भी शार्ट सर्किट में हो. और ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग पर किसी प्रकार का कोई नुकसान ना हो. इसीलिए यह वाइंडिंग के बीच में इंसुलेटेड सीट लगाई जाती है . Conservator Tankजैसा कि पहले हमने बताया ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं उन्हीं के आधार पर उनके अंदर कॉन्पोनेंट लगाए जाते हैं इसीलिए थ्री फेज ट्रांसफार्मर में यह टैंक होता है जिसके अंदर तेल डाला जाता है और यह ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने का काम करता है क्योंकि थ्री फेज ट्रांसफार्मर काफी बड़ा होता है इसीलिए वह गर्म भी बहुत ज्यादा होता है इसीलिए ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए तेल का इस्तेमाल किया जाता है और इस टैंक में ट्रांसफार्मर के लिए तेल भरा जाता है . Oil Level IndicatorConservator Tank में ऑयल भरा जाता है लेकिन इसे मापने के लिए इसके अंदर 1 मीटर लगाया जाता है जो कि टैंक में भरे ऑयल की मात्रा को बताता है. और यह वेल मीटर इंडिकेटर टैंक के ऊपर ही लगाया जाता है . BushingBushing का इस्तेमाल ट्रांसफार्मर में Live Conductor और ट्रांसफार्मर की बॉडी को इंसुलेट करने के लिए लगाया जाता है. और यह ट्रांसफार्मर के सभी टर्मिनल पर लगाया जाता है और इसका इस्तेमाल थ्री फेज ट्रांसफार्मर में ही किया जाता है . Radiator Fanरेडिएटर का इस्तेमाल ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए किया जाता है जैसे गाड़ियों में भी गाड़ियों के इंजन को ठंडा रखने के लिए रेडिएटर का इस्तेमाल होता है उसी प्रकार ट्रांसफार्मर में भी एक रेडिएटर लगाया जाता है लेकिन यह रेडिएटर सिर्फ बड़े ट्रांसफार्मर में ही लगाया जाता है. Oil Filling Pipeट्रांसफार्मर में तेल भरने के लिए ट्रांसफार्मर के टाइम पर एक पाइप लगाया जाता है जिसे Oil Filling Pipe कहते हैं और इसी की मदद से ट्रांसफार्मर में तेल भरा जाता है . तो यह कुछ महत्वपूर्ण भाग ट्रांसफार्मर के होते हैं जो कि लगभग सभी ट्रांसफार्मर में आपको देखने को मिलेंगे लेकिन यहां पर मैंने कुछ और भी कंपोनेंट बताए हैं जो कि सिर्फ बड़े ट्रांसफार्मर में है आपको देखने को मिलेंगे यह ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. TRANSFORMER OF CLASSIFICATION in Hindi ? ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं जहां पर इनका इस्तेमाल किया जाता है उसी आधार पर ट्रांसफार्मर को बनाया जाता है जैसे कि अगर हमें घर में बैटरी का चार्जर बनाना है तो उसके लिए हमें स्टेप डाउन यानी के वोल्टेज को कम करने वाले ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करना पड़ेगा और अगर कहीं पर हमें इनवर्टर बनाना है तो वहां पर हमें स्टेप अप ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करना पड़ेगा या फिर हमारे घर में इस्तेमाल होने वाला स्टेबलाइजर में स्टेप अप ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल किया जाता है तो इसी लिए ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं जिनकी सूची नीचे दी गई है . आउटपुट वोल्टता के आधार पर1.स्टेप अप ट्रांसफार्मर जो ट्रांसफार्मर इनपुट वोल्टेज को बढ़ाकर अधिक आउटपुट वोल्टेज प्रदान करता है उसे स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं.ट्रांसफार्मर में प्राइमरी वाइंडिंग के मुकाबले सेकेंडरी वाइंडिंग पर ज्यादा Coil के Turn या लपेटे होती हैं. और इसका इस्तेमाल स्टेबलाइजर, इनवर्टर इत्यादि में किया जाता है. 2.स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर जो ट्रांसफार्मर इनपुट वोल्टेज को घटाकर कम आउटपुट वोल्टेज प्रदान करता है उसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं.इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है क्योंकि DC सप्लाई से चलने वाले बहुत सारे उपकरण मार्केट में है और इसे हम घर में आने वाली AC सप्लाई से चलाने के लिए ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करते हैं जो कि 220 Volt AC को घटा कर उपकरण के अनुसार कर देता है जैसे कि ऑडियो एंपलीफायर को 12 Volt DC सप्लाई की जरूरत होती है इसलिए हमें स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करके 220 Volt को 12 Volt में बदलना पड़ता है और फिर उसे AC TO DC कनवर्टर से DC सप्लाई में बदलना पड़ता है . इसीलिए इस ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है . कोर कि सरचना के आधार पर1.शेल टाइप ट्रांसफार्मर यह E तथा I आकर की पतियों को जोडकर बनाया जाता है इसमें तीन लिब पड़े होते है जिसमे से एक लिब पर दोनों वाइंडिंग की जाती है वाइंडिंग बीच वाले लिब पर की जाती है जिसका क्षेत्र दोनों साइड वालो से दो गुना होता है कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग कोर के नजदीक की जाती है और ज्यादा वोल्टेज वाली वाइंडिंग कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग के ऊपर की जाती है ताकि इन्सुलेशन आसानी से किया जा सके इसमें मेगनेटिक फ्लक्स के लिए दो रास्ते होते है इसे हम कम वोल्टेज के लिए यूज करते है. 2.कोर टाइप ट्रांसफार्मर यह ट्रांसफार्मर L आकार सिलिकोन स्टील की पतियों को इन्सुलेट करके जोड़ कर बनाया जाता है इसकी बनावट आयताकार रूप में होती है यह इसके चार लिब होते है जिनमे से दो आमने सामने वाले लिबो पर वाइंडिंग की जाती है इसमें मेगनेटिक फ्लक्स के लिए केवल एक ही रास्ता होता है यह हाई वोल्टेज के लिए यूज किया जाता है. फेज की संख्या के आधार पर1.सिंगल फेज ट्रांसफार्मर सिंगल फेस AC.सप्लाई पर कार्य करने वाला ट्रांसफार्मर होता है यह ट्रांसफार्मर सिंगल फेज की वोल्टेज को कम या ज्यादा करता है उसे सिंगल फेज ट्रांसफार्मर कहते हैं इसमें दो वाइंडिंग होती है प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग प्राथमिक वाइंडिंग में सिंगल फेज विद्युत सप्लाई दी जाती है और द्वितीयक वाइंडिंग में सिंगल फेज विद्युत सप्लाई स्टेप डाउन या स्टेप अप के रूप में ली जाती है. 2.थ्री फेज ट्रांसफार्मर थ्री फेज AC. सप्लाई पर कार्य करने वाले ट्रांसफार्मर को थ्री फेज ट्रांसफार्मर कहते हैं इसमें तीन प्राथमिक तथा तीन द्वितीयक वाइंडिंग होती है यह सेल या कोर टाइप के होते हैं इनका उपयोग 66, 110, 132, 220, 440 KVA स्टेप अप करके ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है और जो डिस्ट्रीब्यूशन प्रणाली में जो ट्रांसफार्मर होते है वे थ्री फेज ट्रांसफार्मर होते हैं और आजकल थ्री फेज ट्रांसफार्मर का ही अधिक प्रयोग होता है. ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता हैट्रांसफार्मर म्यूच्यूअल इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है. और ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग होती है जिसमें से एक वाइंडिंग Electromotive Force और दूसरी वाली magnetic field पर काम करती है. जब पहली वाइंडिंग में AC सप्लाई दी जाती है तो उसके चारो तरफ एक मैगनेटिक फील्ड या चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है जिसको Electromotive Force कहते है। और जब दूसरी Coil इस मैग्नेटिक फील्ड के अंदर आती है तो दूसरी Coil में इलेक्ट्रॉन बहने लगते हैं और इस क्वाइल के सिरों पर हमें AC सप्लाई मिल जाती है . लेकिन ट्रांसफार्मर की आउटपुट सप्लाई इसकी इनपुट के ऊपर निर्भर करेगी. ट्रांसफार्मर को सप्लाई से जोड़ने से पहले टेस्ट करेंअगर आप कहीं पर ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करना चाहते हैं चाहे वह सिंगल फेज ट्रांसफार्मर हो या फिर थ्री फेज ट्रांसफार्मर हो इसका कनेक्शन करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है ताकि आपका ट्रांसफार्मर सही तरह से काम करें और आपको किसी प्रकार की कोई हानि ना हो. इंसुलेशन टेस्टइंसुलेशन को टेस्ट करने के लिए आपको दोनों वाइंडिंग के बीच में मैगर का इस्तेमाल करना है और दोनों वाइंडिंग के बीच का प्रतिरोध पता करना है. अर्थ कंटीन्यूटी टेस्टइस टेस्ट को करने के लिए आपको टेस्ट लैंप का इस्तेमाल करना होगा इसके लिए टेस्ट लैंप की एक तार को ट्रांसफार्मर की बॉडी के साथ जोड़ दें और दूसरी तार को फेज की तार से जोड़ दें अगर लैंप जलता है तो इसका मतलब ट्रांसफार्मर की अर्थिंग बिल्कुल सही तरह से काम कर रही है. ट्रांसफार्मर आयल टेस्टइस टेस्ट में ट्रांसफार्मर के तेल की जांच की जाती है इस टेस्ट में ट्रांसफार्मर की डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ को मापा जाता है इस के लिए ट्रांसफार्मर आयल टेस्टिंग उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है. और जब कॉटन की टेप को 120 डिग्री पर 48 घंटे तक ट्रांसफार्मर के तेल में रखा जाता है अगर इसकी विशेषता में कोई फर्क ना आए तो इसका मतलब ट्रांसफार्मर का तेल अच्छी क्वालिटी का है. शार्ट सर्किट टेस्टइस टेस्ट के दौरान यह पता लगाया जाता है कि प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग आपस में स्पर्श तो नहीं हो रही है. इसके लिए मेगर का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें मेगर के टर्मिनल को प्राइमरी वाइंडिंग के सिरे से जोड़ते हैं. तथा मेगर के दूसरे टर्मिनल को सेकेंडरी रिवाइंडिंग से जोड़ते हैं और मेजर को घुमाने पर सुई 0 रीडिंग देती है तो दोनों वाइंडिंग आपस में शार्ट है यदि सुई इंनफिनिटी पर है तो वाइंडिंग शार्ट नहीं है. Download PDF of This Post ट्रांसफार्मर से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न1. ट्रांसफार्मर में प्राथमिक एंव द्वितीयक कुण्डलन के मध्य प्रतिरोध कितना
होता है ? 2. ट्रांसफार्मर में ब्रीदर पर प्रयुक्त किया जाने वाला रसायन कौन सा है ? 3. ट्रांसफार्मर का शक्ति गुणक किस पर निर्भर करता है ? 4. ट्रांसफार्मर का सबसे अधिक गर्म होने वाला भाग कौनसा है ? 5. यदि ट्रांसफार्मर क्रोड़ लौह के स्थान पर ताम्र का बनाया जाये तब शून्य भार पर होने वाली हानियाँ कैसी होगी है ? 6. समान्तर प्रचालन
हेतु त्रिकलीय ट्रांसफार्मरों के सयोंजन कि उचित व्यवस्था क्या होती है ? 7. ट्रांसफार्मर क्रोड़ पटलित करने का क्या उद्देश्य है ? 8. ट्रांसफार्मर में लौह कोर का क्या कार्य है ? 9. ट्रांसफार्मर के कन्जरवेटर क्या कार्य है ? 10. ऑटो ट्रांसफार्मर
में कितनी कुण्डलीं होती है ? 11. ट्रांसफार्मर क्या परिवर्तित करता है ? 12. किस परिक्षण द्वारा ट्रांसफार्मर का नियमन एवं दक्षता बिना भार दिये ज्ञात की जाती है ? 13. ट्रांसफार्मर क्रोड़ का पदार्थ कौन होता है ? 14. ट्रांसफार्मर में लोड परिवर्तन के साथ परिवर्तन होने वाली हानियाँ कौनसी है ? 15. BU Cholz Relay का उपयोग किस में
किया जाता है ? 16. ट्रांसफार्मर में K V A क्षमता बढाने पर ट्रांसफार्मर का आकार कैसा होगा ? 17. ट्रांसफार्मर का क्या कार्य है ? 18. सप्लाई आवृत्ति बढाने पर सबसे अधिक प्रभावित होने वाली हानियाँ कौनसी है ? 19. शक्ति ट्रांसफार्मर में क्या होती है ? 20.
ट्रांसफार्मर में प्रयुक्त तेल का रंग कौन सा होता है ? 21. ट्रांसफार्मर में प्रतिघात कि मात्रा निर्भर करती है ? 22. शून्य लोड पर ट्रांसफार्मर में क्या हानियाँ होती है ? 23. ट्रांसफार्मर में क्षरण फ्लक्स पर कौन निर्भर करता है ? 24. उच्च आवृत्ति ट्रांसफार्मर में क्रोड़ का पदार्थ कौनसा है ? 25. एक स्टेप अप ट्रांसफार्मर में क्या कम होता है ? 26. उच्च क्षमता वाले ट्रांसफार्मर प्राय: किस स्थान पर प्रयोग किये जाते है ? 27. ट्रांसफार्मर पर शून्य भार परिक्षण करने का क्या उद्देश्य है ? 28. एक स्टेप अप ट्रांसफार्मर को किसकी भाँती इस्तेमाल किया जा सकता है ? 29. ट्रांसफार्मर में प्रयुक्त तेल कौन सा होता है ? 30. शुष्क सिलिका जैल
का रंग कैसा होता है ? 31. ट्रांसफार्मर में ताम्र हानियाँ कंहा होती है ? 32. ट्रांसफार्मर में होने वाला शोर क्या कहलाता है ? 33. एक आदर्श ट्रांसफार्मर से क्या होता है ? 34. एक ट्रांसफार्मर में सेकेण्डरी धारा शून्य है इसका क्या अर्थ है ? 35. नमी सोखने के पश्चात सिलिका जैल का रंग कैसा होता है ? 36. ट्रांसफार्मर में ऋणात्मक वोल्टेज रेगुलेशन होने का क्या अर्थ कि संयोजित भार का शक्ति गुणक कैसी है ? 37. ऑटो ट्रांसफार्मर तथा अन्य साधारण ट्रांसफार्मर में मुख्य अन्तर क्या है ? 38. ट्रांसफार्मर में प्राथमिक एवं द्वितीय कुण्डलियों का युग्मन कौन होता है ? 39. दो कुण्डली वाले ट्रांसफार्मर में प्राइमरी तथा सेकेण्डरी में प्रेरित वोल्टेज कैसी होती है ? 40. ट्रांसफार्मर में उच्च नियमन का क्या तात्पर्य है ? 41. लघु परिपथ परिक्षण में लौह हानियाँ नगण्य क्यों होती है ? 42. ट्रांसफार्मर में ब्रीदर का क्या कार्य होता है ? 43. ट्रांसफार्मर में वोल्टेज स्थिर रखते हुए यदि आवृत्ति बढाई जाये तब क्या होगा ? 44. ट्रांसफार्मर में फ्लक्स घनत्व बढाने पर ट्रांसफार्मर का आकार कैसा करना चाहिए ? तो इसी प्रकार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग में से द्वितीय वाइंडिंग में सप्लाई चली जाती है. तो तो यह जानकारी थी ट्रांसफार्मर के बारे में इस पोस्ट में आपको ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है टाइप्स ऑफ़ ट्रांसफार्मर उच्चाई ट्रांसफार्मर की संरचना बिजली ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर के भाग के बारे में पूरी जानकारी दी गई है अगर यह जानकारी आपको फायदेमंद लगे तो इसे शेयर जरूर करें. ट्रांसफार्मर क्या है हिंदी में? ट्रांसफार्मर का सिद्धांत क्या है? ट्रांसफार्मर क्यों लगाए जाते हैं? ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं? ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है? ट्रांसफार्मर में कौन सा तेल प्रयोग किया जाता है? Back to top button ट्रांसफार्मर का सिद्धांत क्या है इसकी कार्य विधि समझाइए?ट्रांसफार्मर का सिद्धांत (principle of transformer in hindi)
यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है जिसके अनुसार जब एक कुण्डली में प्रवाहित धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है तो इसके पास रखी अन्य कुण्डली में प्रेरण के कारण विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिससे दूसरी कुण्डली में भी धारा बहने लग जाती है।
ट्रांसफार्मर क्या है इसका कार्य क्या है?उपयोग ट्रान्सफार्मर का मुख्य उपयोग विद्युत शक्ति को अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में या कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में बदलना है । ऐसा करने से विद्युत उर्जा के उपयोग में सुविधा और दक्षता आती है।
ट्रांसफार्मर किसे कहते हैं रचना तथा कार्यविधि का वर्णन कीजिए इसमें पटलित लौह क्रोड़ का क्या महत्व है ?`?transformer की संरचना:
चित्रानुसार इसमें नर्म लोहे की बनी पटलित आयताकार क्रोड़ होती है , इस क्रोड़ के एक तरफ तांबे के तार लपेटकर प्राथमिक कुण्डली बनाई जाती है तथा दूसरी तरफ ताम्बे के तार लपेटकर इसे द्वितीयक कुण्डली बनाई जाती है। यहाँ क्रोड़ को पटलित बनाने का कारण भंवर धाराओ के प्रभाव को कम करना होता है।
ट्रांसफार्मर किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं?ट्रांसफार्मर की अलग-अलग जरूरत के हिसाब से उसकी वाइंडिंग भी कई तरह से की जाती है। वाइंडिंग के अनुसार ट्रांसफॉर्मर 4 प्रकार के होते है। जिस ट्रांसफार्मर में सिर्फ एक ही वाइंडिंग होती है, वह ऑटो ट्रांसफार्मर होता है।
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