मार्च में सरस्वती पूजा कब है? - maarch mein sarasvatee pooja kab hai?

मार्च में सरस्वती पूजा कब है? - maarch mein sarasvatee pooja kab hai?

महत्वपूर्ण जानकारी

  • वसंत पंचमी 2023, बसंत पंचमी 2023
  • गुरुवार, 26 जनवरी 2023
  • पंचमी तिथि प्रारंभ: 25 जनवरी 2023 रात 09:29 बजे
  • पंचमी तिथि समाप्त : 26 फरवरी 2023 पूर्वाह्न 10:28 बजे

वसन्त पंचमी उत्तर भारत का प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार हिन्दूओं का है, कुछ हिन्दू इस त्योहार को सरस्वती पूजा के नाम से जानते है। वसंत पंचमी को बसंत पंचमी भी कहा जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है, जो वसंत के आगमन की प्रांरभिक तैयारियों को चिह्नित करता है। जो भारत में अलग अलग क्षेत्रों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। यह त्योहार माघ के महीने की शुक्ल पंचमी के दिन, प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

देवी सरस्वती को विद्य की देवी कहा जाता है। इस दिन सरस्वती की पूजा की जाती है, क्योंकि प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। वसंत पंचमी त्योहार, देवी सरस्वती को समर्पित त्योहार है, जो ज्ञान, भाषा, संगीत और सभी कलाओं की देवी हैं। इस त्योहार पर महिलायें पीले रंग की कपड़े पहनती है, और पीले रंग के व्यंजन बनाती है। भारत में पूरे साल को छः मौसमों में बांटा जाता है जिसमें से वसंत सबका प्रिय मौसम होता है। इस महीने में, खेत सरसों के पीले रंग के फूलों से भर जाता है।

वसंत पंचमी को होली के त्योहार की तैयारी का प्रतीक भी माना जाता है, जो कि इसके 40 दिन बाद आती है। वसंत पंचमी में विष्णु और काम देव की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है। पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से वसंत पंचमी का उल्लेख मिलता है। माँ सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान भी ज्ञान की दीप जलाता हैं।

इस दिन लोग अपने घरों में पील रंग के व्यंजन बनाते है, कुछ पीले रंग के चावल बनाते है तो कुछ केसर का उपयोग करते है।

सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-
प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।

अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।

वसंत पंचमी कथा
प्रारंभिक काल में, भगवान शिव की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने जीवों और मनुष्य की रचना की थी। परन्तु ब्रह्मा जी अपने रचना से संतुष्ट नही थे। तो ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की आराधना की, तब विष्णु से उनके समक्ष प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने अपनी समस्या विष्णु जी के सामने रखी परन्तु विष्णु जी के पास उनकी समस्या का हल नहीं था। इसलिए दोनों ने आदिशक्ति दुर्गा माता का आव्हान किया। तब दुर्गा माता प्रकट हुई और उनकी समस्या के हल के लिए अपने शरीर में से देवी सरस्वती को प्रकट किया। तभी से, सभी जीवों का वाणी प्राप्त हुई। इस प्रकार देवी सरस्वती का जन्म हुआ था।

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Basant Panchami 2022: इस बार बसंत पंचमी कब है ? इस बात को लेकर उलझन में हैं तो बता दें कि पंचांग के अनुसार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस बार बसंत पंचमी 2022 कब मनाई जाएगी जानना चाहते हैं तो सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि जान लें. बता दें कि इस दिन अबुझ मुहूर्त होने के कारण किसी भी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं.

बसंत पंचमी 2022 तिथि

  • साल 2022 में बसंत पंचमी का पर्व 05 फरवरी, दिन शनिवार को मनाया जाएगा.

  • पंचमी तिथि आरंभ- 05 फरवरी प्रात:काल 03:47 बजे से

  • पंचमी तिथि समाप्त- 06 फरवरी प्रात:काल 03:46 बजे

बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त

05 फरवरी प्रात:काल- 07:07 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा.

बसंत पंचमी पूजा विधि -

बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा पूरी आस्था और विश्वास के साथ की जाती है. इस दिन विभिन्न शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा करने की परंपरा है.

  • सरस्वती पूजा के दिन प्रात:काल स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन कर सबसे पहले मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें.

  • अब तिलक कर धूप-दीप जलाकर मां को पीले फूल अर्पित करें.

  • बसंत पंचमी के दिन पूजा में सरस्वती स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को अद्भूत परिणाम प्राप्त होते हैं.

  • बसंत पंचमी केे दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु, वाद्य यंत्र और किताबें रखकर उन्हें भी धूप-दीप दिखा कर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए.

  • इस दिन पूजास्थल पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमाएं स्थापित कर श्री सूक्त का पाठ करना बहुत शुभ और लाभकारी माना गया है.

बसंत पंचमी के दिन विद्या-बुद्धि के लिए करें ये काम

बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है. इसीलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त के किया जा सकता है. शास्त्रों में बताए गए नियम के अनुसार इस दिन कुछ खास कार्य करने से माता सरस्वती अत्यंत प्रसन्न होती हैं. ऐसी मान्यता है कि हमारी हथेलियों में मां सरस्वती का वास होता है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन जगने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियां देखने से मां सरस्वती के दर्शन करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. माता सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने या यूं कहें कि विद्या और बुद्धि की प्राप्ति के लिए इस दिन ये काम जरूर करें-

  • बसंत पंचमी के दिन किसी जरूरतमंद को शिक्षा से जुड़ी चीजें दान करना चाहिए.

  • बसंत पंचमी के दिन पुस्तकों की पूजा कर उनपर मोरपंख रखना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से छात्रों का मन पढ़ाई में लगने के साथ ही उनकी एकाग्रता भी बढ़ती है.

  • बसंत पंचमी के दिन पीला वास्त्र धारण करना चाहिए. साथ ही मां सरस्वती की पूजा पीले और सफेद रंग के फूलों और पूजन सामग्री से पूजा करनी चाहिए.

  • बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की सच्चे मन से आराधना कर उनके मंत्रों का जप करने से सरस्वती माता प्रसन्न होती हैं और विद्या -बुद्धि का वरदान देती हैं.

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Published Date Tue, Feb 1, 2022, 2:13 PM IST