मुख्य गर्भनिरोधक गोलियों में कौन सा हार्मोन होता है? - mukhy garbhanirodhak goliyon mein kaun sa haarmon hota hai?

गर्भनिरोधक गोलिया ले कर महिलाएँ बिना किसी चिंता के यौन संबंध बनाती है और अधिक आनंद का अनुभव करती हैं। जो आनंद के लिए और अनचाहे गर्भ ठहराव के लिए ठीक हैं। लेकिन सिर्फ आनंद और अनचाहे गर्भ ठहराव को देखना ठीक नही होता। इसके अनेक दुष्परिणाम हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।गर्भनिरोधक गोलियों के अध्ययन से पता चला है कि लगातार लेने से महिलाओं के मोटापे की शिकायतें बहुत आती हैं। प्रयोगशालाओं में बने एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन से तैयार गोलियों का ये सबसे बड़ा दुष्प्रभाव है। दवा कंपनियाँ इस दुष्प्रभाव को गर्भनिरोधक के पैकेट पर भी लिखती हैं[1]। इस प्रकार कामकाजी महिलाएँ भी कई समस्याओं को झेलती हैं जिनमें मासिक धर्म के दौरान ही तनाव-जैसी स्थिति शामिल है।

यह नुकसान दायक हैं[संपादित करें]

डेनमार्क में एक अध्ययन के मुताबिक गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल से अवसाद का ख़तरा बढ़ता है. अनुसंधानकर्ताओं ने करीब दस लाख महिलाओं के मेडिकल रिकॉर्ड्स को अध्ययन में शामिल किया. 15 से 34 साल की इन महिलाओं में किसी में पहले से डिप्रेसन के लक्षण मौजूद नहीं थे। अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें बाद में अवसाद की गोलियां लेनी पड़ी या फिर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

गर्भनिरोधक गोलियों के कारण मौत[संपादित करें]

हाल ही में, गार्डियन वेबसाइट की एक शॉर्ट फ़िल्म, उन युवा महिलाओं पर है, जिनकी मौत ख़ून का थक्का जमने से हुई और वे सब के सब हार्मोनल या गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल कर रही थीं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन[संपादित करें]

विश्व स्वास्थ्य संगठन के खोज के मुताबिक दुनिया भर में 9.76 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं नियमित गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता।

आधुनिक काल[संपादित करें]

इस समय गर्भनिरोधक गोलियाँ आम हो चुकी हैं। इनके लेने वाली महिलाएँ गृहिणियाँ भी होती हैं और अफसोस की बात तो यह हैं की अविवाहित महिलाएँ भी होती हैं।

महिलाओं में मर्दाना बदलाव ला सकती हैं गर्भ निरोधक गोलियां

  • ज़ारिया गोर्वेट
  • बीबीसी फ्यूचर

30 सितंबर 2018

मुख्य गर्भनिरोधक गोलियों में कौन सा हार्मोन होता है? - mukhy garbhanirodhak goliyon mein kaun sa haarmon hota hai?

असुरक्षित सेक्स से महिलाएं गर्भ धारण कर सकती हैं. इससे बचने का बेहद लोकप्रिय तरीक़ा है गर्भ निरोधक गोलियां. कुछ गोलियों को खाने के बाद लोग आज़ादी से सेक्स को एन्जॉय कर सकते हैं.

महिलाएं बेफ़िक्र हो सकती हैं कि वो प्रेग्नेंट हो जाएंगी. गर्भ धारण करने में हार्मोन का बड़ा रोल होता है और ये गोलियां उन हार्मोन्स को काम करने से रोकती हैं.

गर्भ निरोधक गोलियां खाने वाली ज़्यादातर महिलाएं नहीं जानतीं कि वो एक गोली के साथ आठ तरह के हार्मोन निगलती हैं. इन आठ हार्मोन्स में से कुछ ऐसे भी हैं जो शरीर को मर्दाना पहचान देने लगते हैं.

दावा किया जाता है कि गर्भनिरोधक गोलियों में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन होता है. जबकि सच्चाई ये है कि किसी भी गोली में ये क़ुदरती हार्मोन नहीं होते. बल्कि इन हार्मोन का सिंथेटिक वर्जन गोली में डाला जाता है. जोकि नेचुरल हार्मोन से ज़्यादा स्थाई होता है.

हर गर्भ निरोधक गोली में एक ही तरह के सिंथेटिक एस्ट्रोजन, एथीनील एस्ट्रॉडिऑल और प्रोजेस्टेरोन होते हैं. एथीनील एस्ट्रॉडिऑल हर महीने बच्चेदानी में अंडाणु विकसित होने से रोकता है.

जबकि प्रोजेस्टेरोन बच्चेदानी के मुहाने पर मोटी परत जमा देता है, जिससे बच्चेदानी में स्पर्म के लिए कोई जगह नहीं रह पाती.

इत्तिफ़ाक़ से अगर कोई अंडाणु गर्भाशय के अंदर चला भी जाता है तो वो वहां विकसित नहीं हो पाता. और बेकार होकर माहवारी के रक्त के साथ बाहर निकल जाता है. यहां तक तो हार्मोन की कहानी तसल्लीबख़्श है.

लेकिन हाल की रिसर्च साबित करती हैं कि गोलियों के साथ जो आर्टिफ़िशियल हार्मोन हम निगलते हैं, वो हमारे क़ुदरती हार्मोन्स के साथ सही तालमेल नहीं बैठा पाते. अगर आप इंटरनेट पर गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं की दास्तान सुनेंगे तो होश फ़ाख़्ता हो जाएंगे.

कोई कहती है कि उसके गालों पर मर्दों की तरह बाल निकल आए हैं. किसी के चेहरे की खाल अजीब तरह से मोटी हो गई है. कोई कहती है उसका चेहरा मुहासों से भर गया है.

शरीर में आने लगता है बदलाव

2012 की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक़ 83 फ़ीसद अमरीकी महिलाएं उन गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, जिनमें ऐसे प्रोजेस्टेरोन का इस्तेमाल होता है जोकि मर्दों के हार्मोन से तैयार होता है.

इन गोलियों में मर्दों के जिस टेस्टेस्टेरोन हार्मोन का इस्तेमाल होता है उसका नाम है नेन्डरोलोन.

ये वो हार्मोन है जो मर्दों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को विकसित करता है. लिहाज़ा जब महिलाएं इस हार्मोन को गोली की शक्ल में निगलती हैं, तो उनके शरीर में भी मर्दाना बदलाव आने लगते हैं.

ऑस्ट्रिया की साल्ज़बर्ग यूनिवर्सिटी की न्यूरोसाइंटिस्ट ब्लेंडा प्लेत्सर का कहना है कि ये हार्मोन मांसपेशियां मज़बूत करने और मसल्स बनाने में मददगार होता है. यही वजह है कि बॉक्सर डोपिंग में इसका इस्तेमाल करते हैं.

2015 में मशहूर हेवीवेट वर्ल्ड चैम्पियन बॉक्सर टाइसन फ्यूरी इस हार्मोन के सेवन के दोषी पाए गए थे. उन पर दो साल की पाबंदी लगा दी गई थी.

गर्भ निरोधक गोलियों के नुक़सान के बारे में रिसर्चर बहुत पहले से जानते हैं. 40, 50 और 60 के दशक में महिलाओं ने गर्भपात से बचने के लिए नोरथिंडरोन हार्मोन का इस्तेमाल किया था जोकि एंड्रोजेनिक था.

इस हार्मोन के सेवन से गर्भपात तो रुके. लेकिन, महिलाओं को दूसरी समस्याएं होने लगीं. जैसे उनके शरीर पर धब्बे पड़ने लगे, चेहरे पर बाल उगने लगे. कुछ की आवाज़ बदलने लगी. यहां तक कि हर पांच लड़कियों में एक ऐसी बच्ची पैदा होने लगी जिसका लिंग मर्दाना था. बाद में इनकी सर्जरी करवानी पड़ती थी.

लेकिन आज जो गोलियां तैयार की जा रही हैं उनमें एंड्रोजेनिक प्रोजेस्टेन बहुत कम हैं. इसके अलावा बाकी के हार्मोन सिंथेटिक एस्ट्रोजन के साथ मिलाए जाते हैं जिससे हार्मोन के मर्दाना असर कम हो जाते हैं.

दिमाग़ पर भी होता है असर

सिंथेटिक प्रोजेस्टेरोन का इस्तेमाल मुहासों, अतिरिक्त और अनचाहे बालों की ग्रोथ रोकने के लिए भी किया जाता है. हालांकि बहुत से वैज्ञानिकों का तो ये भी कहना है कि इससे हार्मोन असंतुलित होने का ख़तरा बना रहता है.

हमारे पूरे शरीर में एंड्रोजन रिसेप्टर मौजूद हैं, खास तौर से पसीना पैदा करने वाली और शरीर पर बाल उगाने वाली ग्रंथियों के नज़दीक तो एंड्रोजन रिसेप्टर सबसे ज़्यादा मौजूद होते हैं. इसीलिए बहुत सी महिलाओं को इन गोलियों के सेवन के बाद पसीना आने और अनचाहे बाल उगने की शिकायत होने लगती है. यही नहीं इस तरह के स्टेरॉयड दिमाग़ पर भी असर डालते हैं.

मर्दों में एंड्रोजन किशोरावस्था में पैदा होते हैं जिनका मक़सद है दिमाग को रिमॉडल करना. लड़कियों में भी इसी उम्र में मर्दों वाला हार्मोन टेस्टोस्टेरोन पैदा होता है. लेकिन उसकी मात्रा बहुत कम होती है. इस हार्मोन का काम शरीर के कुछ अंगों को सिकोड़ना और कुछ को बड़ा करना होता है.

प्रोफ़ेसर प्लेत्सर का कहना है कि गोलियों की शक्ल में हार्मोन निगलने के बुरे असर के बारे में कई पहलुओं से रिसर्च की गई लेकिन दिमाग पर इसका क्या असर पड़ता है इस पहलू पर आठ साल पहले ही रिसर्च शुरू हुई है. जबकि इन गोलियों का इस्तेमाल पिछले 50 वर्षों से हो रहा है.

रिसर्च में पाया गया कि जो महिलाएं एंड्रोजेनिक प्रोजेस्टेन वाली गोलियां खा रही थीं उनका शब्द ज्ञान कमज़ोर पड़ रहा था. वो नए शब्द नहीं सोच पा रही थीं. जबकि वो घूमती हुई चीज़ों को जल्दी नोटिस कर रही थीं. जबकि ऐसा मर्दों के संदर्भ में देखा गया है कि वो कुछ खास मौकों पर औरतों के मुकाबले कम बोलते हैं और अपने आस-पास के माहौल को जल्दी भांप लेते हैं.

इससे पता चलता है कि ऐसे हार्मोन वाली गोलियां खाने से कुछ हद तक महिलाओं का दिमाग मर्दों की तरह काम करने लगता है.

20वीं सदी की सबसे बड़ी क्रांति?

2015 में सामने आई रिसर्च बताती है कि हाल में सुधार के बाद जिस तरह की एंटी एंड्रोजेनिक प्रोजेस्टेन वाली गोलियां बाज़ार में उतारी गई हैं उनके नतीजे काफ़ी बेहतर हैं.

उनके इस्तेमाल से महिलाओं में मर्दाना बदलाव नहीं आते. लेकिन इनका भी दिमाग पर असर तो होता ही है. अगर लंबे वक़्त तक इनका सेवन किया जाए तो दिमाग के कुछ खास हिस्सों में फैलाव लगातार होता रहता है.

बहरहाल ओरल हार्मोन वाले कॉन्ट्रासेप्टिव हमारे बर्ताव और दिमाग पर कैसा असर डालते हैं इस पर रिसर्च जारी हैं. लेकिन इसे बीसवीं सदी की सबसे बड़ी क्रांति कहना ग़लत नहीं होगा.

ऐसे गर्भ निरोधकों ने महिलाओं को खुलकर सेक्सुअल लाइफ़ का मज़ा लेने का मौक़ा दिया है. हर चीज के अच्छे और बुरे दोनों पहलू होते हैं और किसी भी चीज़ की अति नुक़सान ही पहुंचाती है.

गर्भ निरोधक गोली में कौन सा हार्मोन पाया जाता है?

दावा किया जाता है कि गर्भनिरोधक गोलियों में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन होता है.

हार्मोनल गर्भनिरोधक क्या है?

हार्मोनल गर्भनिरोधक अंडोत्सर्ग और निषेचन को रोक कर काम करते है। ये मौखिक गोलियां, प्रत्यारोपण त्वचा के नीचे, इंजेक्शन, पैच, आईयूडी और एक योनिक रिंग सहित अनेक भिन्न भिन्न रूपों में उपलब्ध हैं। वर्तमान में ये केवल महिलाओं के लिए उपलब्ध हैं।

गर्भनिरोधक गोलियां कैसे होती है?

दरअसल गर्भनिरोधक गोलियों (Contraceptive Pills) में लेवोनोर्गेस्‍ट्रेल नामक एक हॉर्मोन का इस्तेमाल किया जाता है. इसे मॉर्निंग आफ्टर पिल भी कहा जाता है. अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए महिलाएं इस दवाई का सेवन कर सकती हैं. इससे वह अनचाहे गर्भ के ठहरने से खुद को बचा सकती हैं.

गर्भ निरोधक दवा का क्या कार्य है?

गर्भनिरोधक दवाइयाँ क्या हैं? गर्भनिरोधक दवाइयां एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन को मिलाकर तैयार की जाती हैं। ये हार्मोन दिमाग को ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH) को रिलीज करने से रोकते हैं और इस तरह से महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है।