ईसाई धर्म में शादी कैसे की जाती है? - eesaee dharm mein shaadee kaise kee jaatee hai?

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शादी एक बहुत अहम पहलू है जीवन का चाहें वो हिन्दू में, मुस्लिम में हो, या सिख या ईसाईयों में. आज हम बताने जा रहे हैं की ईसाईयों का विवाह कैसे होता है.

इसाई विवाह जे धार्मिक संस्था

इसे विस्तार में जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि, भारतीय ईसाई पश्चिमी समाजों के ईसाइयों से काफी भिन्न हैं. हिन्दू समाज के संपर्क में आने के कारण भारत के ईसाईयों में भी, हिन्दू समाज के बहुत से विशिष्ट तत्व शामिल हो गए हैं, जैसे जाति प्रथा, जाति के भीतर विवाह आदि.
चर्च की नजर में ईसाई विवाह आधुनिक परिप्रेक्ष्य में चर्च की बदली हुई धारणा के अनुसार , मानव जीवन में विवाह का विशेष स्थान है .विवाह ईश्वर के उद्देश्य की पूर्ति करता है.

ईसाई विवाह धार्मिक संस्था है. इसका उद्देश्य व्यक्तित्व का पूर्ण विकास, संतानोत्पत्ति और दो व्यक्तियों का मिलन व संग है. यूनाइटेड चर्चिज ऑफ़ नारदन इंडिया 1954 के अनुसार विवाह ईश्वर द्वारा गठित पवित्र संस्था है. प्राकृतिक व्यवस्था में यह इतनी दिलचस्प है कि , एक महिला और एक पुरुष जीवन भर के लिए एक दूसरे से जुड़ जाते हैं. यह वैवाहिक संबंध प्रतीक है ईश्वर और उसकी चर्च के रहस्यमय मिलन के.

ईसाई विवाह के उद्देश्य

परिवार का गठन:  विवाह का उद्देश्य परिवार का गठन करके बच्चों का लालन पालन करना है.

संबंधों की स्थिरता: विवाह जीवन भर का समझौता है. इसलिए ईसाई विवाह का उद्देश्य सामाजिक संबंधों को स्थिरता प्रदान करना.

सहयोग:एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य ईसाई विवाह का यह भी है कि प्रेम, सहयोग, सम्मान, बलिदान आदि गुण विकसित किए जा सकें.

ईसाई एक विवाह को आदर्श मानते हैं और इसी लिए बहु पत्नी प्रथा की निंदा की जाती है. फिर भी जीवन साथी का चयन करते समय कुछ सावधानियां जरूर बरती जाती हैं.

रक्त संबंध
व्यक्ति किस धर्म व जाति से ईसाई धर्म में आया है.
परिवार की हैसियत
शिक्षा
चरित्र
स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां

यह भी पढ़ें-विवाह संस्कार: जानिये क्या है कन्यादान कब शुरू हुयी इसकी परंपरा

चर्च में शादी कैसे होती है

चलिए जानते हैं ईसाई विवाह में होने वाले रीई रिवाज़ कैसे होते हैं-

इंगेजमेंट

ईसाई धर्म में शादी कैसे की जाती है? - eesaee dharm mein shaadee kaise kee jaatee hai?

हिन्दू धर्म की तरह इनकी भी सगाई होती है जो लड़की के घर में होती है यहाँ पादरी बाइबल से कुछ पाठ पढ़ कर दोनों को रिंग एक्सचेंज करने को कहते हैं. जिसमे दोनों पक्ष के लोग और कुछ गेस्ट होते हैं. और वहीं शादी की तारिख भी तय की जाती है.

शादी की पुकार

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शादी से पहले चर्च में शादी की घोषणा की जाती है. शादी की 3 पुकार के बाद ही विवाह सम्पन्न किया जा सकता है.

चर्च में दुल्हन का स्वागत

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ये इनका अनोखा नियम होता है इसमें लड़का सूट पहन के पहले से ही चर्च में लड़की का इन्तजार करता है और फिर लड़की एक प्यारा सा गाउन पहन के अपने हाथों में फूल का गुलदस्ता लेके अपने पिता के साथ आती है.

होमिली

ईसाई धर्म में शादी कैसे की जाती है? - eesaee dharm mein shaadee kaise kee jaatee hai?

जब लड़का और लड़की दोनों आ जाते हैं तब पादरी बाइबल से कुछ सरमन पढ़ते हैं जिसे ईसाई लोग होमिली कहते हैं.

न्यूप्चिलस

ईसाई धर्म में शादी कैसे की जाती है? - eesaee dharm mein shaadee kaise kee jaatee hai?

होमिली हो जाने के बाद पादरी का दायित्व होता है कि वो लड़का और लड़की से कुछ सवाल करे और उनकी शादी के लिए दोनों की मर्जी पूछे और इस सवाल का जवाब देना दोनों के लिए जरूरी होता है.

रिंग एक्सचेंज

ईसाई धर्म में शादी कैसे की जाती है? - eesaee dharm mein shaadee kaise kee jaatee hai?

यदि लड़का और लड़की दोनों शादी के लिए हाँ कर देते हैं तो फिर दोनों को एक दूसरे को रिंग एक्सचेंज करनी होती है और उसके बाद दोनों पादरी से आशीर्वाद लेते हैं और अपने बड़ों से भी.

रजिस्ट्रेशन

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यह अंतिम रस्म होती है, जिसमें शादी के सारे दस्तावेज पर, गवाहों की मौजूदगी में लड़का-लड़की को सिग्नेचर करने होते हैं. इसे रजिस्ट्रार के पास जाकर उन्हें दिया जाता है.

डिपार्चर

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इसमें शादी पूरी हो जाने के बाद लड़का लड़की ख़ुशी ख़ुशी अपना बुके पीछे की ओर उछालते हैं . इसके पीछे ऐसा माना जाता है कि जो कुंवारा लड़का या लड़की उस बुके को पकड़ लेगा उसकी शादी जल्दी हो जाएगी.

रिसेप्शन

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शादी होने के बाद लोगों को दावत खिलाने की रस्म होती है जिसमे दोनों पक्ष के रिश्तेदार और दोस्त आते हैं और खुशियों में शरीक होते हैं.

विवाह से पूर्व की शर्तें

ईसाई धर्म में शादी कैसे की जाती है? - eesaee dharm mein shaadee kaise kee jaatee hai?
विवाह से पूर्व दूल्हा-दुल्हन को कुछ शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं –

चर्च की सदस्यता का सर्टीफिकेट

चरित्र प्रमाण पत्र

विवाह के लिए अर्जी जो विवाह तिथि से तीन माह पूर्व का होना आवश्यक है .

इसके बाद पादरी शादी की अनुमति देता है।

ईसाई विवाह अधिनियम

ईसाई धर्म में शादी कैसे की जाती है? - eesaee dharm mein shaadee kaise kee jaatee hai?

ईसाई विवाह अधिनियम 1872 ईसाई विवाह अधिनियम में 88 धाराएं हैं तथा पांच अनुसूचियां हैं.

विवाह की उम्र लड़के की 21 लड़की की 18 हो.

पहले से किसी का जीवन साथी मौजूद न हो.

विवाह के दौरान दो गवाह मौजूद हों.

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ईसाई धर्म में शादी कैसे करें?

अधिनियम के अनुसार, एक विवाह वैध है यदि कम से कम एक पक्ष ईसाई है। भारत के किसी भी चर्च का एक ठहराया मंत्री, स्कॉटलैंड के चर्च का पादरी, एक विवाह रजिस्ट्रार या एक विशेष लाइसेंसधारी अधिनियम के तहत एक महत्वाकांक्षी जोड़े से शादी कर सकता है। शादी करने वाला शादी का प्रमाणपत्र जारी करता है।

ईसाई धर्म में कितनी शादी कर सकते हैं?

ईसाई धर्म में दूसरी शादी- ईसाई धर्म में दूसरी शादी की मनाही है. बिना तलाक के दूसरी शादी नहीं हो सकती है. अगर दंपति मेंसे किसी की मौत हो जाती है तो दूसरी शादी की जा सकती है. पहली शादी को चर्च में रद्द होना भी जरूरी है.

ईसाई धर्म के नियम क्या है?

ईसाई धर्म के अनुसार यह चार चीजे पूरी तरह से पाप मानी जाती है। मूर्तिपूजा - ईसाई धर्म को मानने वाले लोग मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं रखते है। हत्या - किसी भी प्रकार की हत्या करना पाप माना जाता है। व्यभिचार - किसी के साथ अच्छे तरीके से आचरण न करके उसको बुरा - भला कहना,उसको सम्मान न देना भी पाप की श्रेणी में आता है।

क्रिश्चियन किसकी पूजा करते हैं?

(12) ईसाई एकेश्वरवादी हैं, लेकिन वे ईश्वर को त्रीएक के रूप में समझते हैं- परमपिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा.