"यीशु" Jesus नाम यूनानी और लातीनी भाषा से लिया गया है जो इब्रानी भाषा में येशुआ (यहोशू) के लिए प्रयोग हुआ है, जिसका अर्थ है "परमेश्वर उद्धार है"। "यीशु" शब्द नये नियम में 983 बार आया है Show
"मसीह" Christ इब्रानी भाषा के "मसायाह" Messiah और यूनानी में "ख्रीष्ट" Christos से लिया गया है जिसका अर्थ है "अभिषिक्त" । "मसीह" शब्द नये नियम में 569 बार आया है । इस प्रकार "यीशु मसीह" का अर्थ है कि "परमेश्वर अभिषिक्त उद्धारकर्ता है" । जब यीशु एक उद्धारकर्ता के रूप में बैतलहम में पैदा हुए तब स्वर्गदूतों ने यह गवाही दी कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है और यही मसीह प्रभु है (लूका 2:11) और जब अन्द्रियास ने अपने भाई शमोन पतरस को यीशु के बारे में बताया तब कहा कि हमको ख्रिस्त अर्थात् मसीह मिल गया है । (यूहन्ना 1:41) एक बार यीशु ने अपने चेलों से कहा तुम मुझे क्या कहते हो ? पतरस ने उत्तर दिया कि "तू मसीह है" । (मरकुस 8:29) । और जब सामरी औरत यीशु से मिली तो कहने लगी कि "मैं जानती हूँ कि मसीह जो ख्रिस्त कहलाता है, आनेवाला है, जब वह आएगा तो हमें सब बातें बता देगा" यीशु ने उससे कहा "मैं जो तुझसे बोल रहा हूँ वही हूँ" (यूहन्ना 4:25) । क्योंकि परमेश्वर ने सब भविष्यद्वक्ताओं के मुख से पहले से ही बता दिया था कि उसका मसीह दु:ख उठाएगा । इसलिए मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ, जिससे प्रभु के सामने सुख चैन के दिन आएँ और वह यीशु को भेजे जो तुम्हारे लिए पहले ही से मसीह ठहराया गया है । (प्रेरितों के काम 3:18-20) परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुमने क्रूस पर चढाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी (प्रेरितों के काम 2:36) पौलुस भी लोगों को पवित्रशास्त्र से यही समझाता था कि मसीह को दु:ख उठाना और मरे हुओं में से जी उठना अवश्य था और यही यीशु जिसकी कथा में तुम्हें सुनाता हूँ मसीह है । (प्रेरितों के काम 17:3) पौलुस पवित्रशास्त्र से प्रमाण दे देकर कि यीशु ही मसीह है बडी प्रबलता से यहूदियों को निरुत्तर करता रहा (प्रेरितों के काम 18:28) मसीह व्यवस्था का अंत है । (रोमियों 10:4) मसीह परमेश्वर की सामर्थ्य है (1कुरिन्थियों 1:24) मसीह परमेश्वर का ज्ञान है । (1कुरिन्थियों 1:24) मसीह परमेश्वर का भेद है । (कुलुस्सियों 2:2) केवल मसीह सब कुछ और सबमें है । (कुलुस्सियों 3:11) जब हम अनन्त जीवन के लिए परमेश्वर के साथ होंगे तब वह स्वर्ग और पृथ्वी की सब चीजों को मसीह में ही इकट्ठा कर देगा । (इफिसियों 1:10) इसलिए सदा आनन्दित रहो निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो और हर बात में धन्यवाद करो क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है । (थिस्सलुनीकियों 5:16-18) पश्चाताप की प्रार्थना, Prayer Of Repentance - Jesus Bulata ...https://jessubulatahai.blogspot.com/2018/02/blog-post_5.html इस वचन के द्वारा प्रभु यीशु मसीह आपको स्वर्गीय और आत्मिक आशीष दे । सारी महिमा प्रभु यीशु मसीह के नाम को मिले । हम सभी जानते हैं की दिसंबर माह में दुनियाभर में क्रिसमस मनाया जाता है। 25 दिसंबर को ही ईसा मसीह का जन्म हुआ था। विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत में भी क्रिसमस बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। पर क्या आप जानते हैं आखिर यह त्यौहार मनाया क्यों जाता है ? अपने ईसा मसीह (Jesus Christ) का नाम तो सुना ही होगा और बचपन में उनकी कहानियां भी सुनी होगी। Christmas History : जानिए क्रिसमस पर्व का इतिहास Jesus Christ Biography in Hindiईसा मसीह (Jesus Christ) इसाई धर्म के संस्थापक माने जाते हैं। वह कोई देवता तो नहीं थे पर उन्होंने मानव सेवा और कल्याण में अपना जीवन व्यतीत किया। आज हम आपको ईसाई धर्म प्रचारक और संस्थापक Jesus Christ कौन थे? और ईसा मसीह (Jesus Christ) का जन्म कब और कहाँ हुआ था? सभी के बारे में बताएँगे। ईसा मसीह के जीवन परिचय (Jesus Christ Biography in Hindi) जानने के लिए आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें। Table of Contents
Jesus Christ कौन थे?ईसा मसीह ईसाई धर्म के संस्थापक थे। ईसा मसीह को यीशु मसीह या जीजस क्राइस्ट भी कहा जाता है। वह केवल ईसाई ही नहीं अन्य धर्मों में भी पूजनीय हैं जैसे इस्लाम में उन्हें ईश्वर का अंतिम पैगम्बर मन जाता है। ईसा का जन्म बेतलहम में हुआ था। इनकी माता का नाम मरियम और पिता युसूफ थे। हर साल 25 दिसंबर को यीशु का जन्म क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है। यीशु प्रथम शताब्दी के उपदेशक और धार्मिक यहूदी नेता थे। ईसाईयों द्वारा उन्हें ईश्वर का पुत्र या अवतार मन जाता है। Jesus Christ एक यहूदी थे जिन्हें यहूदियों के कटरपंथी धर्मगुरु के कहने पर रोमन गवर्नर पिलातुस की आज्ञा पर क्रूस पर लटकाया गया था। वह एक धर्म प्रचारक थे जिन्होंने 30 साल की आयु में इजराइल की जनता को यहूदी धर्म से परिचय कराया था। वह स्वयं को ईश्वर का दूत और पुत्र मानते थे। बाइबल के अनुसार रोमन साम्राज्य के सैनिकों द्वारा ईसा मसीह को स्वयं को ईश्वर पुत्र कहे जाने वाल पाप को करने के लिए कोड़ों से मारा गया। उन्हें शाही कपडे पहनकर उनके सर पर काँटों भरा ताज पहनाया गया। उनके पीठ पर क्रूस को रखा गया। और उन्हें क्रूस पर लटकाने के लिए गल्गता तक ले जाया गया। इसी स्थान पर ईसा मसीह को क्रूस पर लटकाया गया था। जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गयी। कहा जाता है की वह अपनी मृत्यु के तीन दिन बाद पुनः जीवित हो उठे। और 40 दिन बाद स्वर्ग की ओर चले गए। Jesus Christ Biography in HindiJesus Christ या ईसा मसीह का जन्म बाइबल के अनुसार 4 ईसा पूर्व में हुआ था। इनकी माता का नाम मरियम था जोकि गलीलिया प्रान्त के नाजरेथ गाँव की निवासी थी। ईसा मसीह के पिता का नाम युसूफ था जोकि पेशे से बढई थे। और दाऊद राजवंश से ताल्लुक रखते थे। कहा जाता है की माता मरियम युसूफ से विवाह करने से पूर्व कुवारी रहते हुए ईश्वर के प्रभाव से गर्भवती हुई थी जिसके बाद युसूफ ने उन्हें ईश्वरीय कृपा समझकर पत्नी रूप में स्वीकार किया। यह भी देखें :- योगी आदित्यनाथ जीवन परिचय, उम्र, परिवार, शिक्षा, पत्नी ईसा मसीह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?मरियम के युसूफ से विवाह के बाद युसूफ मरियम को लेकर यहूदी प्रान्त के बेथलेहम नामक स्थान में जाकर बसने लगे थे। इसी स्थान में 4 ईसा पूर्व में ईसा मसीह /Jesus Christ का जन्म हुआ था। यीशु के जन्म के बाद पिता युसूफ ने Jesus Christ को राजा हेरोद के अत्याचार से बचाने के लिए बच्चे और मरियम को लेकर मिस्र जाकर रहने लगे। लेकिन 4 ईसा पूर्व में ही हरोड़ की मृत्यु हो गयी जिसके बाद युसूफ यीशु को लेकर गलीलिया प्रान्त के नाजरेथ गाँव में जाकर बसने लगे। जब यीशु मसीह 12 वर्ष के हुए तो उन्होंने यरुशलम में रूककर मंदिरों में जाते और वहां उपदेशकों के बीच बैठकर अपने सवाल जबाब करते। इसके बाद वह अपनी 30 वर्ष तक की आयु तक अपने पिता के पेशे यानी बढई का कार्य किया। बाइबल में ईसा के 12 के बाद और 30 से पहले की आयु के बीचा क्या कार्य हुए या किन कार्यों को किया गया उस घटना का कोई जिक्र नहीं मिलता। जीजस क्राइस्ट ने अपनी 30 वर्ष की आयु यूहन्ना नामक व्यक्ति से पानी में डुबकी लगाने की दीक्षा ली थी जिसके बाद उन्होंने डुबकी लगायी। इन्होने 40 दिन के व्रत के बाद लोगों शिक्षा प्रदान की थी। प्राणदंड ,मृत्यु और पुनर्जीवनयहूदी के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं को ईसा मसीह का ईश्वर का पुत्र होने जैसा कुछ ख़ास नहीं लगा। धर्गुरूओं ने उनका काफी विरोध किया क्यूंकि वह ऐसा करना पाप समझते थे। ईसा मसीह स्वयं को ईश्वर का पुत्र मानते थे जो की यहूदियों के धर्मगुरुओं को धर्म के विरुद्ध लगा वह इसे एक पाप की श्रेणी में मानते थे। उस समय कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने इन्हें सजा दिलाने के लिए इनकी शिकायत उस समय के रोमन गवर्नर पिलातुस से की थी। पिलातुस ने उन धर्मगुरुओं को खुश करने के लिए उनकी बात मानी और ईसा मसीह को दर्दनाक सजा सुनाई। उन्हें कई पारकर की यातनाएं दी गयी उनके शरीर को क्रूस पर लटकाया गया जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय ईसा मसीह ने सभी पाप करने वालों के लिए ईश्वर से उन्हें क्षमा करने को कहा और उनके पापों को अपने ऊपर ले लिया । कहा जाता है की अपनी मृत्यु के 3 दिन बाद ईसा मसीह फिर जीवित हुए और उसके बाद वह 40 दिन बाद स्वर्ग की और चले गए। जिसके बाद उनके शिष्यों ने उनके नए धर्म को सभी जगह प्रचारित करने का कार्य किया। यह धर्म ईसाई धर्म से जाना जाता है जो आज विश्वभर में फैला हुआ है। ईसा मसीह के शिष्यजब ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था तो ईसाई धर्म के प्रचार का कार्य इनके 12 शिष्यों द्वारा पूरा किया गया था। इनके शिस्य 50 ईस्वी में भारत आये थे। इनके एक शिष्य थॉमस द्वारा भारत में ईसाई धरम का प्रचार किया गया था। ईसा मसीह के कुल 12 शिष्य थे –
जीजस क्राइस्ट से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-प्रभु ईसा मसीह का जन्म कब और कहाँ हुआ था? ईसा मसीह का जन्म 6 ईसा पूर्व बेथलेहम में हुआ था। Jesus Christ का असली नाम क्या था ? जीजस क्राइस्ट का असली नाम जेशुआ था जो बिगाकर बिगड़कर Jesus हो गया। उन्हें लोग येशु कहते थे। उनका वास्तविक नाम येशु था। किस वर्ष यीशु तीर्थ यात्रा पर यरूशलम गए थे ? ईसा मसीह जब 12 साल के हुए तो वह अपनी माता मैरी ,जोसेफ और रिश्तेदार, दोस्तों के साथ में तीर्थ यात्रा पर यरूशलम गए थे। किस कारण से ईसा मसीह को क्रूस पर लटकाया गया था ? यहूदियों के कटरपंथी धर्मगुरु इस बात से न खुश थे की ईसा मसीह स्वयं को प्रभु का पुत्र समझते थे। यह यहूदी धर्मगुरुओं को किसी पाप के सामान ही लगता था। हूदियों के कटरपंथी धर्मगुरु ने इस बात को रोमन गवर्नर पिलातुस को बताया गया जिसके बाद से गवर्नर ने ईसा मसीह को क्रूस पर लटकाने की सजा सुनाई। ईसा मसीह की मौत कब हुयी ? 30 से 36 ईसा पूर्व Jesus Christ की मृत्यु हुयी थी। जीजस क्राइस्ट के अंतिम शब्द क्या थे ? जिस वक्त जीजस क्राइस्ट ने अपने प्राण त्यागे थे उन्होंने ईश्वर को पुकारा और कहा -हे पिता! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं.’ . यीशु का पुराना नाम क्या था?ईसा मसीह का असली जन्म नाम ( Real birth name of jesus christ ): ईसा मसीह को इब्रानी में येशु, यीशु या येशुआ कहते थे परंतु अंग्रेजी उच्चारण में यह जेशुआ हो गया। यही जेशुआ बिगड़कर जीसस हो गया। उन्हें नाजरथ का येशु कहते थे। उनका असली नाम येशु था।
ईसा मसीह का दूसरा नाम क्या था?यीशु या यीशु मसीह (इब्रानी :येशुआ; अन्य नाम:ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट), जिन्हें नासरत का यीशु भी कहा जाता है, ईसाई पन्थ के प्रवर्तक हैं। ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिदेव परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं।
यीशु मसीह जी का किसका अवतार है?यह नवजात लामा का अवतार माना जाता है. ये वही तीन विद्वान थे जो जीसस के जन्म की रात को बेथलेहम पहुंचे थे. एक यह भी विश्वास है कि जीसस 13 की उम्र में तीन विद्वानों के साथ भारत आए थे और एक बौद्ध की तरह भारत में उनकी परवरिश हुई. भारतीय दार्शनिक ओशो ने भी ईसा मसीह के भारत से संबंधित होने की बात कही है.
ईसा मसीह की कब्र कहाँ है?हकीकत में पुराने श्रीनगर के खानयार इलाके में है रौजाबल। इस इमारत 'रौजाबल' को ईसा मसीह की कब्र के नाम से ही जाना जाता है। यह स्थान गली के नुक्कड़ पर है और पत्थर की इस इमारत के अंदर एक मकबरा है, जहां ईसा मसीह का शव दफन है।
|