फ्रांसीसी क्रांति के क्या प्रभाव हैं? - phraanseesee kraanti ke kya prabhaav hain?

फ्रांस की क्रांति एक युगान्तकारी घटना थी। जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ा। इस क्रांति ने न केवल लोगो के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, जीवन को प्रभावित किया बल्कि लोगों को चिंतन का एक नया दृष्टिकोण भी दिया। जिससे नये सामाजिक एवं मानव मूल्यों की स्थापना हुई। फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव को निम्नलिखित रूपों में प्रमुख रूप से देखा जा सकता है।


1. निरकुश राजतंत्र की समाप्ति- फ्रांस की क्रांति ने उस निरंकुश राजतंत्र का अंत कर दिया जहा राजा को दैवीय अधिकार प्राप्त था। उसका आदेश ईश्वर का आदेश माना जाता था। और उसकी इच्छा ही कानून था।


2. सामंतवाद का अंत फ्रांसीसी समाज में सामंतवाद का विकास मध्यकाल में ही हो गया था। सामंत वर्ग को कई प्रकार के विशेषाधिकार प्राप्त थे। प्रशासनिक व्यवस्था में ये उच्च पदो पर आसीन थे। ऐं कृषि भूमि के स्वामी थे। साधारण जनता का शोषण करके विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करते थे। क्रांति के फलस्वरूप इनके विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया गया। 


3. गणतंत्र की स्थापना- फ्रांस की क्रांति के बाद निरंकुश राजतंत्र का पतन हुआ और गणतंत्र की स्थापना हुई। जहाँ जनता प्रभुता सम्पन्न थी। जनता के मत से सरकार का गठन होता था। और उसकी इच्छा के अनुसार कानून का निर्माण किया जाता था।


4. राष्ट्रवाद का उदय- क्रांति के बाद फ्रांस में राष्ट्रीयता की भावना का तेजी से विकास हुआ जहा राष्ट्रहित को सर्वोपरि स्थान प्राप्त था। फ्रांस से राष्ट्रवाद का विकास यूरोप और विश्व के अन्य देशो में तेजी से हुआ। 


5. मानवीय अधिकारों की प्राप्ति- फ्रांस की क्रांति की यह प्रमुख देन थी। जिसके फलस्वरूप मनुष्य को नवीन मानव मूल्यों की प्राप्ति हुई। जिससे उसे गरिमा एवं प्रतिष्ठा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार मिला। जिसमें स्वतंत्रता, समानता, बन्धुत्व आदि प्रमुख थे।


स्वतंत्रता का आशय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सम्पत्ति प्राप्ति की स्वतंत्रता से है।


समानता का अर्थ फ्रांस में व्याप्त विशेषाधिकारों की समाप्ति के साथ, कानून के समक्ष समानता और अवसर की समानता से है। इस तरह देखा जाय तो फ्रांस की क्रांति एक सामाजिक क्रांति थी। जिसने समानता के आधार पर समाज का पुर्नगठन किया।


भातृत्व का आशय सौहार्द्रपूर्ण मानवीय जीवन से है जो इस बात पर बल देता है कि मनुष्य का जीवन सुख एवं शान्ति पर आधारित हो। 6. धर्मनिरपेक्षता की स्थापना फ्रांस की क्रांति ने चर्च के विशेषाधिकारों को समाप्त करके नागरिको को धर्म के नाम पर किये जा रहे अत्याचार एवं शोषण से मुक्ति कर दिया। तथा धर्म के प्रति एक नये दृष्टिकोण को विकसित किया जो धार्मिक स्वतंत्रता पर आधारित थी। यह इस बात बल देती थी कि लोगो को विशेष धर्म अथवा सम्प्रदाय को मानने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।


उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि फ्रांसीसी क्रांति ने उस नवीन बौद्धिक चेतना का जन्म दिया। जिससे फ्रांस ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में स्वतंत्रता, समानता, बन्धुत्व, धर्मनिरपेक्षता जैसे तार्किक मूल्यों की स्थापना जिसके फलस्वरूप फ्रांस की क्रांति से उत्पन्न सामाजिक घटनाओं एवं समस्याओं का चिन्तकों द्वारा तार्किक अध्ययन शुरू हुआ।

फ्रांस की क्रांति से जहाँ फ्रांस की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, व्यवस्था बदल गयी। वही स्वतंत्रता, समानता, बन्धुत्व, जैसे तार्किक वैचारिक मूल्यों ने मानवीय चिंतन को प्रभावित किया। वास्तव में देखा जाय तो फ्रांस की क्रांति सामाजिक एवं वैचारिक क्रांति का मिश्रण थी।

यूरोप के इतिहास में ही नहीं अपितु सारे संसार के इतिहास में फ्रांस की क्रांति का एक विशिष्ट स्थान है। इस क्रांति ने सही अर्थों में मध्ययुगीन व्यवस्था का अंत करके आधुनिक युग का सूत्रपात किया। इतिहासकार हेजन के शब्दों में, फ्रांस की क्रांति ने राज्य के संबंध में एक नई धारणा को जन्म दिया, राजनीति तथा समाज के विषय में नए सिद्धांत प्रतिपादित किए, जीवन का एक नया दृष्टिकोण सामने रखा और एक नई आशा तथा विश्वास उत्पन्न किया।

इन चीजों से बहुसंख्यक जनता की कल्पना और विचार प्रज्जवलित हुए, उनमें एक अद्वितीय उत्साह का संचार हुआ तथा असीम आशाओं ने उन्हें अनुप्राणित किया।

इतिहासकार डेविस का मत है, कि 1917 की रूसी क्रांति के पूर्व और कुछ अंशों में उसके बाद भी इस क्रांति ने संसार की अधिकांश महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को प्रभावित किया है।

फ्रांस की क्रांति के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं

सामंती व्यवस्था का अंत

मध्यकालीन समाज की सामंती व्यवस्था का अंत करना फ्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्त्वपूर्ण देन है। सदियों तक करोङों व्यक्ति इस व्यवस्था के अंतर्गत पिसते रहे। आर्थिक शोषण तो इस व्यवस्था की चारित्रिक विशेषता थी ही, लेकिन इसकी सबसे बङी बुराई यह थी कि इसके अंतर्गत सामान्य व्यक्ति का कुछ भी महत्त्व न था। फ्रांस की क्रांति ने इस अपमानजनक व्यवस्था का अंत कर दिया। उसने समानता के सिद्धांत का प्रतिपादन करके सामान्य व्यक्तियों को उनके उपयुक्त स्थान पर प्रतिष्ठित किया। फ्रांस की क्रांति का आगे चलकर दूसरे देशों के लोगों पर इतना अधिक प्रभाव पङा कि यूरोप के अन्य देशों में धीरे – धीरे सामंती व्यवस्था का अंत हो गया।

धर्म निरपेक्ष राज्य का उदय

धर्म के क्षेत्र में उदारता और बाद में साहिष्णुता लाना इस क्रांति की एक अन्य महत्त्वपूर्ण देन है। क्रांति के फलस्वरूप यूरोपीय देशों में धार्मिक सहिष्णुता का प्रादुर्भाव हुआ और लोगों को धार्मिक उपासना की स्वतंत्रता मिली। मध्यकालीन शासकों का हमेशा यही प्रयास रहता था कि उनके राज्य के सभी निवासी केवल उसी धर्म को मानें, जिसमें स्वयं राजा विश्वास करता हो। अन्य धर्मावलंबियों को कठोर से कठोर दंड दिए जाते थे। क्रांति में धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करके मानवता की बहुत बङी सेवा की है।

राष्ट्रीयता का विकास

फ्रांस की क्रांति ने एक ऐसी प्रगतिशील राष्ट्रीयता को जन्म दिया, जिससे आधुनिक संसार आज भी अत्यधिक प्रभावित है। नागरिकों के ह्रदय में अपने देश की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीयता की यह भावना केवल फ्रांस तक ही सीमित नहीं रही। जैसे-जैसे क्रांति का विस्तार होता गया, वैसे-वैसे यूरोप के अन्य देश भी इस भावना से प्रभावित और प्रेरित होने लगे। संसार के सभी पददलित और परतंत्र लोगों में इस भावना का प्रसार हुआ और प्रत्येक देश में अपने राष्ट्र को स्वतंत्र तथा उन्नत बनाने के लिये आंदोलन उठ खङे हुए।

राजनीतिक देन

क्रांति ने राजाओं के दैवी सिद्धांत का अंत कर लोकप्रिय संप्रभूता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। शासन की बागडोर केवल एक व्यक्ति के हाथ में न रहकर तथा संप्रभूता केवल राजा में ही केन्द्रित न होकर, राज्य की जनता के हाथ में हो, यह इस क्रांति ने प्रमाणित कर दिखाया। अब सर्वसाधारण प्रत्यक्ष रूप से देश की राजनीति में हिस्सा बँटाने लगा। इससे जनता में आत्मविश्वास की एक नई भावना का संचार हुआ।राजनैतिक दलों का बङे पैमाने पर उदय एवं विकास हुआ।

व्यक्ति की महत्ता

मानव अधिकारों की घोषणा और स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांतों का प्रतिपादन करके फ्रांस की क्रांति ने व्यक्ति की महत्ता एवं गरिमा को स्वीकार किया। क्रांति के पूर्व साधारण व्यक्ति का कुछ भी महत्त्व नहीं था। समाज में केवल विशेषाधिकार संपन्न लोगों का ही प्रभाव था। अब सर्वोच्च सत्ता जनता में विश्वास् करने लगी। जनता के विचारों की अभिव्यक्ति ही शासन के स्वरूप का आधार बन गई। इस प्रकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सिद्धांत क्रांति की अमूल्य देन बन गया।

समाजवाद का प्रारंभ

फ्रांस की क्रांति ने समाजवादी व्यवस्था का मार्ग भी प्रशस्त किया। इसने अमीरों और निर्धनों को न्याय के सन्मुख समानता प्रदान की। सभी के लिये समान कानूनों की व्यवस्ता की। यह ठीक है, कि क्रांति ने श्रमिकों की स्थिति को सुधारने तथा पूँजीपतियों का सफाया करने में अधिक सक्रिय कदम नहीं उठाए, परंतु सामंत प्रथा का अंत, विशेषाधिकारों की समाप्ति तथा चर्च की शक्ति को समाप्त करके उसने समाजवादी व्यवस्था की पृष्ठभूमि अवश्य तैयार कर दी।

स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व

फ्रांस की क्रांति ने मानव जाति को स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व का नारा प्रदान किया। स्वतंत्रता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार मान लिया गया। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा धार्मिक दृष्टि से प्रत्येक नागरिक को पूर्ण स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया। इसी प्रकार, भाषण, लेखन, प्रेस तथा जान-माल की सुरक्षा आदि के अधिकार दिए गये। न्याय के सम्मुख समानता एवं सार्वजनिक पदों को योग्य व्यक्तियों के लिये खोलना समानता का ज्वलंत उदाहरण है। परस्पर प्रेम, सहयोग एवं सहानुभूति ही बंधुत्व है और इसी का विकास क्रांति का मुख्य ध्येय रहा था। इन्हीं के आधार पर आने वाले संसार में लोकतंत्र की नींव मजबूत हो पाई।

फ्रांस की क्रांति से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न जो विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं

प्रश्न : इस्टेट्स जनरल का अधिवेशन बुलाने का मुख्य कारण था

उत्तर : नए करों की स्वीकृति देना

प्रश्न : शक्ति-पार्थक्य के सिद्धांत का प्रतिपादन था

उत्तर : मौन्तेस्क्यू

प्रश्न : मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ था, किन्तु वह सर्वत्र बंधनों में जकङा हुआ है। यह कथन किस पुस्तक का है-

उत्तर : सामाजिक संविदा का

प्रश्न : 5 अप्रैल, 1794 के बाद के 100 दिन तक फ्रांस पर तानाशाह की भाँति शासन करने वाला था

उत्तर : रोबसपियर

प्रश्न : फ्रांस की क्रांति के दौरान विरोधियों को किस ढंग से प्राणदंड दिया जाता था

उत्तर : गिलोटीन द्वारा

फ्रांसीसी क्रांति के क्या प्रभाव हैं? - phraanseesee kraanti ke kya prabhaav hain?
1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव क्या है?

फ्रांस की क्रांति ने यूरोप को ही नहीं अपितु मानव समाज को भी स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के शाश्वत तत्व प्रदान किये। ये सदैव जनता को स्फूर्ति देने वाले रहै। क्रांति से समाज में आर्थिक और सामाजिक समानता की भावना फैली, धार्मिक स्वतंत्रता और सहनशीलता का प्रचार बढ़ा और नागरिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।

फ्रांस की क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा?

इसने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के विचारों को उत्पन्न किया जिसने फ्रांस की सीमाओं को पार किया और पूरे यूरोप को प्रभावित किया। क्रांति ने न केवल लोगों के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन को बदल दिया, बल्कि विश्व इतिहास के पूरे पाठ्यक्रम को भी प्रभावित किया।

फ्रांसीसी क्रांति का यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा Class 10?

क्रांति के फलस्वरूप यूरोप भर में निरंकुश शासन की नींव हिल गई। राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक स्वतंत्रता के विचार पनपने लगे फलस्वरूप यूरोप के देशों में वैधानिक शासन का विकास हुआ। सार्डिनिया, स्विट्जरलैण्ड, फ्रांस, हॉलैण्ड में वैधानिक शासन की स्थापना के लिए जन आंदोलन हुआ और उन्हें सफलता भी मिली।

फ्रांसीसी क्रांति का अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?

समानता की भावना का उदय- फ्रांस की क्रांति में सामंतों और चर्च के विशेष अधिकारों का अंत कर दिया इसका प्रभाव यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा विश्व के अनेक देशों ने कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत को स्वीकार किया।