भारतीय समाज पर शिक्षा का क्या प्रभाव है? - bhaarateey samaaj par shiksha ka kya prabhaav hai?

भारतीय समाज की जो दशा पहले थी उससे काफी सीमा तक बदल गई है। इस बदली हुई दशा के अनेक कारणों में शिक्षा भी एक कारण है। हमारे भारतीय समाज में शिक्षा के द्वारा कौन-कौन से परिवर्तन हुए हैं, इसका उल्लेख नीचे गया है-

(1) पहले छोटी जातियों, जैसे हरिजनों के प्रति लोगों में अत्यधिक दुराव की भावना व्याप्त थी। हमारे देश में जनतन्त्रात्मक शासन का उदय हुआ। शिक्षा में जनतंत्र की भावनाओं

का उदय हुआ। इस जनतांत्रिक शिक्षा से लोगों को यह ज्ञात हुआ कि हमें हर किसी के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए और इनमें जाति भेद को स्थान नहीं दिया जाना चाहिए। हमारे देश के अधिकांश लोग विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने गए और वहां से जाति भेद के अन्तर की भावना को समाप्त करके आए। अतएव आजकल किसी भी जाति के बीच किसी प्रकार का अन्तर नहीं समझा जाता, सबके साथ बराबरी का व्यवहार किया जाता है।

(2) हमारे देश का काफी सुधार धार्मिक आन्दोलनों से भी हुआ है। इन धार्मिक आन्दोलनों ने सामाजिक परिवर्तन में काफी योग दिया है। धार्मिक आन्दोलनों के नेताओं में अधिकांश लोग शिक्षा प्राप्त थे। अपने धार्मिक विचारों का प्रचार उन्होंने शिक्षा के ही द्वारा किया है।

(3) हमारे देश और समाज में पहले कितना अन्धविश्वास था, जहाँ लोग नरबलि तक कर दिया करते थे। शिक्षा के प्रचार ने इन अन्धविश्वासों के अन्धकार को दूर किया है। यही कारण है कि पहले की अपेक्षा अब हमारे समाज में अन्धविश्वास नहीं रह गया है।

(4) शिक्षा प्राप्त लोग बिना जाति-पांति का ख्याल किए अब विवाह कर रहे हैं। यह भी सामाजिक परिवर्तन का एक रूप है, जबकि पहले हम लोग स्वजातीय विवाह के दामन में इस तरह लिपटे थे कि उससे त्राण मिलने की आशा भी नहीं रह गई थी।

(5) जातीय व्यवस्था के क्षेत्र में पहले हमारा समाज कितना कट्टर था लेकिन अब वह कट्टरता शिक्षा के कारण दूर होती चली जा रही है।

(6) पश्चिमी शिक्षा औद्योगीकरण के कारण सम्मिलित परिवार व्यवस्था को तोडने वाली है। लोग अब दूर-दूर रहकर अपना भरण-पोषण कर रहे हैं।

(7) नारियों की दशा समाज में कितनी गिरी हुई थी लेकिन अब शिक्षा के ही द्वारा उनकी दशा में सुधार हो रहा है। बड़े-बड़े पदों पर नारियाँ आसीन होने लगी हैं।

(8) शिक्षित नारियाँ जीविकोपार्जन के लिए अब नौकरी भी करने लगी हैं जिससे बच्चों को परिवार में मिलनी वाली शिक्षा में बाधा उपस्थित हो रही है।

(9) अब पुरुषों की भाँति स्त्रियों को भी समाज में स्थान प्राप्त होने लगा है।

(10) रीति-रिवाज और संस्कारों में पहले की अपेक्षा अब लोगों का विश्वास नहीं रह गया है। इसका कारण है विज्ञान की शिक्षा विज्ञान की शिक्षा ने लोगों में से आध्यात्मिक विश्वास मिटा सा दिया है और बौद्धिक प्रगति का विशेष स्थान प्रदान कर दिया है।

(11) मध्य प्रदेश, आदि स्थानों की जातियाँ जो पहले बहुत ही पीछे थीं आज शिक्षा प्राप्त करके धीरे-धीरे आग बढ़ रही है।

(12) आधुनिक शिक्षा आज अपने प्रभाव से नए मानव का निर्माण कर रही है और मानव नए समाज के निर्माण में अपना पूर्ण योग दे रहा है।

(13) आज के समाज के लोगों में विचारगत अनेक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, जैसे लोगों की विचारधारा का वैज्ञानिक होना, उपयोगितावादी दृष्टिकोण अपनाना, वैज्ञानिक अभिवृत्ति का होना आदि परिवर्तन शिक्षा के ही परिणाम हैं।

(14) समाज की कार्य-पद्धति पर वैज्ञानिक शिक्षा का अत्यधिक प्रभाव पड़ा है। इस कारण भी समाज में अनेक परिवर्तन देखे जा रहे हैं।

इस तरह कहा जा सकता है कि सामाजिक परिवर्तन में तो वैसे अनेक तत्व बाधा प्रस्तुत करने वाले हैं पर शिक्षा एक ऐसी चीज है जो समाज के पुराने रूप को अब एकदम बदल दे रही है। इस तरह हमारी भारतीय सामाजिक रूपरेखा को शिक्षा ने काफी सीमा तक बदल दिया है।

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समाज पर शिक्षा का क्या प्रभाव पड़ता है?

शिक्षा व सामाजिक सुधार एवं प्रगति-शिक्षा समाज के व्यक्तियों को इस योग्य बनाती है कि वह समाज में व्याप्त समस्याओं, कुरीतियों ग़लत परम्पराओं के प्रति सचेत होकर उसकी आलोचना करते है और धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन हेाता जाता हैशिक्षा समाज के प्रति लेागों को जागरूक बनाते हुये उसमें प्रगति का आधार बनाती है

भारतीय समाज में शिक्षा की क्या भूमिका है?

शिक्षा मनुष्य के अंदर अच्छे विचारों को भरती है और अंदर में प्रविष्ठ बुरे विचारों को निकाल बाहर करती है। शिक्षा मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। यह मनुष्य को समाज में प्रतिष्ठित करने का कार्य करती है। इससे मनुष्य के अंदर मनुष्यता आती है।

भारतीय समाज में शिक्षा के क्या लक्ष्य है?

(1) विवेक का विस्तार करना। (2) नये ज्ञान के लिए इच्छा जागृत करना। (3) जीवन का अर्थ समझने के लिए प्रयत्न करना। (4) व्यवसायिक शिक्षा की व्यवस्था करना।

समाज और शिक्षा में क्या संबंध है?

जैसा की हम सब जानते है की आज के समय में शिक्षा और समाज (Relation between education and society in hindi) दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। शिक्षा के बिना समाज अधूरा है, और समाज के बिना शिक्षा। क्योंकि मानव एक सामाजिक प्राणी है वह समाज में रहता है और अपने क्रियाकलापों का निर्वाह करता है।