कहानी के तत्व -कथानक, पात्र एवं चरित्र चित्रण,कथोपकथन,वातावरण,भाषा-शैली उद्देश्य Show
कहानी के तत्व का अर्थ , कहानी के तत्वों का उल्लेख कीजिएमूल्यांकन की दृष्टि से कहानी के कुछ तत्व निर्धारित किये गये हैं। समीक्षकों ने कथा साहित्य के रूप में उपन्यास और कहानी को एक समान मानकर मापदण्ड की एक ही पद्धति अपनाई है, और उपन्यास की भाँति कहानी के भी छः तत्व माने हैं: 1 कथानक- कथानक का अर्थ
कथानक का उदाहरण
2 पात्र एवं चरित्र चित्रण
पात्र एवं चरित्र चित्रण का उदाहरण
3 कथोपकथन
कथोपकथन का उदाहरण
4 वातावरण
5 भाषा-शैली
6 उद्देश्य
कथाकार और समीक्षक 'बटरोही' ने कहानी के केवल दो तत्व बताए
बहुत बार कहानीकार के अलावा कहानी में कोई दूसरा पात्र नहीं होता। इस विधा के दो निम्नलिखित रचना-तत्व हैं :
'कथा- तत्व' से आशय
'संरचना - तत्व'
कहानी में कथानक से आप क्या समझते हैं इसका क्या महत्व है?कथानक का अर्थ है कहानी में प्रयोग की गई कथावस्तु या वह वस्तु जो कथा में विषय रूप में चुनी गई हो। कहानी में सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक आदि में से किसी एक विषय को लेकर घटना का विकास किया जाता है। कथानक में स्वाभाविकता लाने के लिए उसमें यथार्थ, कल्पना, मनोविज्ञान आदि का समावेश यथोचित रूप में किया जाता है।
कहानी में कथानक के कितने स्तर होते हैं?कहानी के मूलतः छः तत्व हैं। ये हैं- विषयवस्तु अथवा कथानक, चरित्र, संवाद, भाषा शैली, वातावरण और उद्देश्य।
कहानी के कथानक का अनिवार्य गुण कौनसा है?पात्रों के माध्यम से एक ओर कथानक का आरम्भ, विकास और अन्त होता है, तो दूसरी ओर हम कहानी में इनसे आत्मीयता प्राप्त करते हैं। जहाँ तक पात्रों के चयन का सम्बन्ध है वे सर्वथा सजीव और स्वाभाविक होने चाहिए तथा पात्रों की अवतारणा कल्पना के धरातल से न होकर कहानीकार की आत्मानुभूति के धरातल से होनी चाहिये।
कहानी की कथावस्तु क्या है?कहानी की कथावस्तु आमतौर पर कहानीकार के मन में किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना के कारण आता है। इसके बाद कथाकार उसे विस्तार देने में जुट जाता है। कथावस्तु को विस्तार देने में पात्र और चरित्र चित्रण एक मुख्य अंग है। कहानी का दूसरा तत्त्व पात्र और चरित्र चित्रण है।
|