पंजाबी भाषा की लिपि कौन थी? - panjaabee bhaasha kee lipi kaun thee?

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पंजाबी भाषा की एक लिपि होती है और गुरमुखी का तात्पर्य है यानी की मीनिंग होता है गुरमुखी आने के गुरुओं के मुखी बानी धन्यवाद

punjabi bhasha ki ek lipi hoti hai aur gurmukhi ka tatparya hai yani ki meaning hota hai gurmukhi aane ke guruon ke mukhi bani dhanyavad

पंजाबी भाषा की एक लिपि होती है और गुरमुखी का तात्पर्य है यानी की मीनिंग होता है गुरमुखी आन

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पंजाबी भाषा की लिपि कौन थी? - panjaabee bhaasha kee lipi kaun thee?
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यह बात तो हम सभी जानते होंगे, कि पंजाबी एक हिंदी आर्य भाषा है। पंजाबी भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से ही हुआ है। पंजाबी भाषा भारत और पाकिस्तान के पंजाब राज्य के साथ-साथ और भी कई राज्यों में बोली जाती है।

लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है, कि आखिर Punjabi Bhasha Ki Lipi Kya Hai ( पंजाबी भाषा की लिपि क्या है ) ?

अगर आप पंजाबी बोलना पसंद करते हैं और पंजाबी लिखना जानते हैं, तो यह सवाल आपके दिमाग में कई बार आया होगा। तो अगर आप भी इस सवाल का जवाब पाना चाहते हैं, तो हमारा आगे का आर्टिकल पढ़ना जारी रखें, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे, कि आखिर पंजाबी भाषा की लिपि क्या है ( Punjabi Bhasha Ki Lipi Kya Hai ) ?


पंजाबी भाषा विश्व की 11वीं सबसे परिपक्व और समृद्ध भाषा है। भारत में करीब 3 करोड़ और 11 लाख में पंजाबी बोलते हैं वहीं पाकिस्तान में पंजाबी बोलने वालों की संख्या 13 करोड़ है। आगे के आर्टिकल में हम पंजाबी भाषा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं।


  • व्याकरण किसे कहते हैं।

पंजाबी भाषा की लिपि क्या हैं ? ( Punjabi Bhasha Ki Lipi Kya Hai )

पंजाबी भाषा की लिपि – गुरमुखी लिपि है। गुरमुखी का अर्थ होता है, गुरु के मुख से निकली हुई। लांडा लिपि गुरमुखी लिपि का आधार है। पंजाबी भाषा के सभी वर्ण लांडा लिपि से बने हुए हैं। गुरमुखी लिपि देवनागरी लिपि से भी काफी प्रभावित होती है।

कई बार गुरमुखी लिपि को परिवर्तित करके ब्रजभाषा, खड़ी बोली, और सिंधी भाषा में भी प्रयोग किया हुआ है। मगर तभी मुख्य रूप से गुरमुखी लिपि का उपयोग पंजाबी भाषा नहीं किया गया है।

गुरमुखी लिपि समझने में काफी सरल होती है। अगर हम कोशिश करें, तो आसानी से इस लिपि को समझ सकते हैं और सीख सकते हैं। गुरमुखी लिपि में केवल 3 स्वर और 32 व्यंजन होते हैं। हालांकि इस लिपि में स्वरों की मात्रा जोड़कर अन्य स्वर बना दिए जाते हैं।

गुरमुखी लिपि के मुख्य स्वरों का नाम – आया, उड़ी, ससा, हाहा इत्यादि है। लिपि के छठवें अक्षर से ही वर्णमाला का क्रम शुरू हो जाता है। इस लिपि का छठवां अक्षर – ” क ” होता है। ” का ” से लेकर बाकी के वर्ण देवनागरी लिपि की ही तरह क्रम में होते हैं।

गुरमुखी वर्णमाला में संयुक्त अक्षर नहीं है, किंतु अनेक संयुक्त ध्वनियां विद्यमान है।

मात्राओं के रूप और नाम

अन्य भाषाओं की तरह पंजाबी भाषा में भी मात्राओं के खास रूप और नाम होते हैं। पंजाबी भाषा में मात्राओं के रूप और नाम कुछ इस प्रकार होते हैं:-

ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै).

गुरुमुखी लिपि की वर्णमाला

गुरमुखी वर्णमाला में कुल 35 वर्ण उपस्थित होते हैं। इस वर्णमाला के शुरुआती तीन वर्ण अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। पहले के तीन वर्ण महत्वपूर्ण इसलिए होते हैं, क्योंकि यह स्वर वर्णों के पर आधार हैं।

गुरमुखी वर्णमाला में ध्यान देने योग्य बात यह भी है, कि एरा को छोड़कर यह खास तीन स्वर स्वतंत्र रूप से कहीं पर भी प्रयोग नहीं किए जाते।


तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पंजाबी भाषा में इस्तेमाल होने वाली गुरमुखी लिपि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

गुरमुखी लिपि गुरुओं के द्वारा प्रदान की हुई लिपि है। गुरमुखी लिपि का जन्म और पंजाबी भाषा का जन्म – संस्कृत भाषा से ही हुआ है।

गुरमुखी लिपि देवनागरी लिपि की तरह ही पूर्ण रूप से समृद्धि लिपि है। कई बार गुरमुखी लिपि का प्रयोग हिंदी भाषा में भी किया जाता है।


  • संज्ञा किसे कहते हैं, संज्ञा के कितने भेद हैं।

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अन्तिम शब्द:-

तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि अब आप पंजाबी भाषा की लिपि क्या है ( Punjabi Bhasha Ki Lipi Kya Hai ) के बारे में सभी बातें अच्छी तरह से जान गए होंगे और साथ ही गुरमुखी लिपि के स्वर और वर्णों के बारे में भी काफी अच्छी तरह से समझ गए होंगे।

पंजाबी भाषा की लिपि का नाम क्या है?

गुरमुखी लिपि (ਗੁਰਮੁਖੀ ਲਿੱਪੀ) एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है। गुरुमुखी का अर्थ है गुरुओं के मुख से निकली हुई।

गुरुमुखी लिपि के जनक कौन है?

समर्पण, विनम्रता और शिक्षा जीवन को किस तरह संवारते हैं, यह द्वितीय गुरु अंगद देव जी की जीवन गाथा से सीखा जा सकता है। उन्होंने ही गुरुमुखी लिपि की रचना की थी। 5 बैशाख संवत 1561 विक्रमी अर्थात 18 अप्रैल 1504 ई. को फिरोजपुर के गांव मत्ते नांगे की सराय में जन्मे अंगद देव जी का बचपन में नाम लहिणा था।

उर्दू भाषा की लिपि का नाम क्या है?

उर्दू नस्तालीक़ लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है।

संस्कृत भाषा की लिपि का नाम क्या है?

संस्कृत भारत की कई लिपियों में लिखी जाती रही है, लेकिन आधुनिक युग में देवनागरी लिपि के साथ इसका विशेष संबंध है। देवनागरी लिपि वास्तव में संस्कृत के लिए ही बनी है, इसलिए इसमें हर एक चिह्न के लिए एक और केवल एक ही ध्वनि है। देवनागरी में १३ स्वर और ३३ व्यंजन हैं।