भारत में तलाक के लिए आवेदन कैसे करें? - bhaarat mein talaak ke lie aavedan kaise karen?

केरल में पंजीकरण विभाग

पंजीकरण विभाग राज्य के सबसे पुराने विभागों में से एक है और यह किसी ना किसी समय पर सभी स्तरों पर नागरिकों को छू लेती है। पंजीकरण के कानून का मुख्य उद्देश्य, दस्तावेज की असलियत की एक निर्णायक सबूत प्रदान करने के लिए लेन-देन के लिए प्रचार का खर्च, धोखाधड़ी रोकने के लिए है। पंजीकरण विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए सेवाओं में विवाह प्रमाण पत्र, दस्तावेज पंजीकरण, दस्तावेज़ लेखन शुल्क, पंजीकरण फार्म, डिजिटल भार प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर आदि शामिल है।

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पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र

आवेदक सत्यापित दस्तावेजों के साथ ई-दिशा केन्द्र /एएसके / सीएससी में जाते हैं। डाटा एंट्री ऑपरेटर ऑनलाइन फार्म भर कर और इसकी रसीद जारी करता है। प्रमाण पत्र पर तहसीलदार और एसडीएम जैसे संबंधित प्राधिकारी द्वारा कार्रवाई कर अनुमोदित किया जाता है। प्रमाण पत्र ऑनलाइन या ई-दिशा केन्द्र / सीएससी पर जारी किया जाता है ।

  • पंजीकरण आवश्यक
  • यहां भी उपलब्ध है   

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विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन

यह उपयोगकर्ताओं को विवाह पंजीकरण हेतु आवेदन करने की सुविधा प्रदान करता है। मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत इस सेवा का उपयोग एमपीऑनलाइन पोर्टल के साथ साथ एमपीऑनलाइन के कियोस्क के माध्यम से भी किया जा सकता है। इस सेवा का लाभ लेने हेतु कृपया अपने निकतम एमपीऑनलाइन कियोस्क अथवा एमपीऑनलाइन पोर्टल पर जायें। अपने निकटतम एमपीऑनलाइन कियोस्क का पता जानने हेतु कृपया https://www.mponline.gov.in/Portal/UserInterface/KIOSK/AuthKIOSKList.aspx पर विजिट करें। आप सेवा संबंधी किसी भी पूछताछ हेतु ग्राहक सेवा नंबर पर फोन कॉल भी कर सकते हैं। ग्राहक सेवा विभाग से फोन नंबर 0755-4019400 पर प्रातः 08:30 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक संपर्क कर सकते हैं।

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विवाह सहायता योजना का लाभ प्रदान करना

विवाह सहायता योजना का लाभ प्रदान करना|श्रम विभाग की इन सेवओं का लाभ ई-केवाईसी, एलएसके, सीएससी, एमपीओ कियोस्क के द्वारा उठाया जा सकता है। कियोस्क स्थान, आवश्यक दस्तावेज, समयरेखा लागू शुल्क आदि के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया एमपी ई-जिला वेबसाइट पर जाएँ।

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गरीब दुल्हन का विवाह सम्पन्न करने के लिए वित्तीय सहायता देना, पुडुचेरी

गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले गरीब दुल्हनों की शादी के खर्च के लिए 15,000 / - तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। वार्षिक आय 24,000 / - से अधिक नहीं होनी चाहिए और सहायता सिर्फ दुल्हन को ही उसकी पहली शादी के लिए प्रदान की जाती है। विवाह प्रचलित कानूनों के अनुरूप होना चाहिए और सहायता उस परिवार में केवल एक ही बेटी के लिए लागू होती है।

  • पंजीकरण आवश्यक
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निराश्रित विधवा की बेटी के विवाह के लिए विवाह भत्ता का अनुदान, पुडुचेरी

निराश्रित विधवाओं की बेटी की शादी के खर्च के लिए 20,000 / - तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। वार्षिक आय 24,000 / - से अधिक नहीं होनी चाहिए और सहायता सिर्फ दुल्हन को ही उसकी पहली शादी के लिए प्रदान की जाती है। विवाह प्रचलित कानूनों के अनुरूप होना चाहिए और सहायता उस परिवार में केवल एक ही बेटी के लिए लागू होती है।

  • पंजीकरण आवश्यक
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तलाक कैसे ले और तलाक लेने के नियम

How to get divorced In Hindi :आज हम आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी बता रहे हैं यह जानकारी संबंधित कुछ बातें हमने पिछली पोस्ट में बताई थी लेकिन उसके अलावा हम आपको इस पोस्ट में कुछ और बातें बताएंगे पिछली पोस्ट में हमने आपको बताया था कि तलाक क्या होता है. और तलाक से बचने के क्या उपाय हैं. तो यदि आप तलाक से नहीं बच पा रहे हैं. और आपको लगता है कि अब तो शायद तलाक लेना ही ठीक है. तो आप तलाक किस तरह से ले सकते हैं.

उसके बारे में आज हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे वैसे तो आप सभी जानते हैं. कि भारत में तलाक लेना कोई आसान काम नहीं है. शादी के बंधन को तोड़ना बहुत मुश्किल है. तलाक से संबंधित भारत में बहुत कानून बनाए गए हैं.तलाक लेना एक बहुत ही लंबी प्रक्रिया है.और कितने प्रकार के होते हैं. और तलाक लेने के लिए क्या करना पड़ता है.तो नीचे हम आपको यह सारी जानकारी विस्तार से बता रहे हैं आप इस जानकारी को ध्यान से पढ़े.

  • तलाक कितने प्रकार के होते हैं
  • गुजारा भत्ता
  • बच्चों की जिम्मेदारी
  • आपसी सहमति से तलाक के लिए कैसे फाइल दाखिल करें
  • बिना सहमति के तलाक
  • किस लड़ के तलाक कैसे लें

तलाक कितने प्रकार के होते हैं

Rules of divorce In Hindi : हमारे देश में तलाक दो तरह से लिया जा सकता है. एक तो आपसी सहमति से और दूसरा तरीका संघर्ष पूर्वक होता है .यानी कि इस तलाक में एक पक्ष  तलाक लेना चाहते हैं. और दूसरे पक्ष  नहीं लेना चाहता है. और अगर हम बात करें इन दोनों तलाक में आसान कौन सा है. तो भारत में आपसी सहमति से तलाक लेने मैं बहुत ही आसानी होती है.अगर दोनों पक्ष सहमत है. तो बहुत ही आसानी से तलाक ले सकते हैं इसके लिए दोनों पक्ष जैसे पति और पत्नी दोनों इस बात के लिए सहमत होने चाहिए. कि हम दोनों अलग हो रहे हैं. और हमें तलाक चाहिए और जब भी तलाक होता है तो उसमें दो चीजें जरूर सामने आती है. गुजारा भत्ता या और बच्चों की देखरेख यह दोनों बातें बहुत ज्यादा देखी जाती है. और आपने किसी भी फिल्म TV सीरियल या किसी दूसरी चीज में देखा भी होगा कि जब कोर्ट में किसी का तलाक होता है. तो सुनवाई के दौरान गुजारे भत्ते और बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी माता पिता में से किसी एक को दी जाती है लेकिन गुजारा भत्ता सिर्फ पति को ही देना पड़ता है.

गुजारा भत्ता

हमारे देश में गुजारे भत्ते की कोई सीमा तय नहीं की गई है और गुजारे भत्ते के लिए दोनों पक्ष पति और पत्नी एक साथ बैठकर फैसला कर सकते हैं कि उनको कितना गुजारा भत्ता चाहिए या उसको कितना गुजारा भत्ता वह पति दे सकता है.लेकिन कोर्ट पति की आर्थिक स्थिति और आए या उसकी कमाई को देखकर गुजारे भत्ते का फैसला करता है. पति की आर्थिक स्थिति यानी उसकी कमाई जितनी भी ज्यादा होगी उतनी ही ज्यादा उतना ही ज्यादा गुजारा भत्ता उसको अपनी पत्नी को देना होगा.फिल्म या TV सीरियल में भी देखा होगा कि जब कोर्ट में केस चलता है तो जिन लोगों का तलाक होता है उसमें पति को अपनी पत्नी के गुजारे के लिए पैसे देने होते हैं और वह कोर्ट तय करता है. कि कितने पैसे पति को हर महीने पत्नी को देने होंगे लेकिन कोर्ट यह भी ध्यान में रखता है कि पति की मासिक आय कितनी है.

बच्चों की जिम्मेदारी

और दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह सामने आती है कि जब आप का तलाक हो रहा है और उसमें आपकी कोई एक या दो बच्चे हैं तो उन बच्चों की जिम्मेदारी कौन लेगा और यह एक गंभीर समस्या होती है. लेकिन यदि दोनों पक्ष माता और पिता दोनों उन बच्चों की देखरेख करना चाहते हैं. तो यह उन दोनों की मानसिक सोच के ऊपर निर्भर होता है. इसके लिए उनको कोर्ट के द्वारा जॉइंट कस्टडी दे दी जाती है. शेयर चाइल्ड कस्टडी चाहते हैं. या फिर उन दोनों में से कोई एक इस जिम्मेदारी को लेना चाहता है.

और वैसे अगर देखा जाए तो 7 साल के कम उम्र के बच्चों की देखरेख कोर्ट मां को सौंपता है. और 7 साल से ऊपर की आयु के बच्चों को उनकी देखरेख के लिए पिता के पास भेजा जाता है. लेकिन कई बार दोनों ही पक्ष इस बात के लिए राजी नहीं होते और दोनों ही पक्ष अपने बच्चों को अपने पास रखना चाहते हैं. लेकिन यदि मां को बच्चे की देखरेख की जिम्मेदारी कोर्ट द्वारा दी गई है. और यदि उन बच्चों का बाप यह साबित कर दे कि मां बच्चों की सही देखरेख नहीं कर रही है. तो 7 साल के कम उम्र के बच्चों की देखरेख के लिए भी कोर्ट बच्चों को उसके पिता को सौंप देगा.

आपसी सहमति से तलाक के लिए कैसे फाइल दाखिल करें

जैसे कि मैंने आपको ऊपर बताया है. हमारे देश में आपसी सहमति से तलाक लेना बहुत ही आसान है. सबसे पहले आप के लिए यह जरूरी होता है कि आप अगर तलाक लेना चाहते हैं. तो उससे पहले 1 साल पहले दोनों अलग रहते हो उसके बाद आप केस दायर कर सकते हैं तो इसके लिए फिर आपको कुछ जरूरी चीजें करनी होती है. जैसे

1.सबसे पहले आप दोनों पक्षों को पति और पत्नी को कोर्ट में एक याचिका दायर करनी पड़ती है. जिसमें लिखना होता है हम दोनों आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं.

2.फिर उसके बाद दोनों पक्षों के बयान जैसे पति और पत्नी दोनों के बयान कोर्ट में रिकॉर्ड किए जाते हैं. और पेपर पर साइन भी कराए जाते हैं उसके बाद आप का तलाक मान्य होता है.

3.जब आप कोर्ट में याचिका दायर करते हैं तो उसके बाद आपको कोर्ट 6 महीने का समय देती है. कि आप दोनों के पास अभी समय है और आप आपसी सहमति से अपने साथी के साथ रह सकते हैं. और आप सोच समझकर फैसला करें कि आपको दोनों को अलग होना है. और कोर्ट चाहती है. कि वह अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए समय दें ताकि उनका तलाक ना हो

4.फिर कोर्ट के द्वारा दिया गया हुआ समय समाप्त हो जाता है. फिर कोर्ट दोनों पक्षों को बुलाता है. और इस दौरान अंतिम सुनवाई होती है.और फिर भी अगर आप दोनों पक्ष अपनी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं तो उसके बाद कोर्ट अंतिम सुनवाई में अपना फैसला सुना देता है.

यह तरीका था दोनों पक्षों की सहमति से तलाक लेने का जिसमें दोनों पक्षों को 6 महीने के अंदर ही तलाक मिल जाता है. तो अब हम आपको नीचे बताएंगे कि यदि संघर्ष की स्थिति में तलाक लिया जाता है तो क्या-क्या करना पड़ता है.

बिना सहमति के तलाक

अगर तलाक लेने के लिए दोनों पक्ष सहमत ना हो तो क्या होता है. यानी कि अगर दोनों पक्ष में से एक पक्ष तलाक लेना चाहता हो और एक पक्ष तलाक नहीं लेना चाहता हो तो उसके लिए एक पक्ष को दूसरे पक्ष से बहस करनी पड़ेगी और यह तलाक भारत में आप तभी लड़ सकते हैं. जब आपके साथी के साथ आपके साथ झगड़ा करता हो आप को प्रताड़ित करता हो या आपका साथी आपको छोड़ देता है. या आपको किसी तरह की शारीरिक या मानसिक तरह से प्रताड़ित किया जाता है. या आपके साथी की मानसिक स्थिति खराब हो या नपुंसक जैसी स्थिति फोन तो यानी कि उसके साथ जिस भी बात के कारण साथ रहना मुश्किल हो जाएगा साथ नहीं रह पाना तो उस स्थिति में आप संघर्ष चला कर सकते हैं.इस केस को लड़ने के लिए सबसे पहले जो पक्ष तलाक चाहता हो उसे कोर्ट में एक याचिका दायर करनी होती है. और साथ में यह सबूत भी दिखाने होते हैं. कि वह सच में तलाक का हकदार है. यानी  उसको अपने साथी के द्वारा प्रताड़ित जाने या उसके साथ मारपीट किए जाने या उसके साथ कुछ दूसरी घटनाएं किए जाने का सबूत है उसको कोर्ट में दिखाना होता है.

किस लड़ के तलाक कैसे लें

1.सबसे पहले आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि आप किस आधार पर तलाक लेना चाहते हैं. और उसके बाद आप जिस भी आधार पर तलाक लेना चाहते हैं. उसके लिए सबूत इकट्ठा करने शुरू करें या अगर आपके पास सबूत है तो उसको अपने पास रखें.

2.और संघर्ष तलाक में सबसे महत्वपूर्ण चीज आपके लिए यही है. कि आप अपने साथी के खिलाफ कड़े से कड़े सबूत जुटाए और इकट्ठा करके कोर्ट को दिखाएं ताकि आपका पक्ष मजबूत हो.

3.जब आप कोर्ट में याचिका दायर करते हैं तो उसके साथी आपको अपने सभी सबूत सबूत भी कोर्ट में दायर करने चाहिए. आप की याचिका दायर होने के बाद कोर्ट आपके दूसरे पक्ष के खिलाफ नोटिस भेजेगी और इसके बाद यदि दूसरा पक्ष कोर्ट में नहीं पहुंचता है. तो यह मामला एक पक्ष का हो जाता है. और तलाक एक पक्ष द्वारा दायर किए गए सबूतों के आधार पर दे दिया जाता है.

4.यदि कोर्ट द्वारा भेजे गए नोटिस को आप पढ़कर कोर्ट में अपनी सुनवाई के समय नहीं पहुंचते हैं. तो चाहे आप का पक्ष मजबूत हो और आपके साथी का पक्ष बिल्कुल कमजोर हो और आपके पास आपके साथी से ज्यादा सबूत हो तो भी आप को तलाक दे दिया जाता है और अगर आप कोर्ट नहीं पहुंचते हैं तो आप को तलाक दे दिया जाता है. चाहे आपका पक्ष कितना भी मजबूत हो.

5.और यदि आप कोर्ट के भेजे गए नोटिस के बाद आप कोर्ट में हाजिर हो जाते हैं. तो यह मामला दोनों पक्षों का हो जाता है. और उस दौरान कोर्ट में दोनों पक्षों की बातें सुनी जाती है. और कोर्ट इस मामले को समझाने की कोशिश करेगा.

6.अगर दोनों पक्षों की सहमति नहीं हो पाती है. तो किस करने वाला पक्षी लिखित में दूसरे के खिलाफ याचिका दायर करेगा और जो आप लिखित बयान देते हैं. वह 30 से 90 दिन के अंदर देना होता है.

7. यदि एक बार आप के बयान का काम पूरा हो जाता है तो उसके बाद कोर्ट आगे फैसला कोर्ट को क्या करना है. फिर उसके बाद कोर्ट दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए सबूतों गवाहों और बयानों को दोबारा से पढ़ती है.सारे सबूतों को दोबारा से देखने और जानने के बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाती है.

लेकिन संघर्ष तलाक मैं आपको 1 साल 2 साल या कई बार 5 या 6 साल भी लग जाते हैं. इसलिए अगर आप तलाक लेना चाहते हैं. तो दोनों पक्षों की सहमति के बाद ही तलाक लेने के लिए याचिका दायर करें ताकि आपको 6 या 7 महीने में ही तलाक मिल जाए. अगर आप तलाक लेना चाहते हैं और आपके साथ ही तलाक नहीं लेना चाहते हैं तो इस स्थिति में आपको तलाक लेने में बहुत समय लग सकता है. कानून ने भी इसमें कुछ कमियां महसूस की है. जिसके लिए एक बिल अभी भी संसद में लंबित है.और यदि यह बिल संसद द्वारा पास कर दिया जाता है.  तो उसके बाद आप बिना किसी आधार के भी तलाक ले सकते हैं इस तरह से उन लोगों को फायदा होगा जो कानूनी तौर पर अपने रिश्ते को खत्म नहीं कर पा रहे हैं.

तो यदि आप भी तलाक लेना चाहते हैं.और उसके लिए आप ने याचिका दायर की है वह आपको कई बहुत समय से तलाक नहीं मिल रहा है तो आप हमारे द्वारा बताई गई जानकारी को अच्छी तरह से पढ़ कर और इस में बताए गए तरीकों के आधार पर तलाक ले सकते हैं. इससे आपको तलाक लेने में आसानी होगी तो अब आपको पता चल गया होगा कि तलाक कितने प्रकार का होता है. और तलाक का केस किस तरह से लड़ा जाता है.

आज हमने आपको इस पोस्ट में एक बहुत ही बढ़िया और महत्वपूर्ण जानकारी बताई है. हमने आपको इस पोस्ट में तलाक कैसे ले और तलाक लेने के नियम तलाक लेने के नियम 2018 तलाक के नये नियम 2018  तलाक के कागजात  तलाक कैसे ले  तलाक का मुआवजा  तलाक की जानकारी  तलाक के कानून  तलाक लेने के आधार  तलाक के आधार  तलाक लेने के नियम तलाक केस किस तरह से लड़ा जाता है. और तलाक का केस कितने प्रकार का होता है. और तलाक लेने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है. तो यह सब बातें हमने आपको इस पोस्ट में आज विस्तार से बताई है. तो यह भी हमारे द्वारा बताई कि यह जानकारी आपको पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि आपका इसके बारे में कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं.

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तलाक में कौन कौन से कागज लगते हैं?

दस्तावेज़ आपसी सहमति के साथ तलाक के लिए आवश्यक.
शादी का प्रमाण पत्र.
पति और पत्नी के - सबूत पता।.
विवाह के चार तस्वीरें।.
पिछले 3 वर्षों के आयकर स्टेटमेंट।.
पेशे और आय का विवरण (वेतन स्लिप, नियुक्ति पत्र).
संपत्ति और संपत्ति का विवरण स्वामित्व.
परिवार के बारे में जानकारी (पति और पत्नी).
एक वर्ष के लिए अलग से रहने का सबूत.

तलाक लेने के लिए सबसे पहले क्या करना पड़ता है?

अगर फैमिली कोर्ट में आपका तलाक नहीं होता है तो आप कोर्ट में याचिका दायर कर सकते है। उसके बाद दोनों पक्षों के तीन महीने के लिखित बयान दर्ज किये जाते है। इसके बाद कोर्ट दोनों पक्षों की सुनवाई करता है और तलाक के सभी दस्तावेजों और पेश किये गए सबूतों की जांच करता है और उसके बाद कोर्ट द्वारा अपना फैसला सुना दिया जाता है।

तलाक के लिए आवेदन कैसे लिखें?

आवेदन में किन-किन बातों का विवरण होना चाहिए ? वह बातें जिनके आधार पर तलाक मांग रहे हैं आवेदन पत्र में उन बातों का स्पष्ट समावेश होना चाहिए । आवेदन पत्र में लिखी हुई बातों को आवेदन द्वारा सच साबित करने के लिए साक्ष्यों का होना भी आवश्यक है अथवा उस आवेदन पत्र के साथ आवेदन द्वारा एक शपथ पत्र भी प्रस्तुत करना चाहिए ।

पत्नी से एकतरफा तलाक कैसे लें?

शादी होने के बाद यदि पति- पत्नी 2 साल के लंबे अंतराल तक दूसरे के साथ नहीं रह रहे हैं तो यह भी एकतरफा तलाक का आधार हो सकता है। मसलन यदि शादी होने के कुछ दिन बाद पत्नी मायके चली गई व पति के कई बार बुलाने के बाद भी दो साल तक नहीं लौटती तो उसे इस आधार पर एकतरफा तलाक मिल सकता है।