आपदा के समय हमें क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए? - aapada ke samay hamen kya kya saavadhaaniyaan rakhanee chaahie?

मानसून का समय बाढ़, भूस्खलन व भूमि कटाव की दृष्टि से अधिक सावधानियां अपनाने का होता है। अधिक बाढ़ की संभावना को कम करने के लिए तटबंधों पर पैनी नज़र रखना ज़रूरी है। तटबंधों में दरारों पर समुचित ध्यान देना ज़रूरी है। नए तटबंध बनाने की बजाय मौजूदा तटबंधों की सही देख-रेख पर ध्यान देना बेहतर है। और इस मामले में मात्र अपने निरीक्षण से संतुष्ट रहने के स्थान पर गांववासियों की शिकायतों पर समुचित ध्यान देना चाहिए।

बांध प्रबंधन के बारे में भी बाढ़ नियंत्रण के समुचित दिशानिर्देश ज़रूरी हैं। हाल के वर्षों की विनाशकारी बाढ़ों के बाद चले आरोप-प्रत्यारोप में कई मुद्दे बार-बार सामने आए हैं। एक मुद्दा यह रहा है कि बांध प्रबंधन में प्राय: बाढ़ नियंत्रण को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना बिजली उत्पादन को दिया जाता है। पिछले अनुभवों से सीखते हुए बाढ़ से बचाव पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
एक मुद्दा यह भी उठा है कि बांध का पानी छोड़ते समय समुचित चेतावनी नहीं दी गई या चेतावनी लोगों तक समय पर नहीं पहुंची। इस बारे में अधिक सावधानी बरती जा सकती है।

हिमालय व पश्चिम घाट जैसे कुछ अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन को कम करने के लिए पहले से बेहतर प्रयासों की ज़रूरत है। चिन्हित गंभीर भूस्खलन स्थानों पर पैनी नजर रखने की ज़रूरत है ताकि स्थिति अधिक विकट होने की आशंका हो तो समुचित सुरक्षा व्यवस्था समय पर की जा सके। दूर-दूराज के पर्वतीय गांवों से लोग अपनी शिकायत व जानकारी दर्ज कर सकें, इसके लिए सरकारों को व्यवस्था बनानी चाहिए। चिन्हित स्थलों के अतिरिक्त कई भूस्खलन स्थल हाल ही में उत्पन्न हुए हैं। इनकी भी उपेक्षा न हो।

भूमि कटाव से पीड़ित लोग कुछ संदर्भों में सबसे अधिक उपेक्षित हैं। जिन परिवारों की भूमि नदी छीन लेती है प्राय: उनका संतोषजनक पुनर्वास नहीं हो पा रहा है। चाहे बहराईच हो या सीतापुर या गाज़ीपुर या मालदा या मुर्शिदाबाद, नदी कटान से प्रभावित स्थानों से ऐसे समाचार मिलते ही रहे हैं कि नदी द्वारा भूमि कटान से पीड़ित लोग भूमिहीन और कभी-कभी तो आवासहीन होकर रहने को मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि उनके पुनर्वास के लिए ज़मीन कभी उपलब्ध नहीं होती है। ऐसे कुछ स्थानों पर प्रभावित लोगों ने स्वयं बताया कि उन्हें किन स्थानों पर बसाया जा सकता है। लगता है कि प्रशासन इन लोगों की समस्याओं के प्रति उदासीन रहा है। अथवा उच्च स्तर पर उचित नीति न बनने के कारण वह समय पर निर्णय नहीं ले पाता है। अत: इस बारे में विभिन्न राज्य सरकारों को भी पहल करनी चाहिए अथवा केंद्र सरकार की ओर से ज़रूरी निर्देश आने चाहिए। इस बारे में न्यायसंगत नीति तो बनानी ही चाहिए। साथ में नदी-कटाव की अधिक संभावना वाले क्षेत्रों के प्रशासन को पहले से तैयारी रखनी चाहिए कि जो भी लोग ऐसी त्रासदी से प्रभावित हों उन्हें वर्षा के दिनों में रहने का उचित स्थान मिल सके व अन्य ज़रूरी राहत भी उन तक पहुंच सके।

आकाशीय बिजली की आपदा हाल के वर्षों में अधिक जानलेवा हो रही है। इससे जीवन की रक्षा के लिए इसकी अधिक संभावना वाले क्षेत्रों में, विशेषकर स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों में तड़ित चालकों की व्यवस्था करनी चाहिए व इनकी उपलब्धता बढ़ानी चाहिए। इसके अतिरिक्त लोगों में बचाव के उपायों का प्रचार करना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)

आपदा के समय घबराना नहीं चाहिए। इसके बदले सावधानी से काम लेना चाहिए। उक्त बातें एनडीआरएफ के कमांडर इंस्पेक्टर संजय कुमार ने सोमवार को संत लॉरेन्स स्कूल चुहड़ी व संत आग्नेस बालिका विद्यालय चुहड़ी में...

आपदा के समय हमें क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए? - aapada ke samay hamen kya kya saavadhaaniyaan rakhanee chaahie?

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बगहाMon, 19 Aug 2019 08:53 PM

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आपदा के समय घबराना नहीं चाहिए। इसके बदले सावधानी से काम लेना चाहिए। उक्त बातें एनडीआरएफ के कमांडर इंस्पेक्टर संजय कुमार ने सोमवार को संत लॉरेन्स स्कूल चुहड़ी व संत आग्नेस बालिका विद्यालय चुहड़ी में अपदा प्रशिक्षण के दौरान कहीं।

उन्होंने बताया छात्र, छात्राओं को बाढ़, भूकंप से बचाव के तरीकों को बताया। हार्ट अटैक आने पर सी पी आर देने के तरीके, हड्डी टूटने पर प्राथमिक उपचार करने, मूर्छित व्यक्ति को प्रथम उपचार देने के बारे में, एक्सीडेंट में उपचार के बारे में विस्तार से बताया गया। प्रधानाध्यापक रोनाल्ड कुँअर सिंह ने कहा विभिन्न प्रकार के आपदाओं से बचाव के उपाय के बारे में छात्रों ने देखा और सीखा, निश्चित तौर पर बच्चे इससे लाभान्वित होने।

संत आग्नेस मध्य विद्यालय की प्राचार्या सिस्टर अजिता और उच्च विद्यालय की प्राचार्या सिस्टर नीलिमा ने कहा कि एनडीआरएफ टीम के द्वारा आपदा प्रबंधन से छात्राओं को लाभ मिला है।

भूकंप या कोई भी प्राकृतिक आपदा बता कर नहीं आती. ऐसे समय में एकदम से समझ नहीं आता क्या किया जाए. बुधवार की रात दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप की खबर लगते ही लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल हो गया.

भूकंप आने पर तुरंत ये उपाय किए जाने चाहिए-

1- मकान, दफ्तर या किसी भी इमारत में अगर आप मौजूद हैं तो वहां से बाहर निकलकर खुले में आ जाएं.

2- खुले मैदान की ओर भागें. भूकंप के दौरान खुले मैदान से ज्यादा सेफ जगह कोई नहीं होती.

3- किसी बिल्डिंग के आसपास न खड़े हों.

4- अगर आप ऐसी बिल्डिंग में हैं, जहां लिफ्ट हो तो लिफ्ट का इस्तेमाल कतई न करें. ऐसी स्थिति में सीढ़ियों का इस्तेमाल ही बेस्ट होता है.

5- घर के दरवाजे और खिड़की को खुला रखें.

6- घर की सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें.

7- अगर बिल्डिंग बहुत ऊंची हो और तुरंत उतर पाना मुमकिन न हो तो बिल्डिंग में मौजूद किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं.

8- भूकंप के दौरान लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं, ऐसे में स्थिति और बुरी हो सकती है.

आपदा के समय में क्या करना चाहिए?

जब कोई आपदा आ पड़े तो धैर्य धारण करने में समझदारी है। हिम्मत से काम लें, सही सोचें और संकट से पहले ही उबरने के उपाय करें।.
उन ऊँची जगहों की पहचान करें जहाँ आप बाढ़ के समय पनाह ले सकते हैं।.
जब तक बहुत जरूरी न हो, बाढ़ के पानी में न घुसें। ... .
अपनी गैस और बिजली की सप्लाई बन्द कर दें।.

आपदा से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

प्राकृतिक आपदा से बचने के उपाय.
अफरा-तफरी न मचाएँ, शान्त रहें, अधिकारियों/प्राधिकृत स्रोतों के निर्देशों का पालन करें, अफवाहों पर ध्यान न दें। ... .
एक आपातकालीन किट हमेशा तैयार रखें। ... .
परिचय वाले कागजात, वित्तीय दस्तावेज, जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट आदि एक स्थान पर सुलभ रखें।.

आपदाओं से निपटने के लिए आप क्या क्या कदम उठा सकते हैं?

(3) आपदा से निपटने के लिए तात्कालिक व दीर्घकालिक उपाय करने चाहिए। (4) आपदाओं से संबंधित उपकरणों का उचित रख-रखाव होना चाहिए ताकि समय आने पर उनका उपयोग किया जा सके । (5) आपदाओं से निपटने का सभी को प्रशिक्षण दिया जाए । (6) जनता तथा सरकार को आपदाओं के समय सूझ-बूझ, धैर्य तथा विवेक से काम लेना चाहिए ।

आपदा कितने प्रकार के होते हैं?

आपदाएं दो प्रकार की होती हैं प्राकृतिक आपदा व मानव जनित आपदा। प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, वनों में आग लगना , शीतलहर, समुद्री तूफान, तापलहर, सुनामी, आकाशीय बिजली का गिरना, बादलों का फटना आदि आते हैं