नामवर सिंह (जन्म: 28 जुलाई 1927[1] वाराणसी (अब चन्दौली) उत्तर प्रदेश निधन: 19 फरवरी 2019[2], नयी दिल्ली) हिन्दी के मूर्धन्य आलोचक, सम्पादक, वक्ता एवं विद्वान रहे हैं। छायावाद, कविता के नए प्रतिमान, दूसरी परम्परा की खोज, वाद विवाद संवाद इत्यादि उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। नामवर सिंह शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्य रहे। अत्यधिक अध्ययनशील तथा विचारक प्रकृति के नामवर सिंह हिन्दी में अपभ्रंश साहित्य से आरम्भ कर निरन्तर समसामयिक साहित्य से जुड़े हुए आधुनिक अर्थ में विशुद्ध आलोचना के प्रतिष्ठापक तथा प्रगतिशील आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षर थे। जीवन[संपादित करें]नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 ई०[1] को बनारस (वर्तमान में चंदौली ज़िला) के एक गाँव जीयनपुर में हुआ था। लम्बे समय तक 1 मई 1927 को उनकी जन्म-तिथि के रूप में माना जाता रहा है और नामवर जी स्वयं भी अपना जन्म-दिवस इसी तारीख को मनाते रहे हैं, लेकिन यह वस्तुतः स्कूल में नामांकन करवाते वक्त लिखवायी गयी तारीख थी।[3] उन्होंने हिन्दी साहित्य में एम॰ए॰ व पी-एच॰डी॰ करने के पश्चात् बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यापन किया, लेकिन 1959 में चकिया चन्दौली के लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रूप में चुनाव लड़ने तथा असफल होने के बाद उन्हें बी॰एच॰यू॰ छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने क्रमश: सागर विश्वविद्यालय और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया। बाद में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उन्होंने काफी समय तक अध्यापन कार्य किया। अवकाश प्राप्त करने के बाद भी वे उसी विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र में इमेरिट्स प्रोफेसर रहे। वे हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी, अपभ्रंश, भोजपुरी, उर्दू, बाङ्ला एवं संस्कृत भाषा भी जानते थे। 19 फरवरी 2019 की रात्रि में नयी दिल्ली स्थित एम्स में उनका निधन हो गया। उन्होंने हिन्दी आलोचना को नयी पहचान दिलायी। वे वास्तव में नामवर आलोचक थे। प्रकाशित कृतियाँ[संपादित करें]
इनके अतिरिक्त नामवर जी के जे॰एन॰यू॰ के क्लास नोट्स भी उनके तीन छात्रों -- शैलेश कुमार, मधुप कुमार एवं नीलम सिंह के सम्पादन में नामवर के नोट्स नाम से प्रकाशित हुए हैं। सम्पादन कार्य[संपादित करें]अध्यापन एवं लेखन के अलावा उन्होंने 1965 से 1967 तक जनयुग (साप्ताहिक) और 1967 से 1990 तक आलोचना (त्रैमासिक) नामक दो हिन्दी पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। सम्पादित पुस्तकें-
इनके अलावा स्कूली कक्षाओं के लिए कई पुस्तकें तथा कुछ अन्य पुस्तकें भी सम्पादित। नामवर जी पर केन्द्रित साहित्य[संपादित करें]
अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य[संपादित करें]नामवर सिंह महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति (चांसलर) होने से पहले राजा राममोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान के अध्यक्ष (1993-96) भी रह चुके हैं। सम्मान[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
नाम और सिंह के पिता का क्या नाम था?नामवर सिंह के पिताजी का नाम ठाकुर नागर सिंह था ।
नामवर सिंह का जन्म कब हुआ था?28 जुलाई 1926नामवर सिंह / जन्म तारीखnull
नामवर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?वाराणसी, भारतनामवर सिंह / जन्म की जगहnull
नामवर सिंह के गुरु कौन थे?कविता से अपनी साहित्यिक यात्रा का प्रारंभ करने वाले नामवर सिंह के अवचेतन में उनके साहित्यिक गुरु आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आलोचना के बीज इतने गहरे बोये थे कि आलोचना के क्षेत्र में आना तनिक भी अस्वाभाविक नहीं था ।
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