वायुमंडलीय अपवर्तन से क्या समझते हैं - vaayumandaleey apavartan se kya samajhate hain

अपवर्तक माध्यम (वायु) की भौतिक अवस्थाएं हमेशा स्थिर नहीं रहती है। गर्म वायु में से देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती है। इस प्रकार की अस्थिरता हमारे स्थानीय पर्यावरण में लघु स्तर पर वायुमंडलीय अपवर्तन (पृथ्वी के वायुमंडल के कारण प्रकाश का अपवर्तन) का एक प्रभाव है। तारों का टिमटिमाना, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के आभासी समय आदि वायुमंडलीय अपवर्तन की मुख्य घटनाएं है।

तारों का टिमटिमाना :-

कभी-कभी मध्यवर्ती वायुमंडल में एकाएक परिवर्तन होने के कारण किरणें एक ओर विचलित हो जाती है जिससे प्रकाश प्रेक्षक (Observer) से बहुत अल्प समय के लिए अंशतः या कभी-कभी पूर्णतः कट जाता है। इसलिए तारा कभी कम प्रकाश और कभी अधिक प्रकाश देता हुआ प्रतीत होता है जिसे तारे का टिमटिमाना कहते हैं।

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चित्र 1 :- वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारों का टिमटिमाना।

पृथ्वी का वायुमंडल शांत कभी नहीं होता है, गर्म तथा ठंडी हवा की धाराएं हमेशा बहती रहती है। ठंडी हवा की अपेक्षा गर्म हवा का घनत्व कम होता है और अपवर्तनांक भी कम होता है। इसलिए तारों से किरणें जितने समय में प्रेक्षक (Observer) तक पहुंचती है उतने समय में ये किरणें वायुमंडल के अपवर्तनांक में होने वाले परिवर्तनों के कारण अगल-बगल मुड़ जाती है।

जब हम स्वच्छ आकाश की ओर देखते हैं तो तारे दिखाई पड़ते हैं जिनकी चमक घटती-बढ़ती प्रतीत होती है और तब हम कहते हैं कि तारे टिमटिमा रहे हैं। तारों की चमक में यह घट-बढ़ वायुमंडल के घनत्व की असमानता के कारण होती है।

सूर्योदय तथा सूर्यास्त के आभासी समय :-

पृथ्वी के चारों ओर वायुमंडल है। पृथ्वी की सतह पर वायुमंडल का घनत्व अधिकतम होता है, और ऊपर की ओर घनत्व घटता जाता है। जब सूर्य की किरणें लगभग पूर्ण निर्वात (vacuum) से वायुमंडल में प्रवेश करती है तो किरणें अपवर्तित हो जाती है। विचलन महत्तम होगा जब किरणें वायुमंडल की सतह पर लगभग पृष्ठसर्पी आपतन पर पड़ती है, अर्थात जब सुर्य क्षितिज (horizon) पर होता है। अपवर्तन के कारण किरणें नीचे की ओर मुड़ जाती है।

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चित्र 2 :- वायुमंडलीय अपवर्तन का सूर्योदय तथा सूर्यास्त पर प्रभाव।

अतः सूर्य अपनी वास्तविक ऊंचाई से अधिक ऊंचा दिखाई पड़ता है। इस कारण वास्तविक सूर्यास्त (actual sunset) और आभासी सूर्यास्त (apparent sunset) में अंतर लगभग 2 मिनट का होता है। इस प्रकार सूर्योदय (sunrise) और सूर्यास्त (sunset) के बीच का समय लगभग 4 मिनट बढ़ जाता है।

फिर, जब सूर्य क्षितिज (horizon) के निकट रहता है तो वह चपटा दिखाई पड़ता है, अर्थात सूर्य का उर्ध्व (vertical) व्यास छोटा मालूम पड़ता है।

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वायुमंडलीय अपवर्तन की बात करें तो यह प्रकाश सीधी रेखा से भिन्न होता है क्योंकि हवा के घनत्व में उनके कार्य के रूप में वातावरण के माध्यम से करता है जो बटन होते हैं वस्तु के वास्तव में दिखाई देने के कारण बनता है तो प्रकाश का अपवर्तन है बहुत सारे अलग-अलग होते हैं अलग-अलग मीटर होते हैं

vayumandaliye apvartan ki baat kare toh yah prakash seedhi rekha se bhinn hota hai kyonki hawa ke ghanatva mein unke karya ke roop mein vatavaran ke madhyam se karta hai jo button hote hain vastu ke vaastav mein dikhai dene ke karan banta hai toh prakash ka apvartan hai bahut saare alag alag hote hain alag alag meter hote hain

वायुमंडलीय अपवर्तन की बात करें तो यह प्रकाश सीधी रेखा से भिन्न होता है क्योंकि हवा के घनत्

        

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वायुमंडलीय अपवर्तन से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित समझाइए?

तारे की टिमटिमाहट उसके प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है। हवा की परतों का घनत्व बदलते रहने के कारण तारों से चलने वाली प्रकाश की किरणें इन परतों से अपवर्तित होकर अपने मार्ग से कभी कम विचलित और कभी अधिक विचलित होती है। इससे आँखों में प्रकाश कभी कम पहुँचता है तो कभी अधिक जिससे तारे टिमटिमाते नजर आते हैं

वायुमंडल में अपवर्तन कैसे होता है?

जब सूर्य की किरणें लगभग पूर्ण निर्वात (vacuum) से वायुमंडल में प्रवेश करती है तो किरणें अपवर्तित हो जाती है। विचलन महत्तम होगा जब किरणें वायुमंडल की सतह पर लगभग पृष्ठसर्पी आपतन पर पड़ती है, अर्थात जब सुर्य क्षितिज (horizon) पर होता है। अपवर्तन के कारण किरणें नीचे की ओर मुड़ जाती है।

तारों का टिमटिमाना क्या है?

Abhishek Mishra. जब दूर के स्रोत (एक तारा) से प्रकाश हमारे अशांत (चलती वायु) वातावरण से गुजरता है, तो यह कई बार अपवर्तन से गुजरता है। जब हम अंत में एक तारे से इस प्रकाश को महसूस करते हैं, तो यह टिमटिमाता हुआ प्रतीत होता है। तारों का टिमटिमाना तारों के प्रकाश का वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होता है।

वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें कब दिखाई देता है?

वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य वास्तविक सूर्योदय से पहले और वास्तविक सूर्यास्त के बाद दिखाई देता है।