निम्न में ज्ञानेंद्रपति की कविता कौन है? - nimn mein gyaanendrapati kee kavita kaun hai?

विषयसूची

  • 1 ज्ञानेंद्रपति की कौन सी कविता है?
  • 2 गांव के घर कविता का केंद्रीय भाव क्या है?
  • 3 गाँव के घर की रीढ़ क्यों झुरझुराती है?
  • 4 कवि ज्ञानेन्द्रपति की रचना का नाम क्या है?
  • 5 उसने कहा था कहानी कितने भागों में बैठी हुई है कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है?

ज्ञानेंद्रपति की कौन सी कविता है?

इसे सुनेंरोकेंज्ञानेन्द्रपति हिंदी कविता का एक मुकम्मल व्यक्तित्व हैं। “आँख हाथ बनते हुए” (1970) संग्रह से लेकर अबतक “कविता भविता” (2020) तक उनके काव्य-यात्रा का एक विशद प्रमाण पाठकों के बीच है।

गांव के घर कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकविता का सारांश इस कविता में घर के मर्म का उद्घघाटन है। कवि को जेल-प्रवास के दौरान घर से विस्थापन की पीड़ा सालती है। कवि के स्मृति-संसार में उसके परिजन एक-एक कर शामिल होते चले जाते हैं। घर की अवधारणा की सार्थक और मार्मिक याद कविता की केंद्रीय संवेदना है।

धवल धूल से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंजो बचपन में धूल से खेला है, वह जवानी में अखाड़े की मिट्टी में सनने से कैसे वंचित (अलग) रह सकता है, रहता है तो उसका दुर्भाग्य (भाग्यहीनता) है और क्या! यह साधारण धूल नहीं है, वरन् तेल और मट्ठे (छाछ) से सिझाई (पकाई) हुई वह मिट्टी है, जिसे देवता पर चढ़ाया जाता है। संसार में ऐसा सुख दुर्लभ है।

पंच परमेश्वर के खो जाने पर कभी चिंतित क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंकवि यह देखकर खिन्न है कि आधुनिक पंचायती राज व्यवस्था में पंच परमेश्वर की सार्थकता विलुप्त हो गई। एक प्रकार से अन्याय और अनैतिकता ने व्यवस्था को निष्क्रिय कर दिया है, पंगु बना दिया है। पंच परमेश्वर शब्द अपनी सार्थकता खो चुका है। कवि उपरोक्त कारणों से ही चिन्तित है।

गाँव के घर की रीढ़ क्यों झुरझुराती है?

इसे सुनेंरोकेंकवि ने संभवतः इसी संदर्भ में कहा है कि जिन बुलौओं से गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है अर्थात् शहर के अस्पतालों तथा अदालतों द्वारा वहाँ आने का न्यौता देने से उन गाँवों की रीढ़ झुरझुराती है। कवि की अपने अनुभव के आधार पर ऐसी मान्यता है कि गाँववालों का अदालतों तथा अस्पतालों का अपनी समस्या के समाधान में चक्कर लगाना दु:खद है।

कवि ज्ञानेन्द्रपति की रचना का नाम क्या है?

संशयात्मा2004
गंगातट1999
ज्ञानेन्द्रपति/किताबें

चेतना पारीक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंचेतना पारीक, अब भी तुम नन्हीं सी गेंद-सी उल्लास से भरी हो? उतनी ही हरी हो? चेतना पारीक, कहाँ हो कैसी हो? बोलो, बोलो, पहले जैसी हो?

अरमान कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकें(क) कवि का अरमान है कि वह कुछ नवीन कार्य करके दिखलाए। (ख) कवि उन लोगों के लिए उद्यम का दीप जलाना चाहता है जो अँधेरे में पड़े हैं, जो खुद को ही नहीं देख पा रहे हैं। (ग) हमें मातृभूमि की सेवा में अपना सब कुछ (सर्वस्व) लुटा देना चाहिए। (घ) हम उन वीरों की संतान हैं, जो अपने धुन के पक्के थे।

उसने कहा था कहानी कितने भागों में बैठी हुई है कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है?

इसे सुनेंरोकेंकहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है । उत्तर – उसने कहा था कहानी पाँच भागों में बेटी हुई है इसके तीन भागों में युद्ध का वर्णन किया गया है । प्रश्न 2. कहानी के पात्रों की एक सूची तैयार करें ।

ज्ञानेन्द्रपति

निम्न में ज्ञानेंद्रपति की कविता कौन है? - nimn mein gyaanendrapati kee kavita kaun hai?

पूरा नाम ज्ञानेन्द्रपति
जन्म 1 जनवरी, 1950
जन्म भूमि ग्राम पथरगामा, झारखण्ड
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र काव्य रचना
मुख्य रचनाएँ 'संशयात्‍मा', 'आँख हाथ बनते हुए', 'गंगातट', 'कवि ने कहा', 'एकचक्रानगरी' आदि।
पुरस्कार-उपाधि साहित्य अकादमी पुरस्कार, 'पहल सम्‍मान', 'बनारसीप्रसाद भोजपुरी सम्‍मान' व 'शमशेर सम्‍मान'।
प्रसिद्धि कवि
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी ज्ञानेन्द्रपति निराला की परम्परा के कवि हैं। उनकी कविता रचनात्मक प्रतिरोध की कविता है।
अद्यतन‎

10:35, 13 अप्रॅल 2020 (IST)

इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

ज्ञानेन्द्रपति (अंग्रेज़ी: Gyanendrapati, जन्म- 1 जनवरी, 1950, झारखण्ड) हिंदी के उत्साही, विलक्षण और अनूठे कवि हैं। उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर काव्य लेखन को पूर्णकालिक तौर पर चुना। ज्ञानेन्द्रपति की भाषा में ऐसा कुछ है, जो परम्परा के साथ पुल बनाता है। उनके वर्णन कि तफ़सील पर गौर करने पर लगता है कि मानों उन्हें पहले ही नोट कर संभाल लिया होगा।

परिचय

ज्ञानेन्द्रपति का जन्म 1 जनवरी, सन 1950 को ग्राम पथरगामा, झारखंड में हुआ था।

ज्ञानेन्द्रपति का ‘गंगा तट’ काव्यों का संग्रह नहीं न्यास है। वह औपन्यासिक है। मुक्तिबोध की ‘अंधेरे में’ के बारे में कहा जाता है कि वह नेहरू युग का क्रिटीक है। इस युग का क्रिटीक ‘गंगा तट’ है। ज्ञानेन्द्रपति की कविता में ऑब्जर्वेशन की कोशिश है और ज़िद भी। इस वजह से उनकी कविता प्रतिबद्धता और वैचारिकता के सरलीकरण का चित्र हैं। ऑब्ज़र्वेशन में व्यवधान भी है और ताकत भी।

'निराला' की परम्परा के कवि

ज्ञानेन्द्रपति निराला की परम्परा के कवि हैं। उनकी कविता रचनात्मक प्रतिरोध की कविता है। वे जो खत्म हो रहा है, उसे दिखाने के अलावा जो अच्छा होना चाहिए, उसके संकेत देती हैं।

भाषा

ज्ञानेन्द्रपति हिन्दी के विलक्षण कवि-व्यक्तित्व हैं। उनकी जड़ें लोक की मन-माटी में गहरे धँसी हैं। उनकी काव्य भाषा उनके समकालीनों में सबसे अलग है। उनके लिए न तो तत्सम अछूत है, न देशज। शब्दों के निर्माण का साहस देखने योग्य है। ज्ञानेन्द्रपति की कविता एक ओर तो छोटी-से-छोटी सच्चाई को, हल्की-से-हल्की अनुभूति को सहेजने का जतन करती है, प्राणी-मात्र के हर्ष-विषाद को धारण करती है; दूसरी ओर सत्ता-चालित इतिहास के झूठे सच को भी उघाड़ती है। धार्मिक सत्ता हो या राजनीतिक सत्ता, वह सबके मुक़ाबिल है।

प्रमुख कृतियाँ

ज्ञानेन्द्रपति की कुछ प्रमुख कृतियाँ निम्न प्रकार हैं-

  1. आँख हाथ बनते हुए (1970)
  2. शब्द लिखने के लिए ही यह कागज़ बना है (1981)
  3. गंगातट (2000)
  4. संशयात्मा (2004)
  5. पढ़ते-गढ़ते (कथेतर गद्य, 2005)
  6. भिनसार (2006)
  7. कवि ने कहा (कविता संचयन)
  8. ‘एकचक्रानगरी’ (काव्य नाटक)

सम्मान

वर्ष 2006 में ‘संशयात्‍मा’ शीर्षक कविता संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा 'पहल सम्‍मान', 'बनारसीप्रसाद भोजपुरी सम्‍मान' व 'शमशेर सम्‍मान' सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से विभूषित किये जा चुके हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

  • ज्ञानेन्द्रपति
  • ज्ञानेंद्रपति व उनकी चर्चित कविता समय और तुम

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निम्न में ज्ञानेन्द्रपति की कविता कौन है?

'गंगातट' और 'गंगा-बीती' ज्ञानेन्द्रपति की सर्वाधिक चर्चित कृति है। इन दोनों कृतियों में गंगा और बनारस केंद्र में हैं।

ज्ञानेन्द्रपति का जन्म कब हुआ था?

ज्ञानेंद्रपति का परिचय हिंदी के विलक्षण कवि-व्यक्तित्व कहे जाते ज्ञानेंद्रपति का जन्म 1 जनवरी 1950 को पथरगामा, झारखंड में हुआ था।

कवि ने कहा किसकी रचना है?

कवि ने कहा / ज्ञानेन्द्रपति

आदमी को प्यास लगती है कविता के लेखक कौन है?

आदमी को प्यास लगती है / ज्ञानेन्द्रपति