क्या परशुराम ने अपनी माता का वध किया था? - kya parashuraam ne apanee maata ka vadh kiya tha?

आखिर क्यों अपनी ही माता का वध किया था परशुराम ने - परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि  था और माता का नाम रेणुका था। परशुराम जी क्व छार बड़े भाई थे ये सबसे छोटे थे परन्तु सबसे गुणी और बुद्धिमान थे। भगवान् परशुराम जी को विष्णु जी का आवेशावतार (आठवे अवतार) माना जाता है। 

क्या परशुराम ने अपनी माता का वध किया था? - kya parashuraam ne apanee maata ka vadh kiya tha?

एक दिन परशुराम जी की माता रेणुका हवन हेतु गंगा तट पर जल लेने गयी। वह पर उन्होंने गंधर्वराज चित्ररथ को अप्सराओ के साथ विहार करते हुए देखा और उन्हें देखकर मगन हो गयी और कुछ देर तक वही रुक गयी।  जब तक वह वापस पहुंची तब तक हवन काल व्यतीत हो चूका था। इस बात से मुनि जमदग्नि  बहुत क्रोधित हुए। उस क्रोध में उन्होंने अपनी पत्नी को दंड दे डाला। उन्होंने अपनी पत्नी के आर्य मर्यादा विरोधी आचरण एवं मानसिक व्यभिचार करने के दंडस्वरूप अपने पुत्रो को माता रेणुका का वध करने की आज्ञा दी।

क्या परशुराम ने अपनी माता का वध किया था? - kya parashuraam ne apanee maata ka vadh kiya tha?

परन्तु बड़े चारो पुत्र ही मोह वश अपनी माता का वध न कर सके। पिता की आज्ञा का पालन न कर पाने के कारण मुनि जमदग्नि ने उन्हें श्राप दिया की विचार शक्ति नष्ट हो जाए। अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए परशु राम जी ने अपनी ही माता का सर धड़ से अलग कर दिया। परशुराम द्वारा अपनी आज्ञा का पालन केरने पर मुनि जमदग्नि बहुत ही प्रसन्न हुए और परशुराम जी से वर मांगने को कहा।

परशुराम जी ने अपने पिता से तीन वरदान मांगे। पहले वरदान में परशुराम जी ने अपनी माता को पुनः जीवित करने को निवेदन किया और दूसरे वरदान में परशुराम जी ने कहा की माता को मरने की स्मृति न रहे। तीसरे वर में परशुराम जी ने अपने बड़े भाइयो को स्मृति चेतना वापस आ जाये।

मुनि जमदग्नि ने परशुराम जी को तीनो वर दिए। माता पुनः जीवित हो गयी पर परशुराम जी को मात्र हत्या का दोष लग गया।

क्या परशुराम ने अपनी माता का वध किया था? - kya parashuraam ne apanee maata ka vadh kiya tha?

मात्र हत्या के पाप से मुक्ति होने के लिए परशुराम जी ने राजस्थान के चित्तोड़ जिले में स्थित मातृकुण्डिया नामक स्थान पर भगवान् शिव की तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव जी ने परशुराम जी को मातृहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए मातृकुण्डिया के जल में स्नान करने के लिए कहा। ऐसा करने से परशुराम जी के पाप धूल गए। जहाँ पर परशुराम जी ने स्नान किया उस जगह को चितोड़ को हरिद्वार भी कहा जाता है। यह स्थान महर्षि जमदग्नि की तपोभूमि से लगभग 80 किलो मीटर दूर है ।

भगवान परशुराम स्वयं नारायण के छठे अवतार थे जिन्हें आवेशावतार भी कहा जाता है। इसी आवेश (क्रोधित) स्वभाव तथा पितृ भक्ति के कारण एक दिन उन्होंने अपनी ही माता का वध (Parshuram Ne Apni Maa Ka Sir Kyu Kata) कर दिया था। उनके पिता महान ऋषि जमदग्नि तथा माता रेणुका थी। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान (Why Parshuram Cut Off His Mother Head In Hindi) थे।

एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उनके पिता ने उन्हें उनकी ही माता का मस्तक काटने का आदेश (Parshuram Ne Apni Maa Ka Sir Kyon Kata) दिया जिसके बाद परशुराम ने अपनी ही माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया था। आज हम आपको उसी कथा के बारे में विस्तार से बताएँगे।

परशुराम ने अपनी माता का वध क्यों किया था (Bhagwan Parshuram Ne Apni Maa Ka Sir Kyu Kata)

माँ रेणुका का नदी में स्नान करने जाना

एक बार परशुराम की माँ रेणुका (Parshuram Ki Maa Ka Naam) आश्रम के पास नदी में स्नान करने गयी थी। वहां पर उन्होंने राजा चित्ररथ को अन्य अप्सराओं के साथ स्नान करते तथा क्रीड़ा करते हुए देखा। राजा चित्ररथ दिखने में बहुत आकर्षक तथा सुंदर शरीर वाले थे। अन्य अप्सराओं के साथ उनकी क्रीड़ा को देखकर रेणुका का मन भी प्रफुल्लित हो उठा तथा वह उसे देखती रही। इसी कारण उन्हें स्नान करके वापस आश्रम में आने में देरी हो गयी।

ऋषि जमदग्नि ने जाना रेणुका का मन (Jamadagni Renuka In Hindi)

जब रेणुका स्नान करके वापस आश्रम लौटी तो उसके हाव भाव बदले हुए थे तथा उसके मन में अभी भी वही दृश्य चल रहा था। चूँकि ऋषि जमदग्नि एक महान तपस्वी थे तो उन्होंने अपने तप के बल पर संपूर्ण बात का पता लगा लिया तथा रेणुका का मन (Renuka Yellamma Jamadagni Katha) भी पढ़ लिया। यह देखकर उन्हें इतना ज्यादा क्रोध आया कि उन्होंने अपने सबसे बड़े पुत्र को अपनी माँ का गला काट देने का आदेश दिया।

उनका सबसे बड़ा पुत्र अपनी माँ के प्रेम में ऐसा नही कर पाया। तब उन्होंने अपने दूसरे तथा तीसरे पुत्र को भी यही आदेश दिया लेकिन वे भी ऐसा कर पाने में असक्षम थे। एक ओर माँ की हत्या का पाप लगता तो दूसरी ओर पिता की आज्ञा की अवहेलना करने का पाप। यह एक धर्मसंकट था लेकिन उन्होंने मातृ हत्या करने से मना कर दिया।

अपने पुत्रों के द्वारा स्वयं की ऐसी अवहेलना किये जाने पर ऋषि जमदग्नि को अत्यधिक क्रोध आ गया और उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को श्राप दिया कि वे अपना विवेक, बुद्धि तथा सारा ज्ञान खो देंगे।

परशुराम ने मानी अपने पिता की आज्ञा और काट दिया अपनी माँ का मस्तक (Parshuram Killed His Mother Story In Hindi)

इसके पश्चात ऋषि जमदग्नि ने अपने सबसे छोटे पुत्र परशुराम को अपनी माँ रेणुका का मस्तक धड़ से करने का आदेश (Parshuram Ne Mata Ka Sar Kata) दिया। पिता का आदेश मिलते ही परशुराम ने बिना देर किये एक पल में अपनी माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया। देखते ही उनकी माँ निष्प्राण हो गयी तथा लहू की धारा फूट पड़ी।

यह देखकर परशुराम के पिता जमदग्नि अत्यधिक प्रसन्न हुए तथा परशुराम को स्नेहपूर्वक कोई वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने समझदारी से काम लेते हुए अपने पिता से तीन वर मांगे। पहले वर में उन्होंने अपनी माँ को पुनः जीवित करने को कहा, दूसरे वर में उन्होंने माँगा कि उनकी माँ को इस चीज़ की स्मृति न रहे तथा तीसरे वर में उन्होंने अपने तीनो भाइयों का विवेक व बुद्धि मांग ली।

ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र परशुराम की समझदारी से बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने उसे तीनों वर प्रदान कर दिए। इसके पश्चात सब कुछ फिर से सामान्य हो गया तथा परशुराम जी की माँ पुनः जीवित हो उठी।

मातृ हत्या के पाप से परशुराम का मुक्ति पाना

हालाँकि भगवान परशुराम ने अपनी माँ रेणुका को पुनः जीवित तो करवा लिया था लेकिन उनके ऊपर मातृ हत्या का पाप लग चुका था। इससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी तथा मातृ हत्या के पाप से मुक्ति पायी थी।

क्या परशुराम ने अपनी मां का वध किया था?

ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी थी कि वो अपनी मां का वध कर दें। भगवान परशुराम आज्ञाकारी पुत्र थे। इसलिए उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए तुरंत अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दिया था

परशुराम की माता का वध कैसे हुआ?

शस्त्र विद्या और शस्त्रों के ज्ञाता भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी कि वो अपनी मां का वध कर दे. भगवान परशुराम बेहद आज्ञाकारी पुत्र थे. उन्होंने अपने पिता का आदेश पाते ही तुरंत अपने परशु से अपनी मां का सिर उनके धड़ से अलग कर दिया.

परशुराम जी ने राजपूतों को क्यों मारा था?

कथा के अनुसार, कामधेनु के चमत्कार से प्रभावित होकर राजा सहस्त्रार्जुन को लालच आ गया और उसने भगवान परशुराम के पिता से उनकी गाय बलपूर्वक छीन ली। जब इस बात का पता भगवान परशुराम को पता चला तो उन्होंने राजा का वध कर दिया।

क्या परशुराम अभी भी जीवित है?

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं.