व्यक्तिगत अंतर क्या है उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए? - vyaktigat antar kya hai udaaharan sahit spasht keejie?

व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ और परिभाषा|Meaning and definition of individual difference in hindi: व्यक्तियों में एक दूसरे से जो भिन्नता पायी जाती है। उसे हम व्यक्तिगत विभिन्नता कहते है। आज hindivaani आपको व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ और परिभाषा , व्यक्तिगत विभिन्नता के प्रकार , व्यक्तिगत विभिन्नता के कारण आदि की जानकारी प्रदान करेगा।

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अनुक्रम

    • व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ और परिभाषा|Meaning and definition of individual difference in hindi
  • व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ (Meaning of individual difference)
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  • व्यक्तिगत विभिन्नता की परिभाषाएं (Definition of individual difference)
  • व्यक्तिगत विभिन्नताओं के प्रकार(Kinds of individual difference)
    • शारीरिक विभिन्नता –
    • मानसिक विभिन्नता –
    • संवेगात्मक विभिन्नता –
    • रुचियों में विभिन्नता –
    • विचारों में विभिन्नता –
    • सीखने में विभिन्नता –
    • गत्यात्मक योग्यताओं में विभिन्नता –
    • चरित्र में विभिन्नता –
    • विशिष्ट योग्यता में विभिन्नता –
    • व्यक्तित्व में विभिन्नता –
  • वैयक्तिक विभिन्नता की प्रकृति एवं विशेषताएं(Nature And characteristics of individual difference)
  • वैयक्तिक विभिन्नताओं के क्षेत्र (Areas of individual differences)
  • व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण (Causes of individual diffrences)
    • वंशानुक्रम (Heredity)
    • वातावरण (environment)
    • जाति ,प्रजाति व देश (Caste, race, and country)
    • आयु और बुद्धि(Age and itteligence)
  • व्यक्तिगत विभिन्नता जानने की विधियाँ –
  • शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नता –
  • निवेदन
  • Final word ::

व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ और परिभाषा|Meaning and definition of individual difference in hindi

व्यक्तिगत अंतर क्या है उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए? - vyaktigat antar kya hai udaaharan sahit spasht keejie?

व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ (Meaning of individual difference)

व्यक्तिगत विभिन्नता से अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति में जैविक, मानसिक ,सांस्कृतिक एवं संवेगात्मक अंतर पाया जाना। इसी अंतर के कारण व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है।मनोविज्ञान के क्षेत्र में 19वीं शताब्दी में फ्रांसिस गॉल्टन, पीयर्सन,टर्मन आदि ने व्यक्तिगत विभिन्नता का पता लगाया।

तथा इनके कारण को जानने की कोशिश की इन मनो वैज्ञानिकों ने यह बताया कि कोई भी व्यक्ति एक दूसरे से सामान नहीं होता है। यहां तक कि जुड़वा बच्चों ने दिया समानता पाई जाती है।इस दृष्टि से व्यक्तिगत विभिन्नता प्रकृति द्वारा प्रदत्त स्वाभाविक गुण है।

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व्यक्तिगत विभिन्नता की परिभाषाएं (Definition of individual difference)

व्यक्तिगत विभिन्नता की विभिन्न शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार परिभाषाएं निम्नलिखित है।

स्किनर के अनुसार व्यक्तिगत विभिन्नता की परिभाषा

” व्यक्तिगत विभिन्नता में संपूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है। जिसका माप किया जा सकता है।”

टायलर के अनुसार व्यक्तिगत विभिन्नता की परिभाषा

“शरीर के आकार और स्वरूप,शारीरिक कार्यो, गति संबंधी क्षमताओं,बुद्धि उपलब्धि,ज्ञान रुचियां ,अभिवृत्तियों और व्यक्तित्व के लक्षणों में माप की जा सकने वाली विभिन्नताओ की उपस्थिति की जा चुकी है।”

टायलर के अनुसार

“एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से अंतर एक सार्वभौमिक घटना जान पड़ती है।”

जेम्स ड्रेवर के अनुसार वैयक्तिक विभिन्नता की परिभाषा

” औसत समूह से मानसिक , शारीरिक विशेषताओं के संदर्भ में समूह के सदस्य के रूप भिन्नता या अंतर को वैयक्तिक भेद या व्यक्तिगत विभिन्नता कहते है।”

व्यक्तिगत विभिन्नताओं के प्रकार(Kinds of individual difference)

व्यक्तिगत विभिन्नताओं के प्रकार निम्नलिखित हैं।

शारीरिक विभिन्नता –

शारीरिक दृष्टि से व्यक्तियों में अनेक प्रकार की विभिन्नताए पाई जाती है।जैसे – रंग ,रूप ,भार, बनावट,कद, यौन भेद शारीरिक परिपक्वता आदि।

मानसिक विभिन्नता –

मानसिक दृष्टि से भी व्यक्तियों में विशेष प्रकार की विभिन्नता में पाई जाती हैं। कोई व्यक्ति प्रतिभाशाली होता है ।तो कोई अत्यधिक बुद्धिमान, कोई कम बुद्धि वाला बालक होता है। तो कोई मूर्ख बालक भी होता है इतना ही नहीं एक ही व्यक्ति में शैशवावस्था ,किशोरावस्था और आने वाले समय में विभिन्न मानसिक योग्यता पाई जाती है।इन योग्यताओं की जांच के लिए विभिन्न प्रकार के बुद्धि परीक्षणों का सहारा लिया जाता है।

संवेगात्मक विभिन्नता –

संवेगात्मक दृष्टि से भी बालकों में विशेष प्रकार की विभिन्नता में पाई जाती हैं। इन विभिन्नताओ के कारण ही व्यक्ति उदार हृदय वाला या कठोर ह्रदय वाला , कुछ क्रोधी व्यक्ति या मूर्ख व्यक्ति पाए जाते हैं। उनकी संवेगात्मक विभिन्नताओं का मापन करने के लिए संवेगात्मक परीक्षणों का निर्माण किया गया।

रुचियों में विभिन्नता –

रुचियो की दृष्टि से भी व्यक्तियों में विशेष प्रकार की विभिन्नता पाई जाती है।जैसे किसी को संगीत पसंद होता है। तो किसी को चित्रकला में अधिक रूचि होती है।किन्ही व्यक्तियों को खेल में, किन्ही व्यक्तियों को वार्तालाप में रुचि होती है।

प्रत्येक व्यक्ति के रूप में उसकी आयु की वृद्धि के साथ-साथ परिवर्तन भी होता रहता है।यह यही कारण है कि बालकों और वयस्कों की रुचियो में विभिन्नता पाई जाती है।

विचारों में विभिन्नता –

विचारों के प्रति भी व्यक्तियों में विशेष प्रकार की विभिन्नता पाई जाती हैं।जैसे विचारों को माध्यम से ही व्यक्ति उदार, धार्मिक , नैतिक और अनैतिक होते हैं।समान विचार या विचारों के व्यक्ति बड़ी कठिनाई से मिलते हैं।

सीखने में विभिन्नता –

सीखने की दृष्टि से व्यक्तियों और बालकों में अनेक विभिन्नता में पाई जाती हैं। कुछ बालक किसी कार्य को जल्दी तो कुछ बालक किसी कार्य को देर से करते हैं।

गत्यात्मक योग्यताओं में विभिन्नता –

गत्यात्मक योग्यताओं की दृष्टि से व्यक्तियों में अत्यधिक विभिन्नताये का होना पाया जाता है। इन विभिन्नताओं के कारण ही कुछ व्यक्ति एक कार्य को अधिक कुशलता से और कुछ कम कुशलता से करते हैं। इस कुशलता या योग्यता में आयु के साथ वृद्धि होती रहती है।

चरित्र में विभिन्नता –

चरित्र की दृष्टि से सभी व्यक्तियों में कुछ ना कुछ विभिन्नता का होना अनिवार्य पाया जाता है।व्यक्ति अनेक बातों से प्रभावित होकर एक विशेष प्रकार के चरित्र का निर्माण करते हैं।शिक्षा ,संगति ,परिवार, पड़ोस आदि सभी का चरित्र पर प्रभाव पड़ता है। और सभी चरित्र के विभिन्न स्वरूपों निश्चित करते हैं।

विशिष्ट योग्यता में विभिन्नता –

विशिष्ट योग्यता के आधार पर भी लोगों में विशेष प्रकार की विभिन्नता आएं पाई जाती हैं। इस संदर्भ में यह बात कही गई थी सब व्यक्तियों में विशिष्ट योग्यता नहीं होती हैं। और जिनमें होती भी हैं उनमें इनकी मात्रा में अंतर अवश्य मिलता है। ना तो सब खिलाड़ी एक स्तर के होते और ना सब कलाकार।

व्यक्तित्व में विभिन्नता –

व्यक्तित्व की दृष्टि से भी व्यक्तियों में विशेष प्रकार की विभिन्नता पाई जाती हैं। जिससे लोग अपने व्यक्तित्व के माध्यम से लोगों को आकर्षित करते हैं।हमें जीवन में अंतर्मुखी, बहिर्मुखी, सामान्य और असाधारण व्यक्तित्व के लोगों से कभी कभी भेंट अवश्य होती है।

वैयक्तिक विभिन्नता की प्रकृति एवं विशेषताएं(Nature And characteristics of individual difference)

वैयक्तिक विभिन्नता की प्रकृति एवं विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

(1)वैयक्तिक विभिन्नता में व्यक्तित्व के केवल मापीय लक्षणों को ही समाहित किया जा सकता है। जैसे भार, लंबाई बुद्धि क्रोध आदि।

(2)व्यक्ति व्यक्ति में किसी गुण में विभिन्नता उसके प्राप्तांको के गुण विशेष के मध्यमान से विचलन के अंतर द्वारा प्राप्त होती है।

(3)कोई व्यक्ति किसी गम विशेष की दृष्टि से औसत प्राप्तांक के निकट हो सकता है।दूसरे गुण में औसत प्राप्तांक से कम हो सकता है।

(4)व्यक्तिगत विभिन्नता मानव के विविध प्रकार के विकास का आधार होती है।

वैयक्तिक विभिन्नताओं के क्षेत्र (Areas of individual differences)

वैयक्तिक विभिन्नताओं के क्षेत्र निम्नलिखित हैं।

शारीरिक क्षेत्र

इसमें निम्न दो क्षेत्र आते हैं।

  • शारीरिक भिन्नता
  • गत्यात्मक योग्यता भिन्नता

मानसिक क्षेत्र

इसके अंतर्गत 4 क्षेत्र आते हैं।जो निम्नलिखित हैं।

  • बुद्धि विभिन्नता
  • उपलब्ध भिन्नता
  • अभिक्षमता भिन्नता
  • विशिष्ट योग्यता भिन्नता

संवेगात्मक क्षेत्र

  • संवेगात्मक भिन्नता
  • रुचियों में भिन्नता
  • अभिवृत्तियों में भिन्नता

सामाजिक क्षेत्र

सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्र आते हैं।

  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक भिन्नता
  • आदर्शों, मूल्य एवं नैतिकता में भिन्नता
  • जातीय तथा राष्ट्रीय भिन्नता
  • आत्मधारणाओ में भिन्नता

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विस्मृति का अर्थ और परिभाषा

व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारण (Causes of individual diffrences)

व्यक्तिगत विभिन्नता ओं के अनेक कारण हैं।जिनमें से अधिक महत्वपूर्ण निम्नलिखित हैं।

वंशानुक्रम (Heredity)

व्यक्तिगत विभिन्नता ओं का पहला कारण वंशानुक्रम है।रूसो पियरसन ने इसका प्रबल समर्थन किया है।उन्होंने कहा है कि व्यक्तियों की शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक विभिन्नताओं का प्रमुख कारण वंशानुक्रम है।

वातावरण (environment)

व्यक्तिगत विभिन्नताओं का दूसरा कारण वातावरण है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि व्यक्ति जिस पर सामाजिक वातावरण में निवास करता है।उसी के अनुरूप उसका व्यवहार, रहन सहन ,आचार विचार आदि होते हैं।

जाति ,प्रजाति व देश (Caste, race, and country)

व्यक्तिगय विभिन्नताओ का तीसरा कारण जाति ,प्रजाति और देश है।ब्राह्मण जाति के मनुष्य में अध्ययनशीलता , क्षत्रिय जाति के मनुष्य में युद्धप्रियता का गुण मिलता है।

आयु और बुद्धि(Age and itteligence)

व्यक्तिगत विभिन्नताओं का चौथा कारण आयु और बुद्धि है। आयु के साथ-साथ बालक का शारीरिक ,मानसिक और संवेगात्मक विकास होता है।इसीलिए विभिन्न आयु के बालकों में अंतर मिलता है।

व्यक्तिगत विभिन्नता जानने की विधियाँ –

व्यक्तिगत विभिन्नता के जानने की विधियां निम्नलिखित हैं।

परीक्षण विधि – इसके अंतर्गत बुद्धि परीक्षण उपलब्धि परीक्षण ,व्यक्तित्व परीक्षण, निदानात्मक परीक्षण, संवेग संबंधी परीक्षण ,अभिरुचि परीक्षण तथा अभिवृत्ति परीक्षण आदि आता है।

व्यक्तित्व परीक्षण – इसके अंतर्गत बालकों के गुणों का परीक्षण किया जाता है।जैसे – व्यक्तित्व का विकास, सृजनशीलता ,प्रेक्षण विधियां।

उपलब्धि परीक्षण – शैक्षणिक ज्ञान के आधार पर यह परीक्षण होता है।

बुद्धि परीक्षण – मनोवैज्ञानिकों ने अनेक प्रकार के बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया है जिसके प्राप्तांक के आधार पर बुद्धि परीक्षण को जाना जा सकता है।

सामूहिक अभिलेख विधि – इनमें छात्रों में संबंधित क्रमबद्ध रूप से सूचना अंकित की जाती है जैसे उपस्थिति, रुचि, स्वास्थ्य सामान्य योग्यताएं, विशिष्ट कौशल व्यक्तिगत गुण विद्यालय का कार्य तथा प्रधानाचार्य का दृष्टिकोण आदि।

व्यक्तिगत इतिहास विधि – इस व्यक्ति के परिवार शिक्षक पड़ोसी मित्र तथा संबंधी से जानकारी लेकर व्यक्तिगत विभिन्नता का पता लगाया जाता है।

शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नता –

शिक्षा के क्षेत्र में वैयक्तिक विभिन्नता निम्नलिखित हैं।

शिक्षा का स्वरूप –

● मनोविज्ञान इस बात पर जोड़ देता है कि बालकों की रुचियां क्षमताएं योग्यताएं आदि अंतर होता है। अतः सभी बालकों के लिए समान शिक्षा का आयोजन सर्वथा अनुचित माना जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मंदबुद्धि पिछड़े हुए बालक तथा शारीरिक दोष वाले बालकों के लिए अलग-अलग विद्यालयों में अलग-अलग प्रकार की शिक्षण एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए ।

● व्यक्तिगत विभिन्नता का ज्ञान शिक्षक एवं विद्यालय प्रबंधकों को शिक्षा के वर्गीकरण में सहायता प्रदान करता है।

● शिक्षार्थी व्यक्तिगत विभिन्नता प्रदर्शित करते हैं।अतः एक शिक्षक को सीखने की विविध अनुभव को उपलब्ध कराना चाहिए।

पाठ्यक्रम का निर्धारण –

●पाठ्यक्रम के निर्धारण एवं विकास में भी वैयक्तिक विभिन्नता की प्रमुख भूमिका होती है।बालकों की आयु, कक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक कक्षा के लिए अलग प्रकार की पाठ्यचर्या का निर्माण किया जाता है।एवं उन्हें अलग प्रकार से लागू भी किया जाता है।उदाहरण स्वरूप बच्चों के पुस्तक के अधिक चित्र में उम्र रंगीन होती हैं। जबकि जैसे-जैसे कक्षा एवं आय में वृद्धि होती है। उनकी पुस्तकों के स्वरूप में भी अंतर दिखाई पड़ता है ।इसी प्रकार प्राथमिक कक्षा के बालकों को खेलकूद के द्वारा शिक्षा देने पर जोर दिया गया है।

●बालकों के निर्देशन में भी वैयक्तिक विभिन्नता की विशेष भूमिका होती है।वैयक्तिक विभिन्नता को समझ कर शिक्षक यह समझ पाते हैं। कि किस प्रकार के बच्चों के लिए शिक्षण की कौन-कौन सी बीच अपनाई जाती है।

निवेदन

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व्यक्तिगत अंतर क्या है समझाइए?

स्किनर के अनुसार- व्यक्तिगत विभिन्नताओं में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पक्ष सम्मिलित हो सकता है, जिसे मापन किए जा सके। परिणामतः औसत समूह से मानसिक, शारीरिक विशेषताओं के संदर्भ में समूह के सदस्य के रूप में भिन्नता या अंतर को 'व्यक्तिगत भेद' कहा जाता है।

व्यक्तिगत अंतर कितने प्रकार के होते हैं?

व्यक्तिगत भिन्नता के प्रकार.
वैयक्तिक विभिका ... .
टॉयलर के अनुसार,'शरीर के रूप-रंग, आकार, कार्य, गति, बुद्धि, ज्ञान, उपलब्धि, रुचि, अभिरुचि आदि लक्षणों में पाई जाने वाली भिन्नता को वैयक्तिक भिन्नताकहते हैं।” ... .
भाषा के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नताएँ ... .
लिंग के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता ... .
बुद्धि के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता.

व्यक्तिगत अंतर से आप क्या समझते हैं इसे प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक का वर्णन करें?

वैयक्तिक भिन्नता का एक कारण आयु और बुद्धि भी है। आयु के साथ-साथ बालक का शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास होता है। इसीलिए विभिन्न आयु के बालकों में अन्तर मिलता है। बुद्धि जन्मजात गुण होने के कारण किसी को प्रतिभाशाली और किसी को मूढ़ बनाकर अन्तर की स्पष्ट रेखा खींच देती है।

मनोविज्ञान में व्यक्तिगत अंतर क्या है?

मनोविज्ञान में, व्यक्तिगत अंतर कुछ महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक पहलुओं जैसे कि बुद्धि, व्यक्तित्व, रुचि और योग्यता पर लोगों के बीच भिन्नता या समानता की सीमा और प्रकार को संदर्भित करता है। व्यक्तियों के बीच इस तरह की समानता या अंतर व्यक्तिगत मतभेदों को प्रकट करता है।