Show कौन हैं आपके इष्टदेव, कुंडली के जरिए ऐसे कर सकते हैं पताव्यक्ति की जन्म कुंडली में पांचवा स्थान शिक्षा संतान और अपने इष्ट देवता का होता है। जन्म कुंडली में सबसे ऊपर पहले खाने में जहां लग्न लिखा हुआ होता है उससे बाईं और पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है। व्यक्ति की जन्म कुंडली में पांचवा स्थान शिक्षा, संतान और अपने इष्ट देवता का होता है। जन्म कुंडली में सबसे ऊपर पहले खाने में जहां लग्न लिखा हुआ होता है, उससे बाईं और पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है। इस पंचम भाव में जो भी अंक लिखा होता है उसी के अनुसार हमारे इष्ट देव का पता चलता है। ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास बता रहे हैं कि कैसे जानें कौन हैं आपके इष्ट देव। पांचवे स्थान में मेष राशि होने पर व्यक्ति के इष्ट देव हनुमान जी होते हैं। हनुमान जी की पूजा करने पर उन्हें शीघ्र फल मिलते हैं। विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि पांचवे स्थान में मिथुन राशि होने पर आपके इष्ट देव दुर्गा मां हैं। दुर्गा मां की पूजा करने से आपके कष्ट दूर होंगे। पंचम भाव में तुला राशि होने पर आपके इष्ट देव लक्ष्मी माता होती हैं जिनकी कृपा से आप धनधान्य से पूर्ण सकते हैं। पंचम भाव में कर्क राशि होने से आपके इष्ट देव भगवान शंकर अथवा गणेश जी होंगे। पांचवे भाव में कन्या राशि होने से आपके इष्ट देव मां दुर्गा, सरस्वती होती हैं। पांचवें भाव में वृषभ राशि होने पर आपके इष्ट देव महालक्ष्मी होती हैं। महालक्ष्मी के विशेष रूप से पूजा करने से सारे कब कार्य सफल होते हैं। पंचम भाव में वृश्चिक राशि होने पर आपके इष्ट देवता हनुमान हैं। पंचम भाव में सिंह राशि होने पर आपके इष्ट देव सूर्य,भगवान विष्णु या नृसिंह देव होते हैं। इनकी विशेष पूजा करने से कार्य से ग्रह फलीभूत होते हैं। पंचम भाव में धनु या मीन राशि होने पर आपके इष्टदेव भगवान विष्णु, श्री राम, श्रीकृष्ण होंगे। इनकी पूजा आपके लिए लाभदायक रहेगी। पंचम भाव में मकर और कुंभ राशि होने से आपके इष्ट देव काली माता, भैरव या शनिदेव होंगे क्योंकि यह तीनों देव तामसिक पूजा के अंतर्गत आते हैं तो इनके स्थान पर आप मां दुर्गा की पूजा भी कर सकते हैं। डिसक्लेमर 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' Edited By: Shilpa Srivastava पंडित सुनील शर्मा के अनुसार आपका इष्ट ही जहां एक ओर आपके जीवन में मजबूती देते है, वहीं आपके भाग्य के मामले में भी इनकी अत्यधिक भूमिका होती है। इसी कारण माना जाता है कि जो लोग अपने इष्टदेव की पूजा-अर्चना कर उन्हें प्रसन्न रखते हैं उनका भाग्य बलवान होने के साथ ही कभी उनसे नहीं रूठता। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती है मान्यता के अनुसार तो इष्ट ही आपकी तरक्की का रास्ता साफ करने के साथ ही उसे आसान भी बनते हैं। ऐसे में यदि आप भी अपने भाग्य को लेकर परेशान हैं और अपने इष्ट देवता को प्रसन्न करना चाहते हैं। तो जानकारों के अनुसार आपको भी अपनी राशि के अनुसार इनकी पूजा करनी चाहिए इससे स्वास्थ और समृद्धि में वृद्धि के योग प्रबल हो सकते हैं। ऐसे जाने अपने इष्टदेव... 2.
वृषभ 3. मिथुन 4. कर्क 5. सिंह 6.
कन्या 7. तुला 8. वृश्चिक 9. धनु 10. मकर 11. कुंभ 12.
मीन वृषभ राशि के देवता कौन है?वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्रदेव हैं। शुक्रदेव को धन-धान्य, सुख-समृद्धि, प्यार और ऐश्वर्य आदि का कारक माना गया है। ओपल वृषभ राशि वालों के लिए अति शुभ माना गया है।
वृषभ राशि को कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?वृष राशि वालों को देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। शुक्र की इस राशि वालों को देवी लक्ष्मी के साथ नारायण की नियमित पूजा से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
वृषभ राशि का जीवनसाथी कौन सी राशि है?वृषभ के लिए बेस्ट लाइफ पार्टनर
व्यवहार के मामले में कर्क राशि के साथ इनकी पर्याप्त समानताएं होती हैं. धन और प्रेम के मामले में दोनों राशि के लोग व्यावहारिक होते हैं. समान स्वभाव की वजह से इनके संबंध ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाते हैं. वृषभ राशि के जातकों के लिए वृश्चिक राशि के लोग सबसे अच्छे जीवनसाथी साबित होते हैं.
वृषभ राशि का मित्र कौन सा है?वृषभ राशि के जातकों के इष्ट मित्र : वृषभ राशि का वृष, मिथुन, कन्या और मकर राशि के लोगों से काफी प्यार भरा संबंध होता है। इसके अलावा मेष और वृष राशि के बीच कई मुद्दों पर मत-विभिन्नता होने के बावजूद भी दोनों की अच्छी मित्रता रहती है।
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