वैश्वीकरण क्या है इसके नकारात्मक प्रभाव का उल्लेख कीजिए? - vaishveekaran kya hai isake nakaaraatmak prabhaav ka ullekh keejie?

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Table of Contents

  • वैश्वीकरण क्या है
    • वैश्वीकरण का अर्थ
    • वैश्वीकरण के कारण
    • वैश्वीकरण के उद्देश्य
      • 1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग
      • 2. आर्थिक समानता
      • 3. विश्व-बंधुत्व की भावना का विकास
      • 4. विकास हेतु नवीन साझेदारी
    • वैश्वीकरण के सिद्धांत
    • वैश्वीकरण के प्रभाव
      • वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव
      • वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव
      • वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव
      • वैश्वीकरण का श्रमिकों पर प्रभाव
    • वैश्वीकरण की विशेषताएं
    • वैश्वीकरण के दुष्परिणाम
      • बेरोजगारी में वृद्धि
      • घातक अंतर्राष्ट्रीय कानून
      • अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में दबाव
      • आर्थिक असंतुलन
      • देसी उद्योगों का पतन

वैश्वीकरण क्या है

विश्व के सभी बाजारों के एकजुट होकर कार्य करने की प्रक्रिया को वैश्वीकरण (globalisation or globalization) कहते हैं। वैश्वीकरण के माध्यम से पूरे विश्व के लोग एकजुट होकर कार्य करते हैं। इसके अंतर्गत सभी व्यापारियों की क्रियाओं का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो जाता है। वैश्वीकरण के माध्यम से संपूर्ण विश्व में बाजार शक्तियां स्वतंत्र रूप से कार्यरत हो जाती हैं। एक या कई देश आपस में व्यापार करते हैं और तकनीकी को साझा करते हैं।

वैश्वीकरण का अर्थ

वैश्वीकरण, दुनिया भर में लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच परस्पर क्रिया और एकीकरण की प्रक्रिया है। विश्व स्तर पर क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के रूपांतरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण के नाम से जाना जाता है। वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं तकनीकी ताकतों का संयोजन होता है। वैश्वीकरण शब्द का उपयोग अधिकतर व्यापार, पूँजी प्रवाह, प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक वैश्वीकरण के संदर्भ में किया जाता है।

वैश्वीकरण के कारण

उन्नत प्रौद्योगिकी को वैश्वीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कारण माना जाता है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से विश्व भर में पारस्परिक जुड़ाव की भावना को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा दूरसंचार, टेलीग्राफ, माइक्रोचिप एवं इंटरनेट जैसे आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न देशों के बीच संचार की प्रणाली को बढ़ावा देने का कार्य किया है। वैश्वीकरण के अंतर्गत विश्व भर में विचारों, वस्तुओं, पूँजी एवं व्यक्तियों का प्रवाह, प्रौद्योगिकी के कारण बढ़ा है।

वैश्वीकरण के उद्देश्य

वैश्वीकरण के चार प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं :-

  1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग
  2. आर्थिक समानता
  3. विश्व-बंधुत्व की भावना का विकास
  4. विकास हेतु नवीन साझेदारी

1. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक संबंध बनाए रखने हेतु विश्व के सदस्य देशों का आपसी सहयोग बेहद आवश्यक होता है। इसके अंतर्गत एक देश दूसरे देश को सहयोग देकर सीमा के अंदर व्यापार से संबंधित कार्य करने की अनुमति प्रदान करता है।

2. आर्थिक समानता

वैश्वीकरण का प्रमुख उद्देश्य देश में फैली आर्थिक असमानताओं को दूर करना होता है। आर्थिक असमानताओं को दूर करने से विकासशील देशों एवं अल्प विकसित देशों को विकसित देशों की श्रेणी में लाने में आसानी होती है।

3. विश्व-बंधुत्व की भावना का विकास

वैश्वीकरण के कारण विश्व भर में विश्वबंधुत्व की भावना विकसित होती है। यदि किसी देश में प्राकृतिक या अप्राकृतिक विपत्ति आ जाए तो उस देश को विश्व के विकसित देशों द्वारा यथासंभव भरपूर आर्थिक एवं मानवीय सहयोग प्राप्त होता है। वैश्वीकरण को स्वीकार करने का यह भी एक मुख्य कारण माना जाता है।

4. विकास हेतु नवीन साझेदारी

वैश्वीकरण के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई संधियों एवं नए संगठनों के साथ मिलकर देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने का कार्य किया जाता है, जिसके फलस्वरूप अल्प-विकसित देशों में विकास की गति को बढ़ावा मिलता है।

वैश्वीकरण के सिद्धांत

विश्व के सदस्य देशों को एकीकृत करने एवं अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के संदर्भ में वैश्वीकरण का निर्माण किया गया है। वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत समस्त देशों की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि शक्तियों को संयोजित किया गया है। वैश्वीकरण का मूल सिद्धांत विश्व में सभी देशों के बीच व्यापार एवं आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।

वैश्वीकरण के प्रभाव

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव

वैश्वीकरण का विश्व की आर्थिक स्थिति पर बेहद सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। वैश्वीकरण के अस्तित्व में आने के बाद वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास में तेजी से वृद्धि हुई एवं विश्व भर के कई देशों की स्थिति में सुधार आया। वैश्वीकरण को आर्थिक विकास की दृष्टि से देखा जाता है। दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एवं विश्व व्यापार संगठन (WTO) वैश्वीकरण की आर्थिक नीतियों को निर्धारित करते हैं। वैश्वीकरण के प्रभाव से कई विकसित देशों में उपभोक्ता मूल्यों में कमी होती है जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार शक्ति का संतुलन बना रहता है।

वैश्वीकरण का विभिन्न देशों पर अलग-अलग प्रभाव देखा गया है। वैश्वीकरण के कारण एक ओर कई देशों की अर्थव्यवस्था अन्य देशों के मुकाबले पिछड़ रही है तो दूसरी ओर कई देशों की अर्थव्यवस्था तेज गति से प्रगति कर रही है।

वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव

  • वैश्वीकरण का सबसे अधिक प्रभाव राष्ट्रीय राज्यों में देखा जाता है। इससे तकनीकी क्षेत्र में अव्वल राज्यों के नागरिकों के जीवन प्रणाली का स्तर मूल रूप से बढ़ा है। इसके अलावा विश्व में सूचनाओं के आदान-प्रदान के तीव्र होने से जीवन सहज होता देखा गया है।
  • वैश्वीकरण के कारण कई राज्य अपने मुख्य कार्यों को करने तक ही सीमित रह गए हैं। जैसे कानून व्यवस्था को बनाये रखने एवं प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा करना।
  • वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप कुछ राज्यों की शक्तियों में वृद्धि भी हुई है। जैसे की राज्यों के अधिकारों के अंतर्गत अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपने नागरिकों की सूचनाएं जुटाने में सक्षम हैं। इस सूचना के आधार पर राज्य कारगर ढंग से कार्य करने में सक्षम हैं।

वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव

वैश्वीकरण के कारण लोगों के सांस्कृतिक जीवन पर भी बहुत प्रभाव पड़ा है। सांस्कृतिक वैश्वीकरण दुनिया भर में विचारों एवं मूल्यों को प्रसारित करता है, जिससे सामाजिक संबंधों का विस्तार हो सके।

वैश्वीकरण का श्रमिकों पर प्रभाव

वैश्वीकरण के कारण कई विकसित देशों की व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा में कमी आयी है जिसके कारण उत्पादों की मात्रा में गिरावट आयी है। इसके परिणामस्वरूप मौजूदा उद्योगों में रोजगार में कमी हुई है। सामाजिक दृष्टि से वैश्वीकरण से कई देश के नागरिकों की जीवन प्रणाली प्रभावित हुई है, जिससे न केवल देश की सामाजिक व्यवस्था पर असर पड़ा है बल्कि अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है।

वैश्वीकरण की विशेषताएं

  • वैश्वीकरण स्थापित होने के बाद आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थिति बेहतर हुई है। वैश्वीकरण के कारण श्रम बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए कई व्यवस्थित माध्यम तैयार किए गए हैं। इसके अलावा श्रम बाजार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाया गया जिससे करोड़ों व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से नई संस्कृति को समस्त विश्व में उभरने का मौका मिला जिससे विश्व भर के युवा प्रभावित हुए।
  • वैश्वीकरण से यातायात एवं संचार के साधनों में विकास हुआ है इसके कारण लोगों के बीच भौगोलिक दूरियों में कमी आयी है।
  • वैश्वीकरण के माध्यम से शिक्षा प्रणाली एवं शिक्षा संस्थानों का पाठ्यक्रम विश्वस्तरीय हुआ है, जिससे शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को विश्व भर में शिक्षा एवं रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ है।

वैश्वीकरण के दुष्परिणाम

वैश्वीकरण के कई लाभ के साथ-साथ कुछ दुष्परिणाम भी हो रहे हैं जो भविष्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभर सकते हैं –

  • बेरोजगारी में वृद्धि

वैश्वीकरण के कारण विश्व भर में स्थानीय उद्योग बंद हो रहे हैं जिसके कारण बेरोजगारी की समस्या में लगातार वृद्धि हो रही है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों से कई वस्तुएं काफी कम दाम में उत्पादित की जा रही हैं जिसकी वजह से लोकल के व्यापार प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही अत्याधुनिक तकनीक के कारण कई व्यक्तियों द्वारा किया जाने वाला काम केवल एक मशीन द्वारा हो रहा है, जिस कारण बेरोजगारी में वृद्धि हुई है।

  • घातक अंतर्राष्ट्रीय कानून

वैश्वीकरण के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। पेटेंट की आड़ में नामी कंपनियां मनमाने ढंग से शोषण कर रही हैं, जिसके फलस्वरूप उत्पादन की दरों में वृद्धि हुई है। वैश्वीकरण के बनाए गए कानून जैसे वित्तीय कानून, मानव संपदा अधिकार एवं अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट कानून का समय-समय पर दुरुपयोग किया जाता रहा है।

  • अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में दबाव

वैश्वीकरण के कारण देश की सरकारें अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के दबाव में कार्य कर रही हैं। भारत समेत कई अन्य देशों को अपने आर्थिक, वाणिज्यिक एवं वित्तीय नीतियां इन संस्थाओं के निर्देशानुसार बनानी पड़ रही हैं।

  • आर्थिक असंतुलन

वैश्वीकरण से समस्त विश्व में आर्थिक असंतुलन पैदा हो रहा है जिसके कारण गरीब राष्ट्र में गरीबी का स्तर एवं अमीर राष्ट्र में अमीरी का स्तर बढ़ता जा रहा है। इस संदर्भ में अमीर एवं गरीब व्यक्तियों के बीच विषमता में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।

  • देसी उद्योगों का पतन

वैश्वीकरण के कारण कई देशों में स्थानीय उद्योग धीरे-धीरे बंद होने की कगार पर हैं। दरअसल विदेशी उत्पादों के मुकाबले देसी उत्पादों की बिक्री कम होती जा रही है, जिससे कई स्थानीय उद्योग धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं क्योंकि विदेशों में मशीनों द्वारा बने कई उत्पाद भारत में हाथ से बनाये गए उत्पादों के मुकाबले कई गुना सस्ते हैं जिसके फल स्वरूप ऐसा हो रहा है।

वैश्वीकरण क्या है इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव?

वैश्वीकरण का समाज पर सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों परिणाम देखे जाते हैं। वैश्वीकरण का प्रभाव अत्यधिक व्यापक है। वैश्वीकरण का प्रभाव युवाओं में तीव्र परिवर्तन एवं अनिश्चितता लाने हेतु उत्तरदायी है। इस प्रकार वैश्वीकरण न केवल युवाओं के बीच आर्थिक अवसर प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक परिवर्तनों हेतु भी उत्तरदायी है।

वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव क्या है?

नकारात्मक प्रभाव वैश्वीकरण से सामाजिक बंधन, संबंध कमज़ोर होते हैं और छद्म संबंध बनते हैं जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी आत्महत्या और अवसाद की प्रवृत्ति देखी जाती है। पाश्चात्य मूल्यों और विचारों के अनुकूलन से स्थानीय ज्ञान और प्रथाओं में विश्वास का ह्रास होता है, उनके बारे में हीन तथा पक्षपाती विचार प्रबल होता है।

वैश्वीकरण की परिभाषा क्या है?

वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं।

वैश्वीकरण के क्या क्या प्रभाव है?

वैश्वीकरण के प्रभाव वैश्वीकरण का विश्व की आर्थिक स्थिति पर बेहद सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। वैश्वीकरण के अस्तित्व में आने के बाद वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास में तेजी से वृद्धि हुई एवं विश्व भर के कई देशों की स्थिति में सुधार आया। वैश्वीकरण को आर्थिक विकास की दृष्टि से देखा जाता है।