आज हम आपके लिए इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 A की जानकारी लेकर आये है | यहाँ हम आपको बताएँगे कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 304 A किस प्रकार से परिभाषित की गई है और इसका क्या अर्थ है ? भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC) की धारा 304 A क्या है, इसके बारे में आप यहाँ जानेंगे | Show
गैर इरादतन हत्या क्या है | 304a IPC | उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करनाइस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 304a क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं | आईपीसी धारा 302 क्या है IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा) की धारा 304 A के अनुसार :-
आईपीसी धारा 304 क्या है लागू अपराध गैरइरादतनहत्या | उपेक्षाद्वारामृत्युकारितकरना सजा – 2 वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के न्यायधीश विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है। आईपीसी धारा 307 क्या है आईपीसी की धारा 304 A में सजा (Punishment) क्या होगीयहाँ भारतीय दंड संहिता में धारा 304A में किये गए अपराध के लिए सजा को निर्धारित किया गया हैं | जो इस प्रकार है – गैर इरादतन हत्या | उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना, उसको 2 वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों दण्ड से दण्डित किया जा सकता है | आईपीसी धारा 308 क्या है भारतीय दंड संहिता की धारा 304 A के आवश्यक तत्वजब भी कोई, लापरवाही से, असावधानी से या उतावलेपन से ऐसा कोई भी कार्य करता है जिससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, लेकिन जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 299 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार “आपराधिक मानव वध” के अंतर्गत नहीं आता है। तब यहाँ इस दशा में उस व्यक्ति पर जिसके द्वारा मृत्यु कारित हुई है, भारतीय दंड संहिता की धारा 304A के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया जा सकता है। संज्ञेय अपराध होने के कारण इस धारा के अंतर्गत पुलिस को शिकायत मिलने पर तुरंत संज्ञान ले कर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर सकती है, और इस धारा के जमानती होने के कारण इस मामले में आरोपी जमानत के लिए न्यायालय में आवेदन भी कर सकता है। आईपीसी धारा 324 क्या है आईपीसी (IPC) की धारा 304 A में जमानत (BAIL) का प्रावधानभारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 A में जिस अपराध की सजा के बारे में बताया गया है उस अपराध को एक जमानती अपराध बताया गया है | यहाँ आपको मालूम होना चाहिए कि जमानतीय अपराधहोने पर इसमें जमानत मिल जाती है क्योंकी CrPC में यह जमानतीय अपराध बताया गया है । आईपीसी धारा 325 क्या है मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 A के बारे में जानकारी हो गई होगी | कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें | आईपीसी धारा 328 क्या है
आईपीसी धारा 329 क्या है टॉप आईपीसी धारा | Important IPC in Hindi
धारा 304A में कितनी सजा है?दस साल की सजा व जुर्माना दोनों
यदि लापरवाही है, तब भी 304(ए) के तहत दोषियों को दो साल की सजा व जुर्माना हो सकता है। सड़क एजेंसी के ठेकेदार व इंजीनियर के अलावा उस विभाग के जिस व्यक्ति की लापरवाही पाई जाएगी, उस पर मामला दर्ज हो सकता है।
धारा 304 ए का मतलब क्या होता है?धारा 304 ए- उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना-
जो कोई उतावलेपन के या उपेक्षापूर्ण किसी ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, जो आपराधिक मानववध की कोटि में नहीं आता, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
304 कब लगती है?धारा 304 का केस केवल और केवल आरोपी की नियत के आधार पर बनाया जाता है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर उसे किसी शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से वार करता है, किन्तु बाद में वह वार उस पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन जाए, तो इस प्रकार के मामले में आरोपी पर धारा 304 के तहत केस चलाया जा सकता है।
धारा 304 में क्या सजा होती है?भारतीय दंड संहिता की धारा-304ए | Section 304A of the Indian Penal Code in Hindi. आईपीसी की धारा 304 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है,जिनकी लापरवाही की वजह से किसी की जान जाती है। इसके तहत दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों होते हैं। सड़क दुर्घटना के मामलों में किसी की मौत हो जाने पर अक्सर इस धारा का इस्तेमाल होता है।
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