तात्या टोपे लक्ष्मीबाई के क्या थे? - taatya tope lakshmeebaee ke kya the?

* पेशवाई की समाप्ति के पश्चात बाजीराव ब्रह्मावर्त चले गए। वहां तात्या ने पेशवाओं की राज्यसभा का पदभार ग्रहण किया।

* 1857 की क्रांति का समय जैसे-जैसे निकट आता गया, वैसे-वैसे वे नानासाहेब पेशवा के प्रमुख परामर्शदाता बन गए।

* तात्या ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से अकेले सफल संघर्ष किया।

* 3 जून 1858 को रावसाहेब पेशवा ने तात्या को सेनापति के पद से सुशोभित किया। भरी राज्यसभा में उन्हें एक रत्नजड़‍ित तलवार भेंट कर उनका सम्मान किया गया।

* तात्या ने 18 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई के वीरगति के पश्चात गुरिल्ला युद्ध पद्धति की रणनीति अपनाई। तात्या टोपे द्वारा गुना जिले के चंदेरी, ईसागढ़ के साथ ही शिवपुरी जिले के पोहरी, कोलारस के वनों में गुरिल्ला युद्ध करने की अनेक दंतकथाएं हैं।

* 7 अप्रैल 1859 को तात्या शिवपुरी-गुना के जंगलों में सोते हुए धोखे से पकड़े गए। बाद में अंग्रेजों ने शीघ्रता से मुकदमा चलाकर 15 अप्रैल को 1859 को राष्ट्रद्रोह में तात्या को फांसी की सजा सुना दी।

* 18 अप्रैल 1859 की शाम ग्वालियर के पास शिप्री दुर्ग के निकट क्रांतिवीर के अमर शहीद तात्या टोपे को फांसी दे दी गई। इसी दिन वे फांसी का फंदा अपने गले में डालते हुए मातृभूमि के लिए न्यौछावर हो गए थे।

तात्या टोपे (16 फरवरी,1814 – 18 अप्रैल 1859) दांतो में उंगली दिए मौत भी खड़ी रही, फौलादी सैनिक भारत के इस तरह लड़े। अंग्रेज बहादुर एक दुआ मांगा करते थे कि  फिर किसी तात्या से पाला नहीं पङे। सन 2016 में भारत सरकार ने इनके नाम पर एक डाक टिकट जारी किया था। कानपुर और शिवपुरी में इनका स्मारक का निर्माण करवाया गया है। इनकी शहादत, वीरता, त्याग की याद में मध्यप्रदेश में “तात्या टोपे मेमोरियल पार्क” भी बनाया गया है। इस पार्क में तात्या जी कि मुर्ति स्थापित की गई है।

नामतात्या टोपेपूरा नामरामचंद्रराव पांडुरंगराव येवलकरपिता का नामपांडुरंग रावमाता का नामरुकमा बाईमृत्यु18 अप्रैल, 1859Tatya Tope ka jivan parichay in hindi

तात्या टोपे का जन्म 16 फरवरी, 1814 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के येवला में हुआ था। इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता का नाम पांडुरंग राव था पांडुरंग राव अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए चिंतित रहा करते थे। इन्होंने पेशवा बाजीराव द्वितीय के धर्मदाय के प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया था। तात्या टोपे की माता जी का नाम रुकमा बाई था। इनकी माता जी धार्मिक तथा घरेलू महिला थी।

Table of Contents

    • प्रारंभिक जीवन (Tatya Tope essay in hindi) :-
    • प्रारंभिक शिक्षा :-
    • अंग्रेजों द्वारा पेशवा बाजीराव द्वितीय पर हमला :-
    • तात्या टोपे द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह :-
    • अंग्रेजों द्वारा बिठूर पर आक्रमण :-
    • कालपी पर अधिकार (tatya tope ka itihas):-
    • झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह में टोपे द्वारा सहायता :-
    • मृत्यु :-
  • FAQ’s

प्रारंभिक जीवन (Tatya Tope essay in hindi) :-

इनका प्रारंभिक जीवन उगते सूर्य की तरह था। इनकी क्रांतिकारी गतिविधियां कानपुर से शुरू हुई थी। तात्या टोपे ओजस्वी तथा प्रभावशाली व्यक्ति था। उनमें साहस, शौर्य, तत्परता, प्रति शरण, निर्णय लेने की उचित क्षमता आदि गुणों से परिपूर्ण था।

प्रारंभिक शिक्षा :-

यह अपने पिताजी पांडुरंग राव के साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में पिता के काम में मदद करने के लिए साथ में जाते थे। यहां पर तात्या टोपे बाजीराव द्वितीय के पुत्री, लक्ष्मी बाई के साथ पढ़ते थे। तात्या टोपे बचपन से ही काफी तेज और समझदार थे। इसके बाद इनको पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अपने ही दरबार में मुंशी बना दिया था। पेशवा बाजीराव द्वितीय ने इनके कार्यों को देखते हुए उन्हें राज्यसभा में बहुमूल्य नवरत्न जड़ित टोपी पहना कर उनको सम्मानित किया था। यहां से इनका नाम टोपे पड़ा था।

अंग्रेजों द्वारा पेशवा बाजीराव द्वितीय पर हमला :-

राज्यसभा का समारोह खत्म ही हुआ था कि अंग्रेजों ने बाजीराव द्वितीय पर हमला कर दिया था। और अंग्रेजों से पराजित पेशवा बाजीराव द्वितीय राजमहल छोड़कर उत्तर प्रदेश के बिठूर में जाकर रहने लगे थे। इनका परिवार भी उनके साथ वहां चला गया था। यहां पर तात्या टोपे ने युद्ध कला, तलवारबाजी सीखी थी। यहां पर वह बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहिब से मिले थे तथा बाद में दोनो घनिष्ठ मित्र भी बन गए थे।

तात्या टोपे द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह :-

सन 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध चल रहा था। इस कारण से तात्या टोपे तथा नाना साहिब ने मिलकर एक 20000 सैनिकों की सेना तैयार की थी। तथा कानपुर में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इस विद्रोह में अंग्रेज बूरी तरह से हार गए थे। इसके बाद अंग्रेज कानपुर से भाग गए थे। इसके बाद नानासाहेब को कानपुर का पेशवा घोषित किया गया था। तथा तात्या टोपे को सेनापति के पद पर नियुक्त किया गया था।

अंग्रेजों द्वारा बिठूर पर आक्रमण :-

अंग्रेजों ने अपनी गोरिल्ला युद्ध की नीति अपनाते हुए विशाल सेना के साथ बिठूर पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध में तात्या टोपे को हार का सामना करना पड़ा था। तथा यह वहां से भागने में कामयाब हो गए थे। तथा अंग्रेज सैनिकों ने इनका 2800 मील तक पीछा किया था। तब भी Tatya Tope को पकड़ नहीं सकते थे।

कालपी पर अधिकार (tatya tope ka itihas):-

कानपुर विजय के बाद तात्या टोपे ने कालपी पर आक्रमण कर दिया था। तथा कालपी पर अपनी विजय प्राप्त कर ली थी। कालपी को स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों का प्रशिक्षण का अड्डा बनाया था। इन्होने क्रांतिकारियों को संगठित कर अंग्रेजों पर आक्रमण करने के लिए तैयार किया था।

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह में टोपे द्वारा सहायता :-

अंगेजो ने 1857 के विद्रोह के दौरान झांसी पर आक्रमण कर दिया था। तब तात्या ने अपनी 15000 सैनिकों की टुकड़ी के साथ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया था। इस हमले में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो जाती है। तब भी अंग्रेज इनको पकड़ने मे नाकामयाब रहते हैं।

तात्या टोपे लक्ष्मीबाई के क्या थे? - taatya tope lakshmeebaee ke kya the?

मृत्यु :-

Tatya Tope की मृत्यु मानसिंह से मिले धोखे की वजह से हुई थी। मानसिंह ने राजगद्दी के लालच में इनकी मुखबरी की थी। जिस कारण से तात्या टोपे को 7 अप्रैल, 1859 को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद अंग्रेजों ने 18 अप्रैल, 1859 को शिवपुरी में Tatya Tope को फांसी पर चढ़ा दिया था।

FAQ’s

  1. तात्या टोपे का वास्तविक नाम क्या था?

    इनका वास्तविक नाम या पूरा नाम रामचंद्रराव पांडुरंगराव येवलकर था।

  2. तात्या टोपे को कौन से जंगल में रखा गया?

    मानसिंह ने राजगद्दी के लालच में इनकी मुखबरी की थी। जिस कारण से तात्या को 7 अप्रैल 1859 पाड़ौन के जंगलों मे अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर लिया था।

  3. Tatya Tope का जन्म कहाँ हुआ था?

    Tatya Tope का जन्म 16 फरवरी, 1814 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के येवला में हुआ था।

  4. मेजर मीड ने Tatya Tope को पकड़ने के लिए यह सुझाव दिया था कि  “हमें अपनी सैनिक शक्ति में वृद्धि करनी होगी।”

    तात्या टोपे रानी लक्ष्मीबाई के कौन थे?

    इनके पिता पांडुरंग राव भट्ट,पेशवा बाजीराव द्वितीय के धर्मदाय विभाग के प्रमुख थे। उनकी विद्द्वता एवं कर्तव्यपरायणता देखकर बाजीराव ने उन्हें राज्यसभा में बहुमूल्य नवरत्न जड़ित टोपी देकर उनका सम्मान किया था, तब से उनका उपनाम टोपे पड़ गया था। इनकी शिक्षा मनुबाई (रानी लक्ष्मीबाई ) के साथ हुई.

    तात्या टोपे का नारा क्या था?

    उज्जैन | देश की आजादी में शामिल क्रांतिकारी तात्या टोपे को पढ़ो और फिर लड़ो का नारा लगाते थे। यह बात क्रांतिकारी स्मरण समिति एवं राष्ट्रीय युवा फोरम के मंगलवार को छत्रीचौक पर शाम 7 बजे तात्या टोपे के बलिदान दिवस पर हुए पुष्पांजलि कार्यक्रम में अभय मराठे ने कही।

    तात्या टोपे कौन था इसकी मृत्यु कैसे हुई?

    सात अप्रैल, 1869 तात्या टोपे को शिवपुरी लाया गया. उन्हें सिपरी गांव लाया गया और दस दिनों के बाद ही 18 अप्रैल को उन्हें फांसी दे दी गई. प्रतिभा रानडे ने अपनी किताब में लिखा है कि जिस पत्थर पर तात्या टोपे को फांसी दी गई उस पर अंग्रेजों ने लिखवाया, "यहां 18 अप्रैल, 1859 को कुख्यात तात्या टोपे को फांसी दी गई."