हरे के बच्चे को क्या कहते हैं? - hare ke bachche ko kya kahate hain?

रेशमा ये सवाल सुनते ही फ़ोन पर हँस पड़ती हैं और कहती हैं कि ये पता तो नहीं था, लेकिन सुनकर अच्छा लग रहा है.

वो तीसरी बार माँ बन रही हैं और उनका पाँचवाँ महीना चल रहा है.

वो कहती हैं, ''जब मैं पहली बार प्रेग्नेंट हुई तो खट्टा खाने का मन करता था, दूसरी बारी में बीमार रही और तीसरी बारी में मुझे चटपटा खाने का मन करता है. ये सुनकर अच्छा लगा कि बच्चे को भी स्वाद आता है. अब अगर मैं चटपटा खा रही हूँ, तो शायद मेरे गर्भ में पल रहे मेरे बच्चे को भी चटपटा खाना पसंद आ रहा होगा.''

गर्भ में पल रहे बच्चे को भी स्वाद का एहसास होता है और वो भी सूंघने की क्षमता रखता है-ये कोई मिथक नहीं बल्कि एक नए शोध में ये बात निकल कर आई है.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ डरहम और ऐस्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार, एक माँ जो भी खाती है, उस पर गर्भ में पल रहा बच्चा भी प्रतिक्रिया देता है.

इमेज स्रोत, FETAL AND NEONATAL RESEARCH LAB/DURHAM UNIVERSIT

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मां के गाजर का कैप्सूल खाने से पहले और बाद में गर्भ में पल रहे बच्चे के चेहरे पर असर

इंग्लैंड की इस यूनिवर्सिटी ने 100 गर्भवती महिलाओं पर शोध किया और पाया कि गर्भ में पल रहे इन बच्चों के चेहरों पर खाने की कैप्सूल को लेकर प्रतिक्रियाएँ दिखाई दीं.

डरहम के शोधकर्ता बेयज़ा उस्तुन ने इस शोध का नेतृत्व किया जिसमें माँओं को पत्तेदार हरी सब्ज़ी और गाजर की एक-एक कैप्सूल दी गई.

कैप्सूल देने से पहले और बाद में गर्भ में पल रहे बच्चे के चेहरे का अध्ययन किया गया और पाया गया कि जब बच्चे तक गाजर की कैप्सूल का स्वाद पहुँचा तो उसका 'हँसता चेहरा' दिखा जैसा कि तस्वीर में देखा जा सकता है.

लेकिन जब माँ को पत्तेदार हरी सब्ज़ी की कैप्सूल दी गई, तो बच्चे ने 'रोने का चेहरा' बना कर प्रतिक्रिया दी. (नीचे दी गई तस्वीर)

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मां के केल का कैप्सूल खाने से पहले और बाद में गर्भ में पल रहे बच्चे के चेहरे पर असर

बेयज़ा ने बताया, ''स्कैन के दौरान केला और गाजर देने के बाद गर्भ में पल रहे इन बच्चों की प्रतिक्रिया देखना अद्भूत था और अभिभावकों के साथ उन पलों को शेयर करना भी.''

सूंघने और टेस्ट की क्षमता विकसित

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सांकेतिक तस्वीर

एक गर्भवती महिला में एम्निओटिक फ्लुइड होता है और इसमें ही बच्चा फ्लोट करता है या तैरता है. एक गर्भवती महिला जो भी खाती है, गर्भ में पल रहा बच्चा इसी एम्निओटिक फ्लुइड के ज़रिए उन अलग-अलग फ्लेवर को चख या टेस्ट कर पाता है.

इस शोध में ये भी बताया गया है कि माँ जो भी खा रही है, वो संभावित तौर पर बच्चे के सूंघने और टेस्ट के सेंस को प्रभावित कर सकता है.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भावना चौधरी कहती हैं कि पहले ट्राइमेस्टर (0-13 हफ़्ते) तक गर्भ में पल रहे बच्चे की स्वाद और सूंघने की क्षमता विकसित होने लगती है और दूसरे (14-26 हफ़्ते) और तीसरे ट्राइमेस्टर तक तो ये और अच्छी तरह से विकसित हो जाती है.

गर्भवती महिला के शरीर में जो एम्निओटिक फ्लुइड होता है, उसी के ज़रिए गर्भ में पल रहे बच्चे के पास माँ ने जो खाना खाया होता है, उसका फ्लेवर भी पहुँचता है और आगे जाकर ये फ्लेवर बच्चे की पंसद और नापसंद को भी प्रभावित कर सकते हैं.

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफ़दरजंग अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर यामिनी सरवाल कहती हैं कि गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहा बच्चा एक ही यूनिट होते हैं, ऐसे में वो जो खा रही है, जैसे हार्मोन उनमें बन रहे हैं, वो सब बच्चे को भी मिल रहे होते हैं जिससे उसका विकास प्रभावित होता है.

लेकिन एक गर्भवती महिला जिन चीज़ों का सेवन करती है, उसका असर क्या बड़े होकर बच्चों के खाने के चुनाव पर भी पड़ता है?

साइंस डेली में छपे लेख के अनुसार, एक गर्भवती महिला जो डाइट ले रही है, वो गर्भ में पल रहे बच्चे को सूंघने और फ्लेवर के प्रति संवेदनशील बनाता है. इस लेख का स्रोत यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलोराडो है.

डॉक्टर भावना चौधरी का कहना है, ''मान लीजिए गर्भधारण के दौरान एक महिला ने ज़्यादा फलों का सेवन किया है तो हो सकता है कि पैदा होने के बाद बच्चा फल खाना पसंद करे क्योंकि एम्निओटिक फ्लुइड में उस तरह के फ्लेवर ज़्यादा रहे हो सकते हैं और बच्चे पर इसका रिपीटेड एक्सपोज़र होता है. आनुवांशिक तौर पर कई बार मीठा ज़्यादा पसंद किया जाता है.''

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डॉक्टर यामिनी सरवाल

ख़ुशी और तनाव देने वाले हार्मोन

इस बात को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर यामिनी सरवाल कहती हैं, ''एक गर्भवती महिला अगर कुछ ख़ुश होकर खा रही है, तो वो पैरासिम्पेथेटिक हार्मोन जिसे हैपी हार्मोन कह सकते हैं, वो बच्चे को मिलेंगे. वहीं अगर कोई चीज़ उसे पसंद नहीं है और उसे खानी पड़ रही है तो सिम्पेथैटिक हार्मोन मिलेंगे यानी तनाव देने वाला हार्मोन बच्चे में जाएगा. जो आगे जाकर बच्चे की खाने की आदत को प्रभावित कर सकता है.''

लोगों को उनके जीन्स के मुताबिक़, अलग-अलग स्वाद पसंद हो सकता है.

लेकिन बच्चे पैदा होने के बाद आप उसे जिस तरह का खाना दे रहे हैं, उससे उसकी पसंद बदल भी सकती है.

दोनों डॉक्टर सलाह देती हैं कि प्रेग्नेंसी को लेकर अब लोग बहुत जागरूक हो गए हैं और महिलाएँ डाइट, योग और एक्सरसाइज़ का महत्व भी अब ज़्यादा समझने लगी हैं

लेकिन यहाँ देखने की ज़रूरत है कि एक गर्भवती महिला क्या खा रही है, क्या सोच रही है या उसकी मन:स्थिति कैसी है क्योंकि उसका असर बच्चे के हार्मोन पर भी पड़ता है.

नवजात शिशु के प्रथम शौच को क्या कहते हैं?

मेरे नवजात शिशु का मल कैसा होगा? जन्म के बाद शुरुआती एक-दो दिन तक आपका शिशु मल के रूप में मिकोनियम बाहर निकालेगा। मिकोनियम हरे-काले रंग का चिपचिपा और टार जैसी प्रकृति का होता है। यह श्लेम (म्यूकस), एमनियोटिक द्रव्य और जो कुछ शिशु गर्भ के अंदर रहकर निगलता है, उस सबसे बना होता है।

Rabbit के बच्चे को क्या कहते हैं?

खरगोश का बच्चा ko english me kya bolte hai ? answer : खरगोश का बच्चा ko angreji me rabbit kah sakte hai ya ek Noun ho sakti hai .

बच्चे के पहले माल को क्या कहते हैं?

जोकि प्लेसेंटा (इसे भ्रूण की पोषक थैली भी कहते हैं जिसके एक सिरे से गर्भनाल जुड़ी होती है और दूसरा सिरा बच्चे की नाभि से) का एक हिस्सा है.

बच्चों को क्या कहा जाता है?

आम बोल चाल की भाषा मे नवजात और शिशु दोनो को ही बच्चा कहते हैं। एक दूसरी परिभाषा के अनुसार जबतक बालक या बालिका आठ वर्ष के नहीं हो जाते तब तक वे शिशु कहलाते हैं।